सिर्फ विदेश में पढ़ाई करना ही विदेशी शिक्षा नहीं कहलाती, अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के पैमाने को समझना भी जरूरी है। विदेश में शिक्षा देनेवाले संस्थान किन-किन पैमानों को बेहतर पढ़ाई के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं, उन्हें समझ कर अपनाना ही एक मात्र जरिया है शिक्षा के स्तर को बेहतर करने का।
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा को समझना उतना ही आवश्यक है जितना उसको प्राप्त करने की इच्छा रखना। आखिर हम किसे विदेशी शिक्षा कहें? क्या सिर्फ विदेश में पढ़ाई करना ही विदेशी शिक्षा का अर्थ होता है? इसे हमें दो स्तर पर समझना चाहिए। हालांकि दोनों ही बिंदुओं का निष्कर्ष एक ही होगा, फिर भी चौतरफा पहलुओं का अध्ययन अच्छा होगा। पहला पूरे विश्व को आधार मान कर और दूसरा भारत को आधार मान कर। एक और नजरिया होगा इस पहलू को समझने का, वह यह कि ऐसी शिक्षा जो सिर्फ शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी न दिलाती हो बल्कि उस विशेष शिक्षा के कारण छात्र अपने जीवन में रोजगार के साथ एक बेहतरीन व्यक्ति बन कर उभरे।
विश्व को आधार मानते हुए
जब हम विश्व को आधार मानते हैं, तो यह देखने का प्रयास करना चाहिए कि दुनिया में किन-किन देशों की शिक्षा छात्र को उस विशेष शिक्षा के आधार पर जीवन उन्नति की दिशा में ले जाता है।
एक उदाहारण के रूप यदि देखें तो आज भारतवर्ष में इंजीनियर्स की संख्या पर्याप्त है। क्या हमारे यहां केंद्र या राज्य सरकारों ने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग करने के बाद छात्र किस तरह की नौकरी में जा रहे हैं? उन्हें सामान्यत: अपने पढ़े हुए क्षेत्र में ही नौकरी करनी चाहिए, लेकिन वे किसी कॉल सेंटर में अपने कैरियर की शुरुआत करते हुए पाये जाते हैं। अर्थात इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग करने का कोई अर्थ नहीं रहता है। ऐसे में वह अंतत: स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस करता है।
कैरियर के चुनाव के समय वास्तव में उस छात्र की उम्र 17-18 वर्ष रही होगी। वह समाज की सोच और माता-पिता के फैसले को सम्मान के साथ पूरा करना चाहता था। लेकिन आज स्थितियां अलग हैं।
एक और उदहारण देखते हैं. कुक अर्थात भोजन बनानेवाला भी आज की तारीख में 20-30 लाख रुपये के वार्षिक पैकेज पर कार्य करता है। अब यह कार्य एक बेहद सम्मानित प्रोफेशन माना जाता है। इसकी पढ़ाई बारहवीं के बाद ही प्रारंभ हो जाती है। सिर्फ एक या दो वर्ष की पढ़ाई के बाद छात्र 5 सितारा होटेलों में बेहतरीन नौकरी शुरू कर सकता है। बेहतरीन भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ रह सकता है। अर्थात 20-22 वर्ष की उम्र में छात्र एक अच्छे स्थान पर पहुंच गया। लेकिन कितने ऐसे माता-पिता ऐसे हैं जो अपने बच्चे को कुक बनाना चाहते हैं? यह तो सिर्फ एक उदाहरण है, ऐसे कई अन्य प्रोफेशन हैं।
शिक्षा के मामले में बेहतर माने-जानेवाले अन्य विकसित देश, भारतीय शिक्षा के मुकाबले, आखिर क्या कुछ करते हैं? क्या हम जानते हैं कि किन बिंदुओं को ध्यान में रख कर शिक्षा पद्धति को उन्नति के रास्ते पर ला सकते हैं? आखिर यह जिम्मेदारी किसकी है?
देश में ही बनें अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा का केंद
हमारे विश्वविद्यालयों को भी यह समझना होगा कि किन प्रयासों और नये प्रोग्राम्स की मदद से यहां छात्र रोजगारोन्मुखी हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी में प्रोग्राम्स अगर हैं भी, तो उनका कितना उपयोग हो रहा है। हमारे अंतरराज्यीय विश्वविद्यालयों के आपस में सहयोग बेहतर होने चाहिए। एक-दूसरे के मजबूत पहलुओं का छात्र और समाज के हित में समुचित उपयोग होना चाहिए। भारतीय विश्वविद्यालयों को अन्य देशों के विश्वविद्यालयों के साथ रिसर्च, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंध बना कर उपयोग करना आवश्यक है। वैसे कुछ राज्यों ने ऐसा कार्य शुरू कर दिया है, जैसे केरल, गुजरात आदि। इन प्रदेशों को इसका समुचित फायदा भी मिल रहा है। फिर झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल को क्यों न इसका फायदा मिले? भारतवर्ष के सभी राज्यों को इस दिशा में मुखर होने की जरूरत है। ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि बिना समुचित अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक प्रयास के किसी भी व्यवस्थित समाज, राज्य या देश की उन्नति की कल्पना शायद व्यर्थ साबित हो सकती है। निर्माण शिक्षा के ही गर्भ से पैदा होता है।
आपको बता दें कि शेवनिंग स्कॉलरशिप यूके गर्वमेंट का ग्लोबल स्कॉलरशिप प्रोग्राम है, जिसका संचालन फॉरेन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस (FCO) और उसके सहयोगी संस्थानों द्वारा किया जाता है। इस स्कॉलरशिप में उन छात्रों को स्कॉलरशिप दी जाती है जिनमें लीडरशिप क्वालिटी होने के साथ- साथ प्रतिभा भी हो। इसमें 144 देशों से चुने हुए स्टूडेंट्स भाग लेते हें।
भारतीय स्टूडेंट्स के लिए शेवनिंग स्कॉलरशिप 5 विषयों में दी जाती है:
शेवनिंग स्कॉलरशिप में शामिल सुविधांए
1. शेवनिंग रोल्स रॉयस साइंस एंड इनोवेशन लीडरशिप प्रोग्राम (CRISP)
यह एक फेलोशिप प्रोग्राम है जो साइंस, इनोवेशन, बिजनेस और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के अनुभवी प्रोफेशनल्स के लिए है। इसकी फंडिग फॉरेन और कॉमनवेल्थ ऑफिस करता है। आवेदन कर रहे सभी उम्मीदवारों का ताल्लुक इन क्षेत्रों से होना अनिवार्य है:
योग्यता: आवेदन कर रहे उम्मीदवारों के पास संबंधित क्षेत्र में 7 साल का अनुभव अनिवार्य है.
2. शेवनिंग टीसीएस साइबर सिक्योरिटी प्रोग्राम
इस कोर्स का उद्देश्य साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में ट्रेनिंग देना है। ताकि देश में साइबर क्राइम से बचाव, नेशनल सिक्योरिटी और देश में निजता के अधिकार को सुरक्षित रखा जा सके।
कोर्स के महत्वपूर्ण पहलू:
आवेदन की अंतिम तारीख 14 सितंबर 2014 है.
3. शेवनिंग इंडिया जर्नलिज्म प्रोग्राम
यह एक फेलोशिप प्रोग्राम है जो इंडिया और भूटान के पत्रकारों के लिए है। इस कोर्स का नाम गुड गवर्नेंस इन ए चेंजिंग वर्ल्ड रखा गया है, जिसमें मीडिया, पॉलिटिक्स एंड सोसाइटी जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे।
योग्यता: किसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में 7 साल का अनुभव
आवेदन की अंतिम तिथि 27 सितंबर 2014 है।
और अधिक जानकारी के लिए शेवनिंगइंडिया पर जाएं।
टेक्सास स्टेट यूनिवर्सिटी (TSU) ने विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों से सन् 2015 के प्रदान की जाने स्कॉलरशिप के लिए आवेदन पत्र मांगे हैं।
स्कॉलरशिप:
इस फाइनऐडटेक्सस्टेट से दी जाने वाली स्कॉलरशिप की पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
यह स्कॉलरशिप पोस्ट-ग्रेजुएट अवॉर्ड है जो दुनियाभर के प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का मौका देती है। इसकी शुरुआत सेसिल रोड्स की ओर से की गई थी। रोड्स स्कॉलरशिप संभवतः दुनिया का सबसे पुराना और सबसे प्रतिष्ठित इंटरनेशनल स्कॉलरशिप प्रोग्राम है।
इसका उद्देश्य है दुनिया के भविष्य के लिए सही नेतृत्व करने में सक्षम युवाओं को तैयार करना। दुनिया के 14 देशों में से हर साल 83 रोड्स स्कॉलर्स का चयन किया जाता है।
योग्यताः उम्मीदवार जिस भी रोड्स कॉस्टिट्यूएंसी के लिए एप्लाई करने जा रहे हैं, वहां की सिटीजनशिप और रेजीडेंसी शर्तों पर खरा उतरना जरूरी है। कांस्टीट्यूएंसी के मुताबिक आयु सीमा भी अलग-अलग है,1 अक्तूबर, 2014 तक उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 18 और अधिकतम 28 साल होनी चाहिए।
इसके बाद ही चयन प्रक्रिया शुरू होगी। सभी उम्मीदवारों की बैचलर डिग्री अक्तूबर तक पूरी हो जानी चाहिए। जिनकी भी इस स्कॉलरशिप में दिलचस्पी है वे सामान्य जानकारी के लिए रोड्सहाऊसपेज पर जा सकते हैं। रोड्स स्कॉलरशिप के बारे में अधिक जानकारी हासिल की जा सकती है।
रोड्स स्कॉलरशिप में यूनिवर्सिटी और कॉलेज की फीस, यूनिवर्सिटी की एप्लिकेशन फीस,पर्सनल स्टाइपंड मिलता है। 2013-14 के लिए ट्रस्टियों ने स्टाइपंड की राशि 13,390 पौंड तय की है। स्कॉलरशिप में प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस भी शामिल है जो बूपा की ओर से दिया जा रहा है।
स्कॉलरशिप शुरू होने पर स्टुडेंट्स को अपने देश से ऑक्सफोर्ड तक आने के लिए इकोनॉमी क्लास का विमान का टिकट दिया जाता है। स्कॉलरशिप खत्म होने पर उन्हें ऑक्सफोर्ड से वापस घर लौटने का टिकट भी दिया जाता है। अधिक जानकारी के लिए रोड्सहाउस पेज पर जाएं।
अमेरिका में पढ़ाई करना युवाओं का एक सपना होता है, लेकिन इस इच्छा को पूरा करने की शुरुआत कैसे की जाये, ज्यादातर को यह पता नहीं होता। यही वजह है कि उन्हें अपने इस सपने को साकार करने में दिक्कत महसूस होती है. इसलिए जरूरी बिंदुओं को जानना आवश्यक हो जाता है।
अमेरिका में पढ़ाई करना जितना कठिन माना जाता है, उतना ही आसान भी होता है। कठिन समयानुसार तैयारी और सही दिशा का निर्धारण न करने से होता है। दूसरी ओर सही समय पर सही कदम उठाते हुए बिंदुगत तैयारी से यह लक्ष्य आसान हो जाता है। शिक्षा की सकारात्मकता को प्राप्त करने के लिए उचित है कि सही प्रक्रिया की पहचान और उनके क्रियान्वयन को समङों और उन पर समयानुसार उचित कार्य करें। कितने ही सामान्य भारतीय छात्रों को उच्च कोटि के माने जानेवाले विश्वविद्यालयों में प्रवेश आसानी से मिल जाता है। लेकिन वहीं कितने अच्छे छात्रों को प्रवेश मिलने में नाकामी मिलती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कार्य को करने का तरीका भी यही है। वास्तव में किन-किन बातों पर ध्यान देना सामान्यत: प्रभावी होता है, इस बिंदु पर आज हम चर्चा करते हैं।
तैयारी को बिंदुवार दें रूप
छात्रों को और उनके माता-पिता अथवा संरक्षक को लगभग दो वर्ष पहले ही तैयारी प्रारंभ कर देनी चाहिए। माता-पिता या संरक्षक को यह देखाना आवश्यक होता है कि बच्चे को पढ़ाने के लिए आवश्यक खर्च उपलब्ध हो, जो कि दो तरीके से दिखाया जाता है - बैंक में उपलब्ध पैसा, फिक्स्ड डिपॉजिट्स, भविष्य निधि में उपलब्ध पैसा; वार्षिक आय कर, कृषि से मिलनेवाले आय की प्रमाणिकता, अन्य किसी श्रोत से प्राप्त होनेवाले धन कि प्रमाणिकता आदि। क्योंकि ट्यूशन फीस और अन्य खर्चो को अमेरिकी डॉलर में करना होता है। अत: यह पैसा हम भारतीय लोगों के लिए बड़ा होता है। तो इनका प्रबंधन करके इन्हें अमेरिकी विश्वविद्यालयों को प्रवेश के लिए आवेदन करते समय भेजना और अमेरिकी दूतावास को वीजा के लिए दिखाना भी एक कला है। हां, पैसा होने के बावजूद सभी भारतीय माता-पिता अचानक ही इतनी ज्यादा रकम को एक विशेष प्रयोग के लिए प्रमाणिक रूप से दिखा पाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। इसलिए तैयारी थोड़ी पहले शुरू करनी ही चाहिए।
स्कॉलरशिप से भी होती है उम्मीद
छात्रों और उनके माता-पिता अथवा संरक्षक को अमेरिका के विश्वविद्यालयों से छात्रवृत्ति की भी उम्मीद होती है। छात्रवृत्ति दो तरह से पायी जा सकती है - मेरिट के आधार पर, दूसरी मेरिट और आवश्यकता के आधार पर। फिर से बता दें कि आवश्यकता का अर्थ सिर्फ आवश्यकता नहीं है, साथ में मेरिट का होना आवश्यक है। अब यह मेरिट तब काम करेगी, जब आप सभी प्रपत्रों के साथ आवेदन करेंगे। आवेदन के बाद सबसे पहले दाखिला मिलता है। उसके बाद विश्वविद्यालय की कमेटी किसी छात्रवृत्ति के लिए आपके छात्रवृत्ति आवेदन और प्रोफाइल को देखेगी। अर्थात पहले प्रवेश निश्चित करना होता है, फिर छात्रवृत्ति की बात होती है।
कैसे करें अपनी सीट पक्की
प्रवेश निश्चित करने के लिए क्लास रूम के शिक्षा का मापदंड पूरा करना आवश्यक है, लेकिन इससे आपको प्रवेश मिल जायेगा, ऐसा नहीं है। अमेरिकी विश्वविद्यालय इस बात पर भी विशेष जोर देते हैं कि आप कितने उद्यमी प्रवृत्ति के हैं। यह भी कि आप सामाजिक रूप से कितने उत्साहित रहते हैं। ये बातें सिर्फ कहने या लिखने से साबित नहीं कि जा सकती हैं। इसके लिए प्रपत्रों, प्रमाण पत्रों के साथ इसे सिद्ध करना होता है। तो यह तैयारी शायद एक महीने या फिर चार महीने में नहीं हो सकती। समय रहते प्रारंभ करें। आवश्यकता महसूस हो तो किसी सलाहकार की सहायता लें। लेकिन कार्य को सुचारु रूप से करना आज से ही शुरू करें।
अपने कार्य को तीन हिस्सों में बांटें
आपको तीन कदमों के बारे में सोच कर कार्य करना होता है। पहला प्रवेश निश्चित हो सके, दूसरा छात्रवृत्ति मिल सके और तीसरा वीजा मिल सके। अंतराष्ट्रीय शिक्षा को प्राप्त करने में आपको सफलता अवश्य मिलेगी, यदि आप सावधानी से कार्य करते हैं।
विदेश मंत्रालय, भारत सरकार विश्व भर के छात्रों को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) छात्रवृत्ति प्रदान करता है। आईसीसीआर इसके अंतर्गत 60 छात्रवृत्तियां शामिल करता है जो निष्पादन और दृश्य कलाओं में पूर्व स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए दी जाती है। इसमें शामिल किए गए विषय हैं भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य, चित्रकारी और मूर्ति बनाना।
आवेदन प्रक्रिया
छात्रवृत्तियों का प्रदाय संबधित सरकारों को विदेश में भारतीय डिप्लोमेटिक मिशनों के द्वारा भेजी जाती हैं। नामांकन संबंधित सरकारों से संबद्ध भारतीय डिप्लोमेटिक मिशनों में प्राप्त किया जाता है। इनका अग्रेषण आईसीसीआर को अंतिम चयन और नियोजन के लिए किया जाता है। उम्मीदवारों से सीधे आवेदनों पर आईसीसीआर द्वारा विचार नहीं किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय सरकारी नामितों को विदेशी राष्ट्रिकों के लिए छात्रवृत्ति हेतु निर्धारित प्रपत्र भरना होता है जो विदेशों में भारतीय मिशनों के पास उपलब्ध होते हैं। प्रपत्र भरते समय उम्मीदवार को उसके अनुशीलनार्थ इच्छा का विषय को विनिर्दिष्ट करना होता है जैसे कि
उम्मीदवारों को भारत में अपने चयन के पाठ्यक्रमों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों के पास उपलब्ध भारतीय विश्वविद्यालयों की पुस्तिका देखने को भी सलाह दी जाती है। आवेदन प्रपत्र में शैक्षिक प्रमाणपत्रों की अपेक्षित संख्या तीन पासपोर्ट आकार की फोटो शामिल होना चाहिए। कुछ मामलों में उम्मीदवार के नियोक्ता से या कार्य स्थल से भी अनापत्ति प्रमाणपत्र की अपेक्षा की जाती है।
आईसीसीआर वृत्ति छात्रों के लिए निम्नलिखित सुविधाएं देता हैं
विदेशों में प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में अध्ययन करना असंख्य भारतीय विद्यार्थियों का स्वप्न है। वर्तमान परिदृश्य में जब विश्व को वैश्विक ग्राम (ग्लोबल विलेज) कहा जाता है यह स्वप्न पूरा कर पाना बहुत कठिन नहीं है।
कुछ अत्याधिक लोलुप पाठ्यक्रम जिन्हें छात्र विदेशों में पढ़ना चाहते हैं, वे है, मास्टर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (व्यावसायिक प्रशासन में स्नातकोत्तर) इंजीनियरिंग में डिग्री पाठ्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी में डिग्री पाठ्यक्रम, मानवीय विज्ञानों आदि में स्नात्तक और स्नातकोत्तर। कुछ विदेशी देश सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के तहत कुछ पात्र उम्मीदवारों को, जो उन देशों में अध्ययन करना चाहते हैं, छात्रवृत्ति देते हैं। ये छात्रवृत्तियां शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से भारत में आती है।
शिक्षा विभाग केवल उन्हीं छात्रवृत्तियों/अध्येतावृत्ति प्रवृत करता है जिन्हें विदेशी देशों द्वारा सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों और अन्य कार्यक्रमों के तहत प्रदान किया जाता है। विषय क्षेत्र साधारणत: सुविधा के आधार के आधार पर चुने जाते है जो आदाता द्वारा उनके विषय क्षेत्र के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं और इसके लिए राष्ट्रीय आवश्यकताओं पर भी मद्देनजर रखा जाता है।
छात्रवृत्ति/अध्येतावृत्ति आदाता देश से प्राप्त करने पर इसका विज्ञापन रोजगार समाचार/अन्य अग्रणी समाचार पत्रों में और परिपत्र के जरिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों विश्वविद्यालयों आदि में छात्रवृत्ति की राशि, आयु सीमा, शैक्षिक योग्यता, अनुभव आदि का ब्यौरा देते हुए दिया जाता है। विज्ञापन में आवेदन का प्रारूप भी प्रकाशित किया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए भारत में स्थित विदेशी दूतावास की वेबसाइट पर जाएँ।
स्त्रोत: प्रभात खबर
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2023
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