चूंकि सभी के लिए शिक्षा ढांचे की रूपरेखा 2000 में बनाई गई थी, अतः देशों ने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रगति की है। तथापि, इनमें से कई देश 2015 के लक्ष्य से अभी भी काफी पीछे हैं।
बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा
किसी बच्चे के जीवन में बुनियाद, संकल्पना से लेकर उसके दूसरे जन्मदिन तक पहले हजार दिनों में निर्धरित हो जाती है जो उसके भावी स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि परिवारों को पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल मिले तथा माताओं और बच्चों को सही चुनाव करने के लिए सहायता दी जाए। इसके अलावा, अच्छा पोषाहार बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास करने में अहम होता है तथा उन्हें सीखने के लिए ज्ञान-संबंधी क्षमताओं की जरूरत होती है।
सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा
सभी के लिए शिक्षा लक्ष्य की समय-सीमा अर्थात् 2015 में मात्रा दो वर्ष रह गए हैं, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा ;यूपीईद्ध के काफी बड़े अंतर से पिछड़ने की संभावना है। वर्ष 2011 तक 57 मिलियन बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे। स्कूल न जाने वाली दुनिया की लगभग आधी आबादी संघर्ष-प्रभावित देशों में रहती है, जो 2008 में बढ़कर 42: हो गई। संघर्ष-प्रभावित देशों में स्कूल न जाने वाले 28.5 मिलियन प्राथमिक स्कूल जाने वाले बच्चों में से 95: बच्चे निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं। लड़कियां, जो कुल आबादी का 55: है, सबसे अधिक प्रभावित हैं।
युवा और वयस्क दक्षता
तीसरा ईएफए लक्ष्य आंशिक रूप से सबसे अधिक उपेक्षित रहा है क्योंकि इसकी प्रगति की निगरानी करने के लिए कोई लक्ष्य या संकेतक निर्धरित नहीं किए गए थे। वर्ष 2012 की रिपोर्ट में दक्षता के विभिन्न आयाम के लिए एक ढांचे का प्रस्ताव किया गया है जिसमें आधरभूत हस्तांतरणीय और तकनीकी एवं व्यावसायिक दक्षता शामिल है-जो निगरानी प्रयासों में सुधार करेगी, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अभी भी कितनी दक्षता व्यवस्थित रूप से प्राप्त की गई है को मापने की स्थिति में नहीं है।
वयस्क साक्षरता
सार्वभौमिक साक्षरता सामाजिक और आर्थिक प्रगति की बुनियाद होती है। साक्षरता दक्षता अच्छी शिक्षा द्वारा बचपन में ही बेहतर ढंग से विकसित होती है। वास्तव में कुछ देश ही निरक्षर वयस्कों का दूसरा अवसर देते हैं। परिणामस्वरूप, स्कूल न जाने वाली आबादी वाले देश वयस्क निरक्षरता का उन्मूलन करने में असमर्थ रहे हैं। निरक्षर वयस्कों की संख्या काफी अधिक 774 मिलियन रही है। इसमें 1990 से 12: की, लेकिन 2000 से केवल 1: की गिरावट हुई है। इसके 2015 तक घटकर 743 मिलियन होने का अनुमान है। विश्व में लगभग तीन-चौथाई निरक्षर वयस्क होने के लिए दस देश जिम्मेदार हैं खचित्रा 5,। महिलाएं कुल संख्या का लगभग दो-तिहाई है और 1990 के बाद से इस शेयर को कम करने में कोई प्रगति नहीं हुई है। 61 देशों के उपलब्ध आंकड़ों के आधर पर लगभग आधे देशों द्वारा 2015 तक वयस्क साक्षरता में जेंडर समानता प्राप्त किए जाने की संभावना है, और 10 देश इस लक्ष्य को पाने के काफी करीब होंगे।
जेंडर समानता और साक्षरता
जेंडर समानता - लड़कों और लड़कियों का समान दाखिलाअनुपात सुनिश्चित करना- पांचवे ईएफए लक्ष्य का पहला कदम है। पूर्ण लक्ष्य - जेंडर समानता - के लिए उचित स्कूली शिक्षा माहौल, भेदभाव मुक्त प्रक्रियाएं, और लड़कों एवं लड़कियों को समान अवसर उपलब्ध्ता करने की जरूरत है ताकि वे अपनी क्षमता को पहचान सकें। लिंग असमानता पैटर्न अलग-अलग देशों में विभिन्न आय समूहों में भिन्न-भिन्न है। निम्न आय वाले देशों में विसंगतियां सामान्यतः लड़कियों की कीमत पर होती हैः 20: प्राथमिक शिक्षा में, 10: माध्यमिक शिक्षा में और 8: उच्च शिक्षा में असमानताएं पाई गई हैं। हम जितना निम्न और ऊपरी माध्यमिक स्तर पर जाते हैं, मध्यम और उच्च आय वाले देशों में, जहां अधिक देश किसी स्तर पर समानता प्राप्त करते हैं, वहां विसंगतियां मुखयतः लड़कों की कीमत पर होती है। उदाहरण के लिए, 2: ऊपरी मध्यम आय वाले देशों में प्राथमिक स्कूल में 2:ऋ निम्न माध्यमिक स्कूल में 23: तथा ऊपरी माध्यमिक स्कूल में 62: विसंगतियां लड़कों की कीमत पर होती हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता
2015 के बाद वैश्विक विकास ढांचे में गुणवत्ता और शिक्षासुधार अधिक केन्द्रित होने की संभावना है। 250 मिलियन बच्चों के शिक्षा अवसरों में सुधार करने के लिए ऐसा बदलाव महत्वपूर्णहै जो पढ़-लिख नहीं सकते या बेसिक गणित नहीं कर सकते,इनमें से 130 मिलियन स्कूलों में हैं।लक्ष्य 6 की प्रगति का जायजा लेने के लिए छात्रा/शिक्षकअनुपात एक उपाय है। विश्व स्तर पर औसत छात्रा/शिक्षकअनुपात पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों पर शायद ही बदलता है। उप-सहारा अफ्रीका में शिक्षकों की भर्ती दाखिले में विकास को पीछे छोड़ रही है, अनुपात स्थिर है और यह पूर्व-प्राइमरी और प्राथमिक स्तरों पर दुनिया में सबसे अधिक है। 2011 में प्राप्त 162 देशों के आंकड़ों से 26 देशों में छात्रा/शिक्षक का अनुपात प्राथमिक शिक्षा में 40:1 से अधिक था, जिसमें से 23 देश उप-सहारा अफ्रीका में थे।
2015 के बाद विश्व स्तरीय शिक्षा लक्ष्यों की निगरानी करना
चूंकि सभी के लिए शिक्षा के छः लक्ष्यों को डकार, सेनेगल में अपनाया गया था, अतः 2000 में सटीक लक्ष्यों और संकेतकों के अभाव में कुछ शिक्षा प्राथमिकताओं को रोक दिया गया है जिनकी ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। वर्ष 2015 के बाद नए लक्ष्यों का निर्धरण शिक्षा को अधिकार के रूप में बनाए रखने के सि(ांतों द्वारा निर्देशित होना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सभी बच्चों को शिक्षा के समान अवसर मिलें और किसी व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक चरण पर शिक्षा के स्तरों की पहचान की जा सके। वैश्विक विकास एजेंडा के साथ लक्ष्यों का एक समूह जुड़ा होना चाहिए, जिसमें अधिक विस्तृत लक्ष्य होने चाहिए जो 2015 के बाद सभी के लिए शिक्षा संबंधी ढांचा बना सकें। प्रत्येक लक्ष्य स्पष्ट और आंकने योग्य होना चाहिए, जिसका लक्ष्य यह होना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे। इसे प्राप्त करने के लिए, प्रगति की निगरानी को न्यूनतम निष्पादन समूहों की उपलब्ध्यिों से जांचा जाना चाहिए जिससे उनके बीच अंतर न्यूनतम हो।
सभी के लिए शिक्षा प्राप्त करने में सबसे बड़ी बाध पर्याप्तवित्त-पोषण न होना है। वर्ष 2015 तक सभी के लिएबेहतरीन बुनियादी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए धन की कमी26 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई है, जिससे प्रत्येकबच्चे को स्कूल तक पहुंचाने का लक्ष्य पहुंच से बाहर हो गया है।दुर्भाग्यवश, आने वाले वर्षों में दानदाताओं द्वारा सहायता को बढ़ानेकी बजाय कम किए जाने की अधिक संभावना है। जब तक कि
सहायता प(ति में बदलाव लाने के लिए तुरंत कार्रवाई नहीं कीजाती यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य कि स्कूल में प्रत्येक बच्चा2015 तक शिक्षा प्राप्त कर ले, खतरे में पड़ जाएगा। 2015 में अब बहुत थोड़ा वक्त बचा है, धन की कमी के अंतर को समाप्त करना असंभव प्रतीत होता है। लेकिन इस रिपोर्ट का विश्लेषण यह दर्शाता है कि इस कमी को अधिक घरेलू राजस्व जुटाकर, शिक्षा के लिए मौजूदा और अनुमानित सरकारी संसाधनों के पर्याप्त शेयर को समर्पित करके तथा बाहरी सहायता पर अधिक ध्यान केन्द्रित करके पूरा किया जा सकता है। यदि अपेक्षा के अनुसार 2015 के बाद शिक्षा के नए लक्ष्य निम्न माध्यमिक शिक्षा पर लागू किए जाते हैं तो वित्तीय कमी बढ़कर 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगी। वर्ष 2015 के बाद के ढांचे में स्पष्ट वित्तीय लक्ष्यों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें पूर्ण पारदर्शिता जरूरी होनी चाहिए ताकि सभी दानदाता अपनी प्रतिब(ता के लिए जवाबदेह हों, और वित्तीय कमी के कारण बच्चों के लिए किया गया हमारा वायदा अध्ूरा न रह जाए।
ईएफए से पिछड़ रहे कई देशों को शिक्षा पर अधिक खर्च करना चाहिए
हाल के वर्षों में शिक्षा पर विशेषकर निम्न और निम्न मध्यमआय वाले देशों में घरेलू खर्च बढ़ा है, जो आंशिक रूप सेआर्थिक विकास में सुधार के कारण हुआ है। शिक्षा पर सरकारीखर्च 1999 और 2011 के बीच औसतन सकल राष्ट्रीय उत्पाद;जीएनपीद्ध का 4.6: से बढ़कर 5.1: हो गया। निम्न औरमध्यम आय वाले देशों में यह तेजी से बढ़ाः इनमें से 30 देशों नेशिक्षा पर अपने खर्च को या 1999 और 2011 के बीच जीएनपी के एक प्रतिशत बिंदु तक या उससे अधिक के लिए बढ़ा दिया।
दुनिया भर में हुई संधियों और कानून दर्शाते हैं कि शिक्षा एक मूलभूत मानवाधिकार है। इसके अलावा शिक्षा ज्ञान और दक्षता प्रदान करती है और इसलिए यह अन्य विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए एक उत्प्रेरक बन गई है। शिक्षा गरीबी को कम करती है, रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देती है तथा आर्थिक समृद्धि का पोषण करती है। यह लोगों को स्वस्थ जीवन जीने का अवसर भी प्रदान करती है, लोकतंत्रा की जड़ों को
मजबूत करती है, तथा पर्यावरण को बचाती है और महिलाओं को अधिकार प्रदान करती है। विशेषकर लड़कियों और महिलाओं को शिक्षित करने में बेजोड़ परिवर्तनीय शक्ति होती है। इसके अलावा, शिक्षा उन्हें नौकरियां प्राप्त करने, स्वस्थ रहने तथा समाज में पूरी भागीदारी करने के अवसरों को बढ़ाती है। लड़कियों और युवतियों को शिक्षित करने से उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है तथा देश की जनसंख्या वृद्धि में स्थिरता आती है। शिक्षा का व्यापक लाभ प्राप्त करने और 2015 के बाद के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समानता लाने और इसे कम से कम निम्न माध्यमिक स्कूल तक बढ़ाने की आवश्यकता है। बच्चों को जो शिक्षा दी जाती है, वह अच्छी गुणवत्ता वाली होनी चाहिए ताकि वे वास्तव में बुनियादी शिक्षा प्राप्त कर सकें।
शिक्षा गरीबी को कम करती है तथा नौकरियों और विकास को बढ़ावा देती है।
शिक्षा लोगों को गरीबी से दूर रहने तथा गरीबी को पीढ़ियों तकबनाए रखने से रोकती है। यह लोगों को औपचारिक रोजगार उपलब्ध कराती है ताकि वे अधिक मजदूरी कमा सकें तथा उनलोगों को बेहतर आजीविका प्रदान करती है जो कृषि और शहरी अनौपचारिक क्षेत्रा में कार्य करते हैं। ईएफए वैश्विक निगरानी रिपोर्ट दल की गणना दर्शाती है कि यदि निम्न आय वाले देशों में सभी छात्रा बुनियादी शिक्षा औरदक्षता प्राप्त करने के बाद स्कूल छोड़ते हैं तो 171 मिलियन लोग गरीबी से ऊपर उठ जाएंगे जो विश्व गरीबी में 12: की कटौतीके बराबर होगा। शिक्षा द्वारा गरीबी को कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका यह है कि लोगों की आय को बढ़ायाजाए। विश्व स्तर पर, एक वर्ष तक स्कूल जाने से आय मेंऔसतन 10: की वृ(ि होती है।
शिक्षा स्वस्थ जीवन जीने के लिए लोगों के अवसरों में सुधार करती है।
शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य में सुधार करने का सबसे सशक्त माध्यम है। यह लाखों माताओं और बच्चों के जीवन को बचाती है,बीमारियों को रोकने और उन पर अंकुश लगाने में मदद करती है,और कुपोषण को कम करने का प्रयास करने में अनिवार्य घटकहोती है। शिक्षित लोग बीमारियों के बारे में अधिक जानकारी रखते हैं, वे उससे बचने का उपाय करते हैं, बीमारी के लक्षणों को शीघ्र पहचान लेते हैं और प्रायः स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का अधिक इस्तेमाल करते हैं। इसके फायदों के बावजूद शिक्षा की प्रायः महत्वपूर्ण स्वास्थ्य हस्तक्षेप तथा अन्य स्वास्थ्यहस्तक्षेपों को और अधिक प्रभावी बनाने के उपायों के रूप में उपेक्षा की जाती है।
बच्चों का जीवन बचाने के लिए उच्च स्तरीय शिक्षा बच्चों की मृत्यु को कम कर सकती है
शिक्षा स्वस्थ समाज को प्रोत्साहित करती है।
शिक्षा लोगों को लोकतंत्रा को समझने में मदद करती है,सहिष्णुता बढ़ाती है तथा उनमें विश्वास जगाती है, औरलोगों को राजनीति में भाग लेने के लिए प्रेरित करती है। शिक्षापर्यावरण में गिरावट को रोकने और उसके कारणों को सीमितकरने तथा जलवायु परिवर्तन लाने के प्रभावों में महत्वपूर्णभूमिका निभाती है। यह महिलाओं को भेदभाव सेनिपटने और उनके अधिकारों को पहचानने में भी सशक्तबनाती है।शिक्षा लोगों को राजनीति की समझ तथा इसमें कैसे भाग लियाजाए, में भी सुधार करती है। औपचारिक स्कूल शिक्षा प्राप्त न
करने वाले 12 उप-सहारा अप्रीकी देशों में 63: व्यक्तियोंको लोकतंत्रा की समझ थी, जिसकी तुलना में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त 71: व्यक्तियों तथा माध्यमिक शिक्षा प्राप्त 85:व्यक्तियों में लोकतंत्रा की समझ थी। च्च शिक्षा स्तर के लोग राजनीति में अधिक रुचि रखते हैं और इसलिए उनके द्वारा सूचना मांगने की अधिक संभावना रहती है।
शिक्षा कम आयु में विवाह और बच्चों को जन्म देने में कमी लाती है।
शिक्षा की गुणवत्ता पर कम ध्यान देना तथा उपेक्षित वर्ग तक पहुंच बनाने में असफल रहने ने शिक्षा का संकट पैदा कर दिया है जिस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत है। दुनिया भर में 250 मिलियन बच्चे जिनमें से अनेक उपेक्षित पृष्ठभूमि से थे - बुनियादी साक्षरता तथा संख्यात्मक दक्षता नहीं सीख रहे हैं, जिसके अभाव में वे आगे दक्षता प्राप्त नहीं कर पाएंगे जो अच्छा कार्य करने और बढ़िया जीवन जीने के लिए आवश्यक होती हैं। शिक्षा की समस्या का समाधन करने के लिए सभी बच्चों को ऐसे शिक्षक दिए जाने चाहिए जो प्रशिक्षित हों, प्रोत्साहित करने वाले हों और मन से पढ़ाएं, जो कमजोर छात्रों की पहचान कर सकें और उन्हें मदद दें, और जो सुप्रबंध्ति शिक्षा प्रणालियों का समर्थन करें। जैसा कि यह रिपोर्ट दर्शाती है, सरकारें शिक्षा उपलब्ध करा सकती हैं जबकि साथ ही यह भी सुनिश्चित कर सकती है कि शिक्षा
से सभी में सुधार हो। पर्याप्त रूप से वित्त-पोषित राष्ट्रीय शिक्षा में यह योजना बनाई गई है जिसका लक्ष्य स्पष्ट रूप से उपेक्षित लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि सुप्रशिक्षित शिक्षक उपलब्ध कराना नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिए। अच्छे शिक्षकों को आकर्षित करना तथा उन्हें बनाए रखना शिक्षा की समस्या को समाधन करने का एक उपाय है जिसके लिए नीति-निर्माताओं को काफी मशक्कत करनी होगी। खदेखें उदाहरण,। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी बच्चे शिक्षा प्राप्त करें, शिक्षकों को उपयुक्त पाठ्यक्रम तथा आकलन प्रणाली में सहायता दी जानी चाहिए जो प्रत्येक कक्षा में बच्चों की आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देता है, जब सबसे उपेक्षित वर्ग पर स्कूल छोड़ने का जोखिम हो। बुनियादी शिक्षा के बाद शिक्षकों द्वारा बच्चों को महत्वपूर्ण हस्तांतरणीय दक्षता प्राप्त करने में मदद करनी चाहिए ताकि उन्हें एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक बनने में मदद मिल सके।
वैश्विक शिक्षा संकटः तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता
दुनिया के 650 करोड़ प्राथमिक स्कूली बच्चों में से कम से कम250 मिलियन बच्चे पढ़ाई-लिखाई और गणित की बुनियादी शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहे हैं। इनमें से, लगभग 120 मिलियन बच्चों को प्राथमिक स्कूल का थोड़ा या कोई अनुभव नहीं है,जो कक्षा 4 तक नहीं पहुंच पाए हैं। शेष 130 मिलियन बच्चे प्राथमिक स्कूल में हैं लेकिन उन्होंने शिक्षा का कोई न्यूनतम बैंचमार्कप्राप्त नहीं किया है। प्रायः एक साधरण वाक्य न समझने वाले ये बच्चे माध्यमिक शिक्षा में जाने के लिए तैयारनहीं होते।शिक्षा प्राप्त करने को लेकर क्षेत्राों में व्यापक अंती है। उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में 96: बच्चे कक्षा 4 तक स्कूलमें जाते हैं और न्यूनतम पठन मानक प्राप्त करते हैं, जिसकी तुलना में यह प्रतिशत दक्षिण और पश्चिम एशिया में केवलएक-तिहाई तथा उप-सहारा अफ्रीका में दो/पांचवा हिस्सा है। इन दोनों क्षेत्राों में तीन-चौथाई से अधिक ऐसे बच्चे हैं जो न्यूनतम शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहे हैं।शिक्षा का संकट व्यापक है। नए विश्लेषण से पता चलता है किउपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 85 देशों में से 21 देशों में आधे सेकम बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनमें से 17 देश उप-सहाराअफ्रीका तथा अन्य भारत, मॉरिटानिया, मोरक्को और पाकिस्तान में हैं।
इस शिक्षा संकट से न केवल बच्चों की भावी आकांक्षाओं परकुठाराघात हुआ है, बल्कि सरकारों के वर्तमान वित्त-पोषण परभी प्रभाव पड़ा है। बुनियादी शिक्षा प्राप्त न करने वाले250 मिलियन बच्चों की लागत 129 बिलियन अमेरिकीडॉलर के बराबर है, या प्राथमिक शिक्षा पर वैश्विक खर्च का10: है।
शिक्षा योजनाओं में गुणवत्ता को कार्यनीति का उद्देश्य बनाया जाना चाहिए
विश्व स्तर पर शिक्षा के संकट से तब तक निपटा नहीं जासकता जब तक उपेक्षित वर्ग के लिए शिक्षा में सुधार नहीं किया जाता। इस रिपोर्ट में समीक्षा की गई 40 राष्ट्रीय शिक्षा योजनाओंमें से 26 में कार्यनीतिक उद्देश्य के रूप में शिक्षा के नतीजे कोसुधारे जाने की जरूरत है। हालांकि सभी 40 देशों की योजनाओं
में उपेक्षित समूह की आवश्यकताओं का कुछ हद तकसमाधन बताया गया है, शिक्षा का प्रायः विस्तार के आधर पर उप-उत्पाद के रूप में ही समाधन किया जाता है।सभी के लिए शिक्षा में सुधार करने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा योजनाओंमें शिक्षक प्रबंधन और गुणवत्ता में सुधार किया जाना चाहिए।40 योजनाओं में से केवल 17 योजनाओं में शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों में सुधार को शामिल किया गया है, तथा केवल 16योजनाओं में शिक्षक प्रशिक्षकों को आगे प्रशिक्षण देने कीपरिकल्पना की गई है। योजनाओं में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि शिक्षक कीगुणवत्ता में सुधार करने से शिक्षा के परिणाम बेहतर होंगे। केन्यामें, सेवाकालीन प्रशिक्षण का लक्ष्य अच्छा प्रदर्शन न करने वालेजिलों में प्राथमिक स्कूल छोड़ने वालों को स्कूल जाने के लिएप्रोत्साहित करना है। दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका ने शिक्षकों की भर्ती को गुणवत्ता और शिक्षा में सुधार के साथ जोड़ा है। सरकारों को उत्कृष्ट शिक्षकों को आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने के लिए उपयुक्त प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है।
स्त्रोत : ईएफए निगरानी रिपोर्ट,यूनेस्को
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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