शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा 2005 को प्रभावी बनाने के बावजूद, स्कूली पाठ्यचर्चा में पढ़ना-लिखना काफी हद तक पाठ्य पुस्तकों तक सीमित रहा है| अधिकांश शिक्षकों का यह मानना है कि उनका मुख्य प्रयोजन निर्धारित पाठ्यक्रम सामग्री को पूरा करना| अत: स्कूल पाठ्यक्रम में समझ के साथ पढ़ना-लिखना निष्क्रिय हो गया है कक्षा में समझ के साथ पढ़ना, जानकारी और विचारों को व्यक्त करने जैसी गतिविधियों की उपेक्षा के कारण बच्चे निपुण पाठक बनने से चूक जाते हैं| यशपाल समिति ने अपनी रिपोर्ट “शिक्षा बिना बोझ के” (1993) में भारत के स्कूलों में निरर्थक और नीरस शिक्षा और कक्षा में बच्चों की समझ या बोध के अभाव को मजबूती से उजागर किया है|
पढ़ना वस्तुत: अर्थ निर्माण या समझने की प्रक्रिया है| पढ़ना, पाठक व पाठ्य- वस्तु के बीच एक अंत: क्रिया है जिसे पाठक के संदर्भ से आकार दिया जाता है यह संदर्भ-पाठक की पूर्वज्ञान अनुभव, मनोवृति और उसके समुदाय की भाषा संस्कृति और सामाजिक रूप में टिकी है| पढ़ने की प्रक्रिया निरंतर अभ्यास, विकास और पैनपेन की मांग करती है| साथ ही, पढ़ना सृजनात्मक और आलोचनात्मक विश्लेष्ण की भी मांग करती है| हालाँकि पढ़ने को ठोस शैक्षिक कार्यक्रमों में एक मुख्य घटक के रूप में मान्यता दी जाती है, लेकिन अनेक विद्यालयों की मौजूदा योजना में, बच्चों की पढ़ने में निपुणता, को सुनिश्चित नहीं करती न ही बच्चों को स्वप्रेरित पाठक और लेखक बनाती है| एनसीईआरटी के मथुरा अध्ययन व कक्षा 3 के विद्यार्थियों को पढ़ने – लिखने व समझ को आंकने के लिए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (तृतीय चक्र), मौजूदा भाषा विकास- समझ दे साथ सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना, के पुनरीक्षण की आवश्यकता का सुझाव देती है| भाषा विकास में सुधार एवं सवंर्धन के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान को चलाया जा सकता है|
इस अभियान द्वारा समझ के साथ पढ़ने-लिखने को जीवनपर्यंत, रूचिकर गतिविधियों को स्थायी रूप से लागू करना होगा| यह मान्यता पर आधारित है की बच्चों को किताबों के साथ सार्थक एवं समाजिक रूप से प्रासंगिक अनुबंध हो| साथ ही, ऐसे अन्य अवसर जिनमें पढ़ने-लिखने के लिए, सक्रिय व अर्थपूर्ण ढंग से प्रिंट आधारित गतिविधियाँ हों| पूर्व – प्राथमिक कक्षाओं से संपन्न, कुछ शहरी और ग्रामीण जगहों को छोड़कर, प्राथमिक विद्यालय ऐसा स्थान होता है जहाँ बच्चे पहली बार पढ़ने-लिखने से परिचित होते हैं और उसे प्रासंगिक, रोचक और उनके जीवन के लिए सार्थक बनाते हैं| यह हमारे स्कूली व्यवस्था के लिए चुनौती रही है|
समझ के साथ पढ़ने और उद्देश्यपूर्ण लेखन के कौशल विकास की दृष्टि से कक्षा 1 और कक्षा 2 महत्वपूर्ण चरण हैं| इसके लिए जरूरी है की पढ़ने-लिखने के सक्रीय वातावरण और अवसर हो| जो बच्चे पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ने कक्षा में पढ़ने सीखने में असफल हो जाते हैं वे अक्सर पीछे रह जाते हैं और अन्य विषयों को सीखने में भी उन्हें कठिनाई होती है| कमजोर पाठक, उद्देश्यपूर्ण लेखन के कौशल में विकास नहीं कर पाते और पढ़ाई छोड़कर कर जाने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. जिस के कारण उनके जीवन गुणवत्ता एवं मानवीय संसाधनों की उत्पादकता को क्षति पहूँचती हैं|
राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा 2005 में स्पष्ट संकेत है कि “अधिकांश बच्चें गणित से डरते हैं और असफलता से भयभीत रहते हैं| अत: वे पहले ही हार मान लेते हैं और गंभीर गणित सीखना छोड़ देते हैं|” बच्चों में गणितीय समझ के विकास की और ध्यान न देकर बहुत सारी अमूर्त अवधारणायें सिखायी जाती हैं| कई बार बच्चों में गणितीय कुशलताओं को संवर्धित करने के लिए यांत्रिक तरीके से नियमों को सीखने पर बल दिया जाता है बजाए समझ और कुशल विनियोग के लिए गणित सीखने में बच्चों का इस तरह सहयोग करने की आवश्यकता है जिससे स्कूल के शुरूआती वर्षों में, खासतौर पर कक्षा 1 और 2 में, गणित के लिए रूझान और गणित की समझ विकसित हो सके|
सर्व शिक्षा अभियान का एक राष्ट्रव्यापी उप कार्यक्रम ‘पढ़े भारत बढ़े भारत’ की योजना बनाई गई है 1. यह कार्यक्रम द्विपथीय है | समझ के साथ पढ़ने – लिखने में रुचि पैदा कर के, भाषा विकास में सुधार 2. भौतिक और सामाजिक दुनिया से जोड़कर गणित में स्वाभाविक और सकारात्मक रुचि का विकास करना|
पढ़े भारत बढ़े भारत के दो पथ हैं –
1) स्कूल के प्रांरभिक वर्षों में समझ के साथ पढ़ना – लिखना
2) गणित
यह सब :
1) प्रारंभिक कक्षाओं में समझ के साथ पढ़ने-लिखने
2) गणित
पाठ्य-वस्तु पाठक और संदर्भ (वह समायोजन जहाँ बोलने, पढ़ने लिखने की गतिविधि की जा रही हो और जिस प्रकार इस गतिविधि को किया जा रहा है| बोलने, पढ़ने, लिखने को अर्थपूर्ण या अर्थहीन अनुभव बनाता है| गणितीय समस्याओं का समाधान समस्या के संदर्भ को समझते हुए हल करने से संख्याओं और स्थानिक कौशल की बेहतर समझ बनती है|
1.1 सीखने-सिखाने का समय
1.2 शिक्षक
1.3 विद्यार्थी
1.4 शिक्षक का क्षमता संवर्धन
1.5 शिक्षक के लिए परामर्श व सहायता प्रणाली
1.6 कक्षा – कक्ष की स्थिति
1.6.1) भौतिक वातावरण
1.6.2) प्रिंट समृद्ध वातावरण
1.6.3) विद्यालय का सकारात्मक सामाजिक वातावरण
स्कूल कक्षा के घटकों को नीचे विस्तार से स्पष्ट किया गया है| व्यवस्था स्तरीय घटक, सर्व शिक्षा अभियान के समग्र कार्यान्वयन का भाग है|
1. सीखने का वातावरण
1.1 सीखने –सिखाने की समय अवधि
1.2 शिक्षकों
1.3 छात्रों
1.4 शिक्षकों का क्षमता संवर्धन
1.4.1 समझ के साथ पढ़ने – लिखने के संबंध में शिक्षकों का प्रशिक्षण
क. भाषा शिक्षण का प्रगतिशील दृष्टिकोण
ख. समझ के साथ पढने-लिखने के शिक्षा – शास्त्र की समझ पर प्रगतिशील दृष्टिकोण जिसमें
ग. पढ़ने का कोना
घ. घर से विद्यालय भाषा की ओर अवस्थान्तर : बच्चे की घर की भाषा को कक्षा में समुचित स्थान देने का प्रवधान हो साथी ही 2-3 वर्ष की समयवाधि में बच्चे की घर की भाषा से स्कूल की भाषा में परिवर्तित हो इसकी स्पष्ट रणनीति हो|
ङ. कक्षा कक्षीय योजना : कक्षा और बच्चों की स्थिति विशेष के अनुरूप लचीली योजना|
च. सीखने का आंकलन
छ. विविधता का समावेशन और उत्सव ; सभी बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को संबोधित करना| साथ ही कक्षा की भाषिक, सामाजिक, धार्मिक और जेंडर विविधता की प्रति विविधता में एकता के लिए उसके प्रति संवेदनशील होना|
1.4.2 कक्षा 1 और 2 के लिए प्रारंभिक गणित के संबंध में शिक्षकों का प्रशिक्षण
क. संख्या संबंधी अवधारणा, स्थानिक समझ और गणित के शिक्षा शास्त्र की समझ का विकास|
ख. संख्या संबंधी, स्थानिक समझ, आंकड़ा-प्रबंधन आदि गणितीय कुशलताओं का संवर्धन करने के लिए गतिविधि-आधारित सीखने में सहायक मूर्त सामग्री के इस्तेमाल संबंधी विन्यास|
ग. गणित पढ़ाते समय शिक्षकों को बच्चों की विविध और भिन्न आवश्यकताओं को समावेशी तरीके से संबोधित करना चाहिए|
1.5 शिक्षक के परामर्श और मूल्यांकन –व्यवस्था
1.5.1 परामर्श – व्यवस्था
क. अभिव्यक्ति एवं अभ्यास के अवसर: शिक्षकों को सर्वश्रेष्ठतौर तरीकों/अभ्यासों का अवलोकन करने और सीखने के अवसर मिलने चाहिए| साथ ही कक्षा में पढ़ाने, अभ्यास के मौके जिसके दौरान उन्हें समझ के साथ पढ़ने-लिखने के और शिक्षा-शास्त्र एवं बच्चों के सीखने की विविधता और सीखने की स्थितियों में विविधता के प्रति संवेदनशीलता पैदा होगी|
ख. शैक्षणिक सहायता : मार्गदर्शन, फीडबैक और नवाचार के लिए संसाधन व्यक्तियों तक शिक्षकों की पहुँच होनी चाहिए|
ग. संकुल स्तर की बैठकें : सीखने की प्रक्रिया, बच्चों के सीखने संबंधी व्यवहारों, उनकी रूचियों, और उनके संसाधनों पर सहशिक्षकों के समूह के साथ चर्चा हो| इसके अतिरिक्त यह चर्चा भी की जाए कि सीखने के परिणामों में सुधार के लिए बच्चों के अपने संसाधनों का किस प्रकार बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है|
घ. शिक्षकों के संसाधन समग्री उपलब्ध कराई जाए जैसे- पोस्टर्स, दृश्य-श्रव्य सामग्री, चित्रों से समृद्ध हस्तपुस्तिकाएँ, पमप्लेट्स, वीडियो आदि| इनकी संरचना इस प्रकार की जानी चाहिए जससे विभिन्न संदर्भों में अवधारणात्मक समझ को सुगम बना सके और विस्तृत रूप से इसका प्रसार किया जा सके|
1.5.2 मूल्यांकन – व्यवस्था
क. शिक्षकों के निष्पादन का आंकलन करने के लिए शिक्षक –मूल्यांकन –प्रक्रिया|
1.6 कक्षा कक्ष की स्थिति
1.6.1 भौतिक वातावरण
क. पढ़ने- लिखने में सहायक होना चाहिए| वहाँ प्रकाश, बैठने की व्यवस्था आदि बेहतर होनी चाहिए|
ख. कक्षा कक्ष में लेबल लगाना
पढ़ने का कोना
ग. बाल साहित्य (काल्पनिक और कथा साहित्य), पत्रिकाएँ, पोस्टर, नाटक, लोक कथाएँ, कविताएँ, लोक गीत, आदि बच्चों के स्तर और रुचि के अनुरूप हों|
घ. बरखा (एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित) अथवा अन्य कोई क्रमिक पठन पुस्तकमाला हो|
ङ. आसानी से बच्चों की पहुँच में हो और उत्कृष्टता पूर्ण तरीके से प्रदर्शिता हो|
च. विद्यालय में किताबें पढ़ने की सुविधा हो या पढ़ने के लिए किताबें घर भी ले जा सकते हों|
छ. बच्चों के लिखने के लिए लेखन सामग्री या स्टेशनरी उपलब्ध हो, जैसे – स्लेट, चोक आदि|
ज. अन्य भाषा के बाल साहित्य के अनुवाद/ रूपांतरण बच्चों के लिए उपलब्ध हो|
झ. बच्चों को किताबें बनने के अवसर हों|
बाल साहित्य के चुनने के मानदंड
ञ. बच्चों द्वारा पसंद की जाने वाली किताबों की मुख्य विशेषताएँ हैं – पात्र, स्पष्ट, आकर्षक चित्र, प्रसंग, पाठ्य-वस्तु, विषय-वस्तु की सरलता, फॉण्ट, बच्चे के अनुभवों से जुड़ाव आदि|
ट. बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने वाली हो|
ठ. रुचि और सामाजिक पृष्ठभूमि में विविधता के प्रति संवेदनशील हों और विविधता का उत्सव मनाती हों|
ड. संस्कृति, सामाजिक पृष्टभूमि और गैर बहिष्करण के आधार पर बच्चों में श्रेष्ठता अथवा हीनता को उत्पन्न नहीं करता है|
ढ. भाषिक विविधता- बहु भाषाएँ (मानक – अमानक) – के प्रति उदार हो|
ण. घर- विद्यालय की कड़ी पर आधारित हों| बच्चों की विविध प्रकार की वास्तविक दुनिया और घर के अनुभवों, जैसे – उनकी संस्कृति (खाना,त्योहार और वेशभूषा), भाषा, रोजमर्रा के अनुभव आदि को कक्षा में साझा करने का स्थान और अवसर देती हों|
प. विभिन्न प्रकार के कार्यों और अभिव्यक्ति- चित्रांकन, पेन्टिंग, संगीत, ड्रामा, शिल्प आदि के लिए अवसर और स्थान उपलब्ध कराती हों|
1.6.2 प्रिंट समृद्ध वातावरण
क. शैक्षिणक सत्र के प्रारंभ में सभी बच्चों को सभी पाठ्य –पुस्तकों का समय से वितरण|
ख. पढ़ने – लिखने संबंधी कार्य के रूप में बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाली सामग्री में शिक्षार्थी का नाम चार्ट और उपस्थिति चार्ट|
ग. कक्षा का उत्तरदायित्व, चार्ट, मध्याहन भोजन चार्ट, बच्चों के जन्मदिन का चार्ट, कहानियों, कविताओं आदि के चार्ट जो बच्चों और शिक्षकों द्वारा इस्तेमाल किए जाएंगे|
घ. बच्चों के लेखन, चिंत्राकन, सकंलन, विविध प्रकार की पाठ्य वस्तु, शीर्षक के साथ चित्र, शिक्षक द्वारा विकसित अनुदेशनात्मक सामग्री आदि (दीवारों/प्रदर्शनपट्ट पर) इस प्रकार प्रदर्शित हों जिससे बच्चे आसानी से उसे देख सकें (आई लेवल के अनुरूप) और समय-समय पर बदले जाते हों|
1.6.3 विद्यालय में सकरात्मक सामाजिक वातावरण
क. स्वागतपरक, ध्यान रखने वाला और संवेगात्मक रूप से सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराता है, शिक्षक – शिक्षार्थी के मध्य स्नेही संबंध हों|
ख. गैर धमकी भरा, गैर पक्षपाती अस्मिता, जेंडर, धर्म, जाति, नस्ल, भाषा, जन्मस्थान आदि पर ध्यान दिए बिना) गैर बहिष्करणपरक कक्षाकक्षीय माहौल|
ग. आपसी सम्मान के आधार पर संवाद, खुलापन और साझा करने के लिए संप्रेषण को दोनों ही स्थितियों में समुचित स्थान उपलब्ध कराता है, चाहे वह संप्रेषण परस्पर शिक्षक और बच्चे के बीच हो या बच्चों के स्वयं के बीच हो|
घ. विविधता का उत्सव मनाता है और समाजिक विभीन्न्ताओं के प्रति संवेदनशील है, जैसे-पृष्ठभूमि, जेंडर, जाति, धर्म, वर्ग, समुदाय और घर में साक्षरता|
ङ. अर्थपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण कार्यो को बढ़ावा देने के दौरान शिक्षक को बच्चों के सीखने की स्वभाविक प्रक्रियाओं, उनके घर की पृष्ठभूमि और उनकी व्यक्तिगत भिन्नताओं, कक्षाकक्ष में विविधता के प्रति संवेदनशील होना चाहिए|
च. घर से विद्यालय की ओर अवस्थान्तर से संबंधित मुददों का प्रबंधन, जैसे – क) विद्यालय के मूल्य और धारणाओं को पूरा करना, ख) दिनचर्या को पूरा करना, ग) विद्यालय की भाषा को निभाना|
छ. अभिभावकों और समुदाय के लिए स्वागतपरक स्थान उपलब्ध कराता है|
2. सक्रिय कक्षा संचालन : प्रत्येक बच्चे के साथ अनवरत और सक्रिय कार्य
कक्षाकक्ष में भाषा
क. सीखना- सिखाना प्रधानत: बच्चों/बच्चे की घर की भाषा/मातृभाषा में होना चाहिए| विद्यालय –शिक्षण की भाषा रोजमर्रा के अनुभवों और समाज –संस्कृतिक संदर्भों की भाषा से जुड़ी होनी चाहिए|
ख. आज की बात (मॉर्निंग मैसेज) जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देना जो घर और विद्यालय के बीच सेतू बंधन का काम करती है| साथ ही छोटे बच्चों की सामने पढ़ने-लिखने के संबंधों को प्रदर्शित करती हैं|
ग. कक्षा में बच्चों को अपनी भाषा में अपने अनुभवों को बाँटने के लिए प्रोत्साहित करना| कक्षायी चर्चा को समृद्ध बनाने के लिए बहुभाषिक स्थितियों से उत्पन्न बच्चों की बातचीत को संसाधन के रूप में इस्तेमाल करना|
घ. मौखिक भाषा और लिखित भाषा के बीच संबंध बनाने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना|
ङ. 3 साल की अवधि में घर की भाषा से सीखने-सिखाने या शिक्षण की माध्यम – भाषा में परिवर्तन के लिए विशिष्ट रणनीतियों का प्रयोग|
च. संख्यात्मक और स्थानिक समझ संबंधी गणितीय विचारों को संप्रेषित करने के लिए बच्चों को अपनी शब्दावली का अपने तरीके से उपयोग करने की स्वतंत्रता प्रदान करना|
छ. औपचारिक गणितीय भाषा सीखने के अवसर उपलब्ध कराना, जैसे- संख्यात्मक, संक्रियाओं के चिन्ह, शब्दावली आदि|
ज. आदेशों से बचने के लिए कक्षा में सरल और स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना|
ञ. बच्चों को अपने गणितीय निष्कर्षों को अभिव्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करना और बाद में सुलझे या सभ्य तरीके से गलतियों की ओर संकेत करना, यदि कोई हों तो|
कक्षा में बच्चों की भागदारी
क. बच्चों की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, गतिविधियों और सीखने संबंधी कार्यों को अधिक सभागिता आधारित बनाना|
ख. प्रश्नों पूछने और समस्या – निर्माण के माध्यम से बच्चों को गतिविधियों में अपनी भागीदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित करना|
ग. जब बच्चे समूह में कार्य कर रहे हों और पठन कोना/पढ़ने का कोना से किताबें लेकर पढ़ रहे हों तो उन्हें कक्षा में इधर-उधर जाने, उठने-बैठने की स्वतंत्रता देना|
घ. संख्या और मापन से संबंधित समस्याओं से निबटने के लिए अनेक अनौपचारिक रणनीतियों का विकास करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना|
ङ. प्रतिक्रिया करने, चर्चा करने और पढ़ी गई किताबों को साझा करने के अवसर देना|
सीखने – सिखाने की प्रक्रिया -
क. एक दिन में पढ़ाई के 4 घंटो में से ढाई घंटे भाषा संबंधी गतिविधियों (जैसे- मौखिक भाषा का विकास, बोल-बोलकर पढ़ना, निर्देशित पठन, शब्दों का अधययन, निर्देशित लेखन और 30 मिनट स्वतंत्र पठन) के लिए और डेढ़ घंटा प्रारंभिक गणित के लिए सुनिश्चित किया जा सकता है|
ख. अर्थपूर्ण सामग्री/कहानी की किताबों को बोल-बोल कर पढ़ना और हाव-भाव एवं अभिव्यक्ति के माध्यम से कहानी कहना|
ग. प्रारंभिक दौर में पढ़ने और लिखने के विकासात्मक चरणों को समुचित महत्ता देना, जैसे- पठन के संदर्भ में पढ़ने का अभिनय करना, पढ़ते समय अनुमान लगाना आदि और लेखन के संदर्भ में आदि-तिरछी रेखाएं खींचना, स्व-वर्तनी का प्रयोग करना| साथ ही उच्चारण, वर्तनी या लेखन में गलतियाँ खोजने के बजाय अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करना|
घ. न तो बच्चों को नीचा दिखाते हुए और न ही सीखने के अवसरों को कमजोर किए बिना संवेदनशील तरीके से बच्चों के साथ व्यवहार करना|
ङ. बच्चों की सृजनात्मक प्रतिक्रियाओं को मुखर बनाने और बच्चों को कहानी पढ़कर सुनाते समय उन्हें अनुमान लगाने की स्वतंत्रता देने में सक्षम हों|
च. प्रदर्शित प्रिंट और विषय-वस्तु के आधार पर भाषा एवं गणित खेल|
छ. पढ़ने और संख्यात्मक आनंद के लिए प्रिंट सामग्री के रूप में स्थानीय कविताओं, कहानियों और गीतों का इस्तेमाल|
ज. ऐसी गतिविधियाँ जो बच्चों को चित्रांकन और लेखन की स्वतंत्रता प्रदान करें और फिर उनहोंने जो लिखा/चित्रांकन किया उसके अर्थ को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता देती हों|
झ. बच्चों में गिनती, स्थानीय मान और संख्या –संक्रियाओं का ठोस आधार बनाने में मदद करना|
ञ. यह आवश्यक है कि बच्चे गिनती को समझें और संख्या शब्दों के क्रम को केवल रटें नहीं|
ट. परिवेश में त्रिविमीय और द्विविमीय आकृतियों को खोजने के अवसर उपलब्ध कराना|
ठ. एक वस्तु के विभिन्न तत्वों की पहचान करने और त्रिविमीय वस्तु को उसके द्विविमीय चित्र/ आकृति के साथ जोड़ने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करना|
3. कक्षा कक्ष के कार्यों को समुदाय के साथ जोड़ना
पढ़ने – लिखने को अभिभावकों, समुदाय, आजीविका, त्योहार, सामाजिक घटनाओं और स्थानीय ज्ञान के साथ जोड़ना, जैसे-
क. शिक्षिका बच्चों से ‘आज की बात’(मार्निंग मैसेज) पूछ्तें हैं और उसे बोर्ड पर लिखते है| उसके बाद बच्चों के समाने उसे पढ़ते हैं इसी तरह गणित का भी कार्य किया जाता है|
ख. सामुदायिक आयोजनों में बच्चों की (पढ़ने,लिखने गणित आदि में) निपुनता का प्रदर्शन करना|
ग. शिक्षा और अन्य विद्यालयी गतिविधियों में समुचित रूप से समुदाय, जैसे-अभिभावक, एसएमसी, पीआरआई और महिलाओं आदि की भागीदारिता|
घ. स्थानीय विविधता का उत्सव मनाने के लिए मेलों, पोस्ट, ऑफिस, पुलिस स्टेशन, स्थानीय निकाय, विविधतापूर्ण संस्कृतिक संस्थानों का भ्रमण|
4. सीखने का आंकलन
क. अभिभावक कक्षा 1 और 2 के सीखने संबंधी संकेतकों से परिचित हों|
ख. शिक्षकों के पास प्रारंभ में बच्चों का बेसलाईन आंकलन हो|
ग. शिक्षक – अवलोकन और रचनात्मक आंकलन-गुणात्मक संकेतक – क्या बच्चे भागदारी निभा रहे हैं/स्वतन्त्रता पूर्वक अभिव्यक्ति करे रहे हैं?
घ. सीखने का संकलित आंकलन : क्या वे सीखने के निश्चित पैमानों को प्राप्त करे रहे हैं?
ङ. प्रत्येक बच्चे का सीखने संबंधी प्रोफाइल फोल्डर (पोर्टफोलियो) जिसमें बच्चों का लेखन/चित्रांकन है, जैसे – कविता, चित्र, लघु कथाएँ, पत्र, संदेश, स्व-वर्तनी, आड़ी-तिरछी रेखाएं, गतिविधि में भागदारी आदि|
च. दस्तावेजीकरण/बच्चों के सीखने को ध्यान में रखना : बच्चों के पढ़ने- लिखने और समस्या समाधान के संबंध में शिक्षक का आंकलन|
छ. बच्चों, अभिभावकों और के दोस्तों के समूह से फीडबैक|
ज. शिक्षण-योजना की समीक्षा करने और पढ़ने, लिखने और गणित में बच्चों के सीखने संबंधी निष्पादन में संवर्धन करने के लिए कार्य करने हेतु सतत और व्यापक आंकलन का प्रयोग|
5. मॉनिटरिंग व्यवस्था
क. खंड (ब्लॉक) शिक्षा अधिकारी (और उनके इंस्पेक्टर) छह महीने में एक बार प्रत्येक विद्यालय का दौरा करें और प्रारंभिक कक्षाओं में समझ के साथ पढ़ना लिखना एवं गणित कार्यक्रम के सभी घटकों का आंकलन करें, जैसे – (क) सीखने का वातावरण (ख) कक्षा कक्षीय कार्य-संपादन को सक्षम बनाना (ग) कक्षा कक्ष को समुदाय के साथ जोड़ना (घ) मोनिटरिंग : - अधिकारी मोनिटरिंग के दौरान प्रत्येक बच्चे के सीसीई परिणामों की समीक्षा सीखने संबंधी संकेतकों के आधार पर करें|
ख. संसाधन व्यक्तियों के द्वारा गुणवत्ता मोनिटरिंग उपकरणों का प्रयोग करना|
ग. प्रधान अध्यापक और संसाधन व्यक्तियों के द्वारा शिक्षक निष्पादन संकेतकों का प्रयोग|
घ. एससीईआरटी सैंपल आधार पर राज्य स्तरीय उपलब्धि-सर्वेक्षण का आयोजन करे और निष्पादन में सुधार के लिए शिक्षकों, प्रधान अध्यापक, बीइओ, बीआरपी, सीआरसी और डाइट के साथ परिणामों को साझा करें|
ङ. एनसीईआरटी 2014 -15 के दौरान राष्ट्रीय उपलब्धि – सर्वेक्षण का आयोजन करे और निष्पादन में सुधार के लिए राज्यों, शिक्षकों, प्रधान अध्यापकों, शिक्षा अधिकारीयों, संसाधन व्यक्तियों और डाइट के साथ परिणामों को साझा करें|
राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के शिक्षा विभाग (सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशकों के नेतृत्व में) कार्यक्रम के क्रियान्यवन के लिए उत्तरदायी हैं|
स्तर |
कार्यक्रम नेतृत्व |
कार्यक्रम शैक्षणिक सहायता |
राष्ट्रीय |
मानव संसाधन विकास मंत्रालय |
एनसीईआरटी में प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ना – लिखना और गणित के लिए राष्ट्रीय संसाधन समूह |
राज्य |
सर्व शिक्षा अभियान राज्य परियोजना निदेशक |
सर्व शिक्षा अभियान के सदस्यों के साथ एससीईआरटी के नेतृत्व में प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ना-लिखना और गणित के लिए राज्य संसाधन समूह जिसमें विविध सामाजिक, संस्कृतिक और धार्मिक पृष्ठभूमि, सिविल सोसाइटी, विश्वविद्यालयों के शिक्षा विभाग के शिक्षाविद् शामिल हैं| |
निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद |
||
सर्व शिक्षा अभियान राज्य कार्यक्रम अधिकारी |
||
जिला |
जिला शिक्षा अधिकारी/डीपीओ |
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) |
खंड |
खंड शिक्षा आधिकार (बीईओ) |
खंड संसाधन व्यक्ति (बीआरपी) |
विद्यालय |
प्रधान अध्यापक |
संकुल संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) और स्कूल प्रबंध समिति (एसएमसी) |
कक्षा कक्ष स्तर |
शिक्षक |
संकुल संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) |
2013- 14
प्रारंभिक कक्षाओं में समझ के साथ पढ़ना-लिखना :
1. समझ के साथ प्रारंभिक पढ़ने-लिखने की योजना बनाने में राज्यों के क्षमता –संवर्धन के लिए एनसीईआरटी ने इस कार्यक्रम पर आधारित क्षेत्रीय योजना बैठकों का आयोजन किया| 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने इन बैठकों में हिस्सा लिया|
2. एनसीईआरटी ने संसाधन सामग्री का निर्माण किया (एनसीईआरटी वेबासाइट पर उपलब्ध) जैसे –
3. एनसीईआरटी ने मथुरा पायलेट परियोजना, जो कि सरकारी स्कूलों में क्रियान्वित की गई थी, की एंड टर्म सर्वे रिपोर्ट में दर्ज अनुभावों को साझा किया| साथ ही राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ संसाधन सामग्री को भी साझा किया|
4. राज्य स्तरीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एसएलएएस) करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के अंर्तगत वित्तीय सहयोग उपलब्ध कराया गया| 2-4 सितंबर, 2013 और 15-17 जनवरी, 2014 को राज्य स्तरीय सर्वेक्षण (एसएलएएस) करने के लिए राज्यों के क्षमता – संवर्धन हेतु राष्ट्रीय कार्यशालाओं का आयोजन किया गया|
5. राज्य परियोजना निदेशकों (एसपीडी) और शिक्षा सचिवों की संगोष्ठी (जनवरी. 2014) में राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों को प्रारंभिक कक्षाओं पढ़ना- लिखना और गणित कार्यक्रम पर आधारित योजनाओं की महत्ता के बारे में जागरूक किया गया|
प्रारंभिक कक्षाओं में गणित
2014-15
समझ के साथ पढ़ना-लिखना :
प्रारंभिक कक्षाओं में गणित
क. विशेष रूप से कक्षा 1 और 2 के लिए राज्यों के लिए अनुमोदित वित्तपोषण
क्र. सं. |
गतिविधि |
रूपये (करोड़ में) |
1 |
क. सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश: 2014 – 15 |
459.20 |
2 |
ख. समझ के साथ पढ़ना – लिखना और गणित कार्यक्रम पर एनसीईआरटी के कार्यकलाप |
1.34 |
|
कुल |
460.54 |
ख. अनुमोदित वित्तपोषण (शैक्षणिक एवं तकनीकी सहायता सहित)
क्र. सं |
एनसीईआरटी सहित सभी राज्य एवं केंद्र शासित प्रेदश |
रूपये (करोड़ में) |
रूपये (करोड़ में) |
1. |
क) कक्षा 1 और 2 के बच्चों के लिए अनुमोदित पाठ्य-पुस्तकें |
271.97 |
459.20 |
|
ख) शिक्षण- अधिगम सामग्री (टीएलएम्)/ पूरक पठन: बरखा की किताबें, पठन-कार्ड्स, सीसीई कार्ड्स, शिक्षक संसाधन पुस्तक सहित |
73.69 |
|
|
ग) खंड स्तर (ब्लॉक लेवल) पर अंत: सेवा शिक्षक प्रशिक्षण |
51.78 |
|
|
घ) संकुल स्तर (कलस्टर लेवल) पर अंत:सेवा शिक्षक प्रशिक्षण |
57.20 |
|
|
ङ) संसाधन व्यक्तियों का प्रशिक्षण |
1.81 |
|
|
च) राज्य स्तरीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एसएलएएस) |
2.75 |
|
2 |
शैक्षणिक सहयोग एवं गुणवत्ता मॉनिटरिंग |
|
300.00 |
3 |
राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी सहयोग एवं गुणवत्तापूर्ण मॉनिटरिंग |
|
3.00 |
|
कुल |
|
726.20 |
10. सुनिश्चित संकेतक
वर्ष के अंत तक |
स्तर |
प्रक्रियाएं/परिणाम |
सुनिश्चित मानदंड |
2014-15 |
राष्ट्रीय |
एमएचआरडी के द्वारा |
प्रारंभिक कक्षाओं में समझ के साथ पढ़ने- लिखने और गणित के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के कार्यक्रमों का अनुमोदन एवं वित्त पोषण मई 2014 में पहले से ही कर दिया गया है |
बेस लाइन को निश्चित करने के लिए, कक्षा 2 और 3 के विद्यार्थियों का राज्य स्तरीय उपलब्धि सर्वेक्षण का कार्य राज्यों द्वारा| |
|||
सरकार गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) मुद्रित, दृश्य और इलेक्ट्रोनिक/ ऑनलाइन संसाधन एकत्र करना एवं एसएसए के वेबपेज पर डालना |
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एनसीईआरटी, एमसीईआरटी, विश्वविद्यालय के शिक्षा विभागों और एनजीओ को शामिल करते हुए विभिन्न राज्यों में विभिन्न संदर्भों में इस कार्यक्रम में क्रियात्मक शोधों को सहयोग प्रदान करना |
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एनसीइआरटी द्वारा |
एनसीईआरटी के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों का क्षमता –संवर्धन| |
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राज्यों के साथ प्रारंभिक गणित पर आधारित एनसीईआरटी की सामग्री का प्रसार |
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कक्षा 3 के लिए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) के चक्र 4 की तैयारी |
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राज्य |
प्रक्रियाएं
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1. प्रारंभिक कक्षाओं में समझ के साथ पढ़ने-लिखने और गणित के क्रियान्वयन के लिए निर्देश |
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2. इन कार्यक्रमों के लिए राज्य संसाधन समूह का निर्माण (8 राज्यों ने इस समूह का निर्माण कर लिया है- छत्तीसगढ़, लक्षद्वीप, गुजरात, पंजाब, मिजोरम, महाराष्ट्र, ओड़िशा, हिमाचल प्रदेश) |
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3. राज्य संसाधन समूह (एसआरजी) और डाइट के संकाय सदस्यों का क्षमता – संवर्धन |
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4. शिक्षक-प्रशिक्षण मोड्यूल्स का विकास| गुजरात, केरल, नागालैंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओड़िशा, हिमाचल प्रदेश ने समझ के साथ प्रारंभिक मॉड्यूल्स का निर्माण कर लिया है| |
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5. क्षेत्रीय भाषाओं में पठन कार्मिक पुस्तकमाला का निर्माण| 11 राज्य एनसीईआरटी की बरखा क्रमिक पुस्तक माला का प्रयोग कर रहे हैं| |
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6. कार्यक्रम की मॉनिटरिंग के लिए दिशानिर्देश तैयार करना| |
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7. विद्यालय प्रमुख, बीआरसी, सीआरसी, और एसएमसी के लिए प्रशिक्षण एवं उन्मुखी कार्यक्रमों का आयोजन करना| |
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8. राज्य स्तरीय उपलब्धि सर्वेक्षण की योजना बनाना और उसे प्रसाशित करना| |
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9. शैक्षिक प्रशासकों जैसे- डीईईओ, बीइईओ और स्कूल इंस्पेक्टर आदि का क्षमता –संवर्धन |
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10. विकेंद्रीकरण स्तरों पर कक्षा 1 और 2 के सभी शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन |
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11. निदर्शन (डैमोंस्ट्रेशन) विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए अभ्यास सत्रों को सुनिश्चित करना| |
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12. मॉनिटरिंग – व्यवस्था की स्थापना और उसे सुदृढ़ करना| |
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कक्षा स्तर |
चिन्हित की गए विद्यालयों के कक्षा कक्षों को कार्यक्रम के योग्य बनाना –पढ़ने का कोना, प्रिंट समृद्ध वातावरण, और गणित संबंधी सामग्री की उपलब्धता| |
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बच्चों का सतत और व्यापक आंकलन (सीसीई) |
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परिणाम |
1. सभी चिन्हित विद्यालय सीखने का समृद्ध वातावरण सुनिश्चित करेंगे| |
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2. 50% चिन्हित विद्यालय कक्षाकक्षीय कार्य-संपादन में सक्षम हैं| |
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3. सभी चिन्हित विद्यालय समुदाय से जुड़े हुए हैं |
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4. चिन्हित विद्यालयों के कम से कम 60% बच्चे कक्षा के अनुरूप सीखने संबंधी संकेतकों तक पहुँच गए हैं| |
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2015-16 |
राष्ट्रीय |
एमएचआरडी |
कार्यक्रम का वित्त घोषणा |
कार्यक्रम का मूल्यांकन |
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एनसीइआरटी
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राज्यों के साथ अनुभवों की साझेदारी संबंधी कार्यशालाएं |
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राज्यों के साथ अनुभवों की साझेदारी संबंधी कार्यशालाएं |
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राज्य |
एनसीइआरटी, प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय एसएसए
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राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एसएलएएस) की समीक्षा और प्रसार |
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राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एसएलएएस) पर आधारित रणनीतियों का |
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सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रमों (बेस्ट प्रैक्टिस) का दस्तावेजीकरण |
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परिणाम |
1. सभी विद्यालय सीखने का समृद्ध वातावरण सुनिश्चित करेंगे| |
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2. सभी विद्यालय कक्षा कक्षीय कार्य – संपादन में सक्षम हैं| |
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3. सभी विद्यालय समुदाय से जुड़े हुए हैं| |
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4. सभी विद्यालयों के कम से कम 75%बच्चे कक्षा के अनुरूप सीखने संबंधी संकेतकों तक पहुँच गए हैं| |
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2016-17 |
राष्ट्रीय |
एमएचआरडी/ एनसीइआरटी
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सबी राज्यों में प्रारंभिक कक्षाओं में समझ के साथ पढ़ने – लिखने और गणित के क्रियान्वयन की स्वतंत्र समीक्षा और कार्यक्रम का पुनरीक्षण| |
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परिणाम |
1. सभी विद्यालय सीखने का समृद्ध वातावरण सुनिश्चित करेंगे| |
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2. सभी विद्यालय कक्षाकक्षीय कार्य-संपादन में सक्षम हैं| |
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3. सभी विद्यालय समुदाय से जुड़े हुए हैं| |
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4. सभी विद्यालयों के कम से कम 80% बच्चे कक्षा के अनुरूप सीखने संबंधी संकेतकों तक पहुँच गए हैं| |
स्रोत : - सर्व शिक्षा अभियान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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