हमारे देश की जलवायु ऐसी है जहाँ सभी प्रकार के फूल उगाये जाते हैं। किन्तु वर्तमान समय की विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नियंत्रित वातावरण में फूल उपजाए जाते हैं, जो समान्यतः खुले वातावरण में ठीक से नहीं उपजाए जा सकते हैं।
ग्रीन हाउस एक ऐसा ढाँचा है जो पारदर्शी या पारभासी शीट या कपड़े से ढंका होता है। यह इतना बड़ा पूर्णतया या अर्धवातावरणीय नियंत्रित होता है है जिसमें फूलों की उचित वृद्धि तथा उत्पादकता प्राप्त करने के लिए उगाया जाता है।
वर्तमान समय में वातावरण के नियंत्रण के दृष्टिकोण से ग्रीन हाउस को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
पूर्णतया नियंत्रित, अर्ध नियंत्रित या प्राकृतिक रूप से नियंत्रित
अर्ध नियंत्रित या प्राकृतिक रूप से नियंत्रिंत कम लागत वाले होते है। भारत में पुष्प सम्बन्धी अनुसन्धान की प्राथमिकताएं सुनिश्चित करते हुए यह निश्चित किया गया कि कम्यूटरीकृत एवं जलवायु नियंत्रित ग्रीन हाउस में कटे पुष्पों एंव गृह पौधों के उतपादन का मानकीकरण करना। विदेशी मुद्रा अर्जित करने में ग्रीन हाउस एक सकारात्मक साधन है। पुष्पों एवं पौधों की सुनिश्चित आपूर्ति नियमित रूप से होना आनिवार्य है।
पालमपुर, हिमाचल प्रदेश में ग्रीन हाउस में पौधों को उगाने के लिए एक अनुसन्धान केंद्र स्थापित किया गया है। ग्रीन हाउस पुष्प हाउस पुष्प एवं पौध उत्पादन एक जटिल एवं परिष्कृत तकनीक है। इसकी सफलता वातावरणीय घटकों जैसे तापक्रम, आर्द्रता, प्रकाश, वायु परिभ्रमण के नियंत्रण हेतु कुशलता की उपलब्धता एवं सुविधाएं, फसल या पुष्प के प्रकार पर निर्भर करती है।
प्रत्येक पुष्प के पुष्पन का एक निश्चित समय होता है इसलिए समान्य क्रियाओं का ज्ञान जो पुष्पन को प्रभावित करता है प्राथमिक आवश्कता है। ग्रीन हाउस में ये सभी स्थितियां अनुकूल स्वरुप में रहना चाहिए जिससे कि पुष्प अपने स्वाभाविक रूप से पुष्पन कर सके।
पौधों की वानस्पतिक वृद्धि पूर्ण हो जाने पर पुष्पन आने देना चाहिए। इसलिए या आवश्यक है कि उसकी वृद्धि के लिए सिंचाई एवं जल प्रंबध, पौध पोषण, पौध संरक्षण आदि की अनुकूल अवस्थाएँ निर्मित की जानी चाहिए। उचित वृद्धि न होने पर पुष्पन हो जाने से पुष्पों की संख्या भार तथा गुणवत्ता प्रभावित होती है।
ग्रीन हाउस के प्रंबधन में जरुरी है पौधों की वृद्धि तथा पुष्पन के लिए आवश्यक प्राकृतिक या अनुकूल वातावरण जो उसके लिए उचित हो। तापक्रम जितना ही अधिक होगा, पौधों की वृद्धि उतनी ही तीव्रता से होती है। इसलिए उसकी देखभाल पूर्ण सतर्कता से करनी चाहिए। अंधकारमय वातावरण में पौधों की वृद्धि धीमी हो जाती है। पौधों का तापक्रम अधिक हो जाने से झुलसने से बचाना चाहिए।
पौधों में जल की आवश्यकता दो प्रकार की है- एक तो उनके क्रियाओं के सुचारू रूप से चलाने तथा दूसरी आवश्यकता ग्रीन हाउस के वातावरण को ठंडा बनाए रखने की है। वातन का उपयुक्त नियमन होना चाहिए, जिससे पाली हाउस के तापक्रम और आर्द्रता को आवश्यकतानुसार बनाए रखा जाए। अवांछनीय गैस नियंत्रित रहे तथा उचित छाया का प्रबंध हो जिससे पौधे न झुलसे। पौध उगाने का माध्यम- मिट्टी आदि को महीन होना चाहिए और रेत तथा रेशा की मात्रा अधिक हो जिससे जल निकास ठीक हो। माध्यम में नमी एवं पी. एच ऐसा रहे ताकि पोषक तत्व आसानी से पौधे ले सकें।
ग्रीन हाउस में उचीत तापक्रम पर पुष्पों को उगाया जाता है। यह ग्रीष्म ऋतु में शीतल एवं शीत ऋतु में गर्म रखा जाता है। इसे ऐसी दिशा में बनाया जाता है जिससे अधिकतम सूर्य प्रकाश मिले। बहुविस्तार या मल्टी स्पान में यह दिशा उत्तर से स्क्धीन रखी जाती है। उत्तरी दीवारों पर वातन के लिए पंखे तथा दक्षिणी दीवार पर वातन प्रवेश होता है। उत्तरी दीवार पारदर्शी पदार्थों से बनाई जाती है।
इनका ढाँचा अल्युमिनियम या कलाईदार स्टील का बनाया जाता है। इस प्रकार कई तरह के ग्रीन हाउस बनाए जाते हैं - धरातल से धरातल ग्रीन हाउस, गैवल टाइप ग्रीन हाउस तथा कोनिया टाइप ग्रीन हाउस। पाली हाउस ग्रीष्म ऋतु में पौधों को शीतलता देने के लिए बनाये जाते हैं। इनके मध्य की उंचाई 3 मीटर रखी जाती है। लोहा के पाइप को मोड़कर 3-4 मीटर की अंतर पर लगाया जाता है। इनके मध्य में इस प्रकार जोड़ा जाता है कि आर्क का आकार ले। निचली सुरंग की बनावट में सुरंगे 1-1.6 मीटर ऊँची होती है। इन्हें स्टील की नलिकाओं या बांस को मोड़कर गोल आकार दिया जाता है और स्वच्छ पोलीथिन से ढँक दिया जाता है। इन्हें बनाने में लागत कम आती है।
ग्रीन हाउस के टाइप के अनुसार खर्च होगा। जैसे-नेट हाउस में 250-300 रुपया प्रति मीटर, प्राकृतिक संचालित ग्रीन हाउस-एल.डी.पी.ई. की छत 450-500 रुपया प्रति वर्गमीटर, फैन और पैड शीतलित ग्रीन हाउस- एल.डी.पी.ई. की छत 100 रुपया प्रति वर्गमीटर, फैन और पैड शीतलित ग्रीन हाउस- 2000-3000 रुपया प्रति वर्गमीटर।
फूलों का उत्पादन लक्ष्य एक व्यवसायी की तरह लाभ प्राप्त करना है। अतः जून फूलों का पूर्ण विक्रय हो उसे ही उगाएं। यह एक भारी पूंजी उद्योग है जिसमें आर्थिक लाभ का पक्ष निर्णायक सिद्ध होगा।
उपज तकनीकी कुशलता एवं उपलब्ध साधनों पर निर्भर करती है। अतः उचित एवं समय पर रोपण सामग्री का उपलब्ध होना जरुरी है। सामान्य रूप से कटे फूल के लिए बेड बनाए जाते हैं, पर आवश्यकता के अनुसार गमले में भी पौधे लगाएँ जाते हैं। ग्रीन हाउस में पौध-संरक्षण भी जरुरी है। किसी तरह की बीमारियों का प्रकिप होने उनका पूर्ण रूप से निराकरण करें। सफाई और स्वच्छता जरुरी है। फर्श तथा क्यारियों या गमलों की सफाई समय लर करें।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/3/2023
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