भूमिका
- बिहार में छोटे बच्चों एवं किशोरावस्था की अनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (4) 2015-16 के अनुसार लगभग 63 प्रतिशत किशोर बालक/बालिका अनीमियाग्रस्त हैं।
- खासतौर से अनीमिया निवारण कार्यक्रमों का केन्द्र बिन्दु चिकित्सीय आयरन फॉलिक एसिड अनुपूरण पर ही केन्द्रित रहा है। परिणाम स्वरूप आपूर्ति के अभाव में बच्चे एवं कार्यक्रम दोनों बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
- वैसे खानपान के अभ्यासों आयरन एवं अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त स्थानीय भोजनों को उपेक्षित रखा गया है, जिन्हें आसानी से घरों एवं विद्यालयों में प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्रदत्त भोजन को सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त बनाने एवं विशेषज्ञता को विद्यालय पोषणवाटिका से जोड़ने हेतु कृषि विभाग एवं शिक्षा विभाग के बीच परस्पर सहयोग की नितांत आवश्यकता है।
- विद्यालय पोषण वाटिका की संकल्पना के निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव हो सकते हैं –
- न्यूनतम लागत पर विद्यालयों में साल भर ताजी सब्जियाँ और फल की उपलब्धता सुनिश्चित किया जा सकता है जिन्हें मध्याह्न भोजन में उपयोग किया जा सकता है।
- बच्चों को श्रमदान के गौरव के संदर्भ में प्रेरित करने में सहयोग मिलेगी।
- प्रायोगिक रूप से बच्चें सरल कृषि तकनीक सीखेंगे एवं अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ सकेंगे।
- विद्यालय परिसर में खाली जमीन का उपयोग बढ़ेगा।
- मृदा अपरदन रूकेगी एवं साफ व सुंदर परिवेश विद्यार्थियों को विद्यालय आने हेतु आकर्षित करेगा। इससे कृषि विज्ञान केन्द्र के ज्ञान को प्रयोगशाला से जमीनी स्तर पर प्रायोगिक रूप से विद्यालयों में हस्तांतरित करने में सहायता मिलेगी एवं विद्यालयों में प्रमुख पोषक जानकारियाँ प्रचारित की जा सकेंगी।
- अतः अंकुरण परियोजना की परिकल्पना इस दूरदर्शिता के साथ रखी गई है कि,
"प्रारम्भिक विद्यालयों के सभी विद्यार्थी पोषणवाटिका के माध्यम से स्थानीय सूक्ष्मपोषकतत्व युक्त भोजन को पसंद करें और स्वस्थ, खाद्य व स्वच्छता आदतों को अपनाएँ। विद्यालयी पाठ्यक्रम में पोषणवाटिका की संकल्पना को स्वीकार किया जाए। "आयरन फॉलिक एसिड टैबलेट्स एवं सूक्ष्मपोषकतत्वों से युक्त भोजन के सेवन से विद्यालय में बच्चों की क्रियाशीलता बढ़ेगी। विद्यार्थियों की कक्षा–उपस्थिति एवं सीखने की क्षमता विकसित होने से विद्यालयों में मनोरम वातावरण का निर्माण होगा।
अंकुरण का उद्देश्य
- विद्यालयी पोषणवाटिका के माध्यम से प्रारंभिक विद्यालयों के कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियो को सूक्ष्मपोषकतत्वों से युक्त मध्याह्न भोजन का आदतन प्रयोग कराना।
- त्रैमासिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से प्रारंभिक विद्यालयों के कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों में पोषण, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की जागरूकता को बढ़ाना।
- मध्याह्न भोजन योजना से जोड़कर साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम को अधिक कारगर बनाना।
- आर.बी.एस.के. टीम द्वारा प्रारंभिक विद्यालयों के कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों की स्वास्थ्य व पोषण स्थिति की जाँच को नियमित कराना।
योजना के लक्षित समूह
प्राथमिक लक्षित समूह
• कक्षा एक से आठ के विद्यार्थी - बालक व बालिका दोनों आमतौर से कक्षा एक से आठ के विद्यार्थी 6 - 14 वर्ष के होते हैं।
द्वितीयक लक्षित समूह
विद्यालय स्तर पर
• विद्यालय प्रबंधन समिति
• पोषणवाटिका कार्यकर्ता (नियोजित किया जाएगा परियोजना अवधि तक)
• रसोईया - सामान्यतः 3-4 रसोईया प्रति विद्यालय।
• नोडल शिक्षक - साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड अनुपूरण कार्यक्रम ।
• विद्यालय प्रधानाध्यापक - कार्यक्रम प्रभार के रूप में।
• टोला सेवक/तालिम मर्कज।
कलस्टर स्तर पर
• संकुल साधन समन्यवक औसतन एक संकुल समन्यवक 10 - 20 विद्यालयों की देखभाल करेगा। औसतन, प्रत्येक 20 विद्यालय में 3-4 मध्य विद्यालय होंगे।
• ए.एन.एम.
प्रखण्ड स्तर पर
• प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी
• प्रखण्ड साधन सेवी (मध्याह्न भोजन योजना)
• प्रखण्ड चिकित्सा पदाधिकारी।
• बाल विकास परियोजना पदाधिकारी
• प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी
• प्रखण्ड स्तरीय आर.बी.एस.के. टीम
• बागवानी एवं मृदा विज्ञान विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केन्द्र, जलालगढ़
• कृषि तकनीकी प्रबंधन एजेंसी (आत्मा), कृषि विभाग, बिहार
जिला स्तर पर
• जिला शिक्षा पदाधिकारी
• सिविल सर्जन ।
• जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्याह्न भोजन योजना)
• जिला कृषि पदाधिकारी
• सहायक निदेशक बागवानी
• परियोजना निदेशक आत्मा (कृषि विभाग)
• कार्यक्रम समन्वयक कृषि विज्ञान केन्द्र
• जिला कार्यक्रम प्रबंधक (मध्याह्न भोजन योजना)
• जिला कार्यक्रम प्रबंधक (जिला स्वास्थ्य समिति)
विद्यालय स्तर पर कार्यक्रम क्रियान्वयन
विद्यालय स्तर पर अंकुरण परियोजना के संचालन हेतु सुदृढ़ रणनीति की आवश्यकता होगी जो कार्यक्रम को सही दिशा प्रदान कर सके तथा अपने उदेश्यों में शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति हो सके।
कार्यक्रम संचालन
- प्रभात सभा में त्रैमासिक पोषण जागरूकता
- पोषण वाटिका का निर्माण एवं वातावरण का निर्माण
- प्रत्येक माह 15वीं तारिख को बच्चों के साथ सहभागिता आधारित सत्र
- अनुश्रवण एवं समीक्षा
- अर्द्ध वार्षिक पोषण मेला का आयोजन
- प्रत्येक सप्ताह आयरन फॉलिक एसिड गोली का सेवन सुनिश्चित
- त्रैमासिक विद्यार्थियों का आर.बी.एस.के. के टीम द्वारा स्वास्थ्य एवं पोषण जाँच को नियमित करना
अंकुरण की रणनीतियाँ
प्रभात सभा में त्रैमासिक पोषण जागरूकता
- इस सत्र के संचालन की जिम्मेदारी नोडल शिक्षक की होगी। इन्हें यूनिसेफ के माध्यम से पर्याप्त संवेदनशीलताप्रशिक्षण दी जाएगी। उक्त प्रशिक्षण के लिए यूनिसेफ द्वारा पोषण विशेषज्ञों व कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद ली जाएगी।
- त्रैमासिक पोषण जागरूकता सत्र के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई व सितम्बर माह के प्रथम कार्य दिवस की प्रभात सभा को 30 मिनट से 1 घंटा तक विस्तारित किया जाएगा।
- विद्यार्थियों का 30 मिनट सत्र संचालन हेतु यूनिसेफ द्वारा खेल/प्रायोगिक गतिविधियाँ/ कहानी कैलेन्डर विकसित किया जाएगा। अधिकाधिक प्रयास किया जाना चाहिए कि, पकवानों के धार्मिक / पर्व महत्वों की व्याख्या की जाए एवं इन्हें पारंपरिक ज्ञान को साथ जोड़ा जाए। प्रथम पंद्रह मिनट पोषण जागरूकता को समर्पित होगा; प्रस्ताविक चर्चा बिन्दुओं में -
- संतुलित आहार
- अनिमिया व आयरन फॉलिक एसिड टैबलेट का महत्व
- कैल्शियम युक्त आहार
- स्वच्छता की आदतें
- जल का महत्व एवं सेवन करने का समय
- जंक फुड
- फुड एडल्टरेशन एवं आर्सेनिक विषाक्ता से निपटना
- आदर्श वजन एवं आदर्श वजन को जानना कि आप सही से वृद्धि विकास कर रहे हैं या नहीं
- खुले में शौच क्यों ना करें।
- आयोडिनयुक्त नमक एवं इसका महत्व
- विटामिन ए युक्त भोजन
- उपेक्षित फसलें, सूखा प्रभावित, फलदार वृक्ष एवं भोजन पकाने के समय हुई पोषण क्षति।
5 अगला पंद्रह मिनट बच्चों द्वारा अनुभव साझा करने पर आधारित होगा। 2 बच्चों को पुनरावृत्ति करने हेतु आमंत्रित किया जाएगा कि, सत्र के दौरान क्या-क्या बताया गया एवं वे अपना अनुभव साझा करेंगे।
पोषक पोषणवाटिका
- विद्यालयों की पहचानः जिन विद्यालयों में बाड़े की व्यवस्था है, सिर्फ उन विद्यालयों में ही पोषण वाटिका स्थापित की जाएगी।
- विद्यालयों में पोषण वाटिका स्थापित करने हेतु स्थान की पहचान
- विद्यालय प्रबंधन समिति को विद्यालय परिसर में पोषणवाटिका स्थापित करने हेतु स्थल की पहचान करनी चाहिए।
- पोषणवाटिका का आकार विद्यालय परिसर के आकार के आधार पर 20 x 20 वर्गमीटर, 20 x 15 वर्गमीटर, एवं 20 x 10 वर्गमीटर हो सकता है।
- 5 सदस्यों के परिवार के लिए वर्ष पर्यन्त फल एवं सब्जी उपलब्ध कराने के लिए 20 x 20 वर्गमीटर का पोषणवाटिका पर्याप्त है।
- स्थान की अपर्याप्तता में भूमिविहीन पोषणवाटिका हेतु पॉलिथिन/बैग अथवा पुराना टायर का भी प्रयोग किया जा सकता है।
- जल स्त्रोत- पोषणवाटिका की स्थापना पर्याप्त सिंचाई सुविधा वाली जलस्त्रोत के पास होना चाहिए।
- सूर्यप्रकाश की दिशा व काल- पोषणवाटिका की स्थापना करने में सूर्यप्रकाश की दिशा एवं काल एक महत्वपूर्ण कारक है। पोषणवाटिका का पूर्वी एवं दक्षिणी भाग सूर्यप्रकाश की दिशा में एवं खुला होना चाहिए।
- आकार - इसका आकार आयताकार हो तो बहुत अच्छा है। लेकिन पोषणवाटिका का 5-6 खण्ड किया जा सके तो एक बार में 5-6 प्रकार की सब्जियाँ और फलों का उत्पादन किया जा सकता है। जल की आवश्यकता के अनुसार खण्ड में दिया जाना चाहिए। कोई भी भूखण्ड खाली नहीं रहना चाहिए।
- मृदा तैयारी- पोषणवाटिका हेतु मिट्टी का पी. एच. मान 6.5 - 7.5 होना चाहिए। जिला में उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप कृषि विज्ञान केन्द्र/आत्मा के तत्वाधान में मृदा जाँच किया जाएगा। बलुई–कीचड़ मिट्टी एवं जलाशय की मिट्टी पोषणवाटिका के लिए सर्वोत्तम होता है। क्योंकि, इनकी अवशोषण क्षमता अधिक होती है एवं सूक्ष्मपोषक तत्वों की क्षति नहीं होती है। बेड बनाते समय प्रति वर्गमीटर में 1 किलोग्राम केंचुआ खाद का प्रयोग अनिवार्य है।
- उपज हेतु बीज/फसल- पोषणवाटिका निर्माण हेतु मिश्रित मौसमी फसल-पद्धति का निर्धारण किया जाना चाहिए। सूक्ष्मपोषकतत्व युक्त सब्जियाँ (खासकर जो आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी की बहुलता वाली) के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। तालिका एक में एक सलाहकारी वार्षिक योजना दी गई है। पोषणवाटिका स्थापित करने के पूर्व विद्यार्थियों की रूचि के फलों व सब्जियों का चयन किया जाना चाहिए। कृषि विज्ञान केन्द्र/आत्मा के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में मासिक कैलेण्डर का प्रारूप एवं सब्जियों, बीज, पौधों एवं फलों के बीच का स्थान निर्धारित किया जाना चाहिए।
- जैव-कीटनाशक - केवल जैव-कीटनाशक जैसे- फार्म यार्ड मैन्योर/नीम केक का प्रयोग किया जाना चाहिए। इन्हें कृषि विज्ञान केन्द्र अथवा कृषि विज्ञान केन्द्र के नोडल ऑफिसर के पर्यवेक्षण में खुले बाजार से खरीदा जा सकता है। कीट नाशी जैव उत्पाद के रूप में नीम के तेल या निम्वीसीडीन का छिड़काव लाभकारी पाया गया है। जब फहूंद नाशी के रूप में ट्राइकोडर्मा 5ग्राम प्रतिकिलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए तथा फसल लगाने के पूर्व 5 किलोग्राम ट्राइक्रोडर्मा का व्यवहार प्रति हेक्टयर यानि दो सौ वर्गमीटर के लिए 50ग्राम मिट्टी मिलाना लाभदायक होगा। खड़ी फसल में कीट से बचाव के लिए फेरोमॉन ट्रेप का प्रयोग काफी उपयोगी पाया गया है।
- आवश्यक उपकरण
- चापाकल
- ड्रीपर स्प्रेयर/स्प्रींकलर
- जैविक खाद
- जैविक कीट एवं फफूद नाशी
- विभिन्न फसलों के बीज
- बाँस के बाड़े
- बायो-रिपैलेन्टर/जैव-उर्वरक
- पाइप बिजली का मोटर (वैकल्पिक)
तालिका एक प्रस्तावित फल एवं सब्जियाँ
रबी मौसम (नवम्बर से मार्च)
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बंदागोभी
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धनिया
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मेथी
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फूलगोभी/गाठगोभी
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बैंगन
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मूली/शलगम
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टमाटर
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सेम
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गाजर
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लाल साग
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पालक/तीलकोर
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लाफा/पटुआ/पोरो
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आवंला
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सहजन
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गर्मी (अप्रैल से जून)
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लौकी
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पालक
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भिंडी
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बड़ी तोरई
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बैंगन
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राजमा
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करैला/चठुल/कुंदरी
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लाल साग
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बकला
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चुकंदर
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खीरा
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सलाद पत्ता/पुदीना
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खरीफ (जुलाई से अक्टूबर)
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पालक
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राजमा
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मिर्च
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हरा साग
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करैला
|
टमाटर
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भिंडी
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तोरई
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हल्दी/अदरक
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प्याज
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फल/प्रत्येक मौसम में (बाडे के प्रयोग हेतु) 15 से 20 वर्गमीटर के पोषणवाटिका के लिए 4-5 पौधा
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पपीता
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नींबू
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आँवला
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अमरूद
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केला
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रसभरी
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करी पत्ता
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करौंदा
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मेंहदी
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पोषणवाटिका के प्रभारी चयन एवं मानदेय
स्थानीय समुदाय से कम आय/विधवा, पारित्यकता, अनु.जाति/जन जाति को चयन में प्राथमिकता दी जायेगी। पोषणवाटिका के प्रभारी के रूप में संविदा के आधार पर चयन विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से किया जायेगा। इनका कार्यकाल परियोजना के अवधि तक के लिए ही मान्य होगा ये प्रतिदिन 3-4 घंटा पोषणवाटिका की देख-रेख हेतु समय देंगे। पोषणवाटिका में श्रम एवं प्रबंधन हेतु इनकी आवश्यकता होगी। इनके लिए प्रतिमाह 1250 रूपये मानदेय निर्धारित किया गया है।
पोषणवाटिका के प्रभारी की जिम्मेदारी
- पोषण वाटिका में प्रतिदिन आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं पोषण वाटिका की साफ सफाई कार्य को सुनिश्चित करना।
- जैविक खाद्य का प्रयोग दिशा-निर्देश के अनुसार सुनिश्चित करना।
- पोषण वाटिका में रोपण किये गये पौधे/साग सब्जी की देखभाल, सिंचाई के द्वारा 80 प्रतिशत जीवित रखना सुनिश्चित करेंगे।
- पोषण वाटिका में तैयार साग सब्जी/फलों की सुरक्षा के लिये जिम्मेवार होंगे।
- प्रतिदिन पोषण वाटिका में तैयार साग सब्जी को मध्याह्न भोजन में उपयोग हेतु रसोईया को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।
- पोषण वाटिका में क्षतिग्रस्त पौधों के स्थान पर पुनः दूसरा पौधा रोपण करना सुनिश्चित करेंगे।
- पोषण वाटिका में प्रयोग किये जानेवाले उपकरणों के सुरक्षित रख रखाव करेंगे।
बीज एवं पौधों की खरीदारी
विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा विद्यालय स्तर पर कृषि विज्ञान केन्द्र अथवा कृषि विज्ञान केन्द्र के पर्यवेक्षण में बीजों, छोटे पौधों, उर्वरक, खाद एवं अन्य उपकरणों की खरीदारी की जाएगी। इनकी खरीदारी के लिए सरकारी पौधशालाओं को। वरीयता दी जाएगी। कृषि विज्ञान केन्द्र में बीजों की अनुपलब्धता की स्थिति में स्थानीय स्तर पर बीज क्रय कर उपयोग किया जा सकता है।
छुट्टियों में पोषणवाटिका की देखभाल
पोषणवाटिका में काम करने हेतु पोषणवाटिका प्रभारी नियमित रूप से आएगा। मानदेय में छुट्टियों के दिनों को भी शामिल किया जाएगा।
कृषि विज्ञान केन्द्र/आत्मा के साथ जुड़ाव
- पोषणवाटिका विकास एवं प्रबंधन हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र तकनीकी संसाधन के रूप में योगदान देगा। जिन जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र नहीं है वहाँ इसे आत्मा के साथ जोड़ा जाएगा।
- निर्धारित कैलेण्डर के अनुसार कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञ प्रभात-सभा में अपना व्याख्यान देंगे।
- प्रत्येक माह की 15 तारीख को कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रशिक्षक पोषणवाटिका के कार्यकर्ता के साथ मिलकर बच्चों को सहभागी प्रशिक्षण सत्रों का निष्पादन करेंगे। इन प्रशिक्षकों को विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा।
- कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा रसोईया, नोडल शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
- कृषि विज्ञान केन्द्र बीज, जैविक खाद, उर्वरक एवं बायो-रिपैलेन्टस् के खरीद हेतु तकनीकी एवं समन्यवन सहयोग देंगे।
- कृषि विज्ञान केन्द्र के परिसर में भी मॉडल पोषणवाटिका विकसित किया जाएगा एवं अध्ययन यात्रा का समन्यवयन किया जाएगा।
बच्चों की सहभागिता
- प्रत्येक माह की 15वीं तारीख को बच्चों को प्रायोगिक रूप से पोषणवाटिका से जोड़ा जाएगा।
- प्रत्येक माह की 15वीं तारीख को स्त्रोत व्यक्ति अथवा कृषि विज्ञान केन्द्र के विशेषज्ञ के साथ 1 घंटे के लिए सहभागी जागरूकता गतिविधि में शामिल किया जाएगा ताकि वे विद्यालय में बच्यों के साथ सहभागिता आधारित सत्र पोषण शिक्षा अभ्यासों के साथ-साथ पोषणवाटिका पर स्वस्थ खानपान के साथ आहार और पोषणवाटिका के संबंधों को अपनाने हेतु प्रेरित हो सकें।
- अभिरूचि रखनेवाले विद्यार्थियों को बाल–संसद में कृषि मंत्री के रूप में नामित एवं प्रोत्साहित किया जाएगा।
राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम टीम द्वारा बच्चों की स्वास्थ एवं पोषण स्थिति की जाँच
- माइक्रोप्लान के अनुसार राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम टीम प्रत्येक तिमाही एक विशेष विद्यालय में आएगी। इससे प्रारम्भिक विद्यालय में बच्चों की पोषण-स्थिति एवं अनीमिया की जाँच का अच्छा अवसर मिलेगा।
- राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम टीम द्वारा जाँच में अनीमिया के साथ-साथ गलगंड, विटामिन ए अल्पता (बिटॉट स्पॉट), लंबाई, वजन एवं एम.यु.ए.सी. की भी जाँच की जाऐगी।
मध्याह्न भोजन के सेवन के बाद साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड गोली का सेवन
- प्रत्येक बुधवार को, नोडल शिक्षक निर्धारित प्रपत्र में डॉट लगाकर यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चों ने मध्याह्न भोजन के बाद आयरन फॉलिक एसिड की गोली का सेवन किया है।
- नोडल शिक्षक, ए.एन.एम. के साथ समन्वय करके सुनिश्चित करेंगे कि उन्होंने आयरन फॉलिक एसिड की गोली का पर्याप्त स्टॉक रखा है।
- विद्यालय स्तर पर आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र स्थापित किया जाएगा ताकि प्रतिकूल परिस्थिति में इसे विद्यालय स्तर पर प्रबंधित किया जा सके। चिकित्सा पदाधिकारी एवं ए.एन.एम. का नंबर आसानी से उपलब्ध होने का प्रबंध किया जाना चाहिए।
अर्द्ध वार्षिक पोषण मेला
- प्रखण्ड संसाधन केन्द्र (बी.आर.सी.) के द्वारा अर्द्ध वार्षिक पोषण–मेला आयोजित किया जाएगा।
- संकुल स्तर पर अर्द्ध वार्षिक पोषण–मेला आयोजित किया जाएगा। इसमें सिर्फ प्रारंभिक विद्यालयों के विद्यार्थी भाग लेंगे। अतः बी.आर.सी. के नेतृत्व में तीन प्रारंभिक विद्यालय संयुक्त रूप से एक मध्यविद्यालय में मेला आयोजित करेंगे।
- निम्न चार मापदण्डों के आधार पर उस विद्यालय का चयन किया जाएगा जहाँ मेला आयोजित की जाएगी-
- नियमित रूप से पोषण प्रभात-सभा का आयोजन हुआ हो।
- पर्याप्त जगह उपलब्ध हो।
- पोषणवाटिका उपलब्ध है।
- नियमित रूप से मध्याह्न भोजन संचालित हो।
- मेला 4 घंटे के लिए होगा।
- मेला में विज्ञान से संबंधित गतिविधियाँ की जायेगी
- बीजारोपण का प्रदर्शन
- पोषणवाटिका का निर्माण करना
- पोषण वाटिका का उपयोग मध्याह्न भोजन में कैसे किया जाय।
- उच्च पोषक मूल्य के खेती नहीं किए जाने वाली प्रजातियाँ
- स्थानीय पारंपरिक माध्यमों से जागरूकता
- प्रतियोगिता परीक्षा
- एक माह पूर्व दिये गए विभिन्न प्रारूपों/प्रोजेक्ट कार्यों के लिए विद्यार्थियों को पुरस्कार वितरित किया जाएगा।
स्वच्छता प्रबंधन
स्वच्छ पेयजल का प्रबंधन, शौचालय एवं परिसर की साफ-सफाई एवं बच्चों में स्वच्छता के प्रति आदतों में परिवर्तन हेतु नियमित अभ्यास से संबंधित अनुदेश इस प्रकार से है -
- एक स्वच्छ और सुंदर विद्यालय के लिए विद्यालय परिसर की साफ-सफाई विशेष रूप से वहाँ निर्मित पेयजल एवं स्वच्छता सुविधाओं की बेहतर साफ-सफाई और रख-रखाव आवश्यक है।
- इसी उद्देश्य की प्राप्ति हेतु स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में प्रारंभ किया गया है।
- विद्यालयों में साफ-सफाई एवं बच्चों में स्वच्छता के प्रति आदतों में परिवर्तन हेतु नियमित अभ्यास कराना पोषण में भी मदद करता है।
- बच्चों को विद्यालय में मिलने वाले मध्याह्न भोजन के पूर्व साबुन से हाथ धोने जैसे सरल अभ्यास नियमित कराया जाय तथा उसके कई आदतों में से एक आदत यह भी जोड़ दिया तो बच्चे कई बीमारियों के प्रकोप से बच सकते है। इस प्रकार बच्चों में व्यवहार परिवर्तन हेतु विद्यालय एक सर्वोत्तम स्थान है।
- सर्व शिक्षा अभियान बच्चों में प्रारंभिक शिक्षा को सर्वव्यापीकरण के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा चलाया जाने वाला एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है- मध्याह्न भोजन कार्यक्रम (मिड डे मील) भी इस अभियान का एक हिस्सा है, जिसके द्वारा बच्चों को पोषक भोजन उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। बच्चों में भोजन की पोषकता तभी सार्थक हो सकती है। जब विद्यालय के बच्चों के लिए स्वच्छ पेयजल, बच्चों के स्वच्छ हाथ रखने हेतु व्यवस्था, बच्चों के मध्याह्न भोजन बनाने हेतु स्वच्छ किचेन, बच्चों एवं शिक्षकों के स्वयं की नियमित साफ-सफाई से संबंधित दिनचर्या अभ्यास का रूटीन, बच्चों के उपयोग हेतू स्वच्छ शौचालय एवं विद्यालय परिसर को स्वच्छ रखने का समुचित प्रबंधन व्यवस्था हो। इसी उद्देश्य को हासिल करने हेतु अंकुरण के क्रियान्वयन रणनीति में विद्यालय में बच्चों के पोषण क्षमता के साथ-साथ पेयजल श्रोतों और शौचालयों के रख-रखाव एवं साफ-सफाई का समावेश किया जा रहा है। इससे संबंधित विद्यालयों में निम्नलिखित गतिविधियों को क्रियान्वित कराया जा सकता है-
शौचालय एवं चापाकल के रख-रखाव
शौचालय एवं चापाकल के रख-रखाव, साफ-सफाई एवं उसके प्रबंधन हेतु मुख्य गतिविधियाँ एवं कार्यदायित्व निम्नरूपेण है –
शौचालय के रख-रखाव हेतु
क्र.स.
|
गतिविधि
|
बारंबारता
|
जिम्मेवारी
|
1.
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शौचालय की नियमित साफ-सफाई
|
प्रतिदिन/सप्ताह में तीन दिन वृहत रूप से
|
बाल संसद/नोडल शिक्षक (सफाईकर्मी की मदद से)।
|
2.
|
पेयजल श्रोतों के आस-पासकी सफाई
|
आवश्यकतानुसार
|
विद्यालय प्रबंधन समिति/नोडल शिक्षक/बाल संसद/मीना मंच/ छात्र समूह
|
3.
|
शौचालय की रंगाई-पोताई
|
प्रतिवर्ष
|
विद्यालय प्रबंधन समिति/ नोडल शिक्षक
|
4.
|
शौचालय की मरम्मति
|
आवश्यकतानुसार
|
विद्यालय प्रबंधन समिति/ नोडल शिक्षक
|
5.
|
बाल्टी, मग, साबुन की व्यवस्था
|
आवश्यकतानुसार
|
विद्यालय प्रबंधन समिति/ नोडल शिक्षक
|
ख. चापाकल के रख-रखाव हेतु
क्र.स.
|
गतिविधि
|
बारंबारता
|
जिम्मेवारी
|
1.
|
चापाकल के चबूतरों की सफाई
|
प्रतिदिन
|
बाल संसद/ नोडल शिक्षक/छात्र समूह
|
2.
|
गंदे तरल अवशिष्ट का सुरक्षित निपटान
|
साप्ताहिक
|
विद्यालय प्रबंधन/नोडल शिक्षक/छात्र समूह
|
3.
|
चापाकल की मरम्मति
|
आवश्यकतानुसार
|
विद्यालय प्रबंधन/नोडल शिक्षक/पी.एच.ई.डी.
|
4.
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जल –गुणवत्ता की जाँच
|
वर्ष में दो बार (बैक्टीरिया जनित संक्रमण हेतु)
|
विद्यालय प्रबंधन/पी.एच.ई.डी.
|
प्रत्येक विद्यालय के कम-से-कम एक शिक्षक को स्वच्छता एवं स्वास्थ्य शिक्षा की जिम्मेवारी देते। हुए संबंधित प्रधानाध्यापक द्वारा उन्हें नोडल शिक्षक घोषित किया जाना आवश्यक है। शिक्षकों के प्रशिक्षण मॉड्यूल में योग, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य शिक्षा से संबंधित विषय का समावेश किया गया है। प्रशिक्षण प्राप्त नोडल शिक्षक/शारीरिक शिक्षक/प्रधानाध्यापक की मुख्य जिम्मेवारी निम्नरूपेण होगी-
- सफाई कर्मी की पहचान करना एवं अपनी निगरानी में प्रत्येक सप्ताह के कार्य दिवस निर्धारित समयावधि में चेक लिस्ट के हिसाब से सफाई का कार्य कराना।
- बाल -संसद के सहयोग से विद्यालय परिसर की दैनिक साफ-सफाई कराना।
- विद्यालय के आसपास के क्षेत्र को खुले में शौच मुक्त करने हेतु बच्चों को प्रेरित करना।
- चेतना सत्र के बाद छात्र-छात्रा नहाकर आए या नहीं, बाल में कंधी किया गया है या नहीं, साफ-सुथरा पोशाक एवं नाखून कटा है या नहीं उसकी जाँच करना तथा आवश्यक परामर्श देना।
- बच्चों को शौच के बाद एवं भोजन के पहले साबुन से हाथ धोने हेतु प्रेरित करना।
- रसोईया एवं उसके सहयोगी द्वारा किचेन शेड एवं भोज्य सामग्री के भंडार कक्ष की दैनिक रूप से साफ-सफाई सुनिश्चित करना।
- विद्यालय के बच्चे, उनके अभिभावक एवं विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों को समुदाय आधारित सम्पूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत् खुले में शौच से मुक्त करने हेतु ट्रिगर एवं फॉलोअप में भाग लेने हेतु प्रेरित करने के साथ-साथ ग्रामवार / टोलावार छात्र-छात्राओं का अलग-अलग स्वच्छता-सह-निगरानी समूह का गठन करना।
- बच्चों को अपने घरों में भी शौचालय का ही प्रयोग करने तथा उसे साफ रखने हेतु प्रेरित करना।
स्वच्छता एवं साफ-सफाई संबंधी कार्यों का निरीक्षण /पर्यवेक्षण
विद्यालयों में साफ-सफाई से संबंधित कार्यों के क्रियान्वयन, निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण में प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखण्ड संसाधन केन्द्र समन्वयक/ जिला एवं प्रखण्ड स्तरीय साधनसेवी/संकुल संसाधन केन्द्र समन्वयक/कनीय अभियंता/विद्यालय स्वच्छता कार्यक्रम अन्तर्गत पूर्व से प्रशिक्षित प्रशिक्षकों एवं सभी प्रधानाध्यापकों/शिक्षकों/ बाल–संसद के सदस्यों एवं छात्र-छात्राओं की भूमिका अहम् है।
शिक्षा विभाग के अन्तर्गत विभिन्न स्तरों से किये जाने वाले समीक्षा/अनुश्रवण की गतिविधियों में विद्यालय शौचालय, पेयजल सुविधा एवं पेयजल गुणवत्ता को शामिल किया जाएगा। राज्य, जिला एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा विद्यालय के औचक/नियमित निरीक्षण के दौरान पेयजल श्रोत एवं शौचालय का भी निरीक्षण किया जायेगा। विद्यालय शिक्षा समिति, विद्यालय प्रबंधन समिति एवं संकुल संसाधन केन्द्र के द्वारा विद्यालय में स्थापित शौचालयों, पेयजल सुविधाओं एवं पेयजल गुणवत्ता पर समय-समय पर (यथासंभव मासिक/ त्रैमासिक) समीक्षा की जायेगी तथा विद्यालय में स्वच्छता एवं स्वास्थ्य से संबंधित कार्य का गहन रूप से अनुश्रवण किया जाएगा। विद्यालय स्तर पर स्वच्छता एवं स्वास्थ्य कार्यक्रम का कार्यान्वयन एवं दस्तावेजीकरण बच्चों की मदद से अधिकृत शिक्षक या प्राधानाध्यापक द्वारा ही किया जाएगा।
प्रशिक्षण
- कृषि विज्ञान केन्द्र के संसाधन व्यक्ति एवं युनिसेफ एक साथ मिलकर बैचवार निम्न के साथ उनकी जिम्मेदारियों एवं पदभार के संदर्भ में संवेदनशीलता बैठक आयोजित करेंगे-
- विद्यालय प्रबंधन समिति
- कार्यक्रम के प्रभारी के रूप में विद्यालय प्रधानाचार्य की भूमिका
- प्रखंड पदाधिकारियों (शिक्षा पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी, कृषि पदाधिकारी, मध्याह्न भोजन योजना के प्रखण्ड साधन सेवी, आत्मा के प्रखण्ड पदाधिकारी, एवं राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम टीम)
- संकुल संसाधन समन्यवक/विद्यालय नोडल शिक्षक
- रसोईया/ पोषण वाटिका प्रभारी
- ए.एन.एम.
- पोषणवाटिका कार्यकर्ता
- रसोईया, 3-4 रसोईया प्रति विद्यालय
- नोडल शिक्षक- साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड कार्यक्रम
- कृषि विज्ञान केन्द्र के संसाधन व्यक्ति एवं युनिसेफ एक साथ मिलकर निम्न के साथ 2 दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित करेंगे-
- मध्याह्न भोजन योजना के पर्यवेक्षण में कलस्टर समन्यवक द्वारा इन्हें वर्ष में दो बार एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा-
- त्रैमासिक प्रभात-सभा एवं मासिक सत्रों के दौरान बच्चों को संवेदित किया जाएगा।
- पोषणवाटिका के विभिन्न आयामों पर कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा त्रैमासिक कार्यशाला आयोजित किया जाएगा।
कार्यक्रम का अनुश्रवण
प्रखण्ड संसाधन व्यक्ति एवं क्लस्टर समन्यवक माइक्रोप्लान के माध्यम से निम्न विषयों पर स्पॉट-चेक निष्पादित करेंगे-
आयाम
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हाँ/नहीं
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क्या अनुश्रवण माह में पोषण जागरूकता प्रभात-सभा का आयोजन किया गया था?
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हाँ/नहीं
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क्या अनुश्रवण माह में साप्ताहिक आयरन फॉलिक एसिड की आपूर्ति हुई थी?
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हाँ/नहीं
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विद्यार्थियों के साथ कितने साप्ताहिक बैठकों का आयोजन किया गया?
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क्या पोषणवाटिका गतिविधि प्रारंभ हुई?
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हाँ/नहीं
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क्या सारणी के अनुसार पोषण–मेला का आयोजन हुआ?
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हाँ/नहीं
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क्या इस माह में बच्चों की स्वास्थ्य जाँच हुई?
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हाँ/नहीं
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क्या रसोईया/चयनित पोषणवाटिका कार्यकर्ता ने पोषणवाटिका में काम प्रारंभ किया?
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हाँ/नहीं
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समस्याएँ
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प्रतिवेदन प्रक्रिया
विद्यालय प्रतिवेदन को प्रचलित मध्याह्न भोजन योजना-एम.आई.एस. के साथ जोड़ा जाएगा एवं इसे नोडल शिक्षक द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें निम्न सूचक समाहित किए गए हैं –
साप्ताहिक आधार पर (प्रत्येक बुधवार), विफ्स् के प्रपत्र दो को देखना-
- कक्षा 1-8 तक कुल बालक/बालिकाओं की संख्या आयरन फॉलिक एसिड गोली का सेवन किया/कुल उपस्थिति
- कक्षा 1-8 के बालकों की संख्या जिन्होंने आयरन फॉलिक एसिड गोली का सेवन किया/कुल उपस्थिति
- कक्षा 1-8 के बालिकाओं की संख्या जिन्होंने आयरन फॉलिक एसिड गोली का सेवन किया/कुल उपस्थिति
- विद्यार्थियों के साथ मासिक बैठक- हाँ/नहीं (फोटो संलग्न करें)
- पोषणवाटिका का फोटो
- कक्षा 1-8 तक कुल बालक/बालिकाओं की संख्या जिन्होंने 4 आयरन फॉलिक एसिड गोली का सेवन किया
- कक्षा 1-8 के बालकों की संख्या जिन्होंने 4 आयरन फॉलिक एसिड गोली का सेवन किया
- कक्षा 1-8 के बालिकाओं की संख्या जिन्होंने 4 आयरन फॉलिक एसिड गोली का सेवन किया।
- विद्यार्थियों के साथ प्रभात-सभा - हाँ/नहीं (फोटो संलग्न करें)
- विद्यार्थियों के साथ पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा सत्र की संख्या
- क्या आयरन फॉलिक एसिड गोली का पर्याप्त स्टॉक (भंडार) उपलब्ध है - हाँ/नहीं
- अगले माह के लिए आयरन फॉलिक एसिड गोली की आवश्यकता संख्या में....
- विद्यालय स्तर के सभी प्रपत्र/प्रतिवेदन प्रखंड साधन सेवी (म.भो.यो.) प्राप्त कर MIS में अपलोड करेंगे।
- कुल बालक/बालिकाओं की संख्या जिनको छ- माही कृमीनासक गोली का सेवन किया
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा स्वास्थ्य जाँच - हाँ/नहीं
- कक्षा 1-8 के विद्यार्थियों की संख्या जिन्होंने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में भाग लिया चिन्हित बालक-बालिकाओं की संख्या
- विद्यार्थियों की संख्या जिसमें अनीमिया का चिकित्सीय लक्षण पाया गया
- गलगंड से पीड़ित विद्यार्थियों की संख्या
- बिलॉट-स्पॉट वाले विद्यार्थियों की संख्या
- एम.यु.ए.सी. 21 से कम वाले विद्यार्थियों की संख्या
- 145 सें.मी. से कम लंबाई वाले विद्यार्थियों की संख्या
- योजना के अनुसार पोषण–मेला के आयोजन की स्थिति - हाँ/नहीं
- क्या कृमीनासक गोली का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है - हाँ/नहीं
योजना की समीक्षा
- प्रखंड साधन सेवी (म.भो.यो.), संकुल साधन सेवी।
- सी.आर.सी./बी.आर.सी./ प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी के स्तर पर समीक्षा बैठक पर अंकुरण परियोजना के प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
- निम्न आयामों पर चर्चा एवं समीक्षा की जाएगी-
- योजना अनुसार आयोजित पोषण प्रभात-सभा का प्रतिशत
- योजना अनुसार स्थापित पोषणवाटिका का प्रतिशत
- योजना अनुसार आयोजित साप्ताहित बैठक का प्रतिशत
- योजना अनुसार आयोजित पोषण मेला का प्रतिशत
- पोषण वाटिका का मध्याह्न भोजन में उपयोग
- रसोईया एवं मानदेय संबंधित मुद्दा ।
- आइ.एफ.ए गोली एवं पोषणवाटिका संबंधित आपूर्ति से जुड़ा मुद्दा
- प्रशिक्षण
- स्वास्थ्य अथवा कृषि विज्ञान केन्द्र में समन्वय संबंधित मुद्दे
- नियमित स्तर आयोजित होनेवाली सी.आर.सी. स्तरीय बैठक
- जिला स्तर पर आयोजित युवा कॉन्क्लेव के आयोजन द्वारा अंकुरण के बार्षिक प्रगति की समीक्षा की जाएगी –
- क्या आयरन फॉलिक एसिड गोली का पर्याप्त स्टॉक (भंडार) उपलब्ध है - हाँ/नहीं
- विद्यालय स्तर के सभी प्रपत्र/प्रतिवेदन प्रखंड साधन सेवी (म.भो.यो.) प्राप्त कर MIS में अपलोड करेंगें I
- योजना के अनुसार पोषण–मेला के आयोजन की स्थिति - हाँ/नहीं
- क्या कृमीनासक गोली का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है - हाँ/नहीं
- अर्द्धवार्षिक आधार पर
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा स्वास्थ्य जाँच - हाँ/नहीं
- कक्षा 1-8 के बालिकाओं की संख्या जिन्होंने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में भाग लिया
- चिन्हित बालक/बालिकाओं की संख्या
- विद्यार्थियों की संख्या जिसमें अनीमिया का चिकित्सीय लक्षण पाया गया
- गलगंड से पीड़ित विद्यार्थियों की संख्या
- बिलॉट-स्पॉट वाले विद्यार्थियों की संख्या
- एम.यु.ए.सी. 21 से कम वाले विद्यार्थियों की संख्या
- 145 सें.मी. से कम लंबाई वाले विद्यार्थियों की संख्या
समन्वय
- विद्यालय स्तर पर - प्रधानाचार्य, संकुल समन्यवक, नोडल शिक्षक, रसोईया, पोषण वाटिका प्रभारी, 1-2 विजेता विद्यार्थी, एक सदस्य बाल सांसद प्रधानाचार्य द्वारा संचालित मासिक बैठक में शामिल होंगे।
- प्रखण्ड स्तर पर - प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखण्ड साधन सेवी, म.भो.यो., प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (प्रा.स्वा.के.), कृषि विज्ञान केन्द्र नोडल पदाधिकारी, कृर्षि पदाधिकारी, आत्मा के पदाधिकारी प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा आयोजित मासिक बैठक में भाग लेंगे।
- जिला स्तर - जिला शिक्षा पदाधिकारी, सिविल सर्जन, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्याह्न भोजन) जिला कृषि पदाधिकारी, परियोजना निदेशक (आत्मा) जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (आई. सी.डी.एस.) कार्यक्रम समन्यवक कृषि विज्ञान केन्द्र, जिला प्रोग्राम प्रबंधक (जिला स्वास्थ्य समिति) जिला सलाहकार यूनिसेफ सहयोगी।
भौगोलिक चरण
- राज्य के सभी विद्यालय जहाँ विद्यालय के चारों ओर घेरा की व्यवस्था है, उन विद्यालयों में इस पहल की शुरूआत की जाएगी।
- राज्य के सुझाव पर पहले एक वर्ष के लिए इसका प्रारंभिक पायलट क्रियान्यवन युनिसेफ द्वारा पूर्णियां एवं समस्तीपुर में किया जाएगा।
बजट अनुमानित
विवरण
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इकाई लागत (भारतीय रूपयों में)प्रति विद्यालय
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पोषण–मेला (अर्द्धवार्षिक) - प्रति कलस्टर (3 विद्यालय प्रति कलस्टर); पकवान प्रतियोगिता के साथ
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प्रति कलस्टर प्रतिवर्ष 2000 रूपये
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पोषणवाटिका कार्यकर्ता हेतु श्रम लागत का भुगतान
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1,250 प्रति विद्यालय प्रति प्रतिमाह
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पोषणवाटिका-स्थापना लागत (एक बार)
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10,000 प्रति विद्यालय प्रतिवर्ष
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पोषणवाटिका - अन्यान्य लागत (रेकरिंग)
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4,000 प्रति विद्यालय प्रतिवर्ष
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पोषणवाटिका - वार्षिक व्यवस्था खर्च
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1,500 प्रति विद्यालय प्रतिवर्ष
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आई. ई. सी. विकास एवं प्रिंटिंग खर्च
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प्रति प्रखण्ड 5,00,000 रूपये
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प्रशिक्षण - नोडल शिक्षक (एक प्रशिक्षण)
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प्रति शिक्षक 700 रूपये
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प्रशिक्षण - रसोईया एवं सहायक कर्मी (एक प्रशिक्षण)
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प्रति व्यक्ति 700 रूपये
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प्रशिक्षण - प्रखण्ड स्टाफ - एक प्रशिक्षण
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700 प्रति दिवस
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त्रैमासिक - अनुश्रवण
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2000 प्रति त्रैमासिक - प्रति प्रखण्ड
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त्रैमासिक समीक्षा बैठक - नोडल शिक्षकों के साथ प्रखण्ड स्तरीय समीक्षा
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5000 प्रति प्रखण्ड- प्रति तिमाही
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कृषि विज्ञान केन्द्र को पोषणवाटिका प्रशिक्षण मार्गदर्शिका निर्माण का शुल्क
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1,50,000 रूपये
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प्रशिक्षण / साप्ताहिक बैठक/प्रभात-सभा हेतु संसाधन व्यक्ति का मानदेय
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प्रति विद्यालय 12,000 रूपये
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अध्ययन यात्रा/सेमिनार
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प्रति जिला 3,00,000 रूपये
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ऑडियो-विजुअल प्रक्रिया दस्तावेजीकरण - पिको कैमरा
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रूपये 1,00,000 प्रति जिला
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स्थापना लागत- एक बार
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बाड़ा हेतु बाँस, श्रम
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3,000 रूपया
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मिट्टी (बलुई किचड़/ तालाब की मिट्टी)
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1,000 रूपया
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कीट (बीज, सब्जियों का पौधा, फलों का पौधा, आई.ई.सी.)
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2,000 रूपया
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जैविक खाद, जैविक-उर्वरक, जैविक-फफुदीनाशक
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1,000 रूपया
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वाटिका के उपकरण
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1,500 रूपया
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अन्यान्य खर्च (रेकरिंग खर्च)- मासिक वार्षिक
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पोषणवाटिका कार्यकर्ता का मानदेय
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1,250 रूपया प्रतिमाह
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जैविक खाद, जैविक उर्वरक, जैविक-फफुदीनाशक
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1,000 रूपया
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वाटिका के उपकरण - मरम्मत/नया लाना
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5,00 रूपया
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मिश्रित खर्च
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1,000 रूपया प्रतिवर्ष
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वैकल्पिक
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पिको कैमरा (वैकल्पिक) शैक्षणिक प्रयोजन के लिए
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10,000 रूपया
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पोषणवाटिका के खर्च का विस्तृत वर्णन (आकार - 20 x 20 वर्गमीटर)
योजना को विस्तार से जानने व संबंधित अद्यतन के लिए दी गयी लिंक में देखें
स्रोत: अंकुरण बिहार