वैशाली जिले का एक छोटा- सा गांव है चकवारा, जो गंडक नदी के तट पर बसा है। इस गांव में लगभग 125 परिवार निवास करते हैं। इनमें मात्र दो लोग ही नौकरी करते हैं। बाकी की जीविका सब्जियों की खेती पर निर्भर है। खेती की बदौलत ही इस गांव के 99 प्रतिशत मकान पक्के हैं। गंडक के तट पर लगने वाला सोनपुर मेला एशिया का प्रसिद्ध मेला है। इसके साथ ही प्रगतिशील किसानों द्वारा उत्पादित किये गये हाजीपुर अगात गोभी के बीज की मांग कश्मीर को छोड़ कर देश के हर कोने में है। यहां के युवाओं में खेती की ललक आज भी देखी जा सकती है। चकवारा गांव निवासी संजीव कुमार एक प्रगतिशील किसान हैं। इन्होंने इंटर तक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद ये अपनी लगन व मेहनत के बल पर जल्द तैयार होने वाली फूल गोभी हाजीपुर अगात के बीज का उत्पादन कर रहें हैं। यह किस्म सामान्य फूलगोभी की अपेक्षा पहले तैयार हो जाती है। जहां पर सामान्य गोभी के पौधे में 60 से 65 दिनों में फूल आ जाते हैं, वहीं हाजीपुर अगात में 40 से 45 दिनों में फूल आने लगते हैं। इसकी विशेषता यह भी है कि इसके पौधे में धूप-बारिश सहने की क्षमता ज्यादा होती है। इसके फूल सफेद, ठोस तथा खुशबूदार होने के अलावा तीन से चार दिनों तक ताजा बने रहते हैं।
संजीव कहते है कि हमारे परिवार में पारंपरिक बीज से गोभी की खेती चार पीढ़ियों से की जा रही है। तीन एकड़ में खेती कर लाखों की आय प्राप्त कर रहें हैं।अगात गोभी के बीज की खेती विभिन्न प्रकार की भूमियों में की जा सकती है। किन्तु गहरी दोमट भूमि जिसमें पर्याप्त मात्र में जैविक खाद उपलब्ध हो सके । इसके लिए अच्छी होती है ।हल्की रचना वाली भूमि में पर्याप्त मात्र में जैकिक डालकर इसकी खेती की जा सकती है। जिस भूमि का पीएच मान 5.5-6.5 के मध्य हो वह भूमि फूल गोभी के लिए उपयुक्त मानी गई है। उनका कहना है कि पहले खेत को पलेवा करें जब भूमि जुताई योग्य हो जाए तब उसकी जुताई दो बार मिट्टी पलटने वाले हल से करें इसके बाद दो बार कल्टीवेटर चलाएं और प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएं। हाजीपुर अगात (चकवरा), कुंआरी , कातिकी इस वर्ग की किस्मों में सितंबर व अक्तूबर मध्य तक फूल आते है। जब तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इसकी बुआई मध्य जून तक रोपाई जुलाई के प्रथम सप्ताह तक कर देना चाहिए । अत्रदक उपज के लिए भूमि में पर्याप्त मात्र में खाद डालना अत्यंक आवाश्यक है। मुखयत मौसम कि फसल को अपेक्षाकृत अधिक पोषक त्वों की आवश्यकता होती है इसके लिए एक भूमि में 35-40 क्विंटल गोबर के अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद और आर्गनिक खाद खाद का इस्तेमाल करें। बेहरि होगा। ये अपने बीज के नमूने विदेशों में भी भेजेते हैं। इसका परिणाम सकारात्मक रहा। इन्होंने गोभी के बीज को नार्वे, स्वीडन, इथोपिया, ब्रिटिश उच्चयोग, हंगरी, जापान कसटर्नल आफ एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन, कनाडियन उच्चयोग, हालैंड तथा कोरियाल ट्रेड सेंटर को भेजा, जहां से सराहना मिली। कोरिया की बीज कंपनी के प्रतिनिधियों ने हाजीपुर में होने वाली फूलगोभी की खेती को देखने की इच्छा व्यक्त की और यहां के किसानों को अपने यहां आने का न्योता भी दिया।
विशेष जानकारी के लिए संपर्क किया जा सकता है-9852109928, 9430428660
स्त्रोत : संजीव कु्मार, स्वतंत्र पत्रकार,पटना बिहार।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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