बहु-प्रतिभा, लोगों एवं उनकी विभिन्न प्रकार की प्रतिभाओं (तार्किक, दृश्य संबंधी, संगीत आदि) के बारे में हॉवर्ड गार्डनर का एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत है। प्रत्येक व्यक्ति में सात प्रकार की प्रतिभाएं होती हैं। किसी व्यक्ति में दो या अधिक प्रधान प्रतिभाएं हो सकती हैं और कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनमें सात प्रतिभाएँ संतुलित रूप से होती हैं।
हॉवर्ड गार्डनर ने शुरुआत में सात प्रतिभाएं सूत्र रूप में रखीं। उनकी सूची अस्थायी थी। पहली दो को स्कूलों में विशेषतौर पर महत्व दिया गया है, अगली तीन सामान्यतः कला से जोड़ी जाती हैं, एवं अंतिम दो वे हैं जिन्हें होवर्ड गार्डनर ने 'व्यक्तिगत प्रतिभा' कहा।
दृश्य को समझने की क्षमता। ऐसे सीखने वाले लोग चित्रों के रूप में सोचते हैं एवं जानकारी को रखने के लिए इन्हें स्पष्ट मानसिक प्रतिबिम्बों की आवश्यकता होती है। उन्हें नक्शों, चार्ट, चित्रों, वीडियो तथा फिल्में देखने में आनंद आता है।उनके कौशल में शामिल है: पहेलियाँ बनाना, पढ़ना, लिखना, चार्ट एवं ग्राफों को समझना, अच्छा दिशाबोध, स्केच बनाना, दृष्टि संबंधी रूपकालंकार तथा उपमा बनाना (संभवतः दृष्टि संबन्धी कला की माध्यम से), प्रतिबिम्बों में हेर-फेर, निर्माण, दृढ करना, वास्तविक वस्तुओं की डिजाइन, दृष्टि संबन्धी प्रतिबिम्बों व्याख्या करना.
करिअर के लिए संभव रुचियाँ: नाविक, शिल्पकार, दृष्टिक कलाकार, अन्वेषक, आर्किटेक्ट, आतंरिक डिज़ाइनर्स, मैकेनिक, इंजीनियर्स
शब्दों तथा भाषा के उपयोग की क्षमता। ऐसे सीखने वाले लोगों में अंकेक्षण कौशल अत्यंत विकसित होता है तथा सामान्यतः ये शिष्ट वक्ता होते हैं। ये चित्रों की बजाय शब्दों में सोचते हैं।
उनके कौशल में शामिल है: सुनना, बोलना, लिखना, कहानी कहना, विस्तार से समझाना, शिक्षण, हास्य का उपयोग, शब्दों के विन्यास एवं अर्थ की समझ, जानकारी याद रखना, किसी को अपने विचार मनवाना, भाषा के उपयोग का विश्लेषण।
करि अर के लिए संभव रुचियाँ: कवि, पत्रकार, लेखक, शिक्षक, वकील, राजनीतिज्ञ, अनुवादक
वजह, तर्क एवं संख्याओं के उपयोग की क्षमता। ऐसे सीखने वाले तार्किक एवं संख्यागत तरीके से संकल्पना कर विभिन्न जानकारियों के बीच सम्बन्ध बैठाते हैं। अपने आस-पास की दुनिया के प्रति हमेशा जिज्ञासु। ऐसे सीखने वाले कई प्रश्न पूछते हैं एवं प्रयोग करना पसंद करते हैं।
उनके कौशल में शामिल है: समस्याएं हल करना, जानकारी को वर्गों एवं श्रेणी में बांटना, परस्पर सम्बन्ध स्थापित करने के लिए गूढ़ सिद्धांतों के साथ कार्य करना, कारणों की लम्बी कड़ी को लेकर अनुक्रम बनाना, नियंत्रित प्रयोग करना, प्राकृतिक घटनाओं के बारे में प्रश्न एवं विस्मय करना, जटिल गणितीय गणनाएं करना, ज्यामितीय आकारों के साथ कार्य करना।
करिअर के लिए संभव मार्ग: वैज्ञानिक, इंजी नियर, कंप्यूटर प्रोग्रामर, शोधकर्ता, लेखापाल, गणितज्ञ
शारीरिक हलचल एवं वस्तुओं को दक्षतापूर्वक पकड़ने की क्षमता। ऐसे सीखने वाले अपने आप को हलचल के माध्यम से व्यक्त करते हैं। इन्हें संतुलन एवं हाथ से आँख के समन्वय का अच्छा बोध होता है (उदाहरण के लिए गेंद खेलना, बैलेंसिंग बीम्स)। अपने आसपास की जगह के संपर्क में ये जानकारी को याद एवं प्रसंस्कृत करने में सक्षम होते हैं।
उनके कौशल में शामिल है: नृत्य, शारीरिक समन्वय, खेलकूद, स्वयं द्वारा प्रयोग, शारीरिक भाषा का उपयोग, कला, अभिनय, हाथों का उपयोग कर रचना, शरीर के माध्यम से मन के भावों को व्यक्त करना
करिअर के लिए संभव मार्ग: एथलीट, शारीरिक शिक्षा के शिक्षक, नर्तक, अभिनेता, अग्निशमन दल के सदस्य, कारीगर
संगीत के निर्माण एवं प्रशंसा की क्षमता। संगीत में रुचि रखने वाले, ऐसे विद्यार्थी ध्वनि, ताल एवं पैटर्न के रूप में सोचते हैं। वे संगीत में जो भी सुनते हैं, उसपर तुंरत अपनी प्रतिक्रिया देते हैं, चाहे वह प्रशंसा हो या आलोचना। इनमें से कई विद्यार्थी पर्यावरणीय ध्वनि के प्रति अत्यंत संवेदनशील होते हैं (उदाहरण के लिए झींगुर, घंटियाँ, नल से टपकता पानी)।
उनके कौशल में शामिल है: गाना, सीटी बजाना, वाद्य यन्त्र बजाना, स्वरलहरी पहचानना, संगीत रचना, मेलोडी याद रखना, ताल एवं संगीत का ढांचा याद रखना
करिअर के लिए संभव मार्ग: वादक, डिस्क जोंकी, गायक, संगीतकार
अन्यों को समझने एवं सम्बन्ध स्थापित करने की प्रतिभा। ये विद्यार्थी बातों को अन्य लोगों के नज़रिए से देखते हैं, यह समझने के लिए की वे क्या सोच रहे हैं और कैसा महसूस कर रहे हैं। इनमें अक्सर भावनाओं, इरादों एवं उत्प्रेरण को महसूस करने की अलौकिक शक्ति होती है। वे बहुत अच्छे समन्वयक होते हैं, हालांकि कभी-कभी वे गड़बड़ का सहारा भी लेते हैं। आमतौर पर वे समूह में शान्ति बनाए रखने की चेष्टा करते हैं एवं सहयोग को प्रोत्साहित करते हैं। वे अन्यों से संवाद आरम्भ करने के लिए वाक् (जैसे कि बोलना) एवं अवाक (जैसे कि नज़रें मिलाना, शारीरिक भाषा) दोनों भाषाओं का उपयोग करते हैं।
उनके कौशल में शामिल है: दूसरे लोगों के दृष्टिकोण से चीजों को देखना (दोहरे परिप्रेक्ष्य), सुनना, समानुभूति का उपयोग करते हुए, अन्य लोगों के मूड और भावनाओं को समझना, परामर्श, समूहों के साथ सहयोग, लोगों की मनोदशा, प्रोत्साहन एवं इरादों पर ध्यान देना, मौखिक रूप से और गैर संचार-मौखिक रूप से संवाद करना, विश्वास का निर्माण, शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष सुलझाना, अन्य लोगों के साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करना।
करिअर के लिए संभव मार्ग: परामर्शदाता, विक्रेता, राजनीतिज्ञ, व्यापारी
उनके कौशल में शामिल है: स्वयं की शक्तियां एवं कमजोरियां पहचानना, स्वयं विचार प्रकट करना एवं उनका विश्लेषण करना, अंदरूनी भावनाओं के प्रति जागरूकता, इच्छाएं एवं सपने, सोच प्रक्रिया का आकलन, स्वयं के साथ तर्क-वितर्क, दूसरों के साथ स्वयं की भूमिका की समझ
करिअर के लिए संभव मार्ग: अनुसंधानकर्ता, सिद्धांत प्रणेता, दार्शनिक
प्राकृतिक प्रतिभा मानव को पहचानने, श्रेणी में बांटने एवं पर्यावरण के कुछ गुणों पर निष्कर्ष निकालने में सक्षम बना ती है। यह 'मूल क्षमता के वर्णन के साथ कई सांस्कृतिक मूल्यों द्वारा आदर की गयी भूमिकाओं के चरित्र-चित्रण को जोड़ती है'।
परम्परागत रूप से, स्कूलों ने तार्किक प्रतिभा एवं भाषागत प्रतिभा (मुख्य रूप से पढ़ना एवं लिखना) के विकास पर जोर दिया है। जबकि कई छात्र इस पर्यावरण में अच्छी तरह कार्य करते हैं, कुछ ऐसे भी होते हैं जो नहीं कर सकते। गार्डनर सिद्धांत तर्क देता है की छात्रों को शिक्षा की विस्तृत दृष्टि से ज़्यादा लाभ होगा, जिसमें शिक्षक सभी तक सामान रूप से अपनी बात पहुंचाने के लिए विभिन्न पद्धतियाँ, अभ्यास एवं गतिविधियों का उपयोग करते हैं, सिर्फ वे ही नहीं जो भाषागत एवं तार्किक प्रतिभा में श्रेष्ठ हों।
बहु प्रतिभा सिद्धांत की प्रासंगिकता कई तरह से भिन्न होती है। यह एक शिक्षक से, जिसका कठिनाई वाले छात्र से सामना होता है, पढ़ाने के लिए अलग पद्धति अपनाता है, से लेकर बहु प्रतिभा फ्रेमवर्क इस्तेमाल करने वाले पूरे स्कूल तक अलग-अलग होता है। सामान्यतौर पर, जो इस सिद्धांत में विश्वास करते हैं, अपने छात्रों को विविध प्रतिभाएं इस्तेमाल करने एवं विकसित करने के अवसर प्रदान करने की पुरजोर कोशिश करते हैं, और केवल उन्हीं कुछ प्रतिभाओं के लिए नहीं जिनमें वे प्राकृतक रूप से श्रेष्ठ हों।
हॉ रवर्ड की अगुवाई में इस सिद्धांत का उपयोग कर रहे 41 स्कूलों के अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि इन स्कूलों में "कठोर श्रम, आदर, एवं दूसरों का ख्याल रखने, एक संकाय जिसमें सभी एक-दूसरे से सहयोग करते एवं सीखते थे, कक्षाएं जो छात्रों को उद्देश्यपूर्ण विकल्पों के माध्यम से बाँध कर रखती है, एवं छात्रों को उच्च-गुणवत्ता युक्त कार्य संपादित करने के लिए प्रेरित करती है।
इससे छात्र समझने लगते हैं कि वे कितने कुशाग्र हैं। गार्डनर के विचार से, सीखना सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक, दोनों प्रक्रियाएं हैं। जब छात्र अपनी बहु-प्रतिभाओं का संतुलन समझने लगते हैं तो वे आरम्भ कर देते हैं
शिक्षक समझने लगते हैं कि छात्र कितने कुशाग्र हैं एवं वे स्वयं कितने कुशाग्र हैं। यह जानना कि कौन से छात्रों में प्रबल अंतर्व्यक्तित्व प्रतिभा की संभावना है, उदाहरण के लिए, आपको अन्य व्यक्ति में शक्ति उत्पन्न करने का अवसर देने में मदद करेगा। लेकिन, बहु-प्रतिभा सिद्धांत का तात्पर्य छात्रों के लिए शिक्षकों को बुद्धि कौशल जैसा लेबल उपलब्ध कराना नहीं है।
छात्र सीखने को अलग कोण से अपनाते हैं। प्रश्न "रेट क्या है?" के वैज्ञानिक, कवित्त, कला संबन्धी, सांगीतिक एवं भोगौलिक कोण हैं।
बालिका शिक्षा कार्यक्रम, रंगारेड्डी जिला, आँध्र प्रदेश, भारत
भारत में एमवी फाउंडेशन (गैर सरकारी संस्था, आँध्र प्रदेश) ने बालिका शिशु श्रम को रोकने की दिशा में एक विशिष्ट दृष्टिकोण विकसित किया है। इसके माध्यम से यह संस्था बँधुआ मजदूरी और बाल-श्रम के विरुद्ध जन समुदाय एवं सरकारों को उत्प्रेरित करने का भी कार्य कर रही है। घरेलू और बँधुआ मज़दूरों तक पहुँचने और उसे स्कूल तक लाने में बालिका शिशु शिक्षा कार्यक्रम ने कई नवीन एवं उत्तम पद्धतियाँ विकसित की है।
इसने नागरिक समुदाय के पारंपरिक सोच और सामाजिक मान्यताओं को चुनौती दी है। बालिकाओं को शिक्षा पाने के अधिकार के तहत महत्वपूर्ण पणधारियों (लेख्य या ठेके) को उपलब्ध कराए जा रहे शिक्षा कार्यक्रम से उस तक पहुँच की रुकावट को दूर करने एवं उसके संरक्षण के लिए नवीन मार्ग प्रशस्त किया है। इसने लोगों के बीच बालिकाओं को मजदूरी के कार्य से हटाकर स्कूल भेजने के प्रति एक बेहतर समझ भी पैदा की है।
बालिका शिशु श्रम के मुद्दे पर सामुदायिक सक्रियता ने इसे निजी मुद्दा से हटाकर सार्वजनिक मुद्दा बना दिया है। इस मुद्दे पर सामुदायिक बैठकों में भी गंभीर चर्चा हुई है। इसके अलावे, स्कूली शिक्षा समितिबालिकाओं के लिए जरूरी शौचालय एवं सुरक्षा की जरूरत को पूरी करने के लिए स्कूल के स्तर में सुधार की पहल की है। उनके अनुसार स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित बालिका शिशु कार्यकर्त्ता, जिन्हें शिक्षा प्राप्त करने के दौरान होने वाली इस प्रकार की असुविधा का अनुभव है, बालिकाओं द्वारा सामना किये जा रहे इस तरह की समस्याओं को बेहतर ढंग से पहचान कर सकती है। उन्होंने गहनतापूर्वक घर-घर जाकर बालिका शिक्षा के प्रति अभियान चलाया। इसके परिणामस्वरूप 11 बालिकाओं के माता-पिता ने अपनी बेटी से काम कराना बंद कराकर उन्हें स्कूल भेजने का फैसला किया।
इसने अपने कार्यकर्त्ताओं को गैर गतिरोधात्मक कौशल के बारे में प्रशिक्षण दिया कि वे बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने पर तब-तक बल दिया जाए जब-तक कि बालिका शिक्षा के विरोधी माता-पिता इस बात को मान नहीं लेते। एक बार माता-पिता बालिका शिक्षा के प्रति तैयार हो जाते है तो छोटी लड़कियों को स्कूल में तथा बड़ी लड़कियों को आवासीय विद्यालयों में नामांकन कराया जाता है। उन्होंने पहले पढ़ाई छोड़े हुए बच्चों का निरीक्षण किया, बाद में काम करने वाली बालिकाओं की पहचान की। अनुभवों के आदान-प्रदान और एक-दूसरे को सहायता देने जैसी गतिविधियाँ महिला कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और प्रेरित करने का कार्य करती है। ये बालिकाएँ अपने माता-पिता तथा समुदाय के लिए सकारात्मक रोल मॉडल बन गई हैं। यहाँ तक कि उन्होंनें बाल-विवाह पर भी प्रकाश डाला है जो कि गाँवों में एक गंभीर समस्या है। बालिका कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है कि हर सार्वजनिक मंच से महिला मुद्दों और बालिकाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाए। इसके लिए आधारभूत संरचना को विभिन्न समितियों (बालिका शिशु अधिकार संरक्षण व माता, पढ़ाई कर रही बालिका एवं युवा बालिका समिति) के माध्यम से जान-बूझकर कम और ग्रामीण समुदाय में केन्द्रित रखा गया है जो बालिका श्रम के खिलाफ समाज में जागरूकता लाने को प्रतिबद्ध है। इसके प्रति समाज में जागरूकता लाने के लिए नुक्कड़ नाटकों का सहारा लिया गया। इसका असर यह हुआ कि माता-पिता अपनी बेटी को बँधुआ मजदूरी से हटाकर उसे स्कूल व आवासीय विद्यालयों में दाखिला कराने लगे। साथ ही, इससे स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट आई व स्कूल में नामांकन कराने वालों की संख्या में वृद्धि हुई। इसके अलावे, माता-पिता और अभिभावकों से बातचीत करके कई बाल-विवाहों को भी रद्द कराया जा सका। आज एमवी फाउंडेशन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम के उन्मूलन हेतु इस मॉडल को प्रस्तुत करने में सक्षम है और इस क्षेत्र में उसने कई सफल उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।
स्रोत : यूनेस्को
शिक्षा के अधिकार पर नई संयुक्त राष्ट्र प्रतिवेदन
प्रतिवेदन खुद को विकलांग व्यक्तियों के साथ जोड़ता है और शिक्षा को शामिल करने के लिए संगठित प्रयास का आह्वान करता है। यूनेस्को से बड़ा इनपुट मिलने के साथ यह सामान्य ढांचा, निगरानी और कार्यान्वयन की विभिन्न चुनौतियों को खत्म करती है।
महाराष्ट्र के स्कूलों में नामांकन अभियान ने जोर पकड़ा
सर्व शिक्षा अभियान के एक भाग के रूप में वसंत पुर्के (महाराष्ट्र के शिक्षा राज्यमंत्री) तथा यूनीसेफ के सहयोग से यवतमाल जिले में एक जन अभियान चलाया गया, जिसमें पालकों से उनके बच्चों को स्कूल भेजने का आग्रह किया जा रहा है। यह अभियान ध्यानरथ परिक्रमा के रूप में चलाया जा रहा है, जो स्कूल में नामांकन कराने का संदेश लेकर गांव-गांव में घूम रहा है।
कोलकाता की सड़कों पर हरेक बच्चे की गणना
कोलकाता नगर निगम, सरकारी विभागों, यूनीसेफ और गैर सरकारी संस्था कोलकाता के वंचित वर्गों में पैदा हुए बच्चों को जन्म प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए एकजुट हुए हैं ताकि उन्हें स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं तक की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके और शोषण के खिलाफ उन्हें संरक्षण मिल सके।
अंतिम बार संशोधित : 2/20/2023
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