फल एवं सब्जियों में मूल्य वर्द्धन का विशेष महत्व है। उत्पादन के साथ-साथ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया जाय तो इससे किसानों को लाभ होगा।
ऐसा देखा जाता है कि किसी ख़ास अवधि में सब्जियाँ बाजार में काफी मात्रा में आ जाती है तथा कभी काफी कमी रहती है। अगर सब्जियों को बाहर के बाजार में भेजना है तो एक ही तरह का सब्जी ज्यादा मात्रा में लगाना अच्छा होगा। लेकिन स्थानीय बाजार के लिए विविध तरह का सब्जी लगाना अच्छा होगा।
कुछ नये सब्जियों को भी लगाना चाहिए। फूलगोभी की जगह ब्रोकली को लगा सकते है। यह फूलगोभी से मिलता-जुलता है लेकिन इसका मूल्य फूलगोभी से अधिक रहता है। चुकन्दर (वीट) की खेती कम होती है। शादी-विवाह के मौसम में इसकी मांग बढ़ जाती है। अक्टूबर माह में ओल की मांग बढ़ जाती है। बेबी कॉर्न लगाकर भी अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है। मकोई एवं मिश्रीकंद भी नये फसल है। बैंगन परिवार के मकोई की खेती बैंगन की ही तरह की जा सकती है।
मौसम से हटकर सब्जी को लगाने से अधिक लाभ होगा। मटर को वर्षाकाल समाप्त होते ही बुआई करने से काफी अधिक कीमत मिलता है। टमाटर से अधिक आमदनी प्राप्त करने के लिए अगस्त माह के अंत या सितम्बर के प्रभाव में रोपाई करने से अधिक आमदनी होगी। जुलाई के अंत में बुआई करने से भिण्डी में लगने वाले शिरा का पीला रंग नामक रोग नहीं लगता है तथा दाम भी अच्छा मिलेगा। इसी तरह से बरसाती आलू एवं प्याज की खेती की जा सकती है। मूली की खेती सालों भर की जा सकती है। लत्तर वाली सब्जियों की अगात खेती के लिए मध्य दिसम्बर के आसपास पोलीबैग में बीज की बुआई कर पोलीहाउस में एक माह तक बिचड़ा को बढ़ने दें तथा मध्य जनवरी में थाला बनाकर बिचड़ा की रोपाई करें।
ऐसा देखा जाता है कि अक्टूबर माह तथा वर्षा काल के आरंभ में सब्जी की कमी होती है। एक मौसम का अंत एवं दूसरे मौसम के शुरुआत के समय सब्जी की उपलब्धता कम हो जाती है। अगर इस तरह बुआई/रोपाई की योजना बनाई जाय कि इस अवधि में उत्पादन हो तो अधिक कीमत मिलेगी तथा बिक्री में कोई समस्या नहीं होगी।
समय पर तोड़ाई करने से अच्छी सब्जी मिलती है। रेशा की मात्रा अधिक होने से मांग घट जाती है। तोड़ाई में विलम्ब होने से फलन भी कम हो जाता है। भिण्डी को हरेक तीसरे दिन तोड़ना चाहिए। खीरा, नेनुआ, कद्दू इत्यादि को भी नाजुक रहने पर ही तोड़ना चाहिए।
टमाटर, बैंगन या अन्य सब्जियों को पहले ग्रेडिंग कर लें। वजन एवं आकर्षक पैक में रखकर बाजार में ले जाएँ। इससे विक्रेता एवं उपभोक्ता दोनों को आसानी होगी। ग्रेडिंग के समय अनावश्यक भाग को हटा देना चाहिए।
फूलगोभी में अच्छे गुणवत्ता वाले (सफेद एवं आकर्षक) कर्ड प्राप्त करने के लिए खाद के साथ बोरेक्स (15 किग्रा./हें.) का प्रयोग काफी लाभदायक होता है। फल एवं सब्जियों खासकर लीची, टमाटर इत्यादि में बोरेक्स के 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम/लीटर) घोल का छिड़काव फलों को फटने से बचाता है एवं उनमें गुणवत्ता सुधार भी लाता है। फूलगोभी के कर्ड को धूप से बचाने के लिए कर्ड को उसी के पत्रियों से ढंक देना (ब्लाचिंग) काफी लाभदायक होता है इससे सफेद एवं आकर्षक कर्ड मिलते है जिनकी बाजार में मांग अधिक होती है।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 12/20/2019
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