(1) दत्तक ग्रहण, अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बालकों के लिए कुटंब के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस अधिनियम के उपबंधों और उसके अधीन बनाए गए नियमों तथा प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार किया जाएगा।
(2) एक नातेदार से दूसरे नातेदार द्वारा किसी बालक का दत्तक ग्रहण धर्म को विचार में लाए बिना, इस अधिनियम के उपबंधों और प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार किया जा सकता है।
(3) इस अधिनियम की कोई बात हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के उपबंधों के अनुसार किए गए बालकों के दत्तकग्रहण को लागू नहीं होगी।
(4) सभी अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण, केवल इस अधिनियम के उपबंधों और प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार ही किए जाएंगे।
(5) कोई व्यक्ति, जो न्यायालय के विधिमान्य आदेश के बिना देश में ले जाता है या भेजता है या किसी दूसरे देश में अन्य व्यक्ति को अभिरक्षा को अंतरित करने के किसी इंतजाम में भाग लेता है, धारा 80 होगा।
(1) भावी दत्तक माता-पिता बालक को अच्छा पालन पोषण प्रदान करने के लिए उसका दत्तक ग्रहण करने के लिए शारीरिक रूप से योग्य, वित्तीय रूप से सुदृढ़, मानसिक रूप से सचेत और अत्यंत प्रेरित होंगे।
(2) दंपत्ति की दशा में, दत्तक ग्रहण के लिए पति-पत्नी दोनों की सहमति आवश्यक होगी।
(3) कोई एकल या विच्छिन्न विवाह व्यक्ति भी मानदंडों को पूरा करने के अधीन रहते हुए तथा प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के उपबंधों के अनुसार दत्तक ग्रहण कर सकता है।
(4) कोई एकल पुरुष किसी बालिका के दत्तक ग्रहण के लिए पात्र नहीं है।
(5) कोई अन्य मानदंड, जो प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में विनिर्दिष्ट किए जाएं।
भावी दत्तक माता-पिता की पात्रता।
58. (1) भारत में रहने वाले भावी भारतीय दत्तक माता-पिता, अपने धर्म को विचार में लाए बिना, यदि किसी अनाथ या परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक को दत्तक में लेने के लिए इच्छुक हैं, तो वे उसके लिए प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में किसी विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण क समक्ष आवेदन कर सकगे
(2) विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण, भावी दत्तक माता-पिता की गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार करेगा और उनको पात्र पाए जाने पर दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रूप से मुक्त घोषित किसी बालक को
बालक कफी बाल अध्ययन रिपोर्ट और चिकित्सा रिपोर्ट सहित प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण
(3) भावी दत्तक माता-पिता, से ऐसे माता-पिता द्वारा हस्ताक्षरित बालक की बाल अध्ययन रिपोर्ट और चिकित्सा रिपोर्ट सहित बालक के प्रतिग्रहण पत्र की प्राप्ति पर, विशिष्ट दत्तक ग्रहण
अभिकरण बालक को पूर्व-दत्तक ग्रहण पोषण देखरेख में देगा और दत्तक ग्रहण आदेश अभिप्राप्त करने के लिए प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में न्यायालय में आवेदन फाइल करेगा।
(4) न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति की प्राप्ति पर विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण उसे तुरन्त भावी दत्तक माता-पिता के पास भेजेगा।
(5) दत्तक कुटुंब में बालक की प्रगति और कल्याण का प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में अनुपरीक्षण और अभिनिश्चय किया जाएगा।
(1) यदि कोई अनाथ या परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक को, उस तरीख से, जब उसे दत्तकग्रहण के लिए विधिक रूप से मुक्त घोषित किया गया है, साठ दिन के भीतर विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण और राज्य अभिकरण के संयुक्त प्रयास के बावजूद किसी भारतीय या अनिवासी भारतीय भावी दत्तक माता-पिता के साथ नहीं रखा जा सका है तो ऐसा बालक अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण के लिए मुक्त होगाः
परन्तु शारीरिक और मानसिक नि;शक्तता से ग्रस्त बालकों, सहोदरों और पांच वर्ष से अधिक आयु के बालकों को, ऐसे अन्तरदेशीय दत्तक ग्रहण के लिए, दत्तक ग्रहण के उन विनियमों के अनुसार, जो प्राधिकरण द्वारा विरचित किए जाएं, अन्य बालकों पर अधिमान दिया जा सकेगा।
(2) किसी पात्र अनिवासी भारतीय या भारत के विदेशी नागरिक या भारतीय मूल के व्यक्तियों में पूर्विकता दी जाएगी।
(3) अनिवासी भारतीय या भारत के विदेशी नागरिक या भारतीय मूल के व्यक्ति या कोई विदेशी, जो विदेश में रहने वाले भावी दत्तक माता-पिता हैं, उनके धर्म को विचार में लाए बिना, यदि बालक क दत्तक में लेने के इच्छुक हैं, तो यथास्थिति, किसी प्राधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण अभिकरण या कन्द्रीय प्राधिकरण या आभ्यासिक निवास के उनके देश में संबंधित सरकारी विभाग को प्राधिकरण द्वारा दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में उसके लिए आवेदन कर सकेंगे।
(4) यथास्थिति, प्राधिक्कृत विदेशी दत्तक ग्रहण अभिकरण या केन्द्रीय प्राधिकरण या कोई संबंधित सरकारी विभाग ऐसे भावी दत्तक माता-पिता की गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार करेगा और उनके पात्र पाए जाने पर उनके आवेदन को प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में भारत से किसी बालक के दत्तक ग्रहण के लिए प्राधिकरण को प्रवर्तित कर देगा।
(5) ऐसे भावी दत्तक माता-पिता के आवेदन की प्राप्ति पर प्राधिकरण उसकी परीक्षा करेगा और यदि वह आवेदन को उपयुक्त पाता है तो वह आवेदन को किसी ऐसे एक विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण को निर्दिष्ट कर लेगा, जहाँ दत्तक ग्रहण के लिए विधिक उप से मुक्त बालक उपलब्ध हैं।
(6) विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण, ऐसे भावी दत्तक माता-पिता के साथ बालक का मिलान करेगा और ऐसे माता-पिता को बालक की बाल अध्ययन रिपोर्ट और चिकित्सा रिपोर्ट भेजेगा जो तदुपरि बालक को प्रतिगृहीत कर सकेंगे और अभिकरण रिपोर्ट वापस कर देंगे।
(7) भावी दत्तक माता-पिता से बालक के प्रतिग्रहण पत्र की प्राप्ति पर विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण दत्तक ग्रहण आदेश अभिप्राप्त करने के लिए प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में न्यायालय में आवेदन फाइल करेगा।
(8) न्यायालय के आदेश की प्रमाणित प्रति की प्राप्ति पर विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण उसे तुरंत प्राधिकरण, राज्य अभिकरण और भावी दत्तक माता-पिता को भेज देगा और बालक के लिए पासपोर्ट अभिप्राप्त करेगा।
(9) प्राधिकरण भारतीय आप्रवास प्राधिकारियों और बालक को लेने वाले देश को दत्तक ग्रहण की सूचना देगा।
(10) भावी दत्तक माता-पिता बालक का पासपोर्ट और वीजा जारी होते ही विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण से बालक को वैयक्तिक रूप से प्राप्त करेंगे।
(11) यथास्थिति, प्राधिक्कृत विदेशी दत्तक ग्रहण अभिकरण या केन्द्रीय प्राधिकरण या संबंधित सरकारी विभाग दत्तक कुटुंब में बालक के बारे में प्रगति रिपोर्टों की प्रस्तुति को सुनिश्चित करेंगे और किसी भी भंग की दशा में प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तकग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में प्राधिकरण और संबंधित भारतीय राजनयिक मिशन के परामर्श से अनुकल्पी प्रबंध करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
(12) कोई विदेशी या भारतीय मूल का कोई व्यक्ति या भारतीय विदेशी नागरिक, जो अभ्यासत; भारत में निवासी है, यदि भारत से किसी बालक का दत्तक ग्रहण करने में रुचि रखता है, तो उसके लिए भारत में उसके देश के राजनयिक मिशन से निराक्षेप प्रमाणपत्र के साथ प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण के विनियमों में यथा उपबंधित आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए प्राधिकरण को आवेदन कर सकोगा ।
(1) विदेश में रहने वाला कोई नातेदार, जो भारत में उसके नातेदार से किसी बालक के अंतरदेशीय नातेदार दत्तक ग्रहण का आशय रखता है, न्यायालय से आदेश अभिप्राप्त करेगा और प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण की दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में प्राधिकरण से निराक्षेप प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करेगा।
(2) प्राधिकरण, उपधारा (1) के अधीन आदेश की प्राप्ति और जैव माता-पिता या दत्तक माता-पिता से आवेदन की प्राप्ति पर निराक्षेप प्रमाणपत्र जारी करेगा और भारतीय आप्रवास प्राधिकारी और बालक के प्राप्तकर्ता देश के प्राधिकारी को उसकी सूचना देगा।
(3) दत्तक माता-पिता, उपधारा (2) के अधीन निराक्षेप प्रमाणपत्र की प्राप्ति के पश्चात् जैव माता-पिता से बालक को प्राप्त करेंगे और दत्तक बालक के सहोदर और जैव माता-पिता से समय-समय पर संपर्क को सुकर बनाएंगे।
(1) कोई दत्तक ग्रहण आदेश जारी करने से पहले न्यायालय अपना यह समाधान करेगा कि -
(क) दत्तक ग्रहण बालक के कल्याण के लिए है;
(ख) बालक की आयु और समझ को ध्यान में रखते हुए बालक की इच्छाओं पर सम्यक की प्रक्रिया और विचार किया गया है; और शास्ति ।
(ग) दत्तक ग्रहण फीस या सेवा प्रभार या बालक की समग्र देखरेख के मद्दे प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा अनुज्ञात के सिवाय, दत्तक ग्रहण के प्रतिफलस्वरूप कोई भी संदाय या पारिश्रमिक न तो भावी दत्तक माता-पिता ने दिया है या देने के लिए सहमत हुए हैं, न ही विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण या नातेदार दत्तक ग्रहण की दशा में बालक के माता-पिता या संरक्षक ने प्राप्त किया है या प्राप्त करने के लिए सहमत हुए हैं।
(2) दत्तक ग्रहण कार्यवाहियां बंद कमरे में की जाएंगी और मामले को न्यायालय द्वारा उसके फाइल किए जाने की तारीख से दो मास की अवधि के भीतर निपटाया जाएगा।
(1) भारत मे रहने वाले भावी भारतीय दत्तक माता-पिता या अनिवासी भारतीय या भारत क अतिरिक्त प्रक्रियात्मक विदेशी नागरिक या भारतीय मूल के व्यक्ति या भावी विदेशी दत्तक माता-पिता द्वारा किसी अनाथ, अपेक्षाएं और परित्यक्त और अभ्यर्पित बालक के दत्तक ग्रहण की बाबत ऐसा प्रलेखीकरण और अन्य प्रक्रियात्मक प्रलेखीकरण। अपेक्षाएं जो इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से उपबंधित नहीं हैं, प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार होगी।
(2) विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि भावी दत्तक माता-पिता का दत्तक ग्रहण मामला, आवेदन की प्राप्ति की तारीख से चार मास के भीतर निपटा दिया गया है और प्राधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण अभिकरण, प्राधिकरण और राज्य अभिकरण दत्तक ग्रहण मामले की प्रगति पर निगरानी रखेगा और जहां कहीं आवश्यक हो, उसमें हस्तक्षेप करेगा, जिससे समय सीमा का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।
उस तारीख से, जिसको दत्तक ग्रहण आदेश प्रभावी होता है, निर्वसीयतता सहित सभी प्रयोजनों के लिए ऐसा बालक, जिसके संबंध में न्यायालय द्वारा कोई दत्तक ग्रहण आदेश जारी किया गया है, दत्तक माता-पिता का बालक हो जाएगा और दत्तक माता-पिता बालक के इस प्रकार माता-पिता हो जाएंगे मानो दत्तक माता-पिता ने बालक को पैदा किया है और उस तारीख से ही बालक या बालिका के जन्म के कुटुंब से बालक या बालिका के सभी संबंध समाप्त हो जाएंगे और उसके स्थान पर दत्तक ग्रहण आदेश द्वारा सृजित दत्तक कुटुंब में प्रतिस्थापित हो जाएंगे;
परन्तु ऐसी कोई संपत्ति, जो उस तारीख से ठीक पूर्व, जिसको दत्तक ग्रहण आदेश प्रभावी होता है, तक बालक में निहित हो गई उस संपत्ति के स्वामित्व से, संलग्न बाध्यताओं सहित, जिसके अंतर्गत जैव कुटुंब में नातेदारों का भरण-पोषण, यदि कोई हो, भी है, ऐसी बाध्यताओं के अध्यधीन बालक में निहित रहेंगी।
तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी संबंधित न्यायालय द्वारा जारी किए गए सभी दत्तक ग्रहण आदेशों की बाबत सूचना प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में मासिक आधार पर प्राधिकरण को अग्रेषित की जाएगी, जिससे धिकरण दत्तक ग्रहण के आंकड़े रखने के लिए समर्थ हो सके।
(1) राज्य सरकार, दत्तक ग्रहण और गैर-संस्थागत देखरेख के माध्यम से अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बालकों के पुनर्वास के लिए प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित रीति में प्रत्येक जिले में एक या अधिक संस्थाओं या संगठनों को किसी विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण के रूप में मान्यता देगी।
(2) राज्य अभिकरण, विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरणों को मान्यता प्रदान करते ही या उनका नवीकरण करते ही उसका नाम, पता और संपर्क ब्यौरे, मान्यता या नवीकरण के प्रमाणपत्र या पत्र की प्रतियों सहित प्राधिकरण को देगा
(3) राज्य सरकार, वर्ष में कम से कम एक बार विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरणों का निरीक्षण कराएगी और यदि अपेक्षित हो तो आवश्यक उपचारिक उपाय करेगी।
(4) उस दशा में, जब कोई विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण, समिति से दत्तक ग्रहण के लिए किसी अनाथ या परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक को विधिक रूप से मुक्त कराने में या भावी दत्तक माता-पिता की गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने में या नियत समय के भीतर न्यायालय से दत्तक ग्रहण आदेश प्राप्त करने में अपनी ओर से इस अधिनियम में या प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों में यथा उपबंधित आवश्यक कदम उठाने में व्यतिक्रम करता है तो ऐसा विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण ऐसे जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए तक हो सकेगा, दंडनीय होगा और व्यतिक्रम की पुनरावृत्ति की दशा में राज्य सरकार विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण की मान्यता वापस ले लेगी।
(1) इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत सभी संस्थाएं, जिन्हें विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण के रूप में मान्यता प्रदान न की गई हो, यह भी सुनिश्चित करेंगी कि उनकी देखरेख में के सभी अनाथ या परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक, समिति द्वारा धारा 38 के उपबंधों के अनुसार रिपोर्ट किए गए, पेश किए गए और दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रूप से मुक्त घोषित किए गए हैं।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट सभी संस्थाएं निकट के विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण से औपचारिक संबंध रखेंगी और ऐसे दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रूप से मुक्त घोषित किए गए बालकों के सभी सुसंगत अभिलेखों सहित ब्यौरे, बालकों को दत्तक ग्रहण में रखने के लिए ऐसी रीति में, जो विहित की जाएं, उस विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण को देगी।
(3) यदि ऐसी कोई संस्था उपधारा (1) या उपधारा (2) के उपबंधों का उल्लंघन करती है तो वह प्रत्येक बार के लिए रजिस्ट्रीकृत प्राधिकारी द्वारा अधिरोपित पचास हजार रुपए के जुर्माने के दायित्वाधीन होगी और ऐसे उपबंधों के निरंतर अवज्ञा की दशा में उसकी मान्यता भी समाप्त हो सकेगी।
(1) राज्य सरकार, दत्तक ग्रहण और संबंधित विषयों की बाबत प्राधिकरण के मार्गदर्शन के अधीन राज्य में एक राज्य दत्तक ग्रहण स्रोत अभिकरण की स्थापना करेगी।
(2) राज्य अभिकरण जहां कहीं पहले ही विद्यमान है, को इस अधिनियम के अधीन स्थापित किया गया समझा जाएगा।
इस अधिनियम के प्रारंभ से पूर्व विद्यमान केंद्रीय दत्तक ग्रहण स्रोत अभिकरण को, इस केंद्रीय दत्तक ग्रहण स्रोत अधिनियम के अधीन केन्द्रीय दत्तक ग्रहण स्रोत प्राधिकरण के रूप में निम्नलिखित कृत्यों का पालन करने के लिए गठित किया गया समझा जाएगा, अर्थात्;-
(क) देश में दत्तक ग्रहण को प्रोन्नत करना और राज्य अभिकरण के समन्वय से अंतरराज्यिक दत्तक ग्रहण को सुकर बनाना;
(ख) अंतरदेशीय दत्तक ग्रहणों को विनियमित करना;
(ग) समय-समय पर दत्तक ग्रहण और संबंधित विषयों पर ऐसे विनियमों की विरचना करना, जो आवश्यक हों;
(घ) अंतरदेशीय दत्तक ग्रहण की बाबत बालकों के संरक्षण और सहयोग पर हेग अभिसमय के अधीन केंद्रीय प्राधिकरण के कृत्यों को कार्यान्वित करना;
(ड) कोई भी अन्य कृत्य, जो विहित किया जाए।
(1) प्राधिकरण की एक विषय निर्वाचन समिति होगी, जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे
(क) सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार, जो अध्यक्ष होगा/होगी -पदेन;
(ख) प्राधिकरण से संबंधित संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार– पदेन; (ग) वित्त से संबंधित संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार – पदेन;
(घ) एक राज्य दत्तक ग्रहण स्रोत अभिकरण ओर दो विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण;
(ड) एक दत्तक माता या पिता और एक दत्तक;
(च) एक अधिवक्ता या एक आचार्य, जिनके पास कुटुंब विधि में कम से कम दस वर्ष का अनुभव हो;
(छ) सदस्य-सचिव, जो संगठन का मुख्य कार्यपालक अधिकारी भी होगा।
(2) उपरोक्त (घ) से (च) में वर्णित सदस्यों के चयन और नामनिर्देशन के लिए मानदंड उनकी पदावधि के साथ ही उनकी नियुक्ति के निर्बधन और शतें ऐसी होंगी जो विहित की जाएं।
(3) विषय निर्वाचन समिति को निम्नलिखित कृत्य होगे, अर्थात्ः—
(क) प्राधिकरण के कार्यकरण का निरीक्षण करना और समय-समय पर इसके कार्यों का पुनर्विलोकन करना, जिससे यह अत्यधिक प्रभावी रीति से क्रियाशील हो सके;
(ख) वार्षिक बजट वार्षिक लेखाओं और संपरीक्षा रिपोर्टों के साथ-साथ प्राधिकरण की कार्ययोजना ओर वार्षिक रिपोर्ट का अनुमोदन करना;
(ग) केंद्रीय सरकार के पूर्वानुमोदन से संगठन के भीतर प्रशासनिक और कार्यक्रमीय शक्तियों का प्रयोग करने के लिए प्राधिकरण के भर्ती नियमों, सेवा नियमों, वित्त नियमों के साथ-साथ अन्य विनियमों को अपनाना;
(घ) कोई अन्य कुत्य, जो केंद्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर उसमें निहित किया जाए
(4) विषय निर्वाचन समिति मास में एक बार अधिवेशन ऐसी रीति में करेगी, जो विहित की जाए।
(5) प्राधिकरण अपने कुत्य मुख्यालय से और अपने ऐसे क्षेत्रीय क जो इसके कृत्यिक आवश्यकता के अनुसार स्थापित किए जाएं।
(1) प्राधिकरण के कृत्यों के दक्ष पालन के लिए इसकी निम्नलिखित शक्तियाँ होती अथार्त -
(क) किसी विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण या किसी बाल गृह या किसी अनाथ, परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक को रखने वाली किसी बाल देखरेख संस्था, किसी राज्य अभिकरण या किसी प्राधिक्कृत विदेशी दत्तक ग्रहण अभिकरण को अनुदेश जारी करना और ऐसे अभिकरणों द्वारा ऐसे निदेशों का पालन किया जाएगा;
(ख) इसके द्वारा जारी किए गए अनुदेशों के निरंतर अननुपालन की दशा में, संबंधित सरकार या प्राधिकारी को उसको प्रशासनिक नियंत्रणाधीन किसी पदधारी या कृत्यकारी या संस्था के विरुद्ध समुचित करवाई करने की सिफारिश करना;
(ग) किसी पदधारी या कत्यिकारी या संस्था द्वारा इसके अनुदेशों का निरंतर अननुपालन का कोई मामला, उसके विचारण की अधिकरिता रखने वाले किसी मजिस्ट्रेट को अग्रेषित करना और वह मजिस्ट्रेट, जिसको ऐसा कोई मामला अग्रेषित किया गया है, उस मामले की सुनवाई के लिए इस प्रकार कार्यवाही करेगा मानो वह मामला उसे दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 346 के अधीन अग्रेषित किया गया हो;
(घ) कोई अन्य शक्ति, जो केंद्रीय सरकार द्वारा उसमें निहित की जाए।
(2) दत्तक ग्रहण के किसी मामले में कोई मतभेद होने की दशा में, जिसके अंतर्गत भावी दत्तक माता-पिता या दत्तक ग्रहण किए जाने वाले बालक की पात्रता भी है, प्राधिकरण का विनिश्चय अभिभावी होगा।
(1) प्राधिकरण, केंद्रीय सरकार को एक वार्षिक रिपोर्ट ऐसी रीति में प्रस्तुत करे जो विहित की जाय I
(2) केंद्रीय सरकार, प्राधिकरण की वार्षिक रिपोर्ट को संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगी।
(1) केंद्रीय सरकार, संसद् द्वारा इस निमित्त विधि द्वारा किए गए सम्यक विनियोग के पश्चात् प्राधिकरण को अनुदान के रूप में धन की ऐसी राशि का संदाय करेगी जो केंद्रीय सरकार इस अधिनियम के अधीन प्राधिकरण के कृत्यों का पालन करने में उपयोजित किए जाने के लिए उचित समझे।
(2) प्राधिकरण, इस अधिनियम के अधीन यथा विहित कुत्यों के पालन के लिए ऐसी धनराशियां व्यय करेगा, जो वह उचित समझे और ऐसी राशियों को उपधारा (1) में निर्दिष्ट अनुदानों में से संदेय व्यय समझा जाएगा।
(1) प्राधिकरण, समुचित लेखे और अन्य सुसंत अभिलेख रखेगा और लेखाओं का वार्षिक विवरण ऐसे प्ररूप में तैयार करेगा जो केंद्रीय सरकार द्वारा भारत कि नियंत्रक-महालेखापरीक्षक । के परामर्श से विहित किया जाए।
(2) प्राधिकरण के लेखाओं की नियंत्रक-महालेखापरीक्षक द्वारा ऐसे अंतरालों पर संपरीक्षा की जाएगी जो उसके द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाएं और ऐसी संपरीक्षा में कोई भी व्यय नियंत्रक-महालेखापरीक्षक को केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा संदेय होगा।
(3) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक और उसके द्वारा नियुक्त किसी भी व्यक्ति के इस अधिनियम के अधीन प्राधिकरण के लेखाओं की संपरीक्षा के संबंध में होंगे जो सरकारी लेखाओं की संपरीक्षा के संबंध में वही अधिकार और विशेषाधिकार और प्राधिकार होंगें जो सरकारी लेखाओं की संपरीक्षा के सम्बन्ध में होते हैं और विशिष्टतया उसे पुस्तकों, लेखाओं संबंधित वाऊचरों और अन्य दस्तावेजों तथा कागजपत्रों को प्रस्तुत करने की मांग करने और प्राधिकरण के किसी भी कार्यालय का निरीक्षण करने का अधिकार होगा।
(4) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा यथाप्रमाणित प्राधिकारी के लेखाओं को उनकी संपरीक्षा रिपोर्ट सहित प्राधिकरण द्वारा प्रतिवर्ष केंद्रीय सरकार को अग्रेषित किया जाएगा।
(5) केंद्रीय सरकार, संपरीक्षा रिपोर्ट की प्राप्त होने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगी।
स्रोत; विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकारअंतिम बार संशोधित : 12/19/2019
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