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कम वर्षा की परिस्थिति में सब्जी की फसलों का प्रबंधन

15 दिन देरी में उपयुक्त किस्में

1.मानसून में 15 दिन की देरी होने की स्थिति में
क)ऐसी स्थिति में उगाने के लिए सब्जी की उपयुक्त किस्में

सब्जी

किस्म

बैंगन

काशी सन्देश,काशी तरु,पूसा क्रांति,पूसा अनमोल,पीबी सदाबहार

टमाटर

काशी विशेष,क काशी अनुपम, काशी अमन, अरका रक्षक, अरका  समर्थ

मिर्च

काशी अनमोल,अर्का लोहित, काशी अर्ली, आईआईएचआर-एसइएल .132

ड्रमस्टिक

पीकेएम-2, कोकन रुचिरा

काउपी

काशी कंचन, काशी श्यामल, काशी गौरा, काशी निधि, पूसा बरसती, पूसा रितुराज

करेला (गोल)

पंजाब राउंड, पूसा सन्देश, नरेन्द्र शिशिर, पंजाब कोमल

भिंडी

काशी प्रगति, काशी विभूति, वर्षा उपहार, हिसार उन्नत

अगेती पत्ता गोभी

पूसा अगेती,गोल्डन बॅाल, रेअर बॅाल,श्री गणेश गोले, किवस्टो क्रांति

अगेती फुल गोभी

अंगति कुंवारी, काशी कुनवारी, पूसा दिवाली,अर्का क्रांति,पूसा अर्ली,सिन्थेटिक ,पंत गोभी-2

पलक बीट

ऑल ग्रीन, पूसा पालक,पूसा ज्योति, पूसा हरित, अरका अनुपमा

मूली

काशी स्वेता, काशी हंस, पूसा चेतकी, पूसा देसी, पंजाब अगेति

उत्पादन की कार्यनीतियाँ

  • उपयुक्त तालिका के सुझाव के अनुसार लघु आवधिक किस्में उगाना।
  • रिज-फरो अथवा फरो इरिगेटिड रेज्ड बेद प्लांटिंग सिस्टम में फसल उगाना।
  • अगेती व स्वस्थ पांदपविकास सुनिश्चित करने के के लिए फसल लगाने के 30 दिन बाद 5-7 ग्रा/लीटर की दर से जल में घुलनशील मिश्रित उर्वरकों [19:19:19: एनपीके] का दोहरा छिड़काव।
  • आवश्कतानुसार फसल स्टेकिंग सुनिश्चित करना।

पौधा संरक्षण की कार्यनीतियां

कीट व रोग नियंत्रण के लिए संस्तुत पौधा संरक्षण उपाय अपनाए जा सकते हैं ।

30 दिन देरी में उपयुक्त किस्में

मानसून में 30 दिन की देर होने की स्थिति में

ऐसी स्थिति में उगाने के लिए सब्जी की उपयुक्त किस्में

सब्जी

किस्में

क्लस्टर बिन

पूसा सदाबहार, पूसा मौसमी, पूसा नवबहार, दुर्गा बहार,शरद बहार, दुर्गापुर सफ़ेद

काऊपी

काशी कंचन, काशी उन्नति,काशी गौरी, पूसा बरसाती,पूसा रीतुराज

डोलीशोस  बीन

काशी हरीतिमा, पूसा अर्ली प्रोलिफिक ,पूसा सेम-2 पूसा सेम-3 रजनी, कोंकण भूषण, अरका जय, अरका विजय

ड्रमस्टिक

पीकेएम-1, पीकेएम-2 कोकन रुचिरा

बैंगन

काशी संदेश, काशी तरु, पूसा पर्पल लोंग,पूसा कर्न्ति, पूसा अनमोल, पंजाब सदाबहार , अरका शील, अरका कुसुमकर, अरका नवनीत,अरका शिरीश

चौलाई

छोटी चौलाई, बड़ी चौलाई, सीओ-1 , सीओ-2, सीओ-3 पूसा क्रांति, पूसा किरण, अरका सुगुना, अरका अरुनिया

उत्पादन की कार्यनीतियाँ

  • 7-10 टन/हैक्टेयर की दर से पैडी स्ट्रॅा,ड्राई ग्रास आदि जैसे आर्गेनिक मल्च का उपयोग।
  • मृदा की जल शोषक क्षमता बढ़ाने के लिए आर्गेनिक खाद का उपयोग (ऍफ़वाईऍम 15 टन प्रति हैक्टेयर  अथवा वर्मीकम्पोस्ट 10 टन प्रति हैक्टेयर )
  • सक्रिय विकास,पुष्प व फल वर्धन जैसे विकास के महत्वपूर्ण चरणों के दौरान जीवन रक्षक सिंचाई सुनिश्चित करना। पानी की कमी होने पर वैकल्पिक फरो सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है ।
    पौधा के अगेटी विकास चरण में खतपतवार न उगने दिया जाए।
    मृदा की केवल उपरी 5 सेमी पार्ट में कृषि कार्य करना।

पौधा संरक्षण कार्य नीतियां
रस चूसने वाले कीट अर्थात जेसिड्स, व्हाइट फ्लाई ,एफिड, थ्रिप, माइट आदि प्रमुख समस्या हो सकती है। सूखे की स्थिति में सब्जियों का रोगग्रस्त होने की संभावना कम होती है (वायरल रोगों को छोड़कर)

कीटों का प्रबंधन

  • रस चूसने वाले कीटों के प्रबंधन के लिए निम्नलिखित कार्यनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं-
  • 3-5 ग्राम/किग्रा  बीज लो दर से इमिडेकलोप्रिड अथवा थिओमथोक्सैम से बीज उपचार।
  • 0.55 मिली/लीटर की दर से 17.852 इमिडेकलोप्रीड, 0.35 ग्राम/लीटर की दर से 25 डब्लूजी थिओमथोक्सैम अथवा 0.65 मिली/लीटर की दर से 21.7 एससी थिओक्लोप्रीड का फोलियर छिड़काव ।
  • माईट के लिए-0.5 मिली/लीटर की दर से एबेमेटिपन, 1 मिली/लीटर की दर से स्पाइरोंमेजिफर, 1 मिली/लीटर की दर से क्लोरोफेनपाईर, 2-3 मिली/लीटर की दर से पोरसाईट अथवा 2 मिली/लीटर की दर से फेंजक्विन ।
  • बोटनिकल कीटनाशक-5 मिली/लीटर की दर से नीम आधारित कीटनाशक
  • बायो एजेंट- वार्टीसेलियम लेकेनी-5 ग्रा/लीटर
  • मिली बग्स-2 मिली/एल की दर से 20 इसी क्लोरपाईरिफ़ोस अथवा 05 ऍमएल की दर से इमीडैक्लोप्रिड
  • लेप्रिडोपटैरेन पेस्ट [केटरपिलर] के लिए-0.5 मिली/लीटर की दर से इंडोक्साकोर्बो, 0.35 ग्राम/लीटर की दर से एमामेक्टिन बेंजोएट अथवा 0.5 मिली/लीटर की दर से फ्लुबेंडामाइड ।
  • अनिश्चित/अनिर्धारित/अनियमित वर्षा

उत्पादन की कार्यनीतियाँ

जल भराव की स्थिति से बचने के लिए रिज फरो (25-30 सेमी ऊँचा) अथवा फरो इरिगेटिड रेज्ड बीएड (९० सेमी चौड़ा व 20 सेमी ऊँचा) पौधा रोपण प्रणाली पर फसल उगाना ।
ऐसी सब्जी फसलें व किस्में उगाना जो उपयुक्त तालिका के सुझाव के अनुसार अल्प व अधिक वर्षा में जीवित रह सकती हैं।
बोवर प्रणाली की तुलना में कुकरबिट सब्जी उगाना ।
सक्रिय विकास, पुष्पण व फल वर्धन जैसे महत्वपूर्ण विकास चरणों के दौरान जीवन रक्षक सिंचाई सुनिश्चित करना ।
पौधा के अगेते विकास चरण में खरपतवार न उगने दिया जाए।

यदि मानसून 15 दिन विलंब से शुरू हुआ

खरीफ प्याज पर भुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ सकता है क्योंकि इस फसल की रोपाई जुलाई से,अगस्त में की जा सकती है यदि इसे जुलाई से बदलकर नर्सरी उगाना अधिक सरल होगा। जबकि वर्षा में प्याज के पौध मुश्किल से उगते हैं।एस स्थिति में निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाने का सुझाव दिया जाता है ।

  1. व्यापक अनुकूलता वाली किस्में (खरीफ के साथ-साथ विलंब खरीफ के लिए उपयुक्त) नामतः भीमा सुपर,भीमा राज, भीमा रेड,भीमा शुभ्र एग्रीफाउंड डार्क, अर्का कल्याण, अर्का प्रगति, बास्वंत 780 और फुले समर्थ उगाए जा सकते हैं।
  2. जून के दूसरे सप्ताह के दौरान नर्सरी इस प्रकार उगाई जा सकती है की लगभग 35-50 दिनों के पौधा लगाए जा सकते हैं।
  3. उपलब्ध सिंचाई जल का विवेकपूर्ण उपयोग के लिए ड्रिप या सूक्ष्म स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के साथ उगाए गए बेड पर पौध बढ़ाए। यदि ड्रिप सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं है तो जल स्प्रिकलर कैनों के माध्यम से सिंचित जल प्रयुक्त कर सकते हैं।
  4. नर्सरी में कम से कम तिन से चार सिंचाई की आवश्यकता होगी।
  5. आंशिक शेडनेट लगाकर पौधों को सुरक्षा प्रदान किया जाना चाहिए।
  6. वाष्पीकरण से बचने के लिए बीज जर्मीनेशन तक धान के पुआल (धान स्ट्रो) लगाए ।
  7. 0.5 टन प्रति 1000 वर्ग मी.की दर पर अच्छे डिंकपोस्ट जैविक खाद डाल सकते हैं ।
  8. पौधों की अच्छी  बढ़ोतरी न होने के मामले में जल घुलनशील एनपीके उर्वरक का फोलियर अनुप्रयोग (उदहारण के लिए 5 ग्राम प्रति लीटर के लिए 19:19:19  एनपीके) ततत्काल लाभ के लिए कर सकते हैं ।


यदि मानसून 30 दिनों तक विलंब से शुरू  होता है ।

  1. उपयूक्त सूची के अनुसार रणनीतिया आपनायी जाए ।
  2. ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के साथ उगाए गए बेड पर प्याज की सीधे पौधा के लिए (बीज दर 8-9 किग्राम प्रति हैक्टेयर) का अन्य विकल्प चुन सकते हैं क्योंकि यह फसल रोपी गई फसल पौधा से एक माह पहले तैयार हो जाती है।
  3. यदि खरीफ फसल उगाने के लिए सेट उपलब्ध हो तो इसका प्रयोग करें क्योकि यह फसल रोपी गई फसल पौध से 45 दिन पहले तैयार होती है ।


वनस्पति चरण पर वर्षा की कमी

सक्रिय वनस्पति विकास स्तर के दौरान तिन से चार सिंचाई की आवश्यकता होती है जो मृदा पर निर्भर है अर्थात स्थापित स्तर पर (10-20 डीएटी), सक्रिय वनस्पति विकास पर (30-40 डीएटी ) और कली होने के शुरूआती चरण (4-50 डीएटी) । इस स्तर पर वर्षा की कमी हो तो निम्नलिखित परामर्शी कार्य कर सकते हैं।

  1. ड्रिप सिंचाई के साथ रेज्डवेड पर फसल उगाना। भण्डारण तालाब बना करके वर्षा जल संचयन जो सूखे के दौरान दो या तीन जीवन बचत सिंचाई प्रदान करने में सहायता करेगा।सिंचाई जल का प्रयोग मृदा नमी स्तर के अनुसार और फसल आवश्यकता होने पर ही कर सकते हैं ।
  2. आवश्यकतानुसार पारदर्शिता के माध्यम से जल की कमी को दूर करने के लिए 5 प्रतिशत की दर पर एंटी-ट्रांसपेरेंट काओलाईनाइट का छिड़काव करें ।
  3. वाष्पन कम करने के लिए धान/गेंहूँ के पुआल या चारा जैसे जैविक घास-फूस के साथ मृदा सतह को कवर करें ।
  4. पौधों की कम बढ़ोतरी के मामले में जल सोलूवल एनपीके उर्वरक का फोलियर अनुप्रयोग (उदहारण के लिए 5 ग्राम प्रति लीटर 19:19:19 एनपीके तत्काल लाभ के लिए कर सकते है ।
  5. सक्रिय वनस्पतिक विकास स्तर के दौरान तत्काल लाभ के लिए 1.5-2.0 ग्रा प्रति लीटर की दर पर सल्फर 85 डब्ल्यूपी का फोलियर अनुप्रयोग करना ।
  6. अच्छी फसल खड़ी करने के लिए (5 एफएल प्रति लीटर) के लिए 30,45 और 60 डीएटी पर जेडएन, एमएन, एफ़ईसीयू, बी वाले सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण का फोलियर अनुप्रयोग ।
  7. रोपण से 15-30 दिन पहले 20 टीएफवाईएम प्रति हैक्टेयर के लिए अच्छे डीक्मपोस्ट जैविक खाद प्रयोग कर सकते हैं ।
  8. सूखे की अवधि के दौरान थ्रिप आबादी आर्थिक थ्रेशहोल्ड स्तर से अधिक बढ़ सकते है (30 थ्रिप्स/पौधा) इस स्थिति में प्रभावी प्रबंधक के लिए प्रोपेनोफोस1 मि.ली. प्रति लीटर या कर्वोसल्फान 2 एमएल प्रति लीटर या फिप्रोनाइल 1.5 एम एल प्रति लीटर की दर पर छिड़काव करें ।
  9. प्रस्फुटन स्तर पर वर्षा की कमी : खरीफ मौसम के दौरान प्याज का प्रस्फुटन नहीं होता है ।

टर्मिनल सुखा : रोपण के 85 दिनों के बाद एक सिंचाई उपयुक्त है। जो वर्षा जल संचयन का उपयोग करके ड्रिप सिंचाई द्वारा प्रदान किया जा सकता है।

नोट – उपयुक्त रणनीतियां बिलंब से खरीफ के लिए और सिंचाई जल की कमी के मामले में रबी फसलों के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है ।

स्त्रोत : राष्ट्रीय बागवानी मिशन,भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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