- यह एक प्रकार की प्राकृतिक खाद है।
- यह खाद सूक्ष्म जीवाणुओं से बनती है जो फसल एवं पर्यावरण के मित्र होते हैं।
- इस खाद को विभिन्न प्रकार के जैविक पदार्थ (माध्यम) में मिलाकर बनाया जाता है।
- यह धरती की सबसे सस्ती खाद है।
- जीवाणु खाद मुख्यतः दो प्रकार की होती है।
- एक प्रकार की जीवाणु खाद वायुमंडल में उपलब्ध नेत्रजन का स्थिरीकरण संग्रह) करके फसल को उपलब्ध कराता है।
- दूसरे प्रकार की जीवाणु खाद मिट्टी में उपलब्ध अघुलनशील अर्थात फसलों को अप्राप्त फास्फोरस को घुलनशील बनाकर फसल को उपलब्ध कराती है।
- फसल के साथ वायुमंडलीय नेत्रजन संग्रह करने वाली जीवाणु खाद बदलती रहती है।
- परन्तु अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील बनाने वाली जीवाणु खाद सभी फसलों पर समान रूप से काम करती है।
- धान की फसल के लिए एजोस्फिरिलियम नामक जीवाणु खाद का व्यवहार किया जाना चाहिए।
- गेंहूँ, मक्का, तेलहन, सब्जी, गन्ना आदि फसलों के लिए एजोरोबैक्टर नामक जीवाणु खाद का व्यवहार करना चाहिए।
- दलहनी फसलों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की जीवाणु खाद का व्यवहार किया जाता है। जिसे राईजोबियम जीवाणु खाद कहते हैं।
- जीवाणु खाद से बीज का उपचार करके उसका व्यवहार किया जा सकता है।
- दो सौ ग्राम (200 ग्राम) जीवाणु खाद 10-12 किलो बीज का उपचार करने के लिए पर्याप्त होता है।
- 200 ग्राम जीवाणु खाद को आधार लीटर ठंडे मांड़ अथवा गुड़ के घोल में मिलाकर बीज के ऊपर डालकर बीज और जीवाणु खाद के घोल को अच्छी तरह से मिला दें ताकि प्रत्येक बीज पर घोल की एक हल्की परत चढ़ जाए।
- जीवाणु खाद से उपचारित बीज को आधा घंटा छाया में सुखाकर व्यवहार करें।
- बिचड़े का उपचार करके भी जीवाणु खाद का व्यवहार किया जा सकता है।
- किसी भी प्रकार के जीवाणु खाद की एक किलोग्राम मात्रा में 5-10 लीटर पानी मिलाकर घोल बना लें। यह घोल एक एकड़ खेत में लगने वाले बिचड़े (विशेष रूप से सब्जी के बिचड़े) के पर्याप्त होता है।
- जीवाणु खाद के घोल में बिचड़े के जड़ को कम-से-कम आधा घंटा डुबोकर रखें, फिर उसे खेत में रोप दें।
- जीवाणु खाद से मिट्टी का भी उपचार कर सकते है।
- एक एकड़ खेत के लिए जीवाणु खाद की २-5 किलोग्राम सुखी भुरभुरी मिट्टी में मिला लें। फसल की बुवाई अथवा रोपाई के 24 घंटे पूर्व अथवा बुवाई/रोपाई के समय मिट्टी में व्यवहार किया जा सकता है।
- यह पूर्ण रूप से जैविक खाद है जिसका कोई गलत प्रभाव किसी भी जीवधारी पर नहीं पड़ता है।
- इस खाद के व्यवहार से फसल को हर तरह से लाभ होता है।
- फसल में बाहरी नाइट्रोजन की आपूर्ति 30% तक कम हो जाती है।
- फसल की वानस्पतिक एवं प्रजनन अवस्था समान रूप से चलती है।
- इसका प्रभाव धीरे-धीरे फसल पर होता है और बहुत अधिक समय तक बना रहता है।
- कृषि उत्पाद की गुणवत्ता काफी बढ़ जाती है।
- फसल की उत्पादन लागत घट जाती है और उत्पादन बढ़ जाता है।
- जीवाणु खाद को गर्म पानी अथवा गर्म मांड़ में न डालें।
- जीवाणु खाद को सीधे धुप में न रखें।
- जीवाणु खाद व्यवहार हमेशा सुबह-शाम में करें।
- बीज उपचार अथवा बिचड़ा उपचार के 4-6 घंटे के बाद इसका व्यवहार करने से पूरा लाभ नहीं मिलता है।
- रासायनिक उर्वरक के साथ मिलाकर इसका व्यवहार कदापि न करें।
- जिला स्तर पर जिला कृषि पदाधिकारी अथवा परियोजना निदेश आत्मा से संपर्क करें।
- प्रखंड स्तर पर प्रखंड कृषि पदाधिकारी अथवा प्रखंड विकास पदाधिकारी से संपर्क करें।
- पंचायत स्तर पर कृषि समन्वयक अथवा अपने गाँव के कृषक सलाहकार से संपर्क किया जा सकता है।
- निकट के कृषि विश्वविद्यालय/कृषि महाविद्यालय/कृषि विज्ञानं केंद्र एवं कृषि विशेषज्ञ से उचित सलाह प्राप्त की जा सकती है।
- किसान कॉल सेंटर के विशेषज्ञ से निःशुल्क सलाह के लिए 1800 180 1551 पर फोन करें भी सलाह प्राप्त की जा सकती है। यह सुविधा निःशुल्क है।
स्त्रोत: कृषि विभाग, बिहार सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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