स्कूली शिक्षा- इस भाग में स्कूली शिक्षा से सम्बंधित सभी नीतियों और योजनाओं की जानकारी बांटी गयी है।
बुनियाद-2013-अब पढ़ना पक्का
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर बुनियाद- 2013 का शुभारम्भ संपूर्ण राज्य के कक्षा I एवं II के बच्चों हेतु किया जा रहा है। इस कार्यक्रम से बच्चों में पढ़ने, लिखने एवं सामान्य गणितीय (3R) कौशल का विकास होगा तथा उनकी अवधारणा परिपक्व होगी जिसका इस्तेमाल वे अपने दैनिक जीवन में कर सकेंगे।
शिक्षकों के मदद हेतु बुनियाद से संबंधित सभी जानकारियाँ विशेषकर शिक्षण गतिविधियाँ, TLM प्रयोग, विशेष हिक्षण एवं कक्षा संचालन की विविध गतिविधियों की जानकारी संकुल स्तरीय प्रशिक्षण में दी गयी है. इसके प्रयोग से शिक्षक एवं छात्रों के बीच का वातावरण भयमुक्त न हो कर मनोरंजक एवं सौहार्दपूर्ण बन सकेगा।
बुनियाद से संबंधित मुख्य बातें
बुनियाद -2013 से संबंधित मुख्य बातें निम्नांकित हैं-
- विद्यालय में ठहराव एवं उपलब्धि दर को बढ़ाना
- उन बच्चों का पहचान करना जो पढ़ने, लिखने, एवं अंकगणितीय संक्रियाओं में पिछड जाते है।
- पिछड़ने वाले बच्चों में सरल रूप से पढ़ने-लिखने एवं गणितीय संक्रिया करने ली कुशलता विकसित करना।
- ऐसा वातावरण तैयार करना जिसमें बच्चे पारस्परिक रूप से, समूह में तथा स्वाध्याय से सीख सकें।
- सभी बच्चों में पढ़ने, लिखने एवं गणितीय संक्रियाओं जैसी बुनियादी कौशल हासिल करने की क्षमता विकसित करना।
- शिक्षक, सी.आर.पी., बी.आर.पी. तथा जिला स्तर के कर्मियों को सक्षम बनाना ताकि वे कार्यक्रम के क्रियान्वयन में खुलकर मदद कर सकें।
- बच्चों के अधिगम स्तर को सतत् रूप से जानने के लिए व्यापक मूल्यांकन करना एवं उसका लेखा-जोखा रखना।
- बच्चों के सीखने की गतिविधियों में समुदाय को शामिल करना।
- बच्चों को केवल पढ़ना- लिखना ही नहीं बल्कि इस योग्य बनाना ताकि वे अपनी पढाई- लिखाई का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर सकें।
लक्ष्य एवं गतिविधियाँ
वर्तमान वित्तीय वर्ष (2013- 2014) में पूरे राज्य में वर्ग I एवं II में लगभग 20 लाख बच्चे नामांकित है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य इन सभी बच्चों में शिक्षा के बुनियादी कौशल 3R की बेहतर संप्राप्ति तथाजीवन में उसका अनुप्रयोग सुनिश्चित करना है। यह कार्यक्रम राज्य के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में सामान रूप से लागू किया जायेगा।
इस कार्यक्रम के क्रिन्यान्वन हेतु निम्नांकित रणनीतियाँ तय की गयी हैं:-
- ‘बुनियाद’ कार्यक्रम हेतु वातावरण तैयार करना।
- शिक्षकों को इस कार्यक्रम हेतु उत्साहित करना एवं शिक्षण कार्य केलिए उनका उन्मुखीकरण।
- बच्चों को सीखने- सिखाने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी हेतु समुदाय को संवेदनशील बनाना।
- मासिक शिक्षण योजना का अनुपालन।
- इस कार्यक्रम के लिए निर्धारित शिक्षण तकनीक का अनुपालन करना।
- इस कार्यक्रम के प्रारंभ में बच्चों का स्तर निर्धारण करने हेतु पूर्व मूल्यांकन करना जो इस कार्यक्रम की आधार रेखा (Base Line) होगी।
- शिक्षक हस्तपुस्तिका, TLM एवं सम्बंधित सामग्री विकसित करना एवं शिक्षकों का उन्मुखीकरण।
कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियाँ
इस कार्यक्रम को क्रियान्वित करने हेतु निम्नांकित गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा:-
- अभिभावकों एवं समुदाय को संवेदनशील बनाने हेतु जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन।
- ग्राम शिक्षा समिति के सदस्यों तथा अभिभावकों को कार्यक्रम में सक्रिय रूप से जोड़ने हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन।
- शिक्षकों के उन्मुखीकरण तथा TLM निर्माण के लिए राज्य, जिला, बी.आर.पी. और सी.आर.पी. स्तर पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन।
- बच्चों को उनके सीखने के आधार पर वर्गीकृत करना।
- “छउवा सभा” द्वारा गावं के किसी सर्वगानिक स्थल पर ‘लोक वचन’ कार्यक्रम का आयोजन करना।
- उपचारात्मक शिक्षण गतिविधियाँ अपनाना।
- शिक्षण कार्य के दौरान होने वाली कठिनाईयों का सी.आर.सी. में चर्चा तथा समाधान ढूंढने का सामूहिक प्रयास करना।
अनुश्रवण की व्यवस्था
- विद्यालय स्तर पर बच्चों का स्तर निर्धारण एवं तदनुसार LTF का संधारण।
- संकुल स्तर पर उपलब्ध कराये गए अनुश्रवण प्रपत्र के आधार पर माह में 2 बार प्रत्येक विद्यालय का अवलोकन एवं कार्यक्रम में सहयोग।
- प्रखंड स्तर पर माह में प्रत्येक विद्यालय का एक बार अवलोकन एवं सहयोग।
- जिला स्तर पर प्रत्येक माह न्यूनतम 5 प्रतिशत विद्यालयों का अवलोकन एवं सहयोग। इसके अतिरिक्त दूरभाष पर प्रत्येक दिन कम से कम 20 विद्यालयों का अनुश्रवण।
- राज्य स्तर पर क्वालिटी सेल का गठन एवं प्रत्येक माह न्यूनतम 1000 विद्यालयों का भौतिक अनुश्रवण एवं सहयोग।
- प्रखंड, जिला एवं राज्य स्तर पर यूनिसेफ- झारखण्ड के सहयोग से अनुश्रवण दल का गठन, क्षमता निर्माण एवं अनुश्रवण की पूर्ण व्यवस्था।
स्त्रोत: झारखण्ड शिक्षा परियोजना परिषद्, रांची