एन.एफ.डी.बी. में दस परिभाषित क्रिया-कलाप हैं जैसे - तालाबों और टैंकों में सघन जल-कृषि, जलाशय की मात्स्यिकी, समुद्रतटीय जल-कृषि, गहरे समुद्र में मछली मारना और टुना का प्रसंस्करण करना, मारीकल्चर, समुद्र में पशुफार्म चलाना, समुद्री शैवालों की कृषि, फसलोत्तर प्रसंस्करण हेतु बुनियादी ढाँचा, मछलियों की सफाई के केंद्र और मछलियों का सौर ऊर्जा से सुखाया जाना, घरेलू विपणन। अन्य क्रियाकलापों का वर्तमान पहलू मात्स्यिकी और जलकृषि में नवोन्मेषी क्षेत्र प्रदान करता है जैसे कृत्रिम शैलभित्तियाँ, मछिलयों के एकत्रीकरण के उपाय, खेलकूद वाली मात्स्यिकी, जलीय पर्यटन इत्यादि।
यह भली प्रकार सुस्थापित है कि मछलियाँ तैरती हुई वस्तुओं के चारों ओर तथा जल के नीचे शैलभित्तियों में एकत्र होने की प्रवृत्ति रखती हैं। अतः तैरती हुई मत्स्य एकत्रीकरण के उपाय (एफ.ए.डी.) लगाकर कृत्रिम आवासों का सृजन और समुद्र तल पर स्थापित कृत्रिम शैलभित्तियाँ (ए.आर.) मछलियों को इन ढाँचों के चारों ओर आकर्षित कर सकते/सकती हैं और ये क्षेत्र मछली मारने के केंद्रों के रुप में सेवा कर सकते हैं। मछुआरों के लिये यह बहुत मितव्ययी क्रिया-कलाप है क्योंकि धरातल मछलियों की अच्छी पकड़ की मात्रा और मछलियों की अच्छी दर सुनिश्चित करता है। मछली मारने के स्थलों की खोज करने के लिये ईंधन और समय की बर्बादी से बचा जा सकता है। ऐसे आवास मछली मारने के सर्वाधिक विनाशकारी अभ्यासों जैसे समुद्रतल पर जाल से मछलियाँ पकड़ने को रोकने में सहायता भी कर सकते हैं। एक ढाँचे की इकाई की लागत लगभग रु.2.5 लाख होती है।
कृत्रिम शैलभित्तियों/मत्स्य एकत्रीकरण के उपायों की स्थापना और परिचालन में विशेषज्ञता रखने वाले संस्थानों को कृत्रिम शैलभित्तियों/मत्स्य एकत्रीकरण के उपायों की स्थापना में प्रशिक्षण और प्रदर्शन के लिये सहायता प्रदान करने के वास्ते अनुलग्नक-1 में दिये गये विवरणों और फार्म ओ.ए.-1 में दिये गये प्रार्थनापत्र के प्रारुप के अनुसार वरीयता दी जायेगी।
3.1 परिचय
ट्राउट की कृषि करना कम आयतन, उच्च मूल्य की जल-कृषि, देश के पहाड़ी क्षेत्रों में संभावनाओं वाला क्रिया-कलाप होता है। पहले जबकि यह मुख्य रुप से खेलकूद वाली मात्स्यिकी का क्रिया-कलाप था, अभी हाल ही के भूतकाल में ट्राउटों को धीरे-धीरे बढ़ते हुए मत्स्य भोजन के रुप में स्वीकार किया जा रहा था। इन प्रजातियों के दो संभावित उम्मीदवार हैं - रेनबो ट्राउट और ब्राउन ट्राउट। मेज पर परोसे जाने वाले आकार के ट्राउटों के 10 टन के वार्षिक उत्पादन के लिये, लगभग दो हजार वर्ग मीटर की भूमि की आवश्यकता होती है। वे सुविधाएं, जिनमें ये शामिल हैं - धावनपथों का नेटवर्क, हैचरी, पानी के पम्प, भोजन मिल (40-50 कि.ग्रा. भोजन/घंटे की एक छोटी भोजन मिल की लागत लगभग 20 लाख हो सकती है और 100-200 कि.ग्रा. भोजन/घंटा की लागत लगभग 40-50 लाख होगी)। रेनबो ट्राउट की फार्म के द्वार पर कीमत लगभग रु.200250 प्रति किलो ग्राम होती है। इस प्रयोग को लोकप्रिय बनाने के लिये, बोई अनुलग्नक-1 तथा फार्म-ओ.ए.2 तथा ओ.ए.-3 में दिये गये विवरणों के अनुसार ट्राउट की हैचरियों और भोजन उत्पादन की इकाईयाँ स्थापित करने के लिये भी सहायता प्रदान करेगा।
4.1 परिचय
भारतवर्ष में घरेलू स्तर पर आलंकारिक मछलियों का रखना दिन प्रतिदिन लोकप्रिय होता जा रहा है। मछलियों की चमक-दमक और विदेशी रुप रंग, घर की सौंदर्यपरक सुंदरता को वृहद् रुप से बढ़ाते हुए सभी को आकर्षित करता है। आलंकारिक मछलियों का व्यापार मीठे पानी और आलंकारिक मछलियों के विस्तृत संसाधनों के साथ दिन दुगुनी रात चौगुनी गति से बढ़ रहा है। मछलियों की लगभग 60 मत्स्य-प्रजातियाँ जो प्रकृति में आलंकारिक मूल्य की हैं, वे विभिन्न जलीय प्राकृतिक आवासों से सम्पूर्ण विश्व में सूचित की गई हैं। पुरुषों और महिलाओं के लिये रोजगार के अवसर सृजन करने के अतिरिक्त, घरेलू बाजारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये और प्रचुर विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिये उनका वाणिज्यिक रुप से प्रजनन कराना और पालन करना घर के पीछे आँगनों में किया जा सकता है। व्यापार की रणनीतियों में शामिल होती हैं - प्रजनन और पालन की इकाईयाँ, प्राकृतिक संग्रहण, विपणन करने के सहायक उपकरण आदि।
आलंकारिक मात्स्यिकी में भारत का हिस्सा रु.158.23 लाख का होना अनुमानित किया गया है जो वैश्विक व्यापार का केवल 0.008% है। निर्यात व्यापार का एक बड़ा हिस्सा अरण्यों के संग्रहण पर आधारित है। यहाँ एक बहुत अच्छा घरेलू बाजार भी है जो मुख्य रुप से घरेलू रुप से प्रजनन कराई गई विदेशी प्रजातियों पर आधारित है। इस क्रिया-कलाप में शामिल सापेक्षतः साधारण तकनीक पर विचार करते हुए, अंशकालिक आधार पर पुरुषों और महिलाओं के लिये और उद्यमियों द्वारा बड़े पैमाने पर क्रिया-कलाप के अवसर के सृजन करने की जरुरत है।
आलंकारिक मछलियों को मुख्य रुप से दो श्रेणियों अर्थात् जीवन धारकों और अंडे देने वाली में मुख्य रुप से समूहीकृत किया गया है। आलंकारिक मछलियों के प्रजनन और पालने का क्रिया-कलाप प्रारम्भ करने के लिये कुछ प्रमुख जीवधारक और अंडे देने वाली मछलियाँ हैं: जीवनधारकः मौल्ली, प्लेटी, स्वोर्डटेल, गुप्पी
अंडे देने वाली: गोल्ड फिश, रोजी बार्ब, एस.फाइटर, एंजिल, टेट्रा की सभी किस्में।
4.2 सहायता के घटक
(1) घर के पीछे आँगन की इकाई की स्थापना किया जाना
(2) बड़े पैमाने की इकाई
4.3 पात्रता के मापदंड
1. घर के पीछे आँगन की इकाई: कोई घरेलू , स्व.स.स. के सदस्य जिनके पास पर्याप्त घर के पीछे आँगन का क्षेत्रफल और उपलब्धता है।
2. बड़े पैमाने की इकाई: संभावित जल-स्रोत के साथ कम से कम 100 ‘सेंट’ भूमि रखने वाले उद्यमी, सहकारी समितियाँ, निगम, परिसंघ और राज्य सरकारें।
3. एन.एफ.डी.बी. के दिशा-निर्देशों के अनुसार क्रिया-कलाप करने हेतु इच्छुक
4. प्रशिक्षण प्राप्त करने के इच्छुक संभावित लाभार्थी।
4.4 इकाई की लागत (पूँजी-निवेश की लागत)
घर के पीछे आँगन की हैचरी की स्थापना करने के लिये इकाई की लागत रु.1,00,000/- अनुमानित की गई है (अनुलग्नक-2 और फार्म-ओ.ए.-4 में दिये गये विवरणों के अनुसार) और बड़े पैमाने की इकाई की स्थापना करने के लिये 1000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में रु.8.00 लाख अनुमानित की गई है (अनुलग्नक3 में दिये गये विवरणों के अनुसार)। ऐसे किसान जो बैंक-ऋण की सुविधा लेना चाहते हैं या जो अपना स्वयं का पूँजी-निवेश करने के इच्छुक हैं, उन्हें बड़े पैमाने की आलंकारिक मात्स्यिकी की इकाई की स्थापना करने के लिये इकाई की लागत की अधिकतम 20% सहायता प्रदान की जायेगी जबकि घर के पीछे आँगन की आलंकारिक हैचरी की इकाई की स्थापना करने के लिये महिलाओं /बेरोजगार स्नातकों को 50% अनुदान दिया जायेगा।
5.1 परिचय
प्राकृतिक पारिस्थितिकीतंत्र में मछली के भोजन के जीवों का प्राकृतिक उत्पादन, यहाँ तक कि नियमित खाद डालने और प्रबंध भी भंडारित मछलियों के बीज की भोजन की कुल आवश्यकता को पूरा नहीं करता है। मछलियों की तीव्र वृद्धि के लिये अनुकूलतम पोषण के लिये इस प्रकार पूरक भोजन का प्राविधान प्रबंध का एक अभिन्न भाग हो जाता है। अभी हाल ही के वर्षों में, सघन कृषि की ओर मछली की कृषि की अवस्था बदलने के साथ, निर्मित संतुलित भोजनों ने पर्याप्त ध्यान आकर्षित किया है। चूंकि भोजन कार्प की कृषि में आवर्ती व्यय का 60% से अधिक का गठन करता है और अभी हाल ही में निकले हुए तैरने वाले टिकियों के भोजन का प्रारम्भ जल-कृषि के फार्मों का ध्यान आकर्षित करते चले आ रहे हैं। ये तैरती हुई टिकियों के निर्मित भोजन कचरे के निस्तारण के बिना तालाब की तलहटी को साफ रखने में सहायता करते हैं जैसा कि चावल की भूसी और तेल की खली के सूखे चूरे वाले भोजन के वर्तमान प्रयोग से देखा जा सकता है। वर्तमान समय में, तैरने वाली टिकियों के निकले हुए भोजन का उत्पादन करने वाले भोजन मिलों के संयंत्र नहीं हैं और इस रुप में बोई टिकियों वाले मछलियों के भोजन का उत्पादन करने वाली इकाईयों की स्थापना करने के लिये वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा।
सहायता के घटक
(1) भवन के बुनियादी ढाँचे का सृजन
(2) तैरने वाली टिकियों के निकले हुए मछलियों के भोजनों के लिये उपयोग की जाने वाली मशीनरी (आयातित एवं देशी) का क्रय एवं स्थापना।
(3) केवल पहले महीने के लिये परिचालन लागत।
5.3 पात्रता के मापदंड
5.4 इकाई की लागत (पूँजी-निवेश की लागत)
इकाई की लागत अर्थात् 100 टन/दिन (प्रतिदिन 10 घंटे के हिसाब से 5-9 टन/घंटा) की मत्स्य भोजन की इकाई की स्थापना के लिये पूँजी-निवेश की लागत 30 दिनों के लिये 100 टन/दिन की दर से मछली के भोजन के 3000 टन के एक महीने के उत्पादन के लिये रु.480.00 लाख की परिचालन लागत के साथ रु.500.00 लाख रुपये होगी। एन.एफ.डी.बी. की सहायता केवल एक महीने की परिचालन लागत के अतिरिक्त, पूँजी-निवेश की 20% साम्या के रुप में होगी। प्रार्थना-पत्र का प्रारुप फार्म ओ.ए.-V में दिया गया है।
5-9 टन/घं. उच्च गुणवत्ता वाले प्लावी मत्स्य-भोजन के उत्पादन के लिये उपस्कर के वास्ते मशीनरी की लागत |
रु.464.20 लाख
|
भवन का निर्माण, विद्युतीकरण, मशीनरी की स्थापना, मल-जल निकासी प्रणाली इत्यादि
|
रु.35.80 लाख
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कुल रु. : |
500.00 लाख |
पहले महीने की परिचालन लागत (1200 टन/माह के उत्पादन के लिये और रु.16/कि.ग्रा. की दर से उत्पादन की लागत)
|
रु. 19.00 लाख
|
कुल रु. |
692.00 लाख
|
6.1 परिचय
यह भी आवश्यक समझा गया है कि सैद्धांतिक प्रशिक्षण के साथ-साथ, विभिन्न राज्यों / संघ-शासित क्षेत्रों के क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और प्रगतिशील किसानों को उन स्थानों का दौरा करने का एक अवसर दिया जाना चाहिये जहाँ अच्छे प्रबंधन के प्रयोगों के साथ जल-कृषि की जा रही है। ये प्रशिक्षित कार्मिक इसके बदले में अपने क्षेत्र के किसानों को वही दक्षताएं पारेषित करते हैं। क्षेत्र के इन कार्यकर्ताओं और प्रगतिशील किसानों को जल-कृषि के व्यावहारिक पहलुओं को समझने के लिये पड़ोसी राज्यों में 5 दिनों की प्रदर्शन-सैरें करने की अनुमति दी जा सकती है। यह कार्यक्रम संबंधित राज्यों के मात्स्यिकी विभागों द्वारा उनके स्थापित प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से आयोजित किया जा सकता है।
6.2 पात्रता के मापदंड
मात्स्यिकी निदेशक, प्रदर्शन सैरों के ऐसे प्रशिक्षण के लिये क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को नामित कर सकते हैं। पहचान किये गये प्रगतिशील किसानों की मात्स्यिकी निदेशक को सूचना देते हुए अंचल/जिला स्तरीय अधिकारियों के द्वारा पहचान की जा सकती है। एक वर्ष में विभाग के क्षेत्र के अधिकारियों के लिये 2 कार्यक्रम और प्रगतिशील किसानों के लिये 2 कार्यक्रम हो सकते हैं। इस प्रदर्शन में 10 दिनों के कार्यक्रम का एक घटक हो सकता है जिसमें 5 दिनों का सैद्धांतिक प्रशिक्षण और पड़ोसी राज्यों में प्रगतिशील किसानों द्वारा अभ्यास की जा रही जल-कृषि के अच्छे क्षेत्र का 5 दिवसीय प्रदर्शन हो सकता है। इस प्रशिक्षण की लागत के साथ-साथ, सहभागियों को 5 दिन की प्रदर्शन सैर की अवधि में सहभागियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में उनके आवास के लिये रु.200/- प्रतिदिन की दर से भुगतान किया जा सकता है।
6.3 इकाई की लागत
क्र.सं. |
विवरण
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धनराशि |
1. |
प्रशिक्षुओं की संख्या |
30
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2. |
10 दिनों के लिये रु.125/दिन की दर से प्रशिक्षण लागत
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रु.37,500/- |
3. |
यात्रा की लागत (क) बस, यदि किराये पर ली गई है तो रु.20/कि.मी. परन्तु 1500 से अधिक नहीं (ख) सार्वजनिक परिवहन - रेल गाड़ी/कि.मी. (द्वितीय श्रेणी शयनयान) |
रु.30,000/- वास्तविक |
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4. |
5 दिनों के लिये रु.200/दिन/व्यक्ति की दर से आवासीय प्रभार |
रु.30,000/- |
5. |
संस्थागत सेवा रु.75/कृषक/दिन की दर से
|
रु.22,500/- |
नोट: प्रति बैच कुल लागत रु.1,10,000/- से रु.1,30,000/- के मध्य भिन्न हो सकती है। परिवहन का बिल उपभोग प्रमाण-पत्र (उप.प्र.) के साथ-साथ ही दिया जाना है। |
7.1 परिचय
मात्स्यिकी के क्षेत्र में महिलाओं को प्रशिक्षित करना और सशक्त बनाना - राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के उद्देश्यों में से एक है। इस दिशा में केंद्रित की गई पहुँच देश में खाद्य और पोषण संबंधी सुरक्षा की ओर मछली के योगदान में वृद्धि में सुधार करेगी जो बोर्ड का दूसरा उद्देश्य है।
महिलाओं पर आधारित मात्स्यिकी के क्रिया-कलापों में कौशल की कमी, परम्परागत प्रौद्योगिकियों का विविधीकरण, आपदा हेतु तत्परता, शराब का सेवन, मादक पदार्थों की लत, घरेलू हिंसा, स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित समस्याएं, एच.आई.वी./एड्स संक्रामक रोग मछुआरों के विकास के लिये बड़ी बाधाएं हैं। इन समस्याओं को मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये मछुआरनों के माध्यम से संबोधित किये जाने की जरुरत है।
क्षमता निर्माण के माध्यम से मात्स्यिकी के क्षेत्र में महिलाओं का सशक्तीकरण भारतीय मात्स्यिकी के क्षेत्र में महिलाओं को प्रभावित करने वाली प्रमुख समस्याओं को संबोधित करने की ओर एक कदम है। मात्स्यिकी के शोध, शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशिक्षण में शामिल विभिन्न संबंधित संगठनों को, मात्स्यिकी में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये उनकी विशेज्ञता का अंशदान करने के लिये, उनको एक साथ लाने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। मछुआरनों की क्षमता का निर्माण और उपरोक्त समस्याओं पर उनकी जागरुकता बढ़ाना और महिलाओं के अनुकूल प्रौद्योगिकियाँ, सशक्तीकरण के लिये उपकरणों के रुप में उद्देश्य की पूर्ति करेंगीं।
7.2 पात्रता के मापदंड
गैर-सरकारी संगठन जो मात्स्यिकी के क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तीकरण के कार्य में संलग्न है, उसे इस उद्देश्य की प्राप्ति करने के लिये कार्य सौंपा जायेगा। वर्ष 2008-09 की अवधि में, प्रत्येक तटीय राज्य/सं.शा.क्षेत्र में 250 मछुआरिनों को सशक्त बनाने का कार्य प्रस्तावित है। कार्यान्वयन करने वाले एन.जी.ओ. को बड़े मत्स्य-आखेट वाले ग्रामों में (परिसर से दूर प्रशिक्षण) इस परियोजना का आयोजन करना है।
कौशल प्रशिक्षण, सूक्ष्मवित्त, सामाजिक अभियान, जीवन को संगठित करने वाला कार्यक्रम, सामुदायिक स्वास्थ्य, जल की स्वच्छता, विद्यालय के हस्तक्षेप वाला कार्यक्रम, वाहक संबंधी दिशा-निर्देश, आपदा हेतु तत्परता, इत्यादि के वर्थ्य-विषय क्षमता निर्माण कार्यक्रम में शामिल किये जाने हैं।
7.3 इकाई की लागत
इकाई की लागत में 6 दिन की प्रशिक्षण अवधि शामिल होती है और निम्नलिखित क्रिया-कलापों को इस कार्यक्रम के अंतर्गत वित्तपोषित किया जायेगा।
(1) मछुआरनों को सहायताः मछुआरिने रु.125/दिन के दैनिक भत्ते की पात्र होंगीं और उन्हें आने-जाने की यात्रा (रेल/बस) की धनराशि की वास्तविक प्रतिपूर्ति वास्तविक के अनुसार, वशर्ते रु.500/- तक प्रतिपूर्ति की जायेगी।
(2) संसाधन वाले व्यक्ति को मानदेयः प्रशिक्षण का आयोजन करने के लिये एन.जी.ओ. को विभिन्न क्षेत्रों से संसाधन वाले कार्मिक की सेवाएं लेनी हैं। संसाधन वाले कार्मिक को मानदेय और यात्रा-व्यय के लिये रु.4,500/- की धनराशि का उपयोग किया जा सकता है।
(3) क्रियान्वयन करने वाले अभिकरणों को सहायता: प्रशिक्षण का आयोजन करने के लिये क्रियान्वयन करने वाला अभिकरण, अधिकतम 6 दिन की अवधि के लिये रु.75/प्रशिक्षु/दिन की दर से धनराशि प्राप्त करने का पात्र होगा। इस लागत में प्रशिक्षु की पहचान और लामबंदी करने और पाठ्यक्रम-सामग्री/प्रशिक्षण की किटें इत्यादि के लिये किये गये व्यय शामिल होंगे।
अनुमानित व्यय/बैच
क्र.सं. |
विवरण
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मात्रा/अनुमान
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कुल व्यय (रु.)
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1.
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दैनिक भत्ता
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25 प्रशिक्षु X6 दिन X रु.125/दिन
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18,750/
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2. |
प्रशिक्षु को यात्रा-सहायता
|
25 प्रशिक्षु X रु.500/- प्रशिक्षु |
12,500/
|
3.
|
संसाधन वाले कार्मिक के लिये मानदेय और यात्रा-सहायता
|
एकमुश्त |
4,500/
|
4. |
क्रियान्वयन करने वाले एन.जी.ओ. के लिये संस्थागत प्रभार |
25 प्रशिक्षु X6 दिन X रु.75/-
|
11,250/ |
|
योग
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47,000/-
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7.4 प्रस्तावों का प्रस्तुतीकरण
कार्यान्वयन करने वाले एन.जी.ओ. से एन.एफ.डी.बी. को एक विस्तृत परियोजना का प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जायेगी जिसमें प्रस्तावित प्रशिक्षण की व्यवहार्यता भी सम्मिलित होगी। यह प्रस्ताव नीचे दिये गये फार्म-ओ.ए.-7 के अनुसार प्रस्तुत किया जायेगा।
7.5 उपभोग प्रमाण-पत्र का प्रस्तुतीकरण
एन.जी.ओ., बोर्ड द्वारा उनको जारी जी गई निधियों के संबंध में उपभोग प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करेंगे। | ऐसे प्रमाण-पत्र परियोजना के पूर्ण होने पर फार्म ओ.ए.-8 में प्रस्तुत किये जायेंगे।
लाभार्थियों से प्राप्त प्रस्ताव, एन.एफ.डी.बी. को अनुमोदन और निधियाँ जारी करने के लिये प्रस्तुत किये जायेंगे। किसानों और कार्यान्वयन करने वाले अभिकरणों के द्वारा दिये गये विवरणों में एकरुपता सुनिश्चित करने के लिये, प्रार्थना-पत्र निम्नलिखित प्रारुप में प्रस्तुत किया जायेगा:
(1) फार्म ओ.ए.-1: प्रदर्शन हेतु कृत्रिम शैलभित्तियों / मछलियाँ संचित करने के उपायों की स्थापना करने के लिये प्रार्थना-पत्र
(2) फार्म ओ.ए.-2: प्रदर्शन हेतु धावनपथों में ट्राउट की कृषि की इकाईयों की स्थापना करने के लिये प्रार्थना-पत्र
(3) फार्म ओ.ए.-3: प्रदर्शन हेतु ट्राउट की हैचरियों और भोजन की इकाईयों की स्थापना करने के लिये प्रार्थना-पत्र
(4) फार्म ओ.ए.-4: अंतर्देशीय आलंकारिक मत्स्य-कृषि, आलंकारिक पौधों-प्रजनन / पालन / बिक्री / मत्स्यालयों के निर्माण और बिक्री में प्रशिक्षण हेतु प्रार्थना-पत्र
(5) फार्म ओ.ए.-5: | मछली / स्कैम्पी / श्रिंप की भोजन की इकाईयों के प्रदर्शन हेतु प्रार्थना-पत्र (6) फार्म ओ.ए.-6: प्रदर्शन-सैरों के लिये प्रार्थना-पत्र (वही प्रारुप जो प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिये है)
(7) फार्म ओ.ए.-7: महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु प्रार्थना-पत्र (वही प्रारुप जो प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिये है)
(8) फार्म ओ.ए.-8: उपयोग प्रमाण-पत्र
निधियाँ दो समान किश्तों में जारी की जायेंगीं। पहली किश्त, प्रस्ताव के अनुमोदन के तुरंत बाद जारी की जायेगी। दूसरी किश्त, कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण से प्रथम किश्त के उपभोग प्रमाण-पत्र की प्राप्ति पर जारी की जायेगी।
कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण, बोर्ड द्वारा उनको जारी की गई निधियों के संबंध में उपभोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेंगे। ऐसे प्रमाण-पत्र फार्म-2 में अर्द्ध-वार्षिक आधार पर अर्थात् प्रत्येक वर्ष जुलाई और जनवरी के दौरान प्रस्तुत किये जायेंगे। उपभोग प्रमाण-पत्र उस अवधि के दौरान भी प्रस्तुत किये जा सकते हैं यदि वे क्रिया-कलाप जिनके लिये निधियाँ पूर्व में जारी की गई थीं, वे पूरे हो चुके हैं और साम्या शेयर की अगली खुराक, कृषक द्वारा शेष कार्यों को पूरा करने के लिये अपेक्षित है।
एक समर्पित अनुश्रवण और मूल्यांकन (एम.एंड ई.) कक्ष, एन.एफ.डी.बी. द्वारा वित्तपोषण के अंतर्गत क्रियान्वयन किये गये क्रिया-कलापों की प्रगति का आवधिक रुप से अनुश्रवण और मूल्यांकन करने के लिये, एन.एफ.डी.बी. के मुख्यालय पर स्थापित की जायेगी। परियोजना का अनुश्रवण करने वाली एक समिति जिसमें विषय-वस्तु और वित्त के विशेषज्ञ और वित्तपोषण करने वाले संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, भौतिक, वित्तीय और उत्पादन-लक्ष्यों से संबंधित उपलब्धियों को शामिल करते हुए, क्रिया-कलापों की प्रगति की आवधिक रुप से संवीक्षा करने के लिये गठित की जायेगी।
अनुलग्नक-1
प्रशिक्षण और प्रदर्शन के वास्ते सहायता हेतु मापदंडों का सारांश
क्र.सं. |
मद |
क्रिया-कलाप
|
इकाई की लागत |
सहायता
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टिप्पणियाँ
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1.0 |
प्रशिक्षण और प्रदर्शन |
(1) 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहभागिता हेतु किसानों को सहायता (25-30 का बैच) (2) संसाधन वाले व्यक्तियों को मानदेय (3) प्रशिक्षण और प्रदर्शन हेतु कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण को सहायता
|
(1) रु.125/दिवस/प्रशिक्षु को दैनिक भत्ता और आने और जाने की यात्रा के वास्तविक व्ययों की प्रतिपूर्ति वशर्ते रु.500 प्रति प्रशिक्षु अधिकतम (2) रु.1250/- का मानदेय और आने-जाने की यात्रा के वास्तविक व्यय, वशर्ते रु.1000/- अधिकतम (3) पहचान, लाभार्थियों को प्रेरित करने, प्रशिक्षण सामग्री की आपूर्ति इत्यादि के वास्ते कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण को रु.75/प्रशिक्षु/दिवस (4) इनके लिये रु.1.0 लाख का अनुदान नियमित प्रशिक्षण/प्रदर्शन के क्रिया-कलापों का आयोजन करने के लिये कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण को प्रदर्शन की इकाई का विकास। (5) अपनी स्वयं की सुविधा के अभाव में, निजी इकाई को पट्टे पर लेने के लिये और प्रशिक्षण/प्रदर्शन इत्यादि का आयोजन करने के लिये इसके विकास हेतु राज्य सरकार को रु.50,000 का अनुदान उपलब्ध होगा। (6) उपरोक्त (4) और (5) के अभाव में, निजी कृषक से उपयुक्त सुविधा किराये पर लेने के लिये रु.5,000/- प्रति प्रशिक्षण कार्यक्रम। (7)आई.सी.ए.आर. के मात्स्यिकी के संस्थान/राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के अधीन मात्स्यिकी के महाविद्यालय/अन्य अभिकरण जो अपनी स्वयं की सुविधा का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें इस उद्देश्य हेतु रु.5,000/- प्रति प्रशिक्षण कार्यक्रम की एकमुश्त धनराशि प्राप्त होगी। |
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स्त्रोत: पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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