50% वित्तीय सहायता का प्रावधान पहले ही है। समिति का विचार था कि परियोजनाओं के अनुमोदन से पूर्व परियोजना लागत के शेष 50%का स्रोत विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए। विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि -
नोट:
विज्ञापन सूचना के लिए डीएवीपी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और समाचार पत्र में विज्ञापन देने के लिए संपूर्ण भारत में पढ़े जाने वाले राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों को ही चयनित किया जाएगा ।
कार्यान्वयन एजेंसियों को 100% सहायता दी जाए। तथापि यह कृषि समूहों की संख्या पर यह निर्भर करेगा कि प्रत्येक राज्य में कितनी संख्या में परियोजनाएं लागाई जानी हैं। विस्तृत विचारविमर्श के बाद समिति ने निम्नलिखित निर्णय लिए -
पादप उगाने वालों/किसानों और क्रेता-विक्रेता बैठक आयेजन के अलावा उदयोग को कुछ प्रोत्साहन होना चाहिए ताकि पादप उगाने वालों/किसानों से कच्ची सामग्री की खरीद से उन्हें कुछ आर्थिक लाभ हो। वित्तीय सहायता का प्रतिशत प्रापण की मात्रा से जोड़ा जाए परंतु वह प्रापण लागत के 10% से अधिक नहीं होगा। इसमें 75% हिस्सा पादप उगाने वालों/किसानों का और 25% हिस्सा क्रेताओं/उदयोग का होगा।
विपणन अवसंरचना
संग्रहण एवं बिक्री के लिए ग्रामीण केंद्र- संग्रहण एवं बिक्री के लिए ग्रामीण केन्द्र साप्ताहिक आधार पर कार्य करें और नीलामी प्लेटफार्म, भंडारण गोदाम, सुखाने के शेड जैसी मौलिक सुविधाएं सहायक सेवाओं सहित प्रदान की जाएं। भूमि संबंधित जनता/स्व-सहायता दल/सहकारिताओं दवारा दी जाएगी और वह परियोजना लागत का अंश नहीं होगी। संक्षिप्त दिशा-निर्देश निम्नलिखित हैं-
क. संग्रहण एवं बिक्री के लिए प्रत्येक ग्रामीण केंद्र को अधिकतम सहायता 20.00 लाख रुपए/एकांश।
ख. संग्रहण एवं बिक्री ग्रामीण क्षेत्रों की संख्या उत्पादन क्षेत्रों में संग्रहण केंद्र हों।
ग. संग्रहण एवं बिक्री ग्रामीण क्षेत्रों की संख्या उत्पादन समूहों की संख्या पर आश्रित हो।
घ. इन केंद्रों को जिला केंद्रों/थोक बाजारों के साथ जोड़ा जाए।
ड. नीलामी प्लेटफार्म, सुखाने के शेड, भंडारण गोदाम और सहायक सेवाओं जैसी मौलिक अवसंरचना प्रदान की जाए।।
च. संबंधित स्व-सहायता दल/सहकारिता सोसाइदी दवारा भूमि उपलब्ध कराई जाए।
सरकारी/अर्ध सरकारी/स्व-सहायता दलों/सहकारिताओं/सार्वजनिक क्षेत्र को 100% सहायता। सामान्य क्षेत्रों में परियोजना की पूंजी लागत के 40% की दर से ऋण से जुड़ी सामान्य सहायिकी और निजी क्षेत्र के लिए पहाड़ी और अधिसूचित क्षेत्रों के मामले में 55% ।
संग्रहण एवं बिक्री के लिए जिला केंद्र थोक बाजार-मुख्य विशेषताएं- संग्रहण एवं बिक्री के लिए प्रति जिला केन्द्रों के लिए अधिकतम सहायता 200.0 लाख रुपए है।
क. संग्रहण एवं बिक्री के लिए जिला केंद्र हब-एंड-स्पोक फॉर्मेट आधार पर काम करेंगे जबकि मुख्य बाजार (हब) अनेक स्पोक्स रूरल मार्केट (संग्रहण केंद्रों) से जुड़ा होगा।
ख. ग्रामीण बाजार सुविधा अनुसार मुख्य उत्पादन केन्द्रों पर स्थित होंगें ताकि किसान/संग्रहणकर्ता वहां तक सरलता से पहुंच सकें तथा प्रत्येक स्पोक का आवाह क्षेत्र किसानों की सुखकर आवश्यकताओं को पूरा करने, कार्यात्मक दक्षता और निवेश के प्रभावशाली पूंजीगत उपयोग पर आधारित होगा।
ग. संग्रहण एवं बिक्री जिला केंद्र अपने पिछले अनुबंध संग्रह केंद्रों के माध्यम से किसानों से और अगले अनुबंध थोक विक्रेताओं, वितरण केंद्रो, प्रसंस्करण एकांशों और निर्यातकों के माध्यम से स्थापित करेंगे।
घ. गांवों में स्थित संग्रहण केंद्र उत्पादकों, संग्रहणकर्ताओं एवं खुदरा विक्रेताओं, प्रसंस्करण एकांशों और निर्यातकों को बाजार प्रणाली के साथ जोड़ेंगे।
ड. मूल्य नियतन और स्पर्धा में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु नीलामी के लिए एक इलैक्ट्रानिक प्रणाली की स्थापना की जाएगी।
च. यह स्कीम मुख्य पणधारियों- उद्यमियों, उत्पादकों, प्रसंस्करण उद्योग विनिर्माताओं और निर्यातकों को सहायता प्रदान करके कृषि व्यापार क्षेत्र में निजी क्षेत्र निवेश को आकर्षित करेगी।
छ. देश के किसी भी भाग के उत्पादक, किसान, संग्रहणकर्ता और उनकी एसोसिएशनें और अन्य विपणन पदाधिकारी थोक बाजार की अवसंरचना व सुविधाओं का उपयेाग सीधे अथवा संग्रहण केंद्रों के माध्यम से कर सकते हैं।
ज. संग्रहण व बिक्री जिला केंद्र यातायात सेवाओं, माल गोदाम सुविधाओं सहित परिभारिकी सहायता देने के लिए एक ही स्थान पर सब समाधान करेंगे।
सरकारी/अर्ध सरकारी/ स्व-सहायता दलों/सहकारिताओं/सार्वजनिक क्षेत्र को 100% सहायता। निजी क्षेत्र को 50% की दर से अधिकतम 100.00 लाख रुपए की ऋण से जुड़ी समाप्य सहायिकी।
संग्रहण एवं बिक्री जिला केंद्रों दवारा जिन वस्तुओं का व्यापार किया जाएगा उनमें औषधीय पादप, जड़ी-बूटियां इत्यादि शामिल होंगी।
राज्य सरकार मांग, आर्थिक व्यवहार्यता, वाणिज्यिक दृष्टि से विचारणीय पहलुओं इत्यादि के आधार पर संग्रहण एवं बिक्री जिला केंद्रों की संख्या और निर्देशात्मक स्थानों का अनुमोदन करेगी। जिला मंडियों/थोक बाजारों में दी जाने वाली मूल सुविधाएं और अनिवार्य सेवाएं-
1. इलेक्ट्रॉनिक नीलामी सुविधा
2. भंडारण सुविधा
3. ताप नियंत्रित माल गोदाम ।
4. छंटाई, ग्रेडिंग, धोने एवं पैकिंग की लाइनें
5. उत्पादों पर लेबल लगाना
6. मूल्य प्रदर्शन/बुलेटिन
7. गुणवत्ता परीक्षण सुविधा
8. सामग्री को संचालन का उपकरण (पैलेटाइजेशन और प्लास्टिक क्रेट्स)
9. वाहनों के संचलन एवं उन्हें खड़ा करने की सुविधा ।
10. भावी व्यापार की सुविधाएं
11. परिवहन सेवाएं
12. लेनदेन के निपटारीं सहित बॅकिंग सेवाएं
13. वाहनों में तेल भरने की सेवाएं
14. कूड़ा-कचरा और रद्दी की अभिक्रिया और निपटान
15. मौलिक आवास सेवाएं
16. प्लास्टिक क्रेटों का भंडारण क्षेत्र
17. मंडी में आने वाले उत्पाद हेतु मानक
18. पूरे ढेर की तुलाई इत्यादि
19. पीने का पानी, शौचालय और सूचना डेस्क
20. आपातकालीन सेवाएं, पुलिस /सामान्य सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवाएं
उपर्युक्त के अतिरिक्त संग्रहण एवं बिक्री जिला केंद्र प्रयोक्ताओं को निम्नलिखित प्रयोक्ता सेवाएं नि:शुल्क प्रदान करेंगे।
क. औषधीय पादपों के केंद्रीय और संग्रहण केंद्रों (ग्रामीण मंडी) दोनों में मूल्य सूचना प्रदर्शनकारी स्क्रीनें।
ख. आयुष उदयोग के लिए निवेशों, मूल्यों, गुणवत्ता पर सलाह।
प्रस्ताव राज्य मिशन दवारा विधिवत अनुमोदित किए जाने के बाद संबंधित मिशन निदेशकों दवारा एनएमपीबी और एनएएम के टीएससी विचारार्थ प्रस्तुत किए जाएंगे।
निधियां काम की प्रगति के आधार पर तीन किश्तों में निर्मुक्त की जाएंगी। राज्य प्राधिकारियों को कार्यान्वयन का अनुवीक्षण करना होगा और केंद्रीय सहायता के उपयोग की तिमाही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
स्रोत: आयुष मंत्रालय, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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