सामान्य रूप से छत्तेदार खाद्य फफूंदी (कवक) को मशरूम या खुंभी कहते हैं। झारखंड में इसे लोग प्राय: खुखड़ी के नाम से जानते हैं। प्राय: मशरूम में ताजे वजन के आधार पर 89-91 प्रतिशत पानी, 0.99-1.26 प्रतिशत रसायन 2.78-3.94 प्रतिशत प्रोटीन, 0.25-0.65 प्रतिशत वसा, 0.07-1.67 प्रतिशत रेशा, 1.30-6.28 प्रतिशत कार्बेहांइड्रेट और 24.4-34.4 किलो केलोरी ऊर्जामान होता है। यह विटामिनों जैसे – बी 1, बी 2, सी एंड डी एवं खनिज लवणों से भरा होता है। यह कई बीमारियों जैसे – बहुमूत्र, खून की कमी, बेरी-बेरी, कैंसर, खाँसी, मिर्गी, दिल की बीमारी में लाभदायक होता है। इसकी खेती कृषि, वानिकी एवं पशु व्यवसाय सम्बन्धी अवशेषों पर की तथा उत्पादन के पश्चात बचे अवशेषों को खाद के रूप में उपयोग कर लिया जाता है। उत्पादन हेतु बेकार एवं बंजर भूमि का समुचित उपयोग मशरूम गृहों का निर्माण करके किया जा सकता है। इस प्रकार यह किसानों एवं बेरोजगार नवयुवकों के लिए एक सार्थक आय का माध्यम हो सकता है।
खेती का स्थान: साधारण हवादार कमरा, ग्रीन हाउस, गैरेज, बंद बरामदा, पोलीथिन के घर या छप्परों वा कच्चे घरों में इसकी खेती की जाती है।
बीज : अनाज के दानों पर बने उच्चगुणों वाले प्रमाणित बीज का ही व्यवहार करें। इसे बिरसा कृषि वि.वि. से प्राप्त कर सकते हैं।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 1/23/2023
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