प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) भारत सरकार का सब्सिडी युक्त कार्यक्रम है। यह दो योजनाओं- प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाई) और ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम को मिलाकर बनाया गया है। इस योजना का उद्घाटन 15 अगस्त, 2008 को किया गया।
उद्देश्य
वित्तीय सहायता की मात्रा और स्वरूप
पीएमईजीपी के तहत अनुदान के स्तर
पीएमईजीपी के तहत लाभार्थियों की श्रेणी |
लाभार्थियों का योगदान (परियोजना की लागत में) |
सब्सिडी की दर |
|
क्षेत्र (परियोजना/इकाई का स्थान) |
|
शहरी
|
ग्रामीण
|
सामान्य श्रेणी |
10% |
15% |
25% |
विशेष (अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक/महिलाएं, पूर्व सैनिक, विकलांग, एनईआर, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्र आदि |
5% |
25% |
35% |
नोट:
लाभार्थी की योग्यता के मानक
अन्य योग्यताएं
नोट:
क्रियान्वयन अभिकरण
योजना, राष्ट्रीय स्तर पर एकल केंद्रीय अभिकरण, खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 द्वारा बनाई गई एक स्वायत्त संस्था खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), मुम्बई द्वारा क्रियान्वित की जाएगी। राज्य स्तर पर योजना केवीआईसी के राज्य निदेशालयों, राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (केवीआईबी) और ग्रामीण क्षेत्रों में जिला उद्योग केन्द्रों के जरिए क्रियान्वित की जाएगी। शहरी क्षेत्रों में योजना केवल राज्य जिला उद्योग केन्द्रों (डीआईसी) द्वारा ही क्रियान्वित की जाएगी।
पीएमईजीपी के अंतर्गत प्रस्तावित अनुमानित लक्ष्य
चार वर्षों (2008-09 से 2011-12) के दौरान पीएमईजीपी के अंतर्गत प्रस्तावित निम्न अनुमानित लक्ष्य हैं-
वर्ष |
रोजगार (संख्या में) |
मार्जिन राशि (सब्सिडी) (करोड़ में) |
2008- 2009 |
616667 |
740.00 |
2009- 2010 |
740000 |
888.00 |
2010- 2011 |
962000 |
1154.40 |
2011- 2012 |
1418833 |
1702.60 |
योग |
3737500 |
4485.00 |
नोट:
गतिविधियों की काली सूची
लघु उद्यम/परियोजना/इकाई के लिए पीएमईजीपी के अंतर्गत निम्न गतिविधियां स्वीकृत नहीं होंगी।
(क) मांस से सम्बन्धित कोई भी उद्योग/व्यवसाय जिसमें प्रसंस्करण, डिब्बाबंद और/या भोजन के रूप में परोसे जाने वाले व्यंजन, सृजन/विनिर्माण या बीड़ी/पान/सिगार/सिगरेट आदि जैसे नशे के पदार्थ की बिक्री, कोई होटल या ढाबा या शराब परोसने की दुकान, कच्ची सामग्री के तौर पर तंबाकू की तैयारी/सृजन, ताड़ी की बिक्री,
(ख) फसल उगाने/पौधारोपण जैसे चाय, कॉफी रबर आदि, रेशम की खेती, बागबानी, फूलों की खेती, पशुपालन जैसे सुअर पालन, मुर्गीपालन, कटाई मशीन आदि से सम्बन्धित कोई भी उद्योग/व्यवसाय,
(ग) 20 माइक्रॉन की मोटाई से कम के पॉलीथिन के लाने ले जाने वाले थैलों का विनिर्माण या संग्रहण के लिए, लाने ले जाने के लिए, आपूर्ति या खाने के सामान की पैकिंग के लिए या अन्य कोई भी सामान जो पर्यावरण प्रदूषण का कारण बने, जैसे रिसाइकिल की हुई प्लास्टिक से बने कंटेनर,
(घ) पश्मीना ऊन के प्रसंस्करण जैसे उद्योग और हथकरघा और बुनाई वाले अन्य उत्पाद, जिसका प्रमाणन नियमों के तहत खादी कार्यक्रम के अंतर्गत फायदा उठाया जा सकता है और बिक्री में रियायत प्राप्त की जा सकती है।
(च) ग्रामीण परिवहन (अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में ऑटो रिक्शा, जम्मू-कश्मीर में हाउस बोट, शिकारा और पर्यटक बोट और साइकिल रिक्शा छोड़कर)।
प्रश्न: पीएमईजीपी के तहत अधिकतम परियोजना लागत क्या है ?
उत्तर: मैन्युफैक्चरिंग इकाई के लिए 25 लाख रुपये और सेवा इकाई के लिए 10 लाख रुपये।
प्रश्न: क्या भूमि का मूल्य भी परियोजना लागत में शामिल है ?
उत्तर:नहीं।
प्रश्न: कितना पैसा (सरकारी सब्सिडी) स्वीकार्य है ?
उत्तर:
|
सब्सिडी का मूल्य (मार्जिन राशि) |
|
क्षेत्र (परियोजना/इकाई का स्थान) |
शहरी |
ग्रामीण |
सामान्य श्रेणी |
15% |
25% |
विशेष (अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक/महिलाएं, पूर्व सैनिक, विकलांग, एनईआर, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्र आदि। |
25% |
35% |
प्रश्न: परियोजना लागत के घटक क्या हैं ?
उत्तर- पूंजी व्यय ऋण, कार्यकारी पूंजी का एक चक्र और सामान्य श्रेणी के मामले में अपने हिस्से के तौर पर परियोजना लागत का 10 प्रतिशत और कमजोर वर्ग के मामले में परियोजना लागत का 5 प्रतिशत।
प्रश्न: लाभार्थी कौन हैं ?
उत्तर: उद्यमी, संस्थान, सहकारी संस्थाएं, स्वयंसेवी समूह, ट्रस्ट।
प्रश्न: कौन सी वित्तीय एजेंसियां हैं ?
उत्तर: सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी), सम्बन्धित राज्य कार्य बल समिति से स्वीकृत सहकारी और निजी सूचीबद्ध व्यावसायिक बैंक।
प्रश्न: पूंजी व्यय ऋण/नकद सीमा कैसे प्रयोग में लाई जाएगी ?
उत्तर: कार्यशील पूंजी को कम से कम एक बार एमएम की लॉक-इन अवधि के तीन वर्ष के भीतर नकद उधार की 100 प्रतिशत सीमा को छूना चाहिए और औसतन स्वीकृत की गई सीमा का 75 प्रतिशथ से कम का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
प्रश्न: लाभार्थी को अपना आवेदन पत्र कहां जमा करना होगा ?
उत्तर: लाभार्थी अपना आवेदन नजदीकी केवीआईसी/केवीआईबी/डीआईसी अधिकारी के पास या किसी भी बैंक (जो कम से कम 2-3 हफ्ते का ईडीपी प्रशिक्षण ले चुका हो्) के पास जमा करवा सकते हैं। केवीआईसी/केवीआईबी/डीआईसी के कार्यालयों के पते www.pmegp.in पर उपलब्ध हैं।
प्रश्न: ग्रामोद्योग क्या हैं ?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्र में किसी भी ग्रामीण उद्योग (काली सूची में दिए गए को छोड़कर) जो किसी भी सामान का उत्पादन करता हो या फिर बिजली के प्रयोग और उसके बिना कोई सेवा देता और जिसमें मैदानी इलाकों में पूर्णकालिक दस्तकार या कार्यकर्ता के लिए अचल पूंजी निवेश एक लाख रुपये से अधिक न हो और पहाड़ी क्षेत्रों में डेढ़ लाख रुपये से अधिक।
प्रश्न: ग्रामीण क्षेत्र क्या होता है ?
उत्तर: जनसंख्या का कोई भी क्षेत्र जो राज्य के राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक गांव के तौर पर शामिल हो। इसमें वे क्षेत्र भी शामिल होते हैं जो कस्बे के तौर पर होते हैं, लेकिन जिनकी जनसंख्या 20 हजार से अधिक नहीं होती।
प्रश्न: आयु सीमा क्या है ?
उत्तर: 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी वयस्क आरईजीपी के तहत वित्त के लिए योग्य है।
प्रश्न: परियोजना की प्रमुख कसौटी क्या है ?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्र की (ग्रामीण क्षेत्र की परियोजना के लिए) प्रति व्यक्ति निवेश, अपना योगदान, काली सूची और इकाई के नए होने की कसौटी को पूरा करना चाहिए ।
प्रश्न: क्या ईडीपी प्रशिक्षण अनिवार्य है ?
उत्तर: लाभार्थी के लिए बैंक लोन की पहली किस्त के आने से पहले 2-3 हफ्ते का ईडीपी प्रशिक्षण पूरा करना अनिवार्य है।
प्रश्न: क्या सुरक्षा की गारंटी आवश्यक है ?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के मुताबिक पीएमईजीपी लोन के तहत 5 लाख रुपये तक की परियोजना लागत सुरक्षा गारंटी से मुक्त है। सीजीटीएसएमई 5 लाख रुपये तक और पीएमईजीपी योजना के तहत 25 लाख रुपये तक की परियोजना के लिए सुरक्षा गारंटी देते हैं।
प्रश्न: परियोजना की तैयारी के लिए लाभार्थी के लिए क्या हेल्पलाइन है ?
उत्तर: परियोजना रिपोर्ट की तैयारी में उद्यमियों की सहायता के लिए केवीआईसी ने 73 आरआईसीएस इकाइयां खोली हैं। संबंधित पता- www.pmegp.in या www.kvic.org.in पर देखी जा सकती है।
प्रश्न: क्या कोई उद्यमी एक से अधिक परियोजना जमा कर सकता है ?
उत्तर: पीएमईजीपी के तहत लाभाथियों को बड़ी संख्या में लाभ देने के लिए एक परिवार द्वारा एक इकाई स्थापित की जा सकती है।
प्रश्न: परिवार की परिभाषा क्या है ?
उत्तर:पति और पत्नी।
प्रश्न: क्या शहरी क्षेत्र में इकाई स्थापित की जा सकती है ?
उत्तर: हां,लेकिन डीआईसी के जरिए।
प्रश्न: क्या मौजूदा इकाई पीएमईजीपी के तहत अनुदान को ले सकती है ?
उत्तर: नहीं, केवल नई इकाई ही।
प्रश्न: क्या केवीआईसी के साथ मॉडल परियोजनाएं उपलब्ध हैं ?
उत्तर: हां, उद्योगवार मॉडल परियोजनाएं www.pmegp.in पर उपलब्ध है।
प्रश्न: ईडीपी का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रशिक्षण केन्द्र कहां हैं ?
उत्तर: हमारी वेबसाइट www.pmegp.in पर ईडीपी प्रशिक्षण केन्द्रों की सूची उपलब्ध है।
प्रश्न: सरकारी सब्सिडी के लिए लॉक-इन अवधि क्या है ?
उत्तर: तीन वर्ष।
प्रश्न: क्या दो विभिन्न स्रोतों से संयुक्त रूप से वित्त लिया जा सकता है (बैंक/वित्तीय संस्थान) ?
उत्तर: नहीं, इसकी अनुमति नहीं है।
प्रश्न: आवेदक को स्वयं कितना योगदान करना होगा ?
उत्तर :
|
लाभार्थी का योगदान |
सामान्य श्रेणी |
10% |
विशेष (अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक/महिलाएं, पूर्व सैनिक, विकलांग, एनईआर, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्र आदि |
05% |
स्रोत: www.kvic.org.in
खादी और ग्रामोद्योग के लिए ग्रामीण उद्योग सेवा केंद्र (आरआईएससी)
उद्देश्य
योजना
'ग्रामीण उद्योग सेवा केन्द्र' सामान्य सुविधा है जिसका उद्देश्य ढांचागत सहायता और स्थानीय इकाइयों को अपनी उत्पादन क्षमता, कौशल उन्नयन और बाजार प्रसार जैसी जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराना है।
ग्रामीण उद्योग सेवा केन्द्र (आरआईएससी) को निम्नलिखित सेवाओं में से एक को कवर करना चाहिए-
(क) उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्थापित प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षण सुविधा उपलब्ध कराना।
(ख) उत्पाद में मूल्य संवर्द्धन या उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए सुविधा के तौर पर स्थानीय समूहों/कलाकारों द्वारा प्रयोग की जा सकने वाली सामान्य अच्छी मशीनरी/उपकरण उपलब्ध कराना
(ग) अपने उत्पादों के बेहतर विपणन के लिए स्थानीय समूहों/कलाकारों को आकर्षक और उपयुक्त पैकेजिंग सुविधा और मशीनरी उपलब्ध कराना।
क्रियान्वयन एजेंसियां
आरआईएससी के अंतर्गत आने वाले उद्योग
वित्तीय मॉडल
1. 25 लाख रुपये तक की गतिविधि के लिए
|
उत्तर पूर्वी राज्य |
अन्य क्षेत्र
|
(क) केवीआईसी की हिस्सेदारी |
80% |
75% |
(ख) अपना योगदान |
20% |
25% |
2. पांच लाख रुपये तक की गतिविधि के लिए
वित्तीय मॉडल |
उत्तर पूर्वी राज्य |
अन्य क्षेत्र |
(क) केवीआईसी की हिस्सेदारी |
90% |
75% |
(ख) अपना योगदान या बैंक /वित्तीय संस्थान से लोन |
10% |
25% |
उत्तरी पूर्वी राज्यों के मामले में 5 लाख तक की परियोजना लागत के लिए परियोजना की 90 फीसदी लागत केवीआईसी द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी।
वित्तीय सहायता के नियम
1. 25 लाख रुपये तक की गतिविधि के लिए
|
कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण और/या उत्पाद सूची (पहले ही कौशल उन्नयन प्रशिक्षण आदि उपलब्ध कराया जाएगा) |
परियोजना लागत का अधिकतम 5 फीसदी |
2 |
क्रियान्वयन पूर्व और मंजूरी के बाद के खर्च |
परियोजना लागत का अधिकतम 5 फीसदी |
3 |
निर्माण/ढांचा (क्रियान्वयन एजेंसी के पास अपनी भूमि होनी चाहिए, क्रियान्वयन एजेंसी के पास अपनी तैयार इमारत के मामले में परियोजना लागत का 15 फीसदी कम हो जाएगा) उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा मूल्यांकन के अधीन। |
परियोजना लागत का अधिकतम 15 फीसदी |
4 |
विनिर्माण और/या परीक्षण सुविधा के लिए संयंत्र और मशीनरी तथा पैकेजिंग (समझौते के मुताबिक पूर्ण पंजीकरण प्राप्त मशीनरी विनिर्माता/आपूर्तिकर्ता जिसके पास संस्थान/फेडरेशन से मान्यता प्राप्त बिक्री कर संख्या हो, उसे मशीनरी जारी की जानी चाहिए |
परियोजना लागत का अधिकतम 50 फीसदी
|
5 |
कच्चा माल/नया डिजाइन, उत्पाद विविधीकरण आदि |
परियोजना लागत का अधिकतम 25 फीसदी |
नोटः (परियोजना लागत में भूमि का मूल्य शामिल किया जाना चाहिए)
लाख रुपये तक की गतिविधि के लिए
नीचे दिए गए नियमों के मुताबिक वित्तीय सहायता होनी चाहिए-
|
निर्माण/ढांचा |
परियोजना लागत का अधिकतम 15 फीसदी |
ख |
संयंत्र और विनिर्माण के लिए मशीनरी और/या परीक्षण सुविधा और पैकेजिंग |
परियोजना लागत का अधिकतम 50 फीसदी |
ग |
कच्चा माल/नया डिजाइन, उत्पाद विविधीकरण, आदि |
परियोजना लागत का अधिकतम 25 फीसदी |
घ |
कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण और/या उत्पाद सूची |
परियोजना लागत का अधिकतम 10 फीसदी |
नोटः हालांकि क, ग और घ में दी गई राशि को जरूरत के हिसाब से कम किया जा सकता है।
वित्तीय सहायता के लिए प्रक्रिया
(1) 25 लाख रुपये तक की गतिविधि के लिए राज्य/प्रखंड अधिकारियों की परिवीक्षा समिति
25 लाख रुपये तक के ग्रामीण उद्योग सेवा केन्द्र (आरआईएससी) की स्थापना और अनुदान के उद्देश्य के लिए राज्य/प्रखंड स्तरीय गठित की गई समिति द्वारा परियोजना प्रस्ताव की सिफारिश में निम्नलिखित शामिल होंगे।
(1) |
राज्य सरकार के सम्बन्धित निदेशक या उनके प्रतिनिधि लेकिन अतिरिक्त निदेशक के पद से नीचे के नहीं |
सदस्य |
(2) |
सम्बन्धित राज्य केवीआई बोर्ड के सीईओ |
सदस्य |
(3) |
राज्य/प्रखंड में बड़े बैंक के प्रतिनिधि |
सदस्य |
(4) |
नाबार्ड के प्रतिनिधि |
सदस्य |
(5) |
राज्य में अधिकतम कारोबार करने वाले केवीआई संस्थान के सचिव |
सदस्य |
(6) |
एस एंड टी के प्रतिनिधि जो राज्य के करीब हों |
सदस्य |
7) |
राज्य निदेशक, केवीआईसी |
सदस्य |
शर्तें और संदर्भ:
तकनीकी संभाव्यता
परियोजना की संभाव्यता का केवीआईसी/इंजीनियरिंग कॉलेज/कृषि कॉलेज, विश्वविद्यालय/पॉलिटेक्निक के तकनीकी इंटरफेस द्वारा अध्ययन किया जा सकता है। इस अध्ययन की लागत क्रियान्वयन पूर्व खर्चों में जोड़ी जा सकती है अथवा इसके लिए किसी विशेषज्ञ को शामिल किया जा सकता है जिसके पास पर्याप्त तकनीकी ज्ञान हो।
अनुदान का तरीका
एक बार जब 25 लाख रुपये तक की परियोजना के राज्य स्तरीय मूल्यांकन समिति द्वारा मंजूर कर लिया जाता है, तो राज्य निदेशक द्वारा उसे मुख्यालय के सम्बन्धित कार्यक्रम निदेशक को अग्रसारित कर दिया जाता है जो मामले के मुताबिक उसे एसएफसी खादी या ग्रामोद्योग के समक्ष अंतिम मंजूरी के लिए रखेगा।
अनुदान का आवंटन
परियोजना के लिए मंजूर राशि को लाभार्थी संस्थान को तीन किस्तों में दिया जाएगा और ऐसे संस्थान को अपनी हिस्सेदारी को खर्च करने के बाद किया जाएगा।
1 |
संस्थान को कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण और/या उत्पाद सूची के लिए संस्थान को अपनी तरफ से परियोजना के स्टाफ ऑपरेशन के लिए जरूरी प्रशिक्षण देना होगा जो उसके अपने खर्चों से होगा |
परियोजना लागत का अधिकतम 10 फीसदी
|
2 |
क्रियान्वयन पूर्व और मंजूरी के बाद के खर्च। |
परियोजना लागत का अधिकतम 5 फीसदी |
3 |
निर्माण/ढांचा (क्रियान्वयन एजेंसी के पास अपनी भूमि होनी चाहिए, क्रियान्वयन एजेंसी के पास अपनी तैयार इमारत के मामले में परियोजना लागत का 15 फीसदी कम हो जाएगा) उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा मूल्यांकन के अधीन। |
परियोजना लागत का अधिकतम 15 फीसदी
|
4 |
विनिर्माण और/या परीक्षण सुविधा के लिए संयंत्र और मशीनरी तथा पैकेजिंग (समझौते के मुताबिक पूर्ण पंजीकरण प्राप्त मशीनरी विनिर्माता/आपूर्तिकर्ता जिसके पास संस्थान/संघ से मान्यता प्राप्त बिक्री कर संख्या हो, उसे मशीनरी जारी की जानी चाहिए |
परियोजना लागत का न्यूनतम 50 फीसदी
|
5 |
कच्चा माल/नया डिजाइन, उत्पाद विविधीकरण आदि। |
परियोजना लागत का अधिकतम 25 फीसदी
|
क्रियान्वयन की औपचारिकताएं
पर्यवेक्षण
पांच लाख रुपये तक की गतिविधि के लिए
पांच लाख रुपये तक के ग्रामीण उद्योग सेवा केन्द्र (आरआईएससी) की स्थापना और अनुदान के उद्देश्य के लिए राज्य/प्रखंड स्तरीय गठित की गई समिति द्वारा परियोजना प्रस्ताव की मंजूरी में निम्नलिखित शामिल होंगे।
(1) |
राज्य सरकार के सम्बन्धित निदेशक या उनके प्रतिनिधि लेकिन अतिरिक्त निदेशक के पद से नीचे के नहीं |
सदस्य |
(2) |
सम्बन्धित राज्य केवीआई बोर्ड के सीईओ |
सदस्य |
(3) |
राज्य/प्रखंड में बड़े बैंक के प्रतिनिधि |
सदस्य |
(4) |
नाबार्ड के प्रतिनिधि |
सदस्य |
(5) |
राज्य में अधिकतम कारोबार करने वाले केवीआई संस्थान के सचिव |
सदस्य |
(6) |
एस एंड टी के प्रतिनिधि जो राज्य के करीब हों |
सदस्य |
(7) |
राज्य निदेशक, केवीआईसी |
संयोजक |
शर्तें और संदर्भ:
अनुदान का आवंटन
समिति द्वारा प्रस्ताव की मंजूरी के बाद राज्य/क्षेत्रीय निदेशकों द्वारा अनुदान दो किस्तों में जारी किया जाएगा। परियोजना के लिए पहली किस्त केवीआईसी की राशि का 50 फीसदी होगा। दूसरी और अंतिम किस्त केवीआईसी द्वारा राशि जारी किए जाने के बाद ही की जाएगी और संस्थान का 50 फीसदी शेयर इस्तेमाल किया जाएगा।
परिचालन और कार्यक्रम का क्रियान्वयन
कार्यक्रम कार्यान्वयन के चरण (5 लाख रुपये से 25 लाख तक)
योजना के बारे में
उद्देश्य
सरकार की प्रसार प्रणाली के प्रयासों का पूरक बनना
जरूरतमंद किसानों को आपूर्ति और सेवाओं के पूरक स्रोत उपलब्ध कराना
कृषि स्नातकों को कृषि क्षेत्र में नये उभरते क्षेत्रों में लाभदायक नियोजन उपलब्ध कराना
परिकल्पना
कृषि क्लीनिक - कृषि क्लीनिक की परिकल्पना किसानों को खेती, फसलों के प्रकार, तकनीकी प्रसार, कीड़ों और बीमारियों से फसलों की सुरक्षा, बाजार की स्थिति, बाजार में फसलों की कीमत और पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गयी है, जिससे फसलों या पशुओं की उत्पादकता बढ़ सके।
कृषि व्यापार केंद्र- कृषि व्यापार केंद्र की परिकल्पना आवश्यक सामग्री की आपूर्ति, किराये पर कृषि उपकरणों और अन्य सेवाओं की आपूर्ति के लिए की गयी है।
उद्यम को लाभदायक बनाने के लिए कृषि स्नातक कृषि क्लीनिक या कृषि व्यापार केंद्र के साथ खेती भी कर सकते हैं।
पात्रता
यह योजना कृषि स्नातकों या कृषि से संबंधित अन्य विषयों, जैसे बागवानी, रेशम उत्पादन, पशुपालन, वानिकी, गव्य पालन, मुर्गीपालन तथा मत्स्य पालन में स्नातकों के लिए खुली है।
परियोजना गतिविधियां
उपरोक्त लाभप्रद गतिविधियों में से कोई दो या अधिक के साथ स्नातकों द्वारा चयनित कोई अन्य लाभप्रद गतिविधि, जो बैंक को स्वीकार हो
परियोजना लागत और कवरेज
कोई भी कृषि स्नातक यह परियोजना निजी या संयुक्त अथवा समूह के आधार पर ले सकता है। व्यक्तिगत आधार पर ली गई परियोजना की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये है, जबकि सामूहिक आधार की परियोजना की अधिकतम सीमा 50 लाख है। समूह सामान्य तौर पर पांच का हो सकता है, जिसमें से एक प्रबंधन का स्नातक हो अथवा उसके पास व्यापार विकास तथा प्रबंधन का अनुभव हो।
सीमांत धन (डाउन पेमेंट) - भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुरूप
10 हजार रुपये तक |
कोई मार्जिन नहीं |
10 हजार रुपये से अधिक |
परियोजना लागत का 15 से 25 प्रतिशत |
ब्याज दर-
वित्त प्रदाता बैंकों द्वारा अंतिम लाभुक से वसूली जानेवाली ब्याज दर का विवरण नीचे दिया गया है-
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|
||
वाणिज्यिक बैंक |
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक |
सहकारी बैंक |
|
25 हजार रुपये तक |
बैंक द्वारा निर्धारित पर बैंक के पीएलआर का अधिकतम |
बैंक द्वारा निर्धारित |
एससीबी द्वारा निर्धारित, पर न्यूनतम 12 प्रतिशत |
25 हजार से अधिक व दो लाख तक |
वही |
वही |
वही |
दो लाख से अधिक |
बैंक द्वारा निर्धारित |
वही |
वही |
पुनर्भुगतान
ऋण की अवधि 5 से 10 साल के लिए गतिविधि पर आधारित होगी। पुनर्भुगतान अवधि में कृपा अवधि भी शामिल हो सकती है, जिसका फैसला वित्त प्रदाता बैंक अपनी नीतियों के अनुसार करेंगे और जिसकी अधिकतम अवधि दो साल होगी।
ऋण धारकों का चयननरेगा के बारे में
क्रियान्वयन की स्थिति
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम पर सवाल-ज़वाब
अधिनियम के अधीन रोज़गार के लिए कौन आवेदन कर सकता है
ग्रामीण परिवारों के वे सभी व्यस्क सदस्य जिनके पास जॉब कार्ड है, वे आवेदन कर सकते हैं। यद्यपि वह व्यक्ति जो पहले से ही कहीं कार्य कर रहा है, वह भी इस अधिनियम के अंतर्गत अकुशल मज़दूर के रूप में रोजगार की माँग कर सकता है। इस कार्यक्रम में महिलाओं को वरीयता दी जाएगी और कार्यक्रम में एक-तिहाई लाभभोगी महिलाएँ होंगी।
क्या काम के लिए व्यक्तिगत आवेदन जमा किया जा सकता है ?
हाँ, रोजगार प्राप्तकर्त्ता का पंजीकरण परिवार-वार किया जाएगा। परन्तु पंजीकृत परिवार वर्ष में 100 दिन काम पाने के हकदार होंगे। साथ ही, परिवार के व्यक्तिगत सदस्य भी काम पाने के लिए आवेदन कर सकता है।
कोई व्यक्ति कार्य के लिए कैसे आवेदन कर सकता है ?
पंजीकृत व्यस्क, जिसके पास जॉब कार्ड है, एक सादे कागज़ पर आवेदन कर कार्य की माँग कर सकता है। आवेदन ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी (खंड स्तर पर) को संबोधित कर लिखा गया हो और उसमें आवेदन जमा करने की तिथि की माँग की जा सकती है।
एक व्यक्ति वर्ष में कितने दिन का रोज़गार पा सकता है ?
एक वित्तीय वर्ष में एक परिवार को 100 दिनों तक रोज़गार मिल सकेगा और इसे परिवार के वयस्क सदस्यों के बीच विभाजित किया जाएगा। कार्य की अवधि लगातार 14 दिन होगी लेकिन वह सप्ताह में 6 दिन से अधिक नहीं होगी।
व्यक्ति को रोज़गार की प्राप्ति कब होगी ?
आवेदन जमा करने के 15 दिनों के भीतर या कार्य की मांग के दिन से आवेदक को रोज़गार प्रदान किया जाएगा।
रोज़गार का आवंटन कौन करता है ?
ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी, जिसे भी प्राधिकृत किया गया हो, वह कार्य का आवंटन करेगा।
कोई व्यक्ति कैसे जान सकेगा कि किसे रोज़गार दिया गया है ?
आवेदन जमा करने के 15 दिनों के भीतर आवेदक को कार्य “कब और कहाँ” की जानकारी दी जाएगी जिसे ग्राम पंचायत/कार्यक्रम अधिकारी द्वारा पत्र के माध्यम से सूचित किया जाएगा। साथ ही, ग्राम पंचायत के सूचना बोर्ड तथा प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम अधिकारी के कार्यालय में सूचना पट पर प्रकाशित की जाएगी जिसमें दिनांक, समय, स्थान की सूचना दी जाएगी।
रोज़गार प्राप्ति के तुरन्त बाद आवेदक को क्या करनी चाहिए ?
आवेदक को जॉब कार्ड के साथ निर्धारित तिथि पर कार्य के लिए उपस्थित होनी चाहिए।
यदि आवेदक कार्य पर रिपोर्ट नहीं करता तो क्या होगा ?
यदि कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी द्वारा सूचित किये गये समय से 15 दिनों के भीतर कार्यस्थल पर रिपोर्ट नहीं करता तो वह बेरोज़गारी भत्ते का हकदार नहीं होगा।
क्या ऐसा व्यक्ति कार्य हेतु पुनः आवेदन दे सकता है ?
हाँ।
उसका/उसकी मज़दूरी क्या होगी ?
उसे राज्य में कृषक मज़दूरों हेतु लागू न्यूनतम मज़दूरी प्राप्त होगी।
मज़दूरी का भुगतान किस प्रकार किया जाएगा ? दैनिक मज़दूरी या ठेका दर ?
अधिनियम के अंतर्गत दोनों ही लागू है। यदि मज़दूरों को ठेका के आधार पर भुगतान किया जाता है तो उसका निर्धारण इस प्रकार किया जाएगा किसी व्यक्ति को सात घंटे तक काम करने के बाद न्यूनतम मज़दूरी प्राप्त हो सके।
मज़दूरी का भुगतान कब किया जाएगा ?
मज़दूरी का भुगतान प्रति सप्ताह किया जाएगा या अन्य मामलों में काम के पूरा होने के 15 दिनों के भीतर। इस मज़दूरी का आँशिक भाग नगद रूप में प्रति दिन भुगतान किया जाएगा।
श्रमिकों को कार्यस्थल पर कौन सी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएगी ?
श्रमिकों को स्वच्छ पेयजल, बच्चों के लिए शेड, विश्राम के लिए समय, प्राथमिक उपचार बॉक्स के साथ कार्य के दौरान घटित किसी आकस्मिक घटना का सामना करने के लिए अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएगी।
काम कहाँ दिये जाएंगे ?
आवेदक के निवास से पाँच किमी के भीतर काम उपलब्ध कराये जाएँगे। निवास स्थान से 5 किमी क्षेत्र की परिधि के बाहर काम प्रदान करने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को परिवहन व आजीविका मद में 10 प्रतिशत अतिरिक्त मजदूरी प्रदान की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति को 5 किमी की दूरी से हटकर काम करने हेतु आदेश दिया जाता है तो अधिक उम्र के व्यक्ति एवं महिलाओं को उसके गाँव के नजदीक कार्य उपलब्ध कराने में प्राथमिकता दी जाएगी।
कामगारों के लिए क्या प्रावधान है ?
दुर्घटना की स्थिति में - यदि कोई कामगार कार्यस्थल पर कार्य के दौरान घायल होता है तो राज्य सरकार की ओर से वह निःशुल्क चिकित्सा सुविधा पाने का हकदार होगा।
घायल मज़दूर के अस्पताल में भर्ती करवाने पर - संबंधित राज्य सरकार द्वारा संपूर्ण चिकित्सा सुविधा, दवा, अस्पताल में निःशुल्क बेड उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही, घायल व्यक्ति प्रतिदिन कुल मजदूरी राशि का 50 प्रतिशत पाने का भी हकदार होगा
कार्यस्थल पर दुर्घटना के कारण पंजीकृत मजदूर की स्थायी विकलांगता या मृत्यृ हो जाने की स्थिति में – मृत्यृ या पूर्ण विकलाँगता की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित राशि या 25 हज़ार रुपये पीड़ित व्यक्ति के परिवार को दी जाएगी।
यदि योग्य व्यक्ति (आवेदनकर्त्ता) को रोज़गार नहीं प्रदान किया जाए तो क्या होगा ?
यदि योग्य आवेदक को माँग पर 15 दिनों के भीतर या फिर जिस दिन से उसे कार्य मिलना था अगर न मिल पाया तो आवेदक को आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से निर्धारित शर्तों और नियमों के अनुसार बेरोज़गारी भत्ता प्रदान किया जाएगा।
भत्ते की दर - पहले 30 दिनों के लिए बेरोज़गारी भत्ते की दर मज़दूरी दर का 25 प्रतिशत होगा और उसके बाद उस वित्तीय वर्ष में परिवार के रोजगार हक को देखते हुए मज़दूरी 50 प्रतिशत दर से दी जाएगी।
किस प्रकार का काम दिया जाएगा ?
स्थायी संपत्ति – योजना का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है कि स्थायी संपत्ति का सृज़न करना और ग्रामीण परिवारों के आज़ीविका साधन आधार को मज़बूत बनाना।
ठेकेदारों द्वारा कार्य निष्पादन की अनुमति नहीं
कार्यक्रम कार्यकर्त्ता क्या करते हैं, उसके लिए वे कैसे जवाबदेह है ?
कार्यक्रम कार्यकर्त्ता, निरंतर तथा समवर्ती मूल्यांकन और बाह्य एवं आंतरिक लेखा के माध्यम से अपने कार्य के प्रति ज़वाबदेह होंगे। सामाजिक लेखा परीक्षण की शक्ति ग्रामसभा में निहित होगी और ग्रामसभा द्वारा ग्राम स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया जाएगा जो सभी कार्यों की देखरेख करेगा। अधिनियम के उल्लंघन की स्थिति में दोषी व्यक्ति को 1 हज़ार रुपये तक ज़ुर्माना हो सकेगा। इसके अलावे, प्रत्येक जिले में एक शिकायत निपटान तंत्र भी स्थापित की जाएगी।
एमएनआरईजीएस के तहत शामिल क्रियाकलाप
महत्मा गांधी नरेगा की अनुसूची—I के पैरा 1 में उल्लेख किए क्रियाकलाप इस प्रकार हैं:
स्रोत :www.pib.nic.in
नरेगा के लिए टॉल फ्री सहायता सेवा
ऑनलाइन जन शिकायत निपटारा प्रणाली
केन्द्रीय स्तर पर श्रम की न्यूनतम दर 1 अक्टूबर 2010 को न्यूनतम श्रम अधिनियम 1948 के प्रावधानों के अंतर्गत पुनर्निर्धारित की गई। राज्य स्तर पर श्रम की न्यूनतम दरों का समय-समय पर उपयुक्त सरकारों द्वारा पुनर्निरीक्षण किया जाता है। कृषि क्षेत्रक सहित अनुसूचित रोजगारों के लिए निर्धारित न्यूनतम श्रम संगठित और गैर-संगठित क्षेत्रकों पर भी लागू होती है।
सभी अनुसूचित रोजगारों में और साथ ही केन्द्रीय और राज्य स्तर पर कृषि के अनुसूचित रोजगार में लगे हुए अप्रशिक्षित श्रमिकों के लिए श्रम की न्यूनतम दरों पर उपलब्ध नवीनतम जानकारी को दर्शाने वाला एक विवरण इस प्रकार है:
(रु. प्रतिदिन) |
|||
क्रम सं. |
राज्य / संघीय क्षेत्र का नाम |
सभी अनुसूचित रोजगारों |
अप्रशिक्षित कृषि श्रमिक |
1 |
2 |
3 |
4 |
A |
केन्द्रीय स्तर* |
146.00-163.00 |
146.00 – 163.00 |
B |
राज्य स्तर |
|
|
1 |
आन्ध्रप्रदेश |
69.00 |
112.00 |
2 |
अरुणाचल प्रदेश |
134.62 |
134.62 |
3 |
असम |
66.50 |
100.00 |
4 |
बिहार |
109.12 |
114.00 |
5 |
छत्तीसगढ़ |
100.00 |
100.00 |
6 |
गोआ |
150.00 |
157.00 |
7 |
गुजरात |
100.00 |
100.00 |
8 |
हरियाणा |
167.23 |
167.23 |
9 |
हिमाचल प्रदेश |
110.00 |
110.00 |
10 |
जम्मू और कश्मीर |
110.00 |
110.00 |
11 |
झारखंड |
111.00 |
111.00 |
12 |
कर्नाटक |
72.94 |
133.80 |
13 |
केरल |
100.00 |
150.00 (हल्के श्रम के लिए) |
|
|
|
200.00 (कठिन श्रम के लिए) |
14 |
मध्यप्रदेश |
110.00 |
110.00 |
15 |
महाराष्ट्र# |
90.65 |
100.00 – 120.00 |
16 |
मणिपुर |
81.40 |
81.40 |
17 |
मेघालय |
100.00 |
100.00 |
18 |
मिजोरम |
132.00 |
132.00 |
19 |
नागालैंड |
80.00 |
80.00 |
20 |
उड़ीसा |
90.00 |
90.00 |
21 |
पंजाब |
127.25(भोजन सहित) |
127.25 (भोजन सहित) |
142.68 (बिना भोजन के) |
142.68 (बिना भोजन के) |
||
22 |
राजस्थान |
81.00 |
100.00 |
23 |
सिक्किम |
100.00 |
- |
24 |
तमिलनाडु |
87.60 |
100.00 |
25 |
त्रिपुरा |
81.54 |
100.00 |
26 |
उत्तरप्रदेश |
100.00 |
100.00 |
27 |
उत्तराखंड |
91.98 |
113.68 |
28 |
प. बंगाल |
96.00 |
96.00 |
29 |
अन्दमान और निकोबार द्वीपसमूह |
|
|
अन्दमान |
156.00 |
156.00 |
|
निकोबार |
167.00 |
167.00 |
|
30 |
चंडीगढ़ |
170.44 |
170.44 |
31 |
दादरा और नगर हवेली |
130.40 |
130.40 |
32 |
दमन और दीव |
126.40 |
- |
33 |
दिल्ली |
203.00 |
203.00 |
34 |
लक्षद्वीप |
147.40 |
- |
35 |
पुदुचेरी |
|
|
पुदुचेरी/करैकल |
100.00 |
100.00 (6 घंटे के लिए) |
|
माहे |
120.00 (8 घंटे में महिलाओं |
||
160.00 (पुरुषों द्वारा 8 |
|||
* विभिन्न क्षेत्रों के अंतर्गत। # विभिन्न मंडलों के अंतर्गत। |
अधिनियम को दो स्तरों पर लागू किया जाना है। केन्द्रीय स्तर पर मुख्य केन्द्रीय श्रम आयुक्त के निरीक्षण अधिकारियों द्वारा अधिनियम का प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाता है। राज्य स्तर पर इसे राज्य प्रवर्तन तंत्र द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। वे नियमित तौर पर निरीक्षण करते हैं और भुगतान नहीं किए जाने, अथवा न्यूनतम श्रम से कम भुगतान किए जाने की स्थिति में वे नियोक्ताओं को उचित भुगतान का निर्देश देते हैं। नियोक्ताओं द्वारा इसके निर्देश नहीं माने जाने पर दोषी नियोक्ताओं के विरुद्ध अधिनियम की धारा 22 के अनुसार दंडात्मक प्रक्रिया आरंभ की जाती है।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना संबंधी पूरी जानकारी करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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