ऐसे उपभोक्ता जिनके पास समय का बहुत अभाव होता है और खरीददारी तो करनी है लेकिन खुदरा बाजार जाने में बहुत समय लगेगा। उनके लिए आजकल ऑनलाइन खरीददारी या ई-कॉमर्स बहुत-बहुत बेहतरीन और अनुकूल विकल्प है। ऑनलाइन पोर्टल पर खरीददारी के दौरान उपभोक्ताओं को किसी वस्तु के चुनाव में काफी लाभ होता है। हालाँकि बहुत से उपभोक्ता जो ई-रिटेलिंग (ऑनलाइन स्टोर) खरीददारी के लिए नए होते हैं उनके लिए बेहतर, सुरक्षित साइट की तलाश बड़ी मुशिकल हो जाती है। “कंस्यूमर वॉयस” ने ऑनलाइन खरीददारी करनेवाले कुछ उपभोक्ताओं से साक्षात्कार किया जिसकी यहाँ विस्तृत जानकारी दी जा रही है, पढ़िए इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में।
ऑनलाइन खरीददारी का बढ़ता चलन और इस दौरान उपभोक्ताओं को होने वाली दुविधाओं को देखते हुए कंस्यूमर वॉयस” ने सर्वेक्षण के जरिए श्रेष्ठ ई-कॉमर्स साईट के बारे में जाने का प्रयास किया, साथ उपभोक्ताओं खरीददारी के दौरान क्या-क्या और किस तरह की समस्या आ सकती है इसकी भी शिनाख्त की। कंस्यूमर वॉयस ने यह जानने के लिए कि उपभोक्ता ऑनलाइन खरीददारी क्यों करते हैं यह जानने के लिए 100 उपभोक्ताओं का साक्षात्कार किया जिसमें हमने पाया कि 140 ऐसे कारण रहे जो उपभोक्ताओं को खरीददारी के लिए प्रभावित करते है। इनमें 28 कारण तुलनात्मक योग्य नहीं थे, तुलना के लिए प्रभावित नहीं करते थे। बाकी 112 सामूहिक रूप से पूर्व-खरीददारी और खरीददारी के बाद की प्रक्रिया में आते हैं, जो इस प्रकार है:
यह सर्वेक्षण एनसीआर और कुछ शहरों (चंडीगढ़ व लखनऊ’ सहित) में नवंबर-दिसंबर 2013 में 1,327 उपभोक्ताओं पर किया गया था। जो ऑनलाइन खरीददारी में तकरीबन एक साल का अनुभव रखते थे। उनसे पांच पॉइंट के आधार पर अपने अनुभव के बारे में बताता था।
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खरीददारी के दौरान का व्यवहार |
खरीददारी के बाद अक व्यवहार |
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ब्राउसिंग का अनुभव और तस्वीर के आधार पर अपील |
रिफंड वापस/बदलना ग्राहक सेवा |
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सर्च करने का अनुभव |
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उत्पाद की क्षमता और उपलब्धता |
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सूचना की व्यापकता |
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तुलना करने की सुविधा |
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नियम व शर्तें |
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शोपिंग चार्ट |
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भुगतान करने की प्रक्रिया |
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वितरण |
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इस अध्ययन को दो भागों में विभाजित किया गया:
कुल 1,237 ऑनलाइन खरीददारों में से अधिकतर दिल्ली-एनसीआर (778) से जुड़े हुए थे, लखनऊ (२०४) और चंडीगढ़ से (204) ऑनलाइन खरीददारी में पुरुषों की ज्यादा विश्वसनीयता दिखी क्योंकि इसमें 65 फीसदी पुरुष ही थे। 48 फीसदी उपभोक्ता 25-30 वर्ष के थे और 40 फीसदी 25 वर्ष के थे। इससे आकलन किया जा सकता है कि 80 फीसदी युवा वर्ग के ही पाए गये जो कि ऑनलाइन खरीददारी में अधिक रूचि रखते हैं। निजी कंपनियों में नौकरी पेशे वाले 42 फीसदी उपभोक्ता थे जो उच्च वर्ग (ए१ ) श्रेणी (58 फीसदी) से आटे थे और अच्छे खासे संपन्न परिवार से थे।
विगान टेक्नोलॉजी डॉट कॉम और इंडिया रैंकर डॉट कॉम के आधार पर वेबसाइट को जो रैकिंग दी गई थी उसी के आधार पर ऑनलाइन खरीददारी की कंपनियां चुनी गई। यह कंपनियां एलेक्सा (वेब इंफोर्मेशन कंपनी) के आधार पर सूचीबद्ध की गई थी। साथ ही सर्वेक्षण के पहले हमने भी वेबसाइट का चुनाव किया गया जिनके आंकड़े निचे दिए गये हैं।
जब उपभोक्ता से हमारे द्वारा चुनी गई 15 वेबसाइट को रैंक दी गई, साथ ही हमने समग्र रूप से उस वेबसाइट से संतुष्टि के लिए भी पूछा। उपभोक्ताओं ने 15 ई-कार्मस की वेबसाइट द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की समग्र गुणवत्ता को 1 से 5 स्केल पर आकलन किया जिसमें 1 खराब और 5 सर्वश्रेष्ठ । फिल्प्कार्ट को समग्र रूप से संतुष्ट के लिए सबसे अधिक 3.71 अंक मिले। इसके बाद जेबोंग को 3.63 और मित्रा को 3.59 अंक मिले। पुर्णतः संतुष्टि के लिए सबसे कम अंक २.93, जोवी3.21 या येबी 3.22 रहे।
समग्ररूप से संतुष्टि की जाँच में सबसे अधिक अंक 3.71 (फिल्प्कार्ट) पाने वाली वाली व सबसे कम अंक २.93 ट्रेड्स) पाने वाली वेबसाइट के बीच को अंतर को बदलता है। जब फिल्प्कार्ट को सबसे अधिक अंक मिले, जेबोंग, मित्रा, स्नैपडील व एमाजों की लगभग छोटे-मोटे अंतर से ही आगे पीछे रहे। इन वेबसाइटस के बीच पाए गए लमसम अंतर से उपभोक्ता यह पता लगा सकते है कि ऑनलाइन खरीददारी के लिए वेबसाइट कितनी अनुकूल हैं।
चयनित वेबसाइटस के सर्वक्षण के परिणाम से यह प्रतीत होता है कि ऑनलाइन खरीददारी के तीन मुख्य कारण थे कुल मिलाकर सुविधा, उत्पाद की सीमा और उपलब्धता और ऑफ़लाइन यानि बाजार की कीमत की अपेक्षा कितनी कम कीमत है। आधे से अधिक नमूनों में यही कारण उभरकर सामने आये। इसके अलावा अन्य कारण लुभावन विज्ञापन, छूट, ऑफर, उत्पाद की अच्छी गुणवत्ता या उत्पाद मिलने के बाड भुगतान आदि इनका सिर्फ बहुत मामूली सा 2 फीसदी ही योगदान रहा।
खरीददारी से पूर्व के मापदंड की रैंकिंग में कितना अंतर रहा
अमूमन सबी वेबसाइटस को मार्गदर्शन में आसानी और अव्यवस्थाओं से मुक्त, वेबपेज के आकर्षित ले-आउट आदि के लिए अधिक ही अंक मिले। जिनके अंक पांच में से 3.45 से 4.06 तक के बीच रहे। इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि ब्राउसिंग का अनुभव और वेबसाइट पर प्रत्यक्ष तस्वीर आदि अमूमन साइट्स पर संतुष्ट करने वाले ही रहीं। यहाँ तक की जिन वेबसाइट को अधिक अंक मिले उनको डिस्प्ले के लिए अन्य की अपेक्षा में साधारण से ही अंक मिले।
अनुसन्धान/सर्च का अनुभव की जाँच में जिसमें कि योग्यता व वर्गीकरण करने में आसानी के परिणाम और बगैर आधार के और स्वतंत्र परिणाम इन बिन्दुओं के लिए अमूमन सभी वेबसाइटस को अधिक ही अंक मिले जो कि 5 पॉइंट में से से 3.5 से 4 के बीच रहे। उत्पाद की पहुँच और उपलब्धता की जाँच के लिए भी सभी साइट्स को अधिक ही अंक 5 में से 3.27 से 4.०३ के बीच ही प्राप्त हुए अत्यधिक जानकारी के लिए 3.49 से 4.19 तक और अत्यधिक सुविधाओं के लिए 3.16 से 3.88 तक अंक मिले।
नियम व शर्तें इस मापदंड की बात करें तो उत्पाद खरीदने से पहले 60 फीसदी उपभोक्ता ही वेबसाइट को अधिक अंक दिए। इससे तात्पर्य है कि वेबसाइटस द्ववारा दिए गये दिशानिर्देश उपभोक्ताओं की उम्मीदों को पूरा करते हैं।
परिवार/दोस्तों से भी करेंगे सिफारिश
उपभोक्ताओं से वे किसी वेबसाइटस से खरीददारी के बाद अपने किसी दोस्त या परिवार के किसी सदस्य से भी उसके बारे में अनुशंसा करेगे इसके लिए पूछा गया। इसका आकलन करने के लिए भी 1 से अधिक 5 तक ही अंक दिए गया। जिसमें 1 का बताता है बिल्कुल बताते है, २ शायद बताएँगे, 3 यकीन नहीं, 4 शायद न बताएं और 5 बिल्कुल नहीं बताएँगे। इस जाँच में फ्लिपकार्ट एकदम सपाट रूप से 89.२ फीसदी अंक के साथ विजेता उभरकर आया। जिसमें उपभोक्ताओं ने कहा कि वे जरुर बताएँगे और शायद बताएँगे का जबाव दिया। इसके बाद मित्रा 86.२ फीसदी और जाबोंग 84.२ फीसदी अंक डके साथ रहे। परिणाम दर्शाते हैं की ऑनलाइन खरीददारी के प्रति उपभोक्ताओं का अच्छा अनुभव रहता है।
उपभोक्ता जो की सर्वेक्षण के लिए चुने गये थे उनमें से फीसदी ने जिन्होंने की साइट्स को 4-5 प्वाइंट दिए दूसरों को खरीदने के लिए संस्तुति की। यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि विभिन्न ब्रांड इन्फिबीम 82.6 फीसदी, स्नैपडील और ये-भी 82.1 फीसदी, रेडिफ शोपिंग 81.9 फीसदी और होम शॉप 8.15 फीसदी के बहुत कम अंतर से एक-दूसरे के अनुपात में रहे।
जोवी, एमाजोन, नापतौल और शोपिंग इंडिया टाइम्स को 75-७७ फीसदी के बीच अंक मिले। सबसे कम अंक 63.5 फीसदी ट्रेड्स को मिले। यहाँ यह बता देना भी उचित होगा कि इस व्यवसाय में ऐसी वेबसाइटस को सिर्फ नेट आयोजक में अपनी जगह बनाने (नेट प्रमोटर स्कोर) के
(एनपीएस त्रपी% डी% प्रमोट मिनट डीटरेक्टर। हम यहाँ सिर्फ आयोजकों के बारे में बात कर्रे हैं, इसलिए हम लिख सकते हैं कि एनपीएस एक तरह से संस्तुति के आधार पर होता है। औद्योगिक क्षेत्र में नहीं, एनपीएस 80 फीसदी बहुत अधिक है। बैंक उद्योग में यह 40 फीसदी के आसपास होता है और टेलकम में 30 फीसदी)
अधिकतर उपभोक्ताओं के ब्रांड जो की उपभोक्ताओं की संतुष्टि और सदभावना का ख्याल रखते हैं वे सामान्यता अपना ही उपभोक्ता संतुष्टि (सी-सैंट) सर्वेक्षण कराते हैं और कुछ नेट आयोजक में अपनी जगह बनाने (नेट प्रमोटर स्कोर) के लिए भी ऐसा करते हैं। हलांकि, इन्हें गोपनीय रखा जाता है उपभोक्ताओं में साँझा नहीं किया जाता ।
इसमें सीधा सा मकसद ऑनलाइन खरीददारी में उपभोक्ताओं को हानि पहुँचाने वाले बिंदु जैसे सामान पहुंचने में देरी, उत्पाद में कमी, समान न पहुंचे, ग्राहक सेवा में खराब प्रतिक्रिया मिलना आदि पर केन्द्रित किया जाता है। उपभोक्ताओं का यदि कभी ऐसी समस्याओं से सामना हुआ हो तो उसके बारे में भी उनसे पूछा गया तो ज्यादातर ने उत्पाद का वितरण न होना/वितरण में देरी को बड़ी समस्या बताया।
- उत्पाद स्टॉक में नहीं है ऐसा २३ फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा ऐसा फ्लिपकार्ट ((8.26.7) फीसदी) और होमशॉप 18 से (6.27.3) फीसदी_ इस्तेमाल कर चुके उपभोक्ताओं ने कहा।
- ई-कार्मस साइट्स पर दी गई प्रतिक्रियाओं में यह दूसरे नबर पर रहा। जिसमें कि उत्पाद वितरण के सही पत्ते पर पहुंचने में दिक्कत आई। ऐसे 21% उपभोक्ता थे। ऐसी शिकायतों जिस वेबसाइटस पर पाई गई उनमें फिर फ्लिपकार्ट रही। 30 फीसदी उपभोक्ताओं ने वितरण में गलत पते पर पहुंचने की शिकायत की। इसके अलावा उत्पाद वितरण में देरी के साथ ही कुछ उपभोक्ताओं ने उत्पाद में कीच खामी या वापस करने/उसकी भुगतान राशि वापस मिलने या फिर उत्पाद बदलने के दावों की भी शिकायत की। कुछ उपभोक्ताओं ने ग्राहक सेवा के बारे में भी साइट पर शिकायत की हुई थी। इस विषय के बारे में विस्तार से हम अगले लेख में चर्चा करेगे।
यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है की फ्लिपकार्ट, जबोंग, मित्रा जैसे वेबसाइट् पर अधिकतर उपभोक्ताओं को उत्पाद वितरण, उत्पाद बदलने/वापस करने/पैसा वापस करने या ग्राहक सेवा द्वारा खराब प्रतिक्रिया मिलना आदि इन सभी समस्याओं का अपेक्षाकृत छोटा ही योगदान है। यही वेबसाइट्स ऐसे भी हैं जिन्हें की समग्र संतुष्टि के लिए सबसे बेहतर/अव्वल पाया गया।
इससे यही अर्थ निकलता है कि इन वेबसाइट्स को अपनी सेवाओं जिनमें की शिकायत पाई गई है उनमें जल्द से जल्द से कार्रवाई करने की प्रक्रिया भी अपनानी चाहिए, जिस्स्से जिम्मेदारी भी बनती है क्योंकि ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ता उनकी वेबसाइट पर भरोसा करते हैं।
1,327 उपभोक्ताओं में 56.8 फीसदी (७५४) फ्लिपकार्ट से 35 फीसदी (4.67) होमशॉप 18 से, 31 फीसदी (407) स्नैपडील, 25 फीसदी (340) जबोंग, 23.7 फीसदी (३१५) और 19 फीसदी (254) मित्रा से खरीददारी करने वाले थे।
स्रोत: उपभोक्ता कार्यों के मंत्रालय, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 10/1/2019
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