आम के फलों का झड़ना एक बहुत ही गंभीर समस्या है। आम में लगभग 99 प्रतिशत फल विभिन्न चरणों में गिर जाते है और मात्र 0.1 प्रतिशत फल ही परिपक्व अवस्था तक पहुँच पाते है। अत्याधिक फलों का गिरना आम की उत्पादकता पर विपरीत असर डालता है। फलों का गिरना किस्म विशेष, निषेचन की कमी, द्विलिंगी पुष्पों की कमी, अपर्याप्त परागण, पराग कीटों की कमी, फलों की पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा और बाग़ में नमी की कमी के कारण प्रभावित होता है। सामान्यत: आम की लगभग सभी किस्मों में यह समस्या समान रूप से पाई जाती है।
इस अवस्था में फल झड़न अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाता है। इस अवधि में अधिकतर फल पेड़ से झड़ जाते है। झड़ने वाले फलों में फूल की सूखी पंखुड़ियाँ तथा सिकुड़े हुए फल शामिल होते है। इस अवस्था में गिरने वाले फलों का आकार पिन के सिरे के समान होता है। मूल रूप से अपर्याप्त परागण वाले फल इस अवधि में गिर जाते है।
इस अवधि में 4 मि.मी. व्यास से अधिक आकार के फल पौधों से झड़ जाते है। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में फलों का झड़ना बंद होता है।
इस अवधि में गिरने वाले फलों से बागवानों को अधिकतम हानि पहुँचती है क्योंकि इस समय फल तोड़ने के लिए तैयार हो चुके होते हैं। फल झड़न पूरे मई में जारी रहता है इसलिए इसे जून ड्रॉप का नाम दिया गया है।
उच्च तापमान तथा तेज हवाओं के चलने से पानी का अधिक वाष्पीकरण होता है जिससे पत्ते मुरझा जाते है तथा फल गिरने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। दशहरी किस्म पर किये गये शोध में यह पाया गया है कि नियमित सिंचाई से इस समस्या को कम किया जा सकता है।
तेजी से बढ़ रहे फलों को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसी कारण फलों की आपस में स्पर्धा होती है। ऐसे फल जिन्हें नियमित तथा संतुलित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते वृक्षों से गिर जाते हैं।
बीज से एक प्रकार के वृद्धि बढ़ाने वाले हार्मोन्स (ऑक्सिन) निकलते है जो कि फलों को पौधों पर बनाए रखने में सहायक होते हैं। परागण न होने पर बीज का न बनना या बीज का सही विकास न होना, दोनों अवस्थाओं में फल झड़ने की मात्रा अधिक होती है।
आम में अनेक प्रकार के कीट (मिली बग, हॉपर इत्यादि) तथा बीमारियाँ (एंथ्रेक्नोज, पाउडरी मिल्ड्यू) फलन को प्रभावित करते है। बीमारियों तथा कीट के अधिक प्रकोप के कारण भी फल झड़ने की समस्या में वृद्धि हो जाती है।
परआक्सी डेज की अधिक क्रियाशीलता के कारण फलों की डंडी में 6-7 मृत कोशिकाओं की तह तैयार हो जाती है जिसे एवसिशन तह कहा जाता है। इस तह के बनने पर फल तथा डंडी अलग हो जाती है तथा फल नीचे गिर जाते है।
आम के बागीचों में अच्छी देखभाल के द्वारा फल झड़न की समस्या को कम किया जा सकता है। नियमित सिंचाई तथा पालीथीन मल्चिंग के द्वारा मृदा में नमी को संचित किया जा सकता है जो कि फलों को गिरने से रोकने में सहायक है। पौधों में खाद व उर्वरक के नियमित व संतुलित उपयोग से भी इस समस्या को कम किया जा सकता है।
आमतौर पर कई तरह के हौरमोन्स जैसे एन.ए.ए., 2, 4-डी, 2, 4, 5-टी, जी.ए. इत्यादि फलों को झड़न से बचाने के लिए प्रयोग किये जाते है। शोध कार्यक्रमों में यह पाया गया है कि 20 पी.पी.एम. 2,4-डी, का अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में छिड़काव इस समस्या को काफी हद तक नियमित करने में सहायक है।
आम में लगने वाले कीटों तथा बीमारियों की समय पर रोकथाम करने से भी फलों को झड़ने से बचाया जा सकता है।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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