राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के (एनआरएचएम) के तत्वाधान में चल रहे स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत केरल के छात्रों पर हाल ही में कराए गए एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि सरकारी स्कूलों के 10 लाख बच्चों में से करीब 2.7 प्रतिशत अधिक वजन वाले और 0.8 प्रतिशत मोटापे के शिकार है। सर्वेक्षण में युवाओं के बीच जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की ओर इंगित करते हुए कहा गया कि आने वाले दशकों में हमारे देश को इन बीमारियों से निपटने की आवश्यकता पड़ेगी। मधुमेह,और हृदयरोग जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां देश के शहरी क्षेत्रों के अलावा अब ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में भी फैल रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उन्नति के लिए पहचाने जाने वाले केरल ने बिना कोई समय गंवाए स्कूली बच्चों में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया है। इस प्रकार,जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बारे में शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम(लीप) की उत्पत्ति हुई।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने राज्य में लीप का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य -नियमित जांच, जीवनशैली में बदलाव और स्वास्थ्य शिक्षा के जरिए स्कूली बच्चों में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की रोकथामऔर बचाव करना है।राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) और राज्यके स्वास्थ्य तथाशिक्षा विभाग ने संयुक्त रूप से यह कार्यक्रम शुरू किया है। राज्य में वयस्कों के लिए ‘अमरूथम आरोग्यम’ शीर्षक से शुरू किए गए एक और कार्यक्रम से इस कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा। अमरूथम आरोग्यम कार्यक्रम के तहत करीब 70 लाख वयस्कों की जांच की गई।
वर्ष 2010 में, जिनेवा में आयोजित विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मुख्य रूप से हृदय रोगबीमारियां, कैंसर, दीर्घकालिक श्वास संबंधी बीमारियां और मधुमेह जैसी असंक्रामक बीमारियों से प्रति वर्ष करीब तीन करोड़ पचास लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि विकासशील देशों में 60 वर्ष की आयु से पहले करीब 90 प्रतिशत व्यक्तियों की मौत होती है, जो ज्यादातर निरोध्य है। (डत्ल्यूएचओ की वेबसाइट से)अस्वास्थ्यकर आहार, व्यायाम की कमी, तनाव और जंक फूड का अत्यधिक उपयोग बच्चों में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का मुख्य कारण है। शैक्षिकक्षेत्र में बढ़ती प्रतियोगिता के कारण, छात्र स्कूल और स्कूल के बाहर खेल-कूद से दूर हो गए हैं। अधिकतर युवाओं के देश भारत में इस तरह की असंक्रामक बीमारियों की स्थिति गंभीर है।
स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा छात्रों की जांच की जाएगी और उसका ब्यौरादर्ज किया जाएगा। इस कार्य के लिए प्रति 2500 छात्रों के लिए एक स्कूल स्वास्थ्य नर्स कीनियुक्तिकी जाएगी। जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना वालेछात्रों की एक सूची तैयार की जाएगी और उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। कक्षा अध्यापिका छात्रों का रिकॉर्ड रखेंगी और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम का आंकलन करेगी। इनगतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक स्कूल में स्वास्थ्य क्लब के एक ‘लीपएम्बैसडर’होंगे। प्रत्येक स्कूल से कुछ अध्यापकों की पहचान की गई है, जिन्हें योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। छात्रों के आधार पर प्रत्येक स्कूल में एक या दो योग शिक्षक होंगे। जागरूकता लाने के लिए आहार विशेषज्ञों द्वारा अध्यापकों और माता-पिताओं को पोषण संबंधी जानकारी दी जाएगी।
स्त्रोत
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020