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आलू |
फूलगोभी एवं पत्ता गोभी |
उन्नत प्रभेद |
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पत्तागोभी के उन्नत प्रभेद:
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बुआई का समय |
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बीज गिराने एवं रोपाई का समय: ग्रीष्मकालीन: फरवरी-मार्च एवं मार्च-अप्रैल, अगात: जून-जुलाई एवं जुलाई-अगस्त, मध्यकालीन, अगस्त-सितंबर एवं सितम्बर-अक्टूबर, पिछात: अक्टूबर-नवम्बर एवं नवम्बर-दिसम्बर पत्तागोभी: बीज गिराने एवं रोपाई का समय: ग्रीष्मकालीन: फरवरी एवं मार्च, अगात: सितम्बर एवं अक्टूबर, पिछात: अक्टूबर-नवम्बर एवं नवम्बर-दिसम्बर। |
बीज दर |
20-30 क्विंटल/हेक्टेयर |
अगात: 600-700 ग्राम/हेक्टेयर, पिछात: 500-600 ग्राम/हेक्टेयर। |
दूरी |
कतारों की दूरी 50 सें.मी. 1 पौधों की दूरी 20 सें.मी. |
अगात: कतार से कतार 45 सें.मी, पौधा 30-45 सें.मी., पिछात: कतार से कतार 50 सें.मी., पौधा से पौधा 45 सें.मी. । |
खाद की मात्रा |
गोबर की सड़ी खाद/कम्पोस्ट 300 क्विंटल 150:80:125:24 किग्रा. एन.पी.के., एस.प्रति हें. |
गोबर की सड़ी खाद 200-250 क्विंटल, यूरिया 300 किग्रा., सिंगल सुपर फ़ॉस्फेट 300 किग्रा., म्यूरिएट ऑफ़ पोटाश 100 किग्रा. । |
सिंचाई |
अंकुरण के समय तथा मिट्टी चढ़ाने के बाद |
आठ से दस दिनों पर |
खुदाई |
कंद बैठ जाने पर, गर्मी पड़ने के पूर्व |
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उपज (क्विं./हें.) |
250-300 क्विंटल |
200-250 क्विंटल |
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टमाटर |
बैंगन |
मिर्चा |
मिट्टी |
जैविक पदार्थ से भरपूर दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी |
दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी |
अच्छी जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी |
उन्नत प्रभेद |
पूसा रूबी, बी.टी.-12, पंजाब केसरी, पूसा सदाबहार, अरका आभा, स्वर्ण लालिमा। |
पूसा पर्पल लौंग, पूसा पर्पल राउंड, पूसा पर्पल कलस्टर, मुक्ताकेशी, बनारस जैट, स्वर्ण प्रतिभा, स्वर्ण श्यामली, स्वर्णमनी। |
मसाला: आंध्रज्योति, पूसा सदाबहार एन.पी.-46ए, पूसा ज्वाला, कल्याणपुर (लाल), सब्जी: कैलिफोनिया वंड चाइनीज जाइंट, यलो वंड भारत। |
बुआई का समय |
जुलाई-अगस्त, सितम्बर |
मध्य जून-जुलाई, नवम्बर-जनवरी, अप्रैल-मई |
अगात: मई-जून, रबी: जुलाई-अगस्त, बसंत: नवम्बर |
रोपाई का समय |
अगस्त-सितम्बर, अक्टूबर |
जुलाई-अगस्त, दिसम्बर-फरवरी, मई जून |
अगात: जून-जुलाई रबी: अगस्त-सितम्बर बसंत: दिसम्बर |
बीज दर |
500-600 ग्रा./हें. |
अगात: 600-700 ग्रा./हेक्टेयर पिछात: 500-600 ग्रा./हेक्टेयर |
500-600 ग्रा./हें. |
लगाने की दूरी |
कतार से कतार 50-60 सें.मी. एवं पौधा से पौधा 45 सें.मी. |
अगात: कतार से कतार 45 सें.मी. पौधा से पौधा 30-45 सें.मी. पिछात: कतार से कतार 50 सें.मी. पौधा से पौधा 45 सें.मी. |
कतार से कतार 50 सें.मी. पौधा से पौधा 40 सें.मी. |
खाद की मात्रा |
गोबर खाद 200-250 क्विंटल, यूरिया 200 किग्रा. डी.ए.पी. 300-400 किग्रा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 100 किग्रा. । |
गोबर खाद 200-250 क्विंटल, यूरिया 200 किग्रा., डी.ए.पी. 300-400 किग्रा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 100 किग्रा. । |
गोबर खाद 200-250 क्विंटल, यूरिया 175-200 किग्रा., डी.ए.पी. 300-350 किग्रा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 90-100 किग्रा. । |
सिंचाई |
10 से 12 दिनों पर |
8-10 दिनों पर |
10-12 दिनों पर |
उपज (क्विं./हें.) |
200 से 250 क्विंटल |
200 से 250 क्विंटल |
हरा फल 80-100 क्विंटल |
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मटर |
फ्रेंचबीन |
प्याज |
मिट्टी |
अच्छी जल निकासी वाली हल्की उपजाऊ मिट्टी। अम्लिक मिट्टी में एक महीने पहले चूने का भुरकाव। |
अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी। अम्लिक मिट्टी को एक महीना पहले चूने से उपचारित करें। |
बलुई दोमट मिट्टी। |
उन्नत प्रभेद |
अगात: आरकेल, मध्यम: पूसा प्रगति, पी.एम.-113, काशी नंदिनी, आजाद पी-1 |
झाड़ीदार किस्में: पंत अनुपमा स्वर्ण प्रिया, अरका कोमल, स्ट्रींगलेस। लत्तीदार: केंटकी वंडर, बिरसा प्रिया, स्वर्णलता। |
पूसा रेड, पूसा रत्नार , एन-53, अर्ली ग्रानो, लाइट रेड अरका निकेतन, अरका कल्याण, एग्रीफाउंड डाकरेड, पूसा व्हाइड राउंड एवं फ़्लैट। |
लगाने की विधि |
कतार बनाकर सीधी बुआई |
कतार बनाकर सीधी बुआई बरसाती खेती: मेढ़ बनाकर, रबी: समतल क्यारी में। |
पौधशाला में छोटी-छोटी क्यारियाँ बनाकर। |
बीज लगाने का समय |
सितम्बर-नवम्बर |
झाड़ीदार किस्में: अक्टूबर-नवम्बर, जनवरी-मार्च, लत्तीदार: मई-जून तथा सितम्बर-अक्टूबर । |
नवम्बर-जनवरी |
बीज दर |
80-100 किग्रा. |
झाड़ीदार किस्में: 80-90 किग्रा., लत्तीदार किस्में: 25-30 किग्रा./हेक्टेयर |
मध्य दिसम्बर से मध्य फरवरी 8-10 किग्रा. |
लगाने की दूरी |
कतारों की दूरी 30-45 सें.मी. । पौधों की दूरी 6-10 सें.मी. |
झाड़ीदार किस्में: कतार से कतार 50 सें.मी., पौधा से पौधा 10 सें.मी. 1 लत्तीदार: कतार से कतार 75 सें.मी. पौधा से पौधा 15 सें.मी. |
कतारों की दूरी: 15 सें.मी. फरवरी 8-10 किग्रा. |
खाद की मात्रा |
गोबर की सड़ी खाद 200-250 क्विंटल, यूरिया 50-75 किग्रा., डी.ए.पी. 300-400 किग्रा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश-75 किग्रा. |
गोबर 200 क्विंटल, यूरिया 90-100 किग्रा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 75-80 किग्रा., डी.ए.पी. 400 किग्रा. |
गोबर 200-250 क्विंटल, यूरिया 200-250 किग्रा., डी.ए.पी. 300-350 किग्रा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 100-125 किग्रा. |
सिंचाई |
हल्की दोमट मिट्टी 8-10 दिनों पर, भारी दोमट मिट्टी 12 दिनों पर |
प्रति सप्ताह |
8-10 दिनों पर |
उपज (क्विं./हें.) |
80-120 क्विंटल |
झाड़ीदार: 80-90 क्विं. लत्ती दार: 125-150 क्विंटल |
200-250 क्विंटल |
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गाजर एवं मूली |
पालक साग |
भिण्डी |
मिट्टी |
उपजाऊ हल्की मिट्टी, जैविक अंश से भरपूर अच्छे जल निकास वाली मिट्टी। |
दोमट मिट्टी |
जल विकास वाली हल्की दोमट |
उन्नत प्रभेद |
गाजर-पूसा मेघाली, पूसा यमदाग्नि, पूसा, केसर, नैन्टीस, चैंटनी। मूली-जापानी व्हाइट, पूसा हिमानी, पूसा रोशनी, पूसा चेतकी, पूसा देशी, कांशी हरा। |
पूसा ज्योति, ऑलग्रीन, देशी, पूसा माधवी |
परभनी क्रांति, पूसा ए, 4 अरका अनामिका, वर्षा उपहार। |
लगाने की विधि |
गाजर के बीज क्यारियों में छिटंकर बोते हैं तथा बाद में छंटाई की जाती है। मूली की बुआई सीधी पंक्तियों में। |
छोटी-छोटी क्यारी बनाकर पंक्तियों में |
समतल जमीन में सीधी बुआई |
लगाने की समय |
गाजर-अक्टूबर-नवम्बर, देशी मूली- अगस्त-नवम्बर, विदेशी मूली- सितम्बर-दिसम्बर |
सितम्बर-फरवरी |
गरमा फसल: फरवरी-मार्च बरसाती: जून-अगस्त |
बीज दर |
गाजर 4-5 किग्रा./हें. मूली 10-12 किग्रा./हें. |
25-30 किग्रा./हें. |
गरमा फसल: 15-20 किग्रा./हें. बरसाती: 8-10 किग्रा./हे. |
लगाने की दूरी |
गाजर 8-10 सें.मी. मूली 15-20 सें.मी. पंक्तियों में |
15-20 सें.मी. |
गरमा: कतारों की दूरी 45 सें.मी., बीज: बीज की दूरी 20 सें.मी., बरसाती: कतारों की दूरी 60 सें.मी. बीज से बीज की दूरी 25 सें.मी. |
खाद की मात्रा |
गोबर की सड़ी खाद 200 क्विंटल, यूरिया 225 किग्रा., सिं.सु.फा. 250-300 किग्रा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 100-120 किग्रा. |
गोबर खाद 200 क्विंटल बुआई के पहले। हर कटाई के बाद 45-50 किग्रा./हें. यूरिया टॉप ड्रेसिंग |
गोबर खाद 200-250 क्विंटल, यूरिया 200-250 किग्रा., सिं.सु.फा. 300 किग्रा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 100 किग्रा. |
सिंचाई |
8-10 दिनों पर |
सप्ताह में एक बार |
गर्मा: 5-7 दिनों पर |
उपज (क्विं./हें.) |
गाजर (देशी)- 220-225 क्विं./हें., विदेशी 100-125 क्विं./हें., मूली (देशी) 150-200 क्विं./हें., विदेशी 200 क्विंटल/हें. |
80-100 क्विं./हें. |
150-200 क्विं./हें. |
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कद्दू, करैला, कोहड़ा, खीरा, झिंगी एवं नेनुआ |
शकरकंद |
हल्दी |
लगाने की विधि |
खेत में प्रति थाला 3-5 पुष्ट बीज सीधे बोये जाते हैं। |
लत्तर का अग्र भाग 20 सें.मी. |
गर्मी में समतल में तथा वर्षा में मेड बनाकर। लगाने के बाद सूर्ख पत्तियों से जमीन को ढंक दें। |
लगाने की दूरी |
कोहड़ा एवं कद्दू 2.5-3.0 मी. की दूरी पर नेनुआ 2.0-2.5 मी. की दूरी पर खीरा, करैला एवं झिंगी 1.5-2.0 की दूरी पर। |
जमीन में 60-60 सें.मी. कतार में 20-20 सें.मी. की दूरी पर समतल भूमि में लत्तर रोप दें तथा 30-35 दिन बाद मिट्टी चढ़ा दें। |
एक दो आँखों वाली बीज की गाँठ को लगानें हैं। लगाने की दूरी – समतल भूमि में 30-40 x 25 सें.मी. |
खाद की मात्र |
गोबर खाद, यूरिया, सिं.सु.फा., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश कद्दू, कोहड़ा, नेनुआ – 200-250 क्विं., 200-250 किग्रा., 400-450 किग्रा., 100 किग्रा., करैला, खीरा, झिंगी 150-200 क्विं., 100-150 किग्रा., 200-300 किग्रा., 80 किग्रा. । यूरिया खाद का 2-3 किस्तों में देना उत्तम है। |
गोबर की खाद 15-20 टन प्रति हेक्टेयर, यूरिया 120 कि./हें., सिं.सु.फा. 375 कि./हें. । म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 100 कि./हें. । रोपाई के समय आधी नाइट्रोजन और पोटाश तथा संपूर्ण फ़ॉस्फोरस डालें। शेष 30 से 35 दिनों पर मिट्टी चढ़ाने के समय। |
गोबर की खाद 15-20 टन/हें., नाइट्रोजन 80 कि./हें., फ़ॉस्फोरस 20 किग्रा./हें., पोटाश 50 किग्रा./हें. |
सिंचाई |
5-7 दिनों पर |
सितम्बर माह में लगाई गई फसल में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर |
7-10 दिनों पर |
उपज/हेक्टेयर |
कद्दू 150-200 क्विं., कोहड़ा 200-250 क्विं., नेनुआ 125-120 क्विं., खीरा-करैला, झिंगी 80-120 क्विं. |
25 से 30 टन |
25-30 टन |
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अदरक |
ओल |
मिट्टी |
समुचित जल निकास वाली सभी मिट्टी |
अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी |
उन्नत प्रभेद |
नदिया, सुप्रभा, सुरुचि, सुरभि एवं वर्दमान |
गजेन्द्र, विधान कुसुम एवं श्री पदमा |
लगाने की विधि |
गर्मी में समतल में तथा बरसात में मेड बनाकर। बुआई के बाद सूखी पत्तियों से ढंक दें। |
40 सें.मी. व्यास एवं गहराई वाले गड्ढे खोदकर (1 मी. की दूरी) उसमें ऊपर की मिट्टी, गोबर खाद और उर्वरक मिलाकर गड्ढे को भर दें। लगाने के लिए 500-1000 ग्रा. वजन के बीज का व्यवहार करें। लगाने से पहले बीज को 0.1 प्रतिशत बैविस्टीन से बीजोपचारित कर लें। अगर बड़े आकार के बीज को काटकर लगाने हों तो ध्यान रहे कि प्रत्येक कटे भाग में। |
लगाने का समय |
लगाने का समय |
सिंचित – मार्च-मई, असिंचित – जून-जुलाई |
लगाने की दूरी |
40 सें.मी.10 सें.मी. |
1 मी.1 मी. |
बीज दर |
18-20 क्विं./हें. |
500-1000 ग्रा. प्रति गड्ढा एवं 50-100 क्विं./हें. |
खाद |
कम्पोस्ट 200-250 क्विंटल/हेक्टेयर यूरिया 150-200 किलो/हेक्टेयर सिं.सु.फा. 300-325 किलो/हेक्टेयर एम.ओ.पी. 70-90 किलो/हेक्टेयर |
गोबर खाद 25-30 टन/हें., यूरिया 200 किग्रा/हें., सिं.सु.फा. 375 किग्रा./हें., म्यूरेट ऑफ़ पोटाश 130 किग्रा./हें. । फ़ॉस्फोरस की संपूर्ण मात्रा तथा यूरिया एवं पोटाश की आधी मात्रा लगाने के समय तथा शेष आधी मात्रा मिट्टी चढ़ाने (60 दिन) के समय दें। |
सिंचाई |
3-4 (वर्षा, ग्रीष्म एवं जाड़े में) |
आवश्यकतानुसार |
उपज |
150 से 200 क्विं./हें. |
50-100 टन/हें. |
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/17/2020
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