विगत कुछ वर्षों के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के साथ बेहतर पहुंच के कारण खरीद बढ़ी है। खाद्यान्नों की अधिक खरीद के परिणामस्वरुप केन्द्रीय पूल स्टॉक दिनांक 1.4.2008 की स्थिति के अनुसार 196.38 लाख टन से बढ़कर दिनांक 1.6.2012 की स्थिति के अनुसार 823.17 लाख टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। अत: खाद्यान्नों के लिए भंडारण क्षमता को बढ़ाने की आवश्कयता महसूस की गई।
यह विभाग कवर्ड एंड प्लिन्थ (कैप) भंडारण पर निर्भरता कम करने के लिए कवर्ड गोदामों के रुप में भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) स्कीम नामक एक स्कीम कार्यान्वित कर रहा है।
वर्ष 2008 में प्रारंभ की गई निजी उद्यमी गारंटी स्कीम के अंतर्गत भारतीय खाद्य निगम द्वारा गारंटी देकर किराए पर लेने के लिए सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी) पद्धति के अंतर्गत निजी पार्टियों तथा सार्वजनिक क्षेत्र की विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से गोदामों का निर्माण किया जाता है।
निजी पार्टियों के लिए गारंटी की अवधि 10 वर्ष है, जबकि निजी क्षेत्र की एजेंसियों के लिए यह अवधि 9 वर्ष है। निजी पार्टियों के मामले में दो-बोली प्रणाली के अंतर्गत निर्दिष्ट शीर्ष एजेंसियों द्वारा राज्यवार निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं। तकनीकी बोली स्तर पर साईटों का निरीक्षण किया जाता है तथा जो साइटें उपयुक्त पाई जाती हैं उन्हीं से संबंधित बोलियों पर आगे कार्रवाई की जाती है। सबसे कम बोली लगाने वाले बोलीकर्ताओं को निविदाएं आबंटित की जाती हैं। गैर-रेलवे साइडिंग गोदामों का निर्माण एक वर्ष में किया जाना अपेक्षित है, जबकि रेलवे साइडिंग वाले गोदामों के निर्माण के लिए 2 वर्ष की निर्माण अवधि की अनुमति दी गई है। इस अवधि को निवेशक के अनुरोध पर एक वर्ष और बढ़ाया जा सकता है। गोदाम का निर्माण कार्य पूरा होने के पश्चात भारतीय खाद्य निगम तथा शीर्ष एजेंसी की संयुक्त समिति द्वारा अंतिम निरीक्षण किया जाता है तथा पूर्ण रुप से तथा विनिर्दिष्टयों के अनुसार तैयार गोदामों का अधिग्रहण गारंटी आधार पर किया जाता है।
भंडारण स्थान की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से गोदामों के निर्माण के लिए स्थानों की पहचान भारतीय खाद्य निगम द्वारा राज्य स्तरीय समितियों की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। उपभोक्ता क्षेत्रों के लिए भंडारण अंतर का आकलन सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं (ओडब्ल्यूएस) की चार माह की आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता है, जबकि खरीद वाले राज्यों के संबंध में भंडारण अंतर का आकलन खरीद क्षमता को ध्यान में रखते हुए विगत तीन वर्षों में उच्चतम स्टॉक स्तर के आधार पर किया गया है।
तदनुसार, लगभग 200 लाख टन क्षमता के सृजन के लिए 20 राज्यों मे विभिन्न स्थान पर योजना बनाई गई थी। इसमे से 180 लाख टन क्षमता 20 लाख टन क्षमता आधुनिक इस्पात साइलो के निर्माण के लिए है ओर शेष 20 लाख टन पारंपरिक गोदामो की लिए है। प्रत्येक साइलो की क्षमता 25000 अथवा 50000 टन होगी।
दिनाक 30.06.2014 की स्थिति के अनुसार 153.16 लाख टन की के गोदामो के निर्माण स्वीकृत दी गई है और 120.30 लाख टन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। साइलो के लिए बोली दस्तावेज ओर मॉडल रियायत करार को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वियाबिलिटी गैप फंडिंग ( वी जी एफ) ओर गैर - वी जी एफ मोड दोनों के लिए निर्माण सार्वजनिक – निजी – भागीदारी पद्धति से करने की योजना बनाई जा रही है।
साइलोज के संबंध में सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी के विभिन्न मॉडलों की स्थिति का ब्यौरा नीचे दिया गया है:-
गैर-व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण (नॉन-वीजीएफ) पद्धति (17.50 लाख टन): नवम्बर, 2013 में आबंटित निविदाओं को पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। बोली दस्तावेजों में संशोधन किया जा रहा है। शीघ्र ही नई निविदाएं आमंत्रित की जानी हैं।
व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण (वीजीएफ) पद्धति (योजना आयोग) (1.50 लाख टन): बोली दस्तावेजों को अंतिम रुप दिया जा रहा है। भारतीय खाद्य निगम रेलवे साइडिंग वाले भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में से साइटों को शामिल करने की संभावनाएं तलाश रहा है।
व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण पद्धति (डीईए) (1.00 लाख टन): आर्थिक कार्य विभाग द्वारा बोली दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं|
यह विभाग पूर्वोत्तर क्षेत्रों में क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से गोदामों के निर्माण के लिए एक योजना स्कीम कार्यान्वित कर रहा है। 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए योजना को अंतिम रुप देने के दौरान गोदामों के निर्माण के उद्देश्य से स्कीम का क्षेत्र हिमाचल प्रदेश, झारखंड, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा लक्षद्वीप जैसे राज्यों तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया था।
इसके अलावा, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग राज्य सरकारों से उचित दर दुकानों तक वितरण करने के लिए भारतीय खाद्य निगम के डिपुओं से एकत्रित खाद्यान्नों का भंडारण करने के लिए राज्य सरकारों से ब्लाक/तहसील स्तर पर मध्यवर्ती भंडारण क्षमता का निर्माण करने का अनुरोध कर रहा है। यह लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आपूर्ति श्रृंखला संभार तंत्र में सुधार करने के लिए आवश्यक है। चूंकि मध्यवर्ती गोदामों का निर्माण राज्य सरकारों की जिम्मेवारी है, अत: खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग पूर्वोत्तर राज्य सरकारों तथा जम्मू और कश्मीर सरकार को उनकी कठिन भौगोलिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजना निधि उपलब्ध करा रहा है।
इस योजना स्कीम के अंतर्गत भूमि के अधिग्रहण तथा गोदामों के निर्माण तथा संबंधित आधारभूत संरचनाओं जैसे रेलवे साइडिंग, विद्युतीकरण, तौल कांटा स्थापित करने आदि के लिए भारतीय खाद्य निगम को इक्विटी के रुप में निधियां जारी की जाती हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र की राज्य सरकारों तथा जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार को मध्यवर्ती गोदामों के निर्माण के लिए अनुदान सहायता के रुप में निधियां जारी की जाती हैं।
12वीं पंचवर्षीय योजना के संबंध में योजना परिव्यय निम्नानुसार है:-
क्रम संख्या |
शीर्ष |
अनुमानित लागत (करोड़ रु0) |
11वीं योजना काव्यय न किया गया शेष (करोड़ रु0) |
12वीं योजना में परिव्यय (करोड़ रु0) |
1 |
भारतीय खाद्य निगम द्वारा पूर्वोत्तर में 37 स्थानों पर गोदामों का निर्माण (2,92,730 टन) |
509.76 |
51.20 |
458.56 |
2 |
भारतीय खाद्य निगम द्वारा 4 अन्य राज्यों में 9 स्थानों पर गोदामों का निर्माण (76,220 टन) |
72.14 |
16.06 |
56.08 |
3 |
पूर्वोत्तर राज्यों को 74 स्थानों पर तात्कालिक भंडारण के लिए अनुदान सहायता |
14.36 |
0.00 |
14.36 |
4 |
जम्मू और कश्मीर को एक स्थान पर तात्कालिक भंडारण के लिए अनुदान सहायता। |
1.00 |
0.00 |
1.00 |
5 |
जोड़ |
597.26 |
67.26 |
530.00 |
वर्ष 2012-13 तथा 2013-14 के दौरान भारतीय खाद्य निगम की भौतिक एवं वित्तीय उपलब्धियां निम्नानुसार हैं:-
वर्ष |
पूर्वोत्तर क्षेत्र |
अन्य राज्य |
जोड़ (पूर्वोत्तर+अन्य राज्य) |
|||
भौतिक (टन में) |
वित्तीय (करोड़ रुपए में) |
भौतिक (टन में) |
वित्तीय (करोड़ रुपए में) |
भौतिक (टन में) |
वित्तीय (करोड़ रुपए में) |
|
2012-13 |
2,910 |
27.72 |
1,160 |
2.64 |
4,070 |
30.36 |
2013-14 |
2,500 |
30.94 |
20,000 |
11.02 |
22,500 |
41.96 |
जोड़ |
5,410 |
58.66 |
21,160 |
13.66 |
26,570 |
72.32 |
पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू और कश्मीर मे अनुदान सहायता का उपयोग करते हुए मध्यवर्ती भंडारण गोदामों के निर्माण के लिए 78,055 टन क्षमता की कुल 75 परियोजनाएं स्वीकृत की गई थी। दिनांक 30.06.2014 की स्थिति के अनुसार 33,220 टन क्षमता का कार्य पूरा कर लिया गया है।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग मध्यवर्ती भंडारण गोदामों के निर्माण के लिए पूर्वोत्तर राज्यों की राज्य सरकारों को योजना स्कीम के अंतर्गत अनुदान सहातया के रुप में भी निधियां जारी करता है।
दिनांक 1 अक्तूबर, 2014 की स्थिति के अनुसार जारी निधियों तथा क्षमता निर्माण की स्थिति का ब्यौरा नीचे दिया गया है:-
दिनांक 1 अक्तूबर, 2014 के अनुसार
क्र. सं. |
राज्य का नाम |
परियोजनाओं की संख्या |
निर्माण की जाने वाली कुल क्षमता (टन में) |
अनुमानित लागत (करोड़ रु0 में) |
पहले से जारी निधियां (करोड़ रु0 में) |
उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त (करोड़ रु0 में) |
निर्माण की गई क्षमता
(टन में) |
1 |
जम्मू और कश्मीर |
1 |
6160 |
3.41 |
3.41 |
3.41 |
6160 |
2 |
असम |
1 |
4000 |
3.52 |
3.43 |
1.69 |
|
3 |
मिजोरम |
22 |
17500 |
14.94 |
13.30 |
11.30 |
8000 |
4 |
मेघालय |
2 |
4500 |
2.07 |
1.74 |
1.74 |
4500 |
5 |
सिक्किम |
1 |
375 |
1.15 |
1.15 |
0.60 |
|
6 |
त्रिपुरा |
31 |
34000 |
28.11 |
17.60 |
16.94 |
12000 |
7 |
11 |
7680 |
7.60 |
6.49 |
4.71 |
2560 |
|
8 |
नगालैंड |
06 |
3840 |
10.25 |
2.00 |
-- |
|
जोड़ |
75 |
78055 |
71.05 |
49.12 |
40.39 |
33220 |
स्रोत: खाद्य व सार्वजनिक वितरण विभाग।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
मत्स्य पालन व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता क...
इस पृष्ठ में नेशनल करियर सर्विस से जुड़ी अक्सर पूछ...
इस लेख का मुख्य उद्देश्य शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रो...
इसका मुख्य उद्देश्य किस-किस क्षेत्र में स्वरोजगार ...