झारखण्ड के निवासियों के लिए नृत्य, गीत और संगीत प्राण हैं। सब में कई प्रकार के वाद्यों का प्रयोग होता है। विभिन्न प्रकार के गीत-संगीत, नृत्य, उत्सव, पर्व तथा त्योहार आदि पर ये वाद्य बजाए जाते हैं। ये वाद्य यंत्र झारखण्ड की संस्कृति की प्रमुख पहचान हैं।
झारखण्ड में चारों प्रकार के वाद्य पाये जाते हैं। तंतु वाद्यों में तांत या तारों से आवाज निकलती है। उंगली, कमानी या लकड़ी के आघात से बजाये जाने वाले इन वाद्यों में केंदरी, एक तारा या गुपी यंत्र, सारंगी, टुईला और भूआंग झारखण्ड में मुख्य हैं और लोकप्रिय भी। उन्हें गीतों के साथ बजाया जाता है और उनसे धुनें भी बनायी जाती हैं। इसकी वादन शैली कठिन है। इसलिए यह आम वाद्य नहीं है। हालांकि यह भी स्वर प्रधान वाद्य है।
स्त्रोत एवं सामग्रीदाता : संवाद
अंतिम बार संशोधित : 11/18/2019
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