जनसंख्या में अपार वृद्धि के कारण नगरों एवं महानगरों में वाटिका बनाने योग्य भूमि का अभाव हो गया है। अब ऐसे में नगरों में रहनेवाले वैसे लोग जो पौधे लगाने एवं रखने के शौकीन हैं, उनके लिए एक ही उपाय बचता है कि वे विभिन्न प्रकार के गमलों में आकर्षक फूल एवं पत्ते वाले पौधों को लगाकर अपने घर की शोभा बढ़ाएँ। इसी वजह से विगत कुछ वर्षों से इस प्रकार के शोभाकार पौधों की मांग में काफी अधिक वृद्धि हुई है। अगर किसान भाई इन पौधों को नर्सरी में उगाकर बेचें तो इससे वे आकर्षक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
शोभाकार पौधों में प्रकाश, तापमान, हवा, नमी तथा पोषण की अलग-अलग आवश्यकता होती है। मुख्यतः इन पौधों को 18 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास का रात्रिकालीन और २४ डिग्री सेंटीग्रेड का दिन का तापमान चाहिए होता है।
अधिकातर शोभाकर पौधे ग्रीन एवं ग्लास हाउस से घर के कमरे तक आते हैं। जहन एक निश्चित तापमान तथा आर्द्रता पर पौधों में कमी कर देने तथा सिंचाई के अंतराल में वृद्धि कर देने से काफी अच्छे परिणाम मिलते है।
कमरे में रखने योग्य उपयुक्त शोभाकार पौधों में एग्लोनीमा, एन्युरियम, कैलेथिया, ड्रेसिना, फिलोडेन्ड्रोन, मराणटा , सिंगोनीयम, फिटोनिया, एस्पीड्रस्टा, क्लोरोफाईटम, डिफेनबेकीया, मनी प्लांट, मोंस्टिरा, आईवी तथा फाईकस (रबड़) प्रमुख पौधे हैं। इन पौधों लो 10-15 दिनों के अंतराल पर कमरे से निकालकर, एसपारागस, कोलियस, बोगेनविलिया, फर्न, चाइना-पाम, फिशटेल, एकालिफा, क्रोटन, बिगोनिया, सेन्सेवेरिया, कैलेडियम आदि।
अलग-अलग प्रकार के शोभाकार पौधे के लिए अलग-अलग प्रकार के छोटे गमले या पात्रों का चुनाव आवश्यक होता है। प्लास्टिक के पात्र वैसे पौधों के लिए उपयुक्त होते हैं जो जम कम्पोस्ट में उगते हैं। प्लास्टिक के गमलों में मिट्टी के गमलों की अपेक्षा सिंचाई की कम आवश्यकता होती है। मिट्टी के नये गमलों को व्यवहार से पहले कुछ घंटों तक पानी में भींगा लेना चाहिए। सभी गमलों के आधार पर अतिरिक्त पानी निकलने के लिए एक छिद्र जरुर होना चाहिए। गमलों को किसी चीनी मिट्टी की तश्तरी पर रखना चाहिए इससे अतिरिक्त जल इसमें जमा हो जाता है घर का फर्श भी खराब नहीं हो पाता है। जब जल निकास वाले छिद्र से जड़ निकलने लगें तब यह समझना चाहिए कि अब रिपोर्टिंग की आवश्यकता है और तब बसंत के अंत या वर्षा के आरंभ में रिपोर्टिंग कर लेना चाहिए।
इन अवयवों की पूर्ति के बिना अच्छे शोभाकार पौधों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इन पौधों के सफलतापूर्वक प्रसारण के लिए उपयुक्त माध्यम का चुनाव जरुरी होता है। पोर्टिंग माध्यम में 100% कार्बनिक पदार्थ हो सकते हैं या 50% कार्बनिक एंव 50% अकार्बिनक पदार्थों का मिश्रण हो सकता है। माध्यम के चुनाव में माध्यम की वायवीयता, नमी धारण करने की क्षमता या पोषण की अहम भूमिका रहती है। अधिकतर शोभाकार पौधे 5.5 से 6.5 पी.एच. परास पसंद करते हैं। डोलोमाईटिक चुना पी.एच. को सही करने के काम में लाया जा सकत है। अधिकतर शोभाकार पौधे दोमट मिट्टी, पत्ती की खाद तथा बालू का समानुपात पोर्टिंग मिश्रण के रूप में पसंद करते हैं, लेकिन फर्न तथा रेक्स बिगोनिया के लिए दोमट मिट्टी का एक-एक भाग और पत्तों की खाद का दो भाग उपयोग करना चाहिए। सारे अवयवों को गमले में भरने से पहले अच्छी तरह मिला लेना चाहिए। वैसे तो पीट, पॉट कम्पोस्टिंग के लिए सबसे अच्छा कार्बनिंक पदार्थ होता है लेकिन आमतौर पर आसानी से उपलब्ध नहीं होने की वजह से नारियल की भूसी को इस काम में बखूबी लाया जा सकता है।
खाद एवं उवर्रक का शोभाकार पौधों पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। साधारणतः 150-200 पी. पी. एम्. नैत्रोजं, 50-70 पी. पी. एम्. फास्फोरस तथा 100-150 पी. पी. एम्. पोटेशियम का छिडकाव काफी उपयोगी होता है। इन सामान्य पोषण के अलावा समय-समय पर सूक्ष्म तत्वों का व्यवहार भी लाभदायक होता है।
शोभाकार पौधे नर्सरी में हो यह घर में हमेशा अधिक सिंचाई से बचना चाहिए। अधिक पानी देने से पत्ते झड़ने लगते हैं और पौधे सड़ भी सकते हैं। गमले की मिट्टी को छुकर देंखें यदि सूखी मालूम पड़े तभी सिंचाई दें। आमतौर पर ठंडे मौसम में 4-5 दिन तथा गर्म मौसम में और जल्दी-जल्दी सिंचाई दें। पत्तों को बिना भिंगोये सिंचाई दें ऐसा करने से पत्तियों के रोगों में कमी आती है।
पत्तियों पर धुल जमने न दें। पत्तियों पर धुल जमने से हवा का आदान-प्रदान एवं वाश्पोसर्जन प्रभावित होता है। हल्के भींगे कपड़े से पत्तियों को समय-समय पर पोंछ दें।
वैसे शोभाकार पौधे, जिनमें काफी शाखाएं निकलती हैं जैसे-एफ्रिकन वायोलेट, हेडेरा तथा जेब्रिना आदि में प्रूनिंग की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन कुछ पौधे जैसे इपिसिया, पेलारगोनियम, युओनिमस आदि में शाखाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी कटाई-छंटाई आवश्यक होती है। वैसे पौधों को एक निश्चित आकार एवं मृत तथा रोगग्रस्त शाखाओं को हटाने के लिए प्रूनिंग जरूरी होता है।
शोभाकार पौधों में मुख्यतः हरी मक्खी, मिलीबग, स्केल कीड़े, लाल मकड़ी, लाही तथा घोंघा प्रमुख रूप से लगते हैं। रोगों में ग्रे मोल्ड, मिल्दिउ, जड़ किलन तथा तना का कैंकर प्रमुख रूप से आता है। इसने बचाव के लिए नर्सरी में किसी अच्छे कीटनाशी दवा जैसे मोनोसी, इंडोसल्फान आदि का 0.1% एवं किसी अच्छे कवकनाशी दवा जैसे डायथेन एम्-45 का 0.2% या रिडोमील या साफ दवा का 0.15% या वैभिस्टीन का 0.1% घोल का छिड़काव कर सकते हैं। प्लांटिंग मेटेरियल को लगाने से पहले उपचारित करने पर रोग तथा कीट-आक्रमण से काफी हद तक मुक्ति मिल सकती है। दीमक का प्रकोप दिखने पर क्लोरोपाइरीफास दवा का व्यवहार करें।
शोभाकार पौधों को नर्सरी या तो आप खुले में बना सकते हैं या पॉली हाउस अथवा ग्रीन हॉउस में इसे तैयार कर सकते हैं। पौधों को बताएं गये मिश्रण में बेड बनाकर या सीधे गमले में लगा सकते हैं। पॉली हाउस अथवा ग्रीन हॉउस खुले में लगाने की अपेक्षा निश्चित तौर से फायेदेमंद होता है। ओसे पौधे निश्चित तापमान, आर्द्रता एवं नमी मिलने की वजह से साधारण रूप से उगाए गये पौधों की अपेक्षा गुणात्मक एवं परिमाणात्मक रूप से काफी बेहतर होते हैं लेकिन पॉली एवं ग्रीन हाउस के बनाने का प्रारंभिक खर्च ही एक बड़ा अवरोध बन जाता है।
एंथुरियम शोभाकार पौधों में अच्छा स्थान रखता है और आजकल इसकी मांग काफी बढ़ती जा रही है। फूल एक लंबे स्पाइक में आता है और उसके ठीक नीचे पत्तेनुमा ब्राक्ट होता है। किसी-किसी में यह काफी चमकीला एवं रंगीन होता है। यह गर्म, नम एवं छायादार वातावरण चाहता है। 20-28 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान इसके लिए उपयुक्त होता है। कम्पोस्ट छिद्रदार होना चाहिए। दोमट मिट्टी, पीट, बालू, कटामांस, चारकोल से बना होना चाहिए। पीट नहीं उपलब्ध रहने पर पत्तियों की खाद काम में लायी जा सकती है।
प्रसारण: सकर, कटिंग, राइजोम तना या बीज द्वारा बारिश के मौसम में किया जाना चाहिए।
एग्लोनीमा बहुत साड़ी पत्तियों वाला पौधा होता है। पत्तियों पर विभिन्न प्रकार के डिज़ाइन बने होते हैं। इसकी बहुत सारी किस्में हैं। गाँठ कटिंग से गर्मी या मानसून में इसे उगाया जा सकता है। है।
पेलियोनिया हैंगिग बासकेट तथा पत्थरों पर उगाने के लिए छोटी पत्तियों वाला झाड़ीनुमा पौधा होता है। इसे छाया पसंद है था कटिंग से प्रवर्धित किया जा सकता है।
सैंसीविरिया खड़े पत्तों वाला एक प्रमुख पौधा है। पत्तियां एक साथ गुच्छे में यह अन्य किसी क्रम में लगती अहिं। यह वातावरण की विषमताओं को सहन कर सकता है तथा कलम्प एवं पत्तियों के कटिंग से प्रवर्धित किया जाता है।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/3/2023
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