अच्छी खबर यह है कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में जीने की दर स्वतंत्रता के समय 32 वर्ष थी इस समय बढ़कर 65 हो गई है तथा 2050 तक इसके 75 वर्ष होने की संभावना है।इसका दूसरा पक्ष यह है कि भारत दुनिया के सबसे युवा राष्ट्रों में से एक है लेकिन आने वाले दिनों में बुजुर्गों की संख्या भी बहुत बढ़ जायेगी। स्वाभाविक रूप से दुनिया के इस भाग में (जहाँ ‘पालने से लेकर कब्र तक’ सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली सामाजिक सुरक्षा प्रणली अभी पता नहीं कितने वर्ष दूर है और रहन-शान की लागत निरंतर बढती जा रही है। जन्में आप में से अधिकतर अपने बुढ़ापे में वित्तीय सुरक्षा के लिए कोई न कोई योजना बना रहे है। इस सन्दर्भ में कंस्यूमर बोक्स आपके के लिए ली है नेशनल सिस्टम (एनपीएस) का गठन विशलेषण जो सभी नागरिकों के लिए सेवानिवृत्त आप उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
पहली जनवरी 2004 का आरंभ, नेशनल पेंशन सिस्टम शुरू में सरकारी कर्मचारियों जो पहली जनवरी 2004 का या उसके बाद सरकारी सेवा में आये थे-सशस्त्र बलों को छोड़कर सबके लिए ही थी। उसके बाद, पहली मई, २००९ को, एनपीएस सभी नागरिकों के लिए खोज की गई। वे अब ऐच्छिक रूप से उस स्कीम में शामिल हो सकते हैं। एनपीएस या पेशन स्कीम है- जिसमें ग्राहक अपने चुने गए फंड में प्रत्येक महीने अपनी राशि का निवेश करेगा और सेवानिवृत्त के समय उस फंड के प्रवर्शन के आधार पर एकमुश्त राशि प्राप्त की जाने वाली अभिदान राशि सरकार द्वारा निर्धारित की जाती थी तथा समय-समय पर बढ़ती जाती थी (उसे पारिभाषित लाभ प्रणाली भी कहते) एनपीएस के तहत, सेवानिवृत्त के बाद व्यक्ति को अपनी मासिक पेंशन के लिए आपने संचित धन पर निर्भर रहना होगा। यह बुनियादी रूप से बाजार से जुडी व्यवस्थित ढांचे वाली निवेश स्कीम है। एनपीएस खाते अमुक मध्यस्थों के जरिए खोले जा सकते हैं जिन्हें उपस्थित बिंदु (पॉइंट ऑफ़ प्रेजेंस-पीओपी) कहा जाता है जो आमतौर से सेवा प्रदान करने वाली शाखाओं/कार्योलयों (बैंक और एनबीएफसी के ( के रूप में जाने जाते हैं। वे अभिदान प्राप्त करने के लिए भी अधिकृत हैं। ऐसा व्यक्तिगत अभिदान पेंशन फंड में जमा होता है| पीओपी की प्राथमिक भूमिका एनपीएस का विपणन करना तथा एनपीएसअभिदातों को सेवाएँ प्रदान करना है।
एनपीएस का नियमन कौन करता है
पेशन निधि विनियामक प्राधिकरण (पीएफआरदी ए) ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों और निजी वित्तीय संस्थानों सहित 58 संस्थानों को नागरिकों के एनपीएस खाते खोलने के लिए पीओपी के रूप में अधिकृत किया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसे निवेश पर अर्जित रिटर्न के आधार पर एनपीएस में राशि वर्षों में बढती और संचित होती है| इसलिए, यह समझा जाना चाहिए कि ऐसा रिटर्न पूरी तरह बाजार से संबंधित होता है।
एनपीएस स्कीम
एनपीएस निवेश दिशानिर्देशों के अनुसार पेशन निधि प्रंबंधक तीन अलग-अलग स्कीमों का प्रंबधन करते है, प्रत्येक विभिन्न परिसंपत्ति वर्ग में निवेश करती है। तटिन परिसंपत्ति वर्ग है- इविव्कटी (ई) सरकारी (जी) और क्रेडिट जोखिम-धारक नियत आय उपकरण (सी)
- ई वर्ग – यहाँ निवेश मुख्य रूप से इविक्टी में किया जाता है। फंड प्रबंधक इंडेक्स प फंड में निवेश करते हैं जो बीएसई सेंसेक्स या एनएसई निफ्टी 50 के पोर्टलोलियो की प्रतिकृति होते है।
- जी वर्ग – यहाँ निवेश भारत सरकार के ब्रांड और राज्य सरकार के बाउंड जैसे सरकारी प्रतिभूतियों में किया जाता है।
- सी वर्ग- यहाँ निवेश क्रेडिट जोखिम के साथ नियत-आय प्रतिभूतियों में किया जाता है सरकारी प्रतिभूतियों में किया जाता है।
सब्सस्क्राइबर के पास यह निर्णय करने का विकल्प होता है कि इन तीन परिसंपत्ति वर्गों में धन कैसे निवेश किया जाए। इसे ‘सक्रिय चुनाव कहते हैं। दूसरी तरफ, यदि सबस्क्राइबर किसी विकल्प का चूनाव नहीं करता, तो व अभिदान ऑटो चुनाव विकल्प के अनुरूप निवेश किया जाएगा। इस विकल्प में पहले से परिभाषित विकल्प होता है जिसमें 18 वर्ष की न्यूनतम प्रवेश आयु पर, आवंटन ई वर्ग में 50%, सी में 30% और जी में 20% होगा। यह अनुपात 36 वर्ष की आयु तक लागू होगा।
36 वर्ष की आयु से, ई और सी परिसंपत्ति वर्गों में महत्व कम हो जाता है तथा जी वर्ग में हर साल तब तक बढ़ता जाता है जब तक वह 55 वर्ष की आयु में ई में 10%, सी में 10% और जी में 80% तक नहीं पहुंच जाता ऑटो चुनाव विकल्प समय के साथ जाँची-परखी इस खुद के निर्णय पर आधारित होता है कि हलांकि इक्विटी लघु अवधि में जोखिम भरी होती है लेकिन दीर्धावधि में अन्य सभी परिसंपत्तिवर्गों का परास्त करती है।
कब निकालें?
- 60 वर्ष पर स्कीम से विद्यमान होने पर, सब्सक्राइबर एकमुश्त 60% राशि निकल सकता है, शेष 40% आजीवन वार्षिकी स्कीमों में निवेश की जानी चाहिये जो पेंशन के रूप में काम आएगी।
- अगर आप 60 वर्ष की आयु हासिल करने से पहले (वीआरएस लेकर या किसी अन्य कारण से) निकल जाते हैं तो आप प्रत्येक महीने वार्षिकी पेंशन के रूप में संचित पेंशन संपदा का 80% प्राप्त करेंगे जबकि पेंशन फंड की 20% राशि का भुगतान एकमुश्त किया जायेगा।
- सब्सक्राइबड अवधि के दौरान किसी समय सबस्क्राइबर की मृत्यु के दुर्भाग्यपूर्ण मामले में, समूची संचित पेंशन संपदा का भुगतान नॉमिनी/मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी को किया जाएगा। उसके बाद किसी वार्षिकी पेंशन का भुगतान नहीं किया जाएगा।
- पीएफआरडीए निश्चित शर्तों/विनियमों के विषयाधीन आंशिक निकासी पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 के तहत) भी उपलब्ध कराता है लेकिन वह राशि सबस्क्राइबर के लिए गये अभिदान के 25% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
एनपीएस कॉर्पोरेट मॉडल
दिसंबर 2011 में आरंभ, यह लचीले अभिदान के जरिए अपने कर्मचारियों को वृद्धावस्था सामजिक-सुरक्षा लाभ देने के लिए कॉपोरेट निकायों के लिए मंच उपलब्ध कराती है| यह मॉडल कर्मचारी भविष्य निधि (इपीएफ) और सुपरएन्यूएशन फंड (एसएएफ) जैसे अन्य सेवानिवृत्त पेशन स्कीमों के साथ चल सकती है।
इस मॉडल के तहत, कॉर्पोरेट समूह/कम्पनी (नियोक्ता) के पास उपस्थिति के बिंदु (वाणिज्यक बैंक और भारतीय डाक) पेंशन फंड (पीएफ) के साथ-साथ निवेश विकल्प (सक्रिय चयन सरकारी प्रतिभूतियों, असरकारी प्रतिभूतियों या इक्विटी इंस्ट्रूमेंट, ऑटो चयन लाइफ-साइकल फंड (पूर्व निर्धारित पोर्टपोलियो) चुनने का लचीलापन है। कॉर्पोरेट निकाय ऐसा चुनाव कर्मचारियों पर भी छोड़ सकता है।
एनपीएस प्राइवेट मॉडल
इस मॉडल के तहत, सबस्क्राइबर संगठित और असंगठित क्षेत्रों (स्व-रोजगार, कारोबारी और बिजनस मालिकों सहित) के हो सकते हैं इस मॉडल के तहत एनपीएस को एनआरआई भी खरीद सकते हैं।
जबकि इस खाते के संचालन की व्यवस्था कॉपोरेट मॉडल जिंतनी ही अच्छी है लेकिन, प्राइवेट मॉडल भी कुछ अतिरिक्त सुविधाएँ उपलब्ध कराता है।
1) वार्षिकी सेवा प्रदाता चुनना (एएसपी) सब्सक्राइबर एनपीएस से विद्यमान के समय वार्षिकी खरीदने के लिए सात मौजूदा जीवन बीमा कम्पनियों में से किसी के पास जा सकते हैं ।
2) सब्सक्राइबर वित्तीय वर्ष में एक बार अपने मौजूदा पेंशन फंड (पीएफ), निवेश विकल्प (सक्रिय या ऑटो चयन) के साथ-साथ आवंटन अनुपार (तीन परिसंपत्तिवर्गों में से किसी एक का आवंटन) को बदल सकता है।
पिछली बार स्वावलम्बन योजना की घोषणा भारत सरकार के आम बजट 2010-11 में की गई थी। इसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के व्यक्तियों को अपनी सेवानिवृत्त के लिए ऐच्छिक रूप से बचत करने के लिए प्रोत्साहित करना था। इस मॉडल के तहत, समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के व्यक्ति समाहर्ताओं (पीएफआरडीए की ओर से पहचाने गये राज्य सरकार के निकायों, सरकारी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, छोटे छोटे ऋण देने वाली संस्थाओं नॉन-बैंकिंग फाइनेस कपनियों और निजी क्षेत्र के सहित ग्रासरूट मध्यस्थों का समूह) के जरिए “समूहों में एनपीएस में शांमिल हो सकते हैं। यह मॉडल व्वंचित वर्गों को पेंशन संपदा की मुख्यधारा में लाता है।
इसशामिल के तहत, केंद्र सरकार सभी पात्र स्वावलम्बन खतों में प्रति खाता/सबस्क्राइबर 1000रूपये की अभिदान राशि जमा करती है जहाँ सबस्क्राइबर के अभिदान राशि 1,000 और 12,000 रूपये प्रति वर्ष के बीच हो। मासिक पेंशन 1,000 रूपये प्रति महीने से कम होने के मामले में प्रत्येक महीने देय एन्यूटी पेशन संचित संपदा का 100% होती है।
कई राज्यों सरकारों ने भवन एवं निर्माण कामगारों आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं और सहायकों तथा पहचाने गये व्यवसाय समूहों में सलग्न अन्य कामगारों की शामिल करने के लिए यह स्कीम आत्मसात की है। यह असंगठित क्षेत्र के कामगारों के ऐच्छिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने का विचार है।
करियर की संभावनाओं या स्थान बदलने के कारण अकसर काम बदलते रहने वालों के लिए, एनपीएस निर्बाध पोर्टेबिलिटी उपलब्ध कराती है। आप खाता जारी रख सकते हैं यह अपने नये नियोक्ता से खाते की व्यवस्था कर सकते हैं तथा स्थायी निर्बाध खाता नामक विशिष्ट पहचान संख्या के आधार पर निर्बाध सब्सक्रिप्शन सुनिश्चित कर सकते हैं। यह संख्या आपको केन्द्रीय अभिलेख अनुरक्षण एंजेसी (सीआरए) आवंटित करती है जो खाता खोलने के सभी प्रपत्र और अपने ग्राहक को जानिए केवाईसी इत्यादी सभी कागजात का अनुरक्षण करती है।
एनपीएस में निवेश कर, नियोक्ता (धारा 80 सीसीडी (२) के तहत और कर्मचारी (धारा 80 सीसीडी (1) के तहत दोनों हो अपने खाते की रकम पर आयकर छूट हासिल कर सकते हैं| कॉपोरेट पहली अप्रैल 201२ से प्रभावी आय का अधिनियम की धारा एनपीएस रकम के बिजनेस ब्यय के तौर पर स्वीकृत एनपीएस रकम के रूप में भी टैक्स राहत का दावा कर सकते हैं। कोई हबी 18 से 60 वर्ष के आयु के बीच का व्यक्ति प्रान खाता खोलने के लिए आवेदन कर सकता है। खाता खोंलने के लिए आवेदक को सिर्फ अपनी पंसद के पीओपी प्रदाता (निर्धारित बैंक की शाखा, एनबीएफसी इत्यादी) के यहाँ निर्धारित सबस्क्राइबर पंजीकरण प्रपत्र जमा कराना होता है। वैकल्पिक रूप से, पीएफआरडीए की बेवसाइट पर भी प्रपत्र अपलोड किये जा सकते है। प्रान आवेदक के लिए अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) कागजात (पहचान एवं निवास प्रमाण) आनिवार्य है।
शुल्क
खाता खोलने और सबस्क्राइब करने के लिए देय शुल्क निम्नलिखित है
सेवा शुल्क की प्रकृति |
देय राशि (रूपये में) |
को देय |
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एकमुश्त |
प्रतिवर्ष |
प्रति लेनदेन |
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सबस्क्राइबर पंजीकरण |
100 रूपये |
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पीओपी |
अभिदान राशि |
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0.25% |
पीओपी |
प्रान खाता खोंलने का शुल्क |
50 रुपये |
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सीआरए |
सीआरए अनुरक्षण |
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190 |
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सीआरए |
एसेट सेर्विसिंग |
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0.05% या 0.0075%(न्यूतनम रु. 20 और अधिकतम रु. 25,000) |
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स्टॉक होल्डिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एसएससीआईएल) |
निवेश प्रंबंधन शुल्क |
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0.01% |
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पेशन फंड |
सब्सक्रिप्शन जमा राशि नहीं कराने पर जुर्माना |
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100 |
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पीओपी |
न्यूनतम शेष नहीं रखने पर जुर्माना |
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100 |
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पीओपी |
दो प्रकार के खाते
एनपीएस दो प्रकार के खाते हैं टीयर 1, टीयर २
टीयर 1: यह खाता एनपीएस खाता खोंलने के लिए अनिवार्य है। इसमें साल में कम से कम 6,000 रूपये जमा कराना जरुरी है| अगर कोई एक बार में यह रकम जमा नहीं कर सकता तो वह प्रतिमाह 500 रुपये की किस्तों में भी यह अभिदान राशि जमा करा सकता है। इस अकाउंट से बीच में राशि नहीं निकाली जा सकती है। कुल जमा राशि के 60% का भुगतान राशि प्रतिमाह पेंशन के रूप में दी जायगी और शेष 40% प्रतिराशी प्रतिमाह पेंशन के रूप में दी जाएगी 60 वर्ष की आयु से पहले कोई व्यक्ति जमा अभिदान राशि का केवल 20% निकल सकता है अवधि पूरी होने से पहले निवेशक की मृत्यु होने की स्थिति में नामांकित व्यक्ति को एकमुश्त सारी रकम राशि मिल जाती है।
टीयर २: यह ऐच्छिक बचल सुविधा है लेकिन सेवानिवृत्त खाता नहीं है। यदि सबस्क्राइबर के पास टीयर 1 खाता नहीं हैं तो टीयर २ के तहत खाता नहीं खोला जा सकता। टीयर-२ अकाउंट का इस्तेमाल बचत खाते की तरह किया जा सकता है। न्यूनतम 1000 रूपये से यह खाता खोला जा सकता है और एक बार में न्यूतनम 250 रूपये जमा कराए जा सकते हैं। साल के अंत में, निवेशक के अकाउंट से कम से कम 2000 रूपये होने चाहिए।
परिसंपत्ति वर्ग |
स्कीम |
किस दिनाक से प्रभावी |
रिटर्न्स (सीए जी आर%) (आरंभ से) |
सरकारी स्कीमें |
केंद्र सरकार राज्य सरकार |
1 अप्रैल 2008 25 जून 2009 |
9.10 8.59 |
निजी क्षेत्र की स्कीमें |
इक्विटी (1 और २) कोर्पों ऋण (1 और २) सरकारी प्रतिभूतियां (1 और २) |
1 मई 2009 1 मई 2009 1 मई 2009 |
9.20 10.53 7.93 |
शिकायत समाधान व्यवस्था (जीआरएम्) भलीभांति परिभाषित है तथा एनपीएस और पेशन स्कीमों के विविध मध्यस्थ इनका पालन करते हैं। यह व्यवस्था निम्नलिखित उपलब्ध कराती है।
1) शिकायतों के समाधान के लिए निर्धारित समय सीमाएं
2) लोकपाल की नियुक्तियां
3) जुर्माने का प्रावधान
एनपीएस में बहुस्तरीय जीआरएम् है जो केन्द्रीय अभिलेख अनुरक्षण एजेंसी में केन्द्रित है कॉल सेंटर/इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पनोंस सिस्टम (आइवीआरएस), वैब-आधारित इंटरफेस, लिखित शिकायत इत्यादी के जरिए इससे संपर्क किया जा सकता अहि| शिकायतें केन्द्रीय शिकायत निगरानी पद्धति (सीजीएएम्एस) के जरिए भी दर्ज कराई जा सकती है। जिसका अनुरक्षण सीआरए करता है। सबस्क्राइबर सीआरए की वेबसाइट www.cransdl.co.in पर अपनी शिकायत की स्थिति की जाँच (पद्धति के जरिए आवंटित टोकन नबर के माध्यम से) कर सकता है अथवा 18000-222-080 पर कॉल सेंटर के जरिये अथवा निम्नलिखित पते के जरिए जानकारी हासिल कर सकता है:
एनएसडीए ई-शासन अवसंरचना लिमिटेड, प्रथम तल, टाइम्स टावर, कमला मिल्स कंपाउंड, सेनापति बापट मार्ग, लोअर परेल, मुबई-400013 बेवसाइट:www.npscra.sdl.co.in
यदि सबस्क्राइबर को 30 दिन के अंदर जवाब नहीं मिलता या वह सीआरए के समाधान से संतुष्ट नहीं है तो वह पीएफआरडीए के शिकायत समाधान प्रकोष्ठ (जीआरसी) में आवेदन कर सकता है। पीएफआरडीए प्रयत्क्ष रूप से भी अपने शिकायत समाधान प्रकोष्ठ में शिकायतों पर विचार करता है।
पीएफआरडीए शिकायत समाधान प्रकोष्ठ, प्रथम तल, आईसीएडीआर बिल्डिंग, नई दिल्ली-110070
निकासी का दावा दर्ज करने के लिए, सबस्क्राइबर एनपीएस दावा प्रोसेसिंग सेल के मुबई कार्यालय में अनुरोध कर सकता है:
दावा प्रोसेसिंग सेल, केन्द्रीय अभिलेख अनुरक्षण एजेसी, एनएसडीएल, चौथा तल, ए विंग ट्रेड वर्ल्ड, कमला मिल्स कंपाउंड, सेनापति बापट मार्ग, लोअर परेल, मुंबई-400013 फोन न. 022- 24994512/24994862/24994200
क्या है एन.पी.एस
एन.पी.एस (नेशनल पेंशन सिस्टम) : यह सरकार की, समाज में असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए पेंशन की योजना है|
प्रमानेनेंट रिटायर्मेंट अकाउंट नबंर (प्रान) एन.पी.एस में खुलने वाले खाते में प्रमानेनेंट रिटायर्मेंट अकाउंट नबंर(प्रान) कहते हैं और खाता धारक को एक प्रमाण कार्ड मिलता है।
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण
आम जनता को नेशनल पेंशन सिस्टम के बारे में अह्दिक जागरूक बनाने के लिए, पीएफआरडीए भारत भर में मौजूदा और संभावित सबस्क्राइबर के लिए सीआरए के जरिए सबस्क्राइबर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है। साथ ही, विभिन्न कर्मियों और एनपीएस के हितधारकों के लिए एनपीएस ओपरेशन के बारे में आवधिक प्रशिक्षण मोड्यूल और कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती है।
सबस्क्राइबर के हितों के संरक्षण के लिए, पीएफआरडीए, अधिनियम अनुदान, दान जुर्मानों इत्यादी के लिए सबस्क्राइबर शिक्षा एंव संरक्षण निधि (एसइपीएफ) की स्थापना भी उपलब्ध कराता है। यह फंड सब्सक्राईबरों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
स्रोत: उपभोक्ता कार्यों के मंत्रालय, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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