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पोलियो की रोकथाम

पोलियो की रोकथाम

शिशुओं को पोलियो की वैक्सीन के टीके लगवाएं।जहाँ तक संभव हो सके, आप इस समय सरणी के अनुसार टीकाकरण कराएँ

पोलियो की दवा निम्नवत दिलाएं

  1. जन्म के समय पर
  2. छह सप्ताह पर
  3. दस सप्ताह
  4. 14 सप्ताह
  5. एक या डेढ़ साल पर (बूस्टर)

जो बच्चे अस्पताल या नर्सिंग होम में पैदा होते  हैं उन्हें जन्म के समय ही पोलियो  की दवा दे दी जाती है लेकिन जो बच्चे गाँव –घर में पैदा होते हैं उन्हें जन्म के छह हफ्ते तक पोलियो की पहली खुराक दिला देनी चाहिए।आप पक्का निश्चय कर लें की उन्हें 14 सप्ताह का होने तक पोलियो की तीनों खुराक मिल जानी चाहिए।

जितना ज्यादा संभव हो समुदाय के उतने ही ज्यादा बच्चों को टीका लगवाएं।यह पोलियो की सक्रिय वैक्सीन बच्चों को मुँह से दी जाती है।इसलिए यदि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को वैक्सीन दिला दी जाये तो सक्रिय वैक्सीन वातावरण में फैलकर गैर टीकाकरणकृत बच्चों को भी सुरक्षित कर देती है।इसके बावजूद भी प्रायः यह देखा गया है कि कुछ जिलों या क्षेत्रों में जहाँ भारी संख्या में बच्चे टीकाकृत हैं।वहीँ पर कुछ निश्चित क्षेत्र बगैर टीकाकृत बच्चों के भी हैं।यधि इन क्षेत्रों में पोलियों की महामारी फैलती है तो टीकाकृत क्षेत्र के बच्चों के लिए भी भारी खतरा पैदा हो जाता है।यह गैर सुरक्षित क्षेत्र हर समय संक्रामकता के दौर के खतरे में रहते हैं।इसलिए सारे समुदाय की भलाई के लिए बेहतर है कि बगैर टीकाकृत या सुरक्षित क्षेत्र कंही पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

टीकाकरण की समय सारणी पूरी करें पोलियो वैक्सीन की एक या दो खुराकें दिलाने से बच्चा सुरक्षित नहीं हो पाता है है इसलिए यह अत्यंत जरुरी व महत्वपूर्ण है कि बच्चे की पूरी खुराकें दिलाई जानी चाहिए।यदि आपका बच्चा (२ या 3 वर्ष का) बड़ा हो गया है तो भी अभी भी पोलियो की वैक्सीन दिलाई जा सकती है, लेकिन यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि बच्चे को तभी सुरक्षित बना देना चाहिए जब वह  अंत्यंत सवेंदनशील समय से गुजर रहा हो।पोलियो के संक्रमण की सर्वाधिक खतरनाक आयु समूह 7 से 28 मास के बच्चों का होता है।

सक्रिय पोलियो वैक्सीन को उपयोग से पहले जमा होना चाहिए।उपयोग से कुछ पहले ही बाहर निकालें, इसे 3 मास तक के लिए द्रवित करके या पुनः हिमीकृत करके रख सकते हैं लेकिन यह ठंडी राखी जानी चाहिए नहीं तो नष्ट हो जांएगी।

टीकाकरण की बेहतरी एवं वैक्सीन के ठंडे ढंग से रख-रखाव के लिए समुदाय का सहयोग प्राप्त करें।कई बात गाँव में वैक्सीन समय पर नहीं पहुँच पाती कयोंकि स्वास्थ्य केन्द्रों पर आदि का आभाव होता है।लेकिन अमूमन कुछ स्टोर कीपरों या कुछ एक परिवारों के पास फ्रिज होता है अतएव उनका विश्वास जीतकर सहयोग प्राप्त करें।

बच्चे को अच्छी सुरक्षा देने के लिए उसे उस समय पोलियो वैक्सीन दें जब वह बुखार, जुकाम या दस्त से पीड़ित न हो।पोलियो की खुराक उस समय नहीं देनी चाहिए जब पोलियो की महामारी जोर पर हो।लेकिन यदि बच्चा 3 मास का हो चूका है और अभी तक उसे पोलियो वैक्सीन नहीं दी गई तो उसे तुरंत पोलियो खुराक दें, चाहे वह थोड़ा बहुत बीमार ही क्यों न हो।यद्यपि, ऐसे में यह भी सम्भावना है कि वैक्सीन काम न करें, यदि बच्चा खुराक लेने के खुराकों की श्रृंखला दिलाएं और बाद में एक बूस्टर खुराक भी दिलाएं।

जरूरतमंद बच्चों तक पहुँचते-पहुँचते भारी मात्रा में वैक्सीन नष्ट हो जाती है इसलिए चाहे बच्चा टीकाकृत कराया जा चूका है तो भी अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरुरत है

स्तनपान – बच्चे को  ज्यादा से ज्यादा दिन तक स्तनपान कराएँ माँ का दूध में शरीर प्रतिरोधक (शक्ति) होती है जो बच्चे को पोलियो से बचाते हैं।(बहुत कम शिशु ही 8 मास से पहले पोलियो के शिकार होते हैं क्योंकि तब तक माँ के दूध से प्राप्त शरीर प्रतिरोधक होते हैं माँ के दूध कु यह बचाव क्षमता लम्बे समय तक कारगर होती है।

शिशु या बच्चों की किसी भी प्रकार की दवा के इंजेक्शन तब तक न दें जब तक कि बहुत जरुरी न हो इंजेक्शन की दवा की बेचैनी के कारण साधारण, बिना लक्षणों का पोलियो संक्रमण बनकर लकवा बन सकता है।एक अनुमान के अनुसार लकवा के हर तीन रोगियों में से एक रोगी इंजेक्शन के कारण हुए पोलियो के कारण है।

लोगों को संगठित करके उनकी मदद से एक लोकप्रिय आदोंलन चलाकर लोगों को टीकाकरण, स्तनपान और सिमित एवं अनिवार्य होने पर सुई लगाने ले लिए प्रेरित ।इन मसलों पर जागरूकता लाने के लिए लोकनाट्य तथा कठपुतली प्रदर्शन अच्छा उपाय हैं।

सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार

बच्चों का मुफ्त टीकाकरण किया जाता है।सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीकाकरण सुविधा उपलब्ध है।सभी राज्यों ने एक निश्चित तिथि व निश्चित समय तथा स्थान निर्धारित किया है, जिस दिन सभी बच्चों को टीका दिया जाता है।बच्चों के टीकाकरण के सम्बन्ध में हर गाँव में प्रतिमास निश्चित दिन पर एक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता दौरा करती है।

पोलियो वैक्सीन (टीका) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

पोलियो वैक्सीन (टीका) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी  पोलियों की वैक्सीन को हर समय २.डिग्री0 सेंटीमीटर 8. डिग्री. से0 की बीच तापक्रम में रखना चाहिए।नहीं तो इसकी  क्षमता नष्ट हो जाती है।आमतौर पर एक छोटी शीशी में पोलियो की १० खुराकें होती हैं।जहाँ तक ही सके एक बार शीशी खोलने के बाद 10 खुराकें बच्चों को बिना ताप बदले दे दी जानी चाहिए।यदि ऐसा नहीं हो पाता तो बाकी की पोलियों खुराकें फेक दी जानी चाहिए।

समुदाय क्या करे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चे उचित ढंग से टीकाकृत हों।

समुदाय क्या करे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चे उचित ढंग से टीकाकृत हों। समुदाय की लोगों को चाहिए कि वे एक निश्चित दिन व समय तथा एक निश्चित जगह तलाश कर टीकाकरण के लिए निर्धारित करें जहाँ समुदाय के सभी जरूरतमंद बच्चे पहुँच सकें। यह ज्यादा अच्छा होगा कि भारी संख्या में बच्चे टीकाकरण के लिए एक साथ एकत्र हों, जिससे कि वैक्सीन को बाहर ऊँचे ताप पर ज्यादा देर न रखना पड़ें। समुदाय में माता-पिता को यह देखना चाहिए कि एक बार में कम से कम दस बच्चे टीकाकरण को तैयार हों।

यह जाँच कर देख लें कि वैक्सीन ठंडे बक्सों में रखी गई है या नहीं। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक फ्रिज तथा फ्रीजर चालू हालत में रहे, जिसमें वैक्सीन रखी जाये। यहाँ तक कि यदि आप प्राइवेट डॉक्टर से टीका लगवाएं तो यह जाँच लें कि ठीक से फ्रिज में  रखा गया है या नहीं।यदि आप के समुदाय में किसी भी बच्चे को पोलियो हो गया है तो जितना जल्दी से जल्दी संभव हो सके वे लोग पोलियो नियन्त्रण के उपाय तीव्रता से लागू कर सकें।यदि प्रभाव कदम उठाना चाहते हैं तो स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता को ये जानकारी बताने की जरुरत होगी।

बच्चे का नाम

आयु _____________________लिंग _____________________

टीकाकरण की स्थिति

 

रोकथाम एक द्वितीयक समस्या

हमने पहले ही चर्चा की है कि लकवा ग्रस्त बच्चे में रोकथाम भी एक तरह से नई समस्या या कठिनाई है।संक्षेप में, महत्वपूर्ण पहलू ये हैं:

  • संकोचना एवं विकृतियों की रोकथाम: जैसे ही लकवा प्रकट हो तो तुरंत उरी परिधि के व्यायाम शुरू कर दें।
  • जोड़ संकोचन के पहले ही संकेत से खिंचाव के व्यायाम, हर रोज दो तीन बार करना शुरू कर दें।
  • यह सुनिश्चित करें कि वैसाखियाँ काँख पर बहुत जोर न डालें
  • यह कोशिश करें कि बच्चे की शरीरिक विकलांगता उसके पूरे विकास _ शरीरिक, मानसिक तथा सामाजिक में बाधक न बनें।

उन्हें ऐसे अवसर प्रदान करें कि जीवन में सक्रिय भूमिका निभाये और खेलों, क्रियाकलापों, स्कूल तथा काम आदि में दूसरे बच्चों की चर्चा की गई है जिसमें समुदाय मिलकर विकलांग बच्चों की जरूरतों को उपलब्ध कराने में कैसे मदद पहुँचाये।

 

स्रोत:- जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची।

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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