(1) इस अधिनियम के अधीन बालकों के पुनर्वास और समाज में मिलाने की प्रक्रिया का जिम्मा बालक की व्यष्टिक देखरेख योजना के आधार पर अधिमानत; कुटुंब आधारित देखरेख के माध्यम से, जैसे पर्यवेक्षण या प्रवर्तकता या दत्तक ग्रहण या पोषण देखरेख के साथ या उसके बिना कुटुंब या संरक्षक को प्रत्यावर्तन द्वारा किया जाएगा;
परंतु संस्थागत या गैर-संस्थागत देखरेख में रखे गए सहोदरों को तब तक एक साथ रखने का प्रयास किया जाएगा जब तक कि उनको एक साथ रखा जाना उनके सर्वोत्तम हित में हो।
(2) विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों के लिए, पुनर्वास और समाज में मिलाने की प्रक्रिया का जिम्मा, यदि बालक को जमानत पर नहीं छोड़ा जाता है तो संप्रेक्षण गृहों में या यदि बोर्ड के आदेश द्वारा उन्हें वहां रखा है तो विशेष गृहों में या सुरक्षित स्थानों में या उचित सुविधा तंत्र या किसी योग्य व्यक्ति के साथ रखकर लिया जाएगा।
(3) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले ऐसे बालक, जो किसी कारण से कुटुंब के साथ नहीं रखे गए हैं, इस अधिनियम के अधीन ऐसे बालकों के लिए रजिस्ट्रीकृत किसी संस्था में या किसी योग्य व्यक्ति के साथ या उपयुक्त सुविधा तंत्र में अस्थायी या दीर्घकालिक आधार पर रखे जा सकेंगे और जहां कहीं बालक को इस प्रकार रखा जाता है वहां पुनर्वास और समाज में मिलाने की प्रक्रिया का जिम्मा लिया जाएगा।
(4) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले ऐसे बालकों को, जो संस्थागत देखरेख को छोड़ रहे हैं या विधि का उल्लंघन करने वाले ऐसे बालकों को, जो अठारह वर्ष की आयु प्राप्त करने पर विशेष गृहों या सुरक्षित स्थान को छोड़ रहे हैं, समाज की मुख्य धारा में पुन; लाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए धारा 46 के अधीन यथाविनिर्दिष्ट वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकेगी।
देखरेख और संरक्षण को आवश्यकता वाले किसी बालक का प्रत्यावर्तन
40. (1) किसी बालक का प्रत्यावर्तन और संरक्षण, किसी भी बाल–गृह, विशिष्ट दत्तकग्रहण अभिकरण या खुले आश्रय का प्राथमिक उद्देश्य होगा।
(2) यथास्थिति, बाल–गृह, विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण या खुला आश्रय एस उपाय करेगा जो किसी कौटुंबिक वातावरण से वंचित बालक की, जहां ऐसा बालक अस्थायी रूप से या स्थायी रूप से उनकी देखरेख और संरक्षण में है, प्रत्यावर्तन और संरक्षण के लिए आवश्यक समझे जाएं।
(3) समिति को, देखरेख और संरक्षण को आवश्यकता वाले किसी बालक को, यथास्थिति, उसके माता-पिता, संरक्षक या योग्य व्यक्ति को उस बालक की देखरेख करने की उपयुक्तता अवधारित करने के पश्चात्, उसके माता-पिता, संरक्षक या योग्य व्यक्ति को प्रत्यावर्तित करने की और उन्हें यथोचित निदेश देने की शक्ति होगी।
स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिए, 'किसी बालक का प्रत्यावर्तन और संरक्षण' से
(क) माता-पिता;
(ख) दत्तक माता-पिता;
(ग) पोषक माता-पिता;
(घ) संरक्षक;
(ड.)योग्य व्यक्ति
को प्रत्यावर्तन अभिप्रेत है।
(1) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी सभी ऐसी संस्थाओं को, चाहे वे राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही हो या स्वैच्छिक अथवा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा चलाई जा रही हों, जो पूर्णत; या भागत; देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों या विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों को रखने के लिए आशयित हैं, इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से छह मास की अवधि के भीतर, इस बात पर ध्यान दिए बिना कि वे, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त कर रही हैं या नहीं, रजिस्टर किया जाएगा;
परंतु इस अधिनियम के प्रारंभ की तरीख को किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण)
2000 का 56 अधिनियम, 2000 के अधीन विधिमान्य रजिस्ट्रीकरण रखने वाली संस्थाओं को, इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत किया गया समझा जाएगा।
(2) इस धारा के अधीन रजिस्ट्रीकरण के समय राज्य सरकार, संस्था की क्षमता और प्रयोजन को अवधारित और अभिलिखित करेगी तथा संस्था को, यथास्थिति, किसी बाल-गृह या खुला आश्रय या विशिष्ट दत्तकग्रहण अभिकरण या संप्रेक्षण गृह या विशेष गृह या सुरक्षित स्थान के रूप में रजिस्ट्रीकृत करेगी।
(3) देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों या विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों को रखने वाली किसी विद्यमान या नई संस्था से उपधारा (1) के अधीन रजिस्ट्रीकरण का आवेदन प्राप्त होने पर राज्य सरकार ऐसी संस्था को इस अधिनियम के क्षेत्राधीन लाने के लिए आवेदन प्राप्ति की तारीख से एक मास के भीतर अधिकतम छह मास की अवधि के लिए अनंतिम रजिस्ट्रीकरण मंजूर कर सकेगी और ऐसे गृह की क्षमता अवधारित करेगी, जिसे रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में वर्णित किया जाएगा;
परंतु यदि उक्त संस्था उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर रजिस्ट्रीकरण के लिए विहित मानदंडों को पूरा नहीं करती है तो अनंतिम रजिस्ट्रीकरण रद्द हो जाएगा और उपधारा (5) के उपबंध लागू होंगे।
(4) यदि राज्य सरकार, आवेदन की तारीख से एक मास के भीतर कोई अनंतिम रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र जारी नहीं करती है, तो रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन की प्राप्ति के सबूत को किसी संस्था को छह मास की अधिकतम अवधि के लिए चलाने हेतु अनंतिम रजिस्ट्रीकरण समझा जाएगा।
(5) यदि रजिस्ट्रीकरण का आवेदन, किसी राज्य सरकार के किसी अधिकारी या किन्हीं अधिकारियों द्वारा छह मास के भीतर निपटाया नहीं जाता है तो उनके उच्चतर नियंत्रक प्राधिकारियों द्वारा उसे उनकी ओर से कर्तव्य की अवहेलना के रूप में लिया जाएगा और समुचित विभागीय कार्यवाहियां आरंभ की जाएंगी।
(6) किसी संस्था के रजिस्ट्रीकरण की अवधि पांच वर्ष की होगी और उनका प्रत्येक पांच वर्ष में नवीकरण किया जाएगा।
(7) राज्य सरकार ऐसी प्रक्रिया का, जो विहित की जाए, अनुसरण करने के पश्चात् ऐसी संस्थाओं के, जो धारा 53 में यथाविनिर्दिष्ट पुनर्वासन और पुन; मिलाने की सेवाएं प्रदान करने में असफल रहती हैं, रजिस्ट्रीकरण को, यथास्थिति, रद्द या विधारित कर सकेगी और किसी संस्था के रजिस्ट्रीकरण को नवीकृत या मंजूर किए जाने तक, राज्य सरकार संस्था का प्रबंध करेगी।
(8) इस धारा के अधीन रजिस्ट्रीकृत कोई भी बाल देखरेख संस्था, जैसा कि समिति द्वारा निदेश दिया जाए, संस्था की क्षमता के अधीन रहते हुए कर्तव्यबद्ध होगी, चाहे वह, यथास्थिति, केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त कर रही हों या नहीं।
(9) तत्समय प्रवक्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, धारा 54 के अधीन नियुक्त निरीक्षण समिति को बालक रखने वाली किसी संस्था का, भले ही वह इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत न भी हो, इस बात का अवधारण करने के लिए कि क्या ऐसी संस्था देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों को रख रही है, निरीक्षण करने की शक्ति होगी।
देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों और विधि का उल्लंघन करने वाले बालकों को रखने वाली किसी संस्था के भारसाधक किसी व्यक्ति या किन्हीं व्यक्तियों को, जो धारा 41 की उपधारा (1) के उपबंधों का अनुपालन करने में असफल रहता है या रहते हैं, ऐसे कारावास से, जो एक वर्ष तक हो सकेगा या एक लाख रुपए से अन्यून के जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा;
परंतु रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन करने में प्रत्येक तीस दिन के विलंब को एक पृथक अपराध माना जाएगा।
(1) राज्य सरकार, स्वयं या स्वैच्छिक अथवा गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से उतने खुले आश्रय स्थापित कर सकेगी और उनका रखरखाव कर सकेगी, जितने अपेक्षित हों और ऐसे खुले आश्रय का ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, उस रूप में रजिस्टर किया जाएगा।
(2)उपधारा (1)में निर्दिष्ट खुले आश्रम, आवासिक सहायता की आवश्यकता वाले बालकों के लिए अल्पकालिक आधार पर ऐसे बालकों के साथ दुर्व्यवहार करने या बलाहर वचन से संरक्षण या उन्हें सड़कों पर निराश्रित छोड़े जाने से बचाने के उद्देश्य से समुदाय आधारित सुविधा के रूप में कार्य करेंगें I
(3) खुले आश्रय प्रत्येक मास ऐसी रीति में, जो विहित की जाय, आश्रय की सेवा का लाभ उठाने वाले बालकों के बाबत जिला बालक संरक्षण एकक और समिति की सुचना भेजेंगें I
(4)राज्य सरकार, बालकों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए, निरिक्षण की ऐसी प्रक्रिया का अनुसरण करने के पश्चात्, जो विहित की जाय, जिला बाल संरक्षण एकक के माध्यम से ऐसी पोषण देखरेख के लिए बालकों की संख्या को ध्यान में रखकर मासिक वित्त पोषण प्रदान करेगीI
(5) उन दशाओं में, जहाँ बालक इस कारण से पोषण देखरेख में रखे गए है कि उनके माता-पिता बालक की देखरेख करने के लिए समिति द्वारा अयोग्य या असमर्थ पाए गए हैं, वहां बालक के माता-पिता नियमित अंतरालों पर पोषक कुटुंब में बालक से तब तक मिल सकेंगें जब तक समिति, उसके लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से यह अनुभव न करे कि ऐसे मिलना बालक के सर्वोत्तम हित में नहीं है; और समिति द्वारा एक बार माता-पिता को बालक की देखरेख करने के योग्य अवधारित करने पर अंततः बालक माता-पिता के घर वापस जा सकेगा I
(6) पोषक कुटुंब, बालक को शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होगा और वह बालक का ऐसी रीति में समग्र कल्याण सुनिश्चित करेगा जो विहित की जाये I
(7) राज्य सरकार, ऐसी प्रक्रिया, मानदंड और रीति को, जिसमें बालक को पोषण देखरेख सेवाएँ प्रदान की जायेगी, परिभाषित करने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी I
(8) समिति द्वारा बालक के कल्याण की जाँच करने के लिए ऐसे प्ररूप में, जो विहित किया जाये, प्रत्येक मास पोषक कुटुंबों का निरीक्षण किया जायेगा और जब कभी किसी पोषक कुटुंब द्वारा बालक की देखरेख करने में कमी पाई जाती है तो बालक को उस पोषक कुटुंब से हटा दिया जायेगा और किसी दूसरे ऐसे पोषक कुटुंब में भेज दिया जायेगा जो समिति उचित समझे I
(9)ऐसे किसी बालक को, जिसे समिति द्वारा दत्तक ग्रहण योग्य पाया जाता है, दीर्घकालीन पोषण देखरेख के लिए नहीं दिया जायेगा I
(1) राज्य सरकार, व्यष्टिक से व्यष्टिक प्रवर्तकता, सामूहिक प्रवर्तकता या सामुदायिक प्रवर्तकता जैसी बालकों की प्रवर्तकता के विभिन्न कार्यक्रम का जिम्मा लेने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी I
(2) प्रवर्तकता के मानदंडों के अंतर्गत निम्नलिखित होंगें –
(i) जहाँ माता विधवा या विछिन्न विवाह स्त्री या कुटुम्ब द्वारा परित्यक्ता है;
(ii) जहां बालक अनाथ हैं और विस्तारित कुटुंब के साथ रह रहे हैं;
(iii) जहां माता-पिता जीवन के लिए संकटमय रोग से पीड़ित हैं;
(iv) जहां माता-पिता दुर्घटना के कारण अशक्त हो गए हैं और बालकों की वित्तीय और शारीरिक दोनों प्रकार से देखरेख करने में असमर्थ हैं।
(3) प्रवर्तकता की अवधि ऐसी होगी जो विहित की जाए।
(4) प्रवर्तकता कार्यक्रम द्वारा बालकों के जीवन स्तर में सुधार लाने की दृष्टि से उनकी चिकित्सा, पोषण, शिक्षा संबंधी और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुटुंबों, बाल-गृहों और विशेष गृहों को अनुपूरक सहायता प्रदान की जा सकेगी।
किसी बालक के अठारह वर्ष आयु पूरी करने पर किसी बालक देखरेख संस्था को छोड़ने पर बालक को समाज की मुख्य धारा में पुन; लाने को सुकर बनाने के लिए ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकेगी।
(1) राज्य सरकार, स्वयं या स्वैच्छिक अथवा गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से प्रत्येक जिले या जिलों के समूह में संप्रेक्षण गृह स्थापित करेगी और उनका रखरखाव करेगी जिन्हें इस अधिनियम के अधीन किसी जांच के लंबित रहने के दौरान विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित किसी बालक को अस्थायी रूप से रखने, उसकी देखरेख और पुनर्वास के लिए इस अधिनियम की धारा 41 के अधीन रजिस्ट्रीकृत किया जाएगा।
(2) जहां राज्य सरकार की यह राय है कि उपधारा (1) के अधीन स्थापित या अनुरक्षित किसी
गृह से भिन्न कोई रजिस्ट्रीकृत संस्था, इस अधिनियम के अधीन किसी जांच के लंबित रहने के दौरान विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित ऐसे बालक को अस्थायी रूप से रखने के योग्य है, तो वह इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए ऐसी संस्था को संप्रेक्षण गृह के रूप में रजिस्ट्रीकृत कर सकेगी।
(3) राज्य सरकार, इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा संप्रेक्षण गृहों के प्रबंध और
मानीटरी के लिए उपबंध कर सकेगी, जिसके अंतर्गत विधि का उल्लंघन करने के अभिकथित किसी बालक के पुनर्वास और उसको समाज में मिलाने के लिए उनके द्वारा दी गई सेवाओं का स्तर और विभिन्न किस्में तथा ऐसी परिस्थितियां, जिनके अधीन और वह रीति जिसमें किसी संप्रेक्षण गृह का रजिस्ट्रीकरण मंजूर किया और वापस लिया जा सकेगा, भी हैं।
(4) विधि का उल्लंघन करने के लिए अभिकथित प्रत्येक ऐसे बालक को, जो माता-पिता या संरक्षक के भारसाधन में नहीं रखा जाता है और किस संप्रेक्षण गृह में भेजा जाता है, बालक की शारीरिक और मानसिक प्रास्थिति और कारित अपराध की कोटि पर सम्यक विचार करने के पश्चात् बालक की आयु और लिंग के अनुसार उसे अलग रखा जाएगा।
(1) राज्य सरकार, प्रत्येक जिले या जिलों के समूह में, जो विधि का उल्लंघन करने वाले ऐसे बालकों के पुनर्वास के लिए अपेक्षित हों, जिनके बारे में यह पाया गया है कि उन्होंने अपराध किया है और जो किशोर न्याय बोर्ड के धारा 18 के अधीन किये गए आदेश द्वारा वहां पर रखे गए हैं, स्वयं या स्वैच्छिक अथवा गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से विशेष गृह स्थापित कर सकेगी और उनका रखरखाव कर सकेगी, जो उस रूप में ऐसी रीति में रजिस्ट्रीकृत किए जाएंगे, जो विहित की जाए।
(2) राज्य सरकार, विशेष गृहों के प्रबंध और मानीटरी के लिए नियमों द्वारा उपबंध कर सकेगी, जिसके अंतर्गत उनके द्वारा दी गई सेवाओं के स्तर और विभिन्न किस्में, जो किसी बालक को समाज में पुन; मिलाने के लिए आवश्यक हैं और वे परिस्थितियां, जिनके अधीन और वह रीति जिसमें किस विशेष गृह का रजिस्ट्रीकरण मंजूर किया और वापस लिया जा सकेगा, भी हैं।
(3) उपधारा (2) के अधीन बनाए गए नियमों में विधि का उल्लंघन करते पाए गए बालकों की आयु, लिंग, उनके द्वारा कारित अपराध की प्रकृति और बालक की मानसिक और शारीरिक परिस्थिति के आधार पर उन्हें विलग और पृथक रखने के उपबंध भी किए जा सकेंगे।
(1) राज्य सरकार, किसी राज्य में धारा 41 के अधीन रजिस्ट्रीकृत कम से कम एक सुरक्षित स्थान की स्थापना करेगी जिससे अठारह वर्ष से अधिक आयु के किसी व्यक्ति को या विधि का उल्लंघन करने वाले किसी बालक को, जो सोलह से अठारह वर्ष की आयु के बीच का है और कोई जघन्य अपराध कारित करने का अभियुक्त है या सिद्धदोष ठहराया गया है, रखा जा सके।
(2) प्रत्येक सुरक्षित स्थान में जांच की प्रक्रिया के दौरान ऐसे बालकों या व्यक्तियों के और क अपराध कारित करने के दोषसिद्ध बालकों या व्यक्तियों के ठहरने के लिए अलग प्रबंध और सुविधाएं होंगी।
(3) राज्य सरकार, नियमों द्वारा उस प्रकार के स्थानों को, जिन्हें उपधारा (1) के अधीन सुरक्षित स्थान के रूप में अभिहित किया जा सकता है और उन सुविधाओं और सेवाओं को, जिनका उसमें उपबंध किया जाए, विहित कर सकेगी।
(1) राज्य सरकार प्रत्येक जिले या जिलों के समूह में स्वयं या स्वैच्छिक अथवा गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से ऐसे बाल गृह स्थापित कर सकेगी और उनका रखरखाव कर सकेगी, जिन्हें बालकों की देखरेख, उपचार, शिक्षा, प्रशिक्षण, विकास और पुनर्वास के लिए देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों को रखने के लिए उस रूप में रजिस्ट्रीकृत किया जाएगा।
(2) राज्य सरकार, किसी बाल गृह को, विशेष आवश्यकताओं वाले बालकों के लिए ऐसे उपयुक्त गृह के रूप में अभिहित कर सकेगी, जो आवश्यकता पर निर्भर करते हुए विशिष्ट सेवाएं प्रदान करता है।
(3) राज्य सरकार, नियमों द्वारा बाल गृहों की मानीटरी और प्रबंध का उपबंध कर सकेगी, जिसके अंतर्गत प्रत्येक बालक के लिए व्यष्टिक देखरेख योजना के आधार पर उनके द्वारा प्रदत्त की जाने वाली सेवाओं का स्तर और प्रकृति भी है।
(1) बोर्ड या समिति, तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत किसी सरकारी संगठन या स्वैच्छिक अथवा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे किसी सुविधा तंत्र और बालक की देखरख करने वाले सुविधा तंत्र और संगठन की उपयुक्तता की बाबत सम्यक जांच के पश्चात् किसी विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए किसी बालक का अस्थायी रूप से उत्तरदायित्व लेने के योग्य होने की मान्यता ऐसी रीति में प्रदान करेगी जो विहित की जाए।
(2) बोर्ड या समिति उपधारा (1) के अधीन प्रदान की गई मान्यता को लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से वापस ले सकेगी।
(1) बोर्ड या समिति, किसी बालक की देखरेख, संरक्षण और उपचार के लिए किसी विनिर्दिष्ट अवधि के लिए और ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, किसी बालक को अस्थायी रूप से लेने के लिए किसी व्यक्ति को उसके प्रत्यय पत्र के सम्यक सत्यापन के पश्चात् योग्य व्यक्ति के रूप में मान्यता प्रदान करेगी।
(2) यथास्थिति, बोर्ड या समिति, उपधारा (1) के अधीन प्रदान की गई मान्यता को लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से वापस ले सकेगी।
(1) वे सेवाएं, जो बालकों के पुनर्वास और पुन; मिलाने की प्रक्रिया में इस अधिनियम के रजिस्ट्रीकृत संस्थाओं द्वारा प्रदान की जाएंगी, ऐसी रीति में होंगी, जो विहित की जाएं, जिसमें निम्नलिखित हो सकेंगी-
(i) विहित मानकों के अनुसार आधारभूत आवश्यकताएं, जैसे खाना, आश्रय, कपड़े और उनका चिकित्सीय ध्यान;
(ii) विशेष आवश्यकताओं वाले बालकों के लिए यथा अपेक्षित उपस्कर, जैसे व्हील चेयर, प्रोस्थेटिक युक्तियां, श्रवण सहाय यंत्र, ब्रेल किट या यथापेक्षित कोई अन्य उपयुक्त साधन और साधित्र;
(iii) विशेष आवश्यकताओं वाले बालकों के लिए उपयुक्त शिक्षा, जिसके अंतर्गत अनुपूरक शिक्षा, विशेष शिक्षा और समुचित शिक्षा भी है;
परन्तु छह वर्ष से चौदह वर्ष के बीच की आयु वाले बालकों के लिए नि;शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के उपबंध लागू होंगे;
(iv) कौशल विकास; (v) उपजीविकाजन्य थेरेपी और जीवन कौशल शिक्षा;
(vi) मानसिक स्वास्थ्य मध्यक्षेप, जिसके अंतर्गत बालक की जरूरत के लिए विनिर्दिष्ट परामर्श भी है;
(vii) आमोद-प्रमोद क्रियाकलाप, जिसके अंतर्गत खेलकंद और सांस्कृतिक क्रियाकलाप भी हैं;
(viii) विधिक सहायता, जहां अपेक्षित हो;
(ix) शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, निराव्यसन, रोगों के उपचार के लिए परामर्श सेवाएं, जहां अपेक्षित हों;
(X) देखरेख प्रबंध, जिसके अंतर्गत व्यष्टिक देखरेख योजना की तैयारी और उसका चालू रहना भी है;
(xi) जन्म रजिस्ट्रीकरण; (xii) पहचान का सबूत प्राप्त करने के लिए सहायता, जहां अपेक्षित हो; और
(xiii) कोई अन्य सेवा, जो बालक के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार, रजिस्ट्रीकृत या योग्य व्यष्टिकों या संस्थाओं द्वारा या तो प्रत्यक्षत; या परामर्श सेवाओं के माध्यम से युक्तियुक्त रूप से प्रदान की जा सके।
(2) संस्था के प्रबंध और प्रत्येक बालक की प्रगति को मानीटर करने के लिए प्रत्येक संस्था की, ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, स्थापित की गई एक प्रबंध समिति होगी।
(3) छह वर्ष से ऊपर के बालकों को रखने वाली प्रत्येक संस्था का प्रभारी अधिकारी, बालकों को ऐसे क्रियाकलापों में भाग लेने के लिए, जो संस्था में बालकों की सुरक्षा और कल्याण के लिए विहित किए जाएं, बाल समितियां स्थापित करने को सुकर बनाएगा।
(1) राज्य सरकार, यथास्थिति, राज्य और जिले के लिए इस अधिनियम के अधीन योग्य होने के रूप में रजिस्ट्रीकृत या मान्यताप्राप्त सभी संस्थाओं के लिए, ऐसी अवधि के लिए और ऐसे प्रयोजनों के लिए, जो विहित किए जाएं निरीक्षण समितियां नियुक्त करेगी।
(2) ऐसी निरीक्षण समितियां, तीन सदस्यों से अन्यून के एक दल में, जिसमें कम से कम एक महिला होगी और एक चिकित्सा अधिकारी होगा, आबंटित क्षेत्रों में तीन मास में कम से कम एक बार बालक रखने वाले सुविधा तंत्रों का आज्ञापक रूप से निरीक्षण करेंगी और उनके निरीक्षण के एक सप्ताह के भीतर ऐसे निरीक्षण के निष्कर्षों की रिपोर्ट अग्रिम कार्रवाई के लिए, यथास्थिति, जिला बालक संरक्षण एकक या राज्य सरकार को प्रस्तुत करेंगी।
(3) निरीक्षण समिति द्वारा निरीक्षण के एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने पर जिला बालक संरक्षण एकक या राज्य सरकार द्वारा एक मास के भीतर समुचित कार्रवाई की जाएगी और राज्य सरकार को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी
(1) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, ऐसी अवधि में और ऐसे व्यक्ति या संस्थाओं के माध्यम से, जो उस सरकार द्वारा विहित किए जाएं बोर्ड, समिति, विशेष किशोर पुलिस एकक, रजिस्ट्रीकृत संस्थाओं या मान्याप्राप्त उचित सुविधा तंत्रों और व्यक्तियों के कार्यकरण का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन कर सकेगी।
(2) ऐसा स्वतंत्र मूल्यांकन दोनों सरकारों द्वारा किए जाने की दशा में, केन्द्रीय सरकार द्वारा किया गया मूल्यांकन अभिभावी होगा।
स्रोत; विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकारअंतिम बार संशोधित : 4/18/2023
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