उत्तराखंड में ई-शासन पहल
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उत्तराखंड भूमि अभिलेख
उत्तराखंड सरकार ने नौ नवंबर, 2006 को उत्तराखंड के लिए नागरिक केंद्रित भूमि अभिलेख वेबसाइट देवभूमिकी शुरु आत की थी, जिसका उद्देश्य राज्य के 13 जिलों के भूमि अभिलेख से संबंधित सभी आंकड़ों को इंटरनेट पर उपलब्ध कराना है।
इस वेबसाइट के शुरू होने के बाद से राज्य के नागरिक, खास कर किसान अपनी खतौनी का विवरण किसी भी समय कहीं से भी इंटरनेट पर देख सकते हैं। यह वेबसाइट और इस पर दर्ज आंकड़े हिंदी में दिये गये हैं और खोज का तरीका भी आसान है। इसमें किसी भी भूमि का आंकड़ा जिले के तहसील के गांवों को चुन कर मालिक का नाम या प्लाट संख्या या गाता संख्या या खाता संख्या से खोजा जा सकता है।
खतौनी या अधिकार या अधिकार का अभिलेख या भूमि अभिलेख की अधिकृत प्रति कैसे प्राप्त की जा सकती है।
देवभूमि साइट पर उपलब्ध भू अभिलेख केवल देखने के लिए हैं। अधिकार के दस्तावेज की आधिकारिक हस्ताक्षरित प्रति प्राप्त करने के लिए संबंधित गांव की तहसील में स्थापित तहसील भूमि अभिलेख कंप्यूटर केंद्र पर जाना होता है।
अधिकार का दस्तावेज प्राप्त करने के लिए सरकार ने क्या शुल्क तय किया है।
अधिकार का दस्तावेज प्राप्त करने के लिए सरकार ने काफी कम शुल्क तय किया है, जो निम्न है-
देखें देवभूमि के बारे में अधिक जानकारी और उपलब्ध सेवाएँ प्राप्त करने के लिए -
यह परियोजना दृश्य-श्रव्य और अंतर-गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए उपलब्ध तकनीक के उपयोग के बारे में है, ताकि उस पाठ्यक्रम से अध्यापन में प्रभावी प्रगति के साथ-साथ भारत के उत्तराखंड प्रदेश के ग्रामीण और शहरी इलाके (परियोजना क्षेत्र) की आबादी में अध्यापकों के स्तर को ऊंचा उठाया जा सके।
सूचना तकनीक के वर्तमान दौर में स्कूली विद्यार्थियों के साथ सीखने की प्रक्रिया तेज करने के लिए मल्टीमीडिया का उपयोग सर्वव्यापी हो गया है। मल्टीमीडिया के साथ पाठ्यक्रम पढ़ाने से विद्यार्थियों की उत्पादकता काफी बढ़ती है। जिन कक्षाओं में मल्टीमीडिया की मदद से अध्यापन होता है, वहां विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास अपेक्षाकृत तेज पाया गया है। इससे स्कूल छोड़नेवालों की संख्या में भी कमी आने का प्रमाण मिला है। मल्टीमीडिया के जरिये पाठ्यक्रम पढ़ाये जाने से उत्तीर्ण होनेवालों का प्रतिशत भी बढ़ा है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार ने कक्षा नौ से 12 तक गणित और विज्ञान विषयों के लिए मल्टीमीडिया पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार करने का बीड़ा उठाया है। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के हर विद्यालय में हर दिन की शैक्षणिक गतिविधियों के लिए मल्टीमीडिया सामग्री उपलब्ध कराना है। इसके तहत आइटी चालित मुद्दावार विषय आधारित सामग्री तैयार करने का प्रस्ताव है, जिससे सीनियर सेकेंडरी के साथ-साथ सेकेंडरी स्तर तक एक रुचिकर स्वरूप में सामग्री तैयार की जाये और इससे सभी विद्यार्थियों का ज्ञान समान रूप से बढ़ सके। यह प्रस्ताव है कि सामग्री कई बोर्डों द्वारा तैयार पाठ्यक्रम पर आधारित हों, न कि केवल एक बोर्ड द्वारा तैयार पाठ्यक्रम पर। इसमें अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न और विषय के बारे में दिलचस्प तथ्यों का समावेश भी किया जाये।
इस तरह के आइटी चालित कार्यक्रम, यदि प्रभावी बनाये जायें, तो उसका प्रभाव उपयोक्ता पर बहुत अधिक पड़ता है। पिछले कुछ सालों से पूरी दुनिया में शिक्षण संस्थाओं द्वारा अपने शैक्षणिक और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए सूचना तकनीक का बहुत उपयोग किया जा रहा है। शिक्षक कंप्यूटर और इंटरनेट-इंट्रानेट का उपयोग तैयारी तथा पाठ्यक्रम के अध्यापन में करने लगे हैं। अकादमिक गतिविधियों में कंप्यूटर के इस प्रवेश से ई-क्लासरूम से लेकर कतिपय स्कूलों में कंप्यूटरों का छोटा नेटवर्क तक बनाया जाने लगा है, ताकि शैक्षणिक गतिविधियां सुचारु ढंग से चल सकें।
इस तरह के कार्यक्रमों से शिक्षकों को भी काफी लाभ होता है। उन्हें उनके विषय में होनेवाले आधुनिक शोध और विकास की जानकारी मिलती है, क्योंकि सभी मुद्दों के लिए विषयों की संख्या आसानी से उपलब्ध होती है। एक बार कार्यक्रम तैयार हो जाये, तो फिर इसे समय-समय पर सुधारा जा सकता है और उसमें बिना किसी अतिरिक्त खर्च के नये मुद्दे जोड़े जा सकते हैं।
राज्य गठन के बाद से ही सरकार प्राथमिक से लेकर सेकेंडरी स्कूल में अध्यापन और सीखने में आइटी चालित उपकरणों के उपयोग के लिए एक रणनीति बनाने पर ध्यान दे रही है। इस दिशा में उत्तराखंड सरकार का एक विशेष कदम आरोही (कंप्यूटर की सहायता से शिक्षा कार्यक्रम) है। आरोही के परिणामस्वरूप सरकारी स्कूलों के परिणामों में अप्रत्याशित सुधार आया है। इंटरमीडिएट के लिए उत्तीर्णता का प्रतिशत 45 से बढ़ कर 64 और हाइ स्कूल के लिए 35 से बढ़ कर 50 प्रतिशत हो गया है। आरोही कार्यक्रम की सफलता ने शिक्षा के क्षेत्र में आइटी के अन्य प्रयास शुरू करने तथा इसे दूसरे स्तर तक ले जाने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन दिया है।
उत्तराखंड सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र के चार प्रमुख घटक- शिक्षक, विद्यार्थी, अभिभावक तथा शिक्षा विभाग के बीच आपसी संवाद बढ़ाने के उद्देश्य से शिक्षक-विद्यार्थी पोर्टल विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। ऐसा माना गया है कि यह पोर्टल सही दिशा में एक बड़ा कदम होगा और इससे राज्य की शिक्षा प्रणाली को प्रभावी व दक्ष आइटी चालित बनाने में मदद मिलेगी।
इस पोर्टल के उपयोग से उत्तराखंड राज्य के सभी स्कूल परिसरों को जोड़ा जायेगा, जिससे वे आपस में संसाधनों का आदान-प्रदान कर सकें, केंद्रीकृत और उपयोग में आसान सेवाओं का लाभ उठा सकें तथा नयी व अद्यतन पाठ्यक्रम प्राप्त कर सकें। इसके अलावा प्रशासनिक विभाग भी इस पोर्टल की मदद से हरेक परिसर से सांख्यिकी आंकड़े हासिल कर सकेंगे और उन्हें किसी केंद्रीय स्थान पर एकत्र कर सकेंगे, ताकि बाद में उनका त्वरित तथा दक्ष विश्लेषण किया जा सके। यह केन्द्रीत सांख्यिकी सूचना, शैक्षणिक प्रशासनिक प्राधिकारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी। इससे विद्यालय चलाने की जिम्मेवारी और इसके साथ पूरी शिक्षा प्रणाली अधिक पारदर्शी बन सकेगी और फैसला लेने के लिए जरूरी आंकड़ों तथा सूचनाओं की उपलब्धता भी आसान हो जायेगी। यह पोर्टल उत्तराखंड में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शैक्षणिक तथा प्रशासनिक माहौल बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।
उत्तराखंड सरकार ने अपने सभी कार्मिकों को कंप्यूटर शिक्षा देने का एक कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन्हें कंप्यूटर शिक्षा देकर उनके दैनिक कामकाज में तकनीकी और कंप्यूटर के उपयोग को बढ़ाना है। शिक्षा प्रदाता (इपी-एडुकेशन प्रोवाइडर्स) कार्मिकों को उनके सुविधा केंद्रों या किसी सरकारी परिसर में खुद या अपने किसी साझेदार के माध्यम से कंप्यूटर की शिक्षा देंगे।
अध्यापन का उच्चतम स्तर बरकरार रखने के लिए अभियान के दिग्दर्शकों को इपी से प्रमाणीकृत होना अनिवार्य है। इसके साथ जो कार्मिक अपना प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करेंगे, उन्हें भी इपी से प्रमाण पत्र मिलेगा। इस प्रमाण पत्रके लिए इपी द्वारा ली गयी अंतिम परीक्षा में सफल होना जरूरी होगा।
उत्तराखंड सरकार ने अपने सभी कार्मिकों को कंप्यूटर शिक्षा देने का एक कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन्हें कंप्यूटर शिक्षा देकर उनके दैनिक कामकाज में तकनीकी और कंप्यूटर के उपयोग को बढ़ाना है। शिक्षा प्रदाता (इपी-एडुकेशन प्रोवाइडर्स) कार्मिकों को उनके सुविधा केंद्रों या किसी सरकारी परिसर में खुद या अपने किसी साझेदार के माध्यम से कंप्यूटर की शिक्षा देंगे।
अध्यापन का उच्चतम स्तर बरकरार रखने के लिए अभियान के दिग्दर्शकों को इपी से प्रमाणीकृत होना अनिवार्य है। इसके साथ जो कार्मिक अपना प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करेंगे, उन्हें भी इपी से प्रमाण पत्र मिलेगा। इस प्रमाण पत्रके लिए इपी द्वारा ली गयी अंतिम परीक्षा में सफल होना जरूरी होगा।
उत्तराखंड राज्य में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों, विकलांगों आदि की सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने से संबंधित गतिविधियों के संचालन के लिए यह उच्चतम संस्था है। अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को लागू करने के लिए समाज कल्याण विभाग कई योजनाएं चलाता है। इन योजनाओं से सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को काफी लाभ होता है और उन्हें एक समय सीमा के भीतर अपना जीवन स्तर सुधारने में मदद मिलती है।
परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड सरकार के समाज कल्याण विभाग के लिए अनुप्रयोग (एप्लीकेशन) सॉफ्टवेयर का विकास और कार्यान्वयन है, ताकि नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिल सकें तथा निम्नलिखित द्वारा विभाग में दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही आ सके-
उत्तराखंड में प्रदान की जा रही अन्य ई-शासन सेवाओं का जानने के लिए देखें-negp.gov.in/service/finalservices.php?st=-2:26&cat=-2:1
स्त्रोत
अंतिम बार संशोधित : 3/4/2020
इस पृष्ठ में बिहार राज्य में बाल श्रम के उन्मूलन, ...