वित्त मंत्री अरूण जेटली ने लोकसभा में 17,94,892 करोड़ की कुल व्यय का बजट प्रस्तुत किया । इसमें से 5,75,000 करोड़ रूपए योजना के लिए 12,19,892 करोड़ रूपए गैर योजना व्यय के हैं ।
योजना व्यय में पिछले वित्त के मुकाबले 26.9 फीसदी का इजाफा किया गया है । दूसरी तरफ सकल कर प्राप्तियां 13,16,524 करोड़ रूपए रहने का अनुमान है । इसमें से राज्यों का हिस्सा निकाल दें तो केंद्र को 9,77,258 करोड़ रूपए मिलेगें, गैर कर राजस्व 2,12,505 करोड़ रहने का अनुमान है । इसके अलावा, उधारी की छोड़कर पूँजी प्राप्ति 73,952 करोड़ करोड़ रूपए रखी गयी है । इस प्रकार राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.1 फीसदी रहने का अनुमान है । 2014-15 के अपने अंतरिम बजट में यूपीए सरकार ने भी राजकोषीय घाटा इसी स्तर पर रखने का लक्ष्य रखा था । श्री जेटली ने कहा कि मैं अंतरिम बजट में तय सीमा में ही घाटे को सीमित करने के लक्ष्य पर काम करूंगा । इसे साहसिक कदम ही माना जाना चाहिए, खासकर तब जब इस घाटे की राशि का लगभग आधा खर्च हो चुका हो । लेकिन सफलता इस बात पर निर्भर करेगी की राजकोषीय घाटे को इस सीमा में रखने का तरीका क्या होगा और उसे कितने प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है । वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा की पहले ही बजट से उम्मीदें पाल लेना ठीक नहीं है लेकिन अगले तीन-चार साल में विकास दर 7- 8 फीसदी के स्तर पर पहूँचाने की हमारी कोशिश रहेगी । यह समझा जा रहा था कि केंद्र की मोदी सरकार पिछले चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत का इस्तेमाल 1991 में शुरू किये गए बाजार सुधारों की तर्ज पर कुछ क्रांतिकारी कदम उठाने के लिए करेगी जिससे देश की अर्थव्यवस्था फिर से उच्च विकास दर से आगे बढ़ने लगे । लेकिन पिछले दो सालों से चले आ रहे आर्थिक निराशा के माहौल से उबारने के लिए बजट में वित्त मंत्री निवेशकों को आश्वस्थ करने की कोशिश की, कि उनको सहूलियतें दी जाएँगी । बजट में 8 फीसदी व्यय वृद्धि की घोषणा की गयी है । वित्त मंत्री ने सार्वजनिक इकाइयों में इस वित्त वर्ष के दौरान 2,47,941 करोड़ रूपए के विनिवेश की घोषणा की ।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोदी सरकार का बज – वर्ड बनकर उभर रहा है । रेल बजट में कई योजनाएँ पीपीपी के जरिए लागू करने की घोषणा हुए थी तो आम बजट में पीपीपी के लिए 500 करोड़ रूपए से एक संस्था ही गठित करने की घोषणा की गयी जो इस विभिन्न परियोजनाओं के लिए पीपीपी को मुख्यधारा में लाने का काम करेगी । सब्सिडी पर वित्त मंत्री ने सिर्फ यह कहा की इसे टारगेटेड किया जायेगा लेकिन कैसे, इसका कोई रोडमैप नहीं बताया । अलबत्ता, उन्होंने उर्वरक सब्सिडी बढ़ाने और डीजल सब्सिडी को अभी लागू रखे जाने की घोषणा की । उन्होंने कहा की यूरिया की मूल्य निर्धारण प्रणाली में सुधार किया जायेगा । खनिजों की रायल्टी दरें भी इस साल संशोधित की जाएगी, पेट्रोलियम सब्सिडी को खत्म करने का भी कोई खाका बजट में नहीं दिया गया । इस सेक्टर में 15,000 किमी के लिए गैस ग्रिड निर्माण की घोषणा की गयी हैं ।
वित्त मंत्री ने रक्षा और इंश्योरेंस के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने की घोषणा की जो विदेशी निवेशकों की अपेक्षा के मुकाबले कम ही है । इसके साथ ही रक्षा आवंटन भी बढ़ाकर 2,29,000 करोड़ रूपए कर दिया गया है । एक और खास बात इस बजट में देखी गयी और वह है विनेहरूकरण की शूरूआत । इस बजट में नयी योजनाओं के नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, जयप्रकाश नारायण व मदन मालवीय के नाम पर रखे गये हैं ।
सस्ता – साधारण कलर टीवी , 19 इंच के एलइडी व एलसीडी , लैपटॉप व टैबलेट, मोबाइल फोन, खेल के दस्ताने, छोटी जीवन बीमा पालिसियां, 500 से 1000 रूपए तक के जूते, स्टील का सामान, फ़ूड प्रोसेसिंग मशीनरी, डिब्बाबंद खाना, विदेशी ऊर्जा यंत्र, पवन ऊर्जा यंत्र, हीरे और कीमती पत्थर, तेल उत्पाद, एचाईवी एड्स ड्रग्स एंड डोमेस्टिक लैब, आर.ओ. वाटर प्योरीफायर, इ-बुक रीडर्स, माचिस, ब्रांडेड पेट्रोल ।
महंगा- सिगरेट, गुटखा व पान मसाला, तम्बाकू, कोल्ड ड्रिंक, रेडियो टैक्सी, क्लीन एनर्जी सेस, कोयला, बाक्साइट, अधकटे हीरे, आयानित इलेक्ट्रोनिक सामान, पोर्टेबल एक्स-रे मशीन ।
स्त्रोत: इंटरनेट, दैनिक समाचारपत्र
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस पृष्ठ में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के ...