परिश्रम और तकनीक के बदौलत से कहीं पर भी खेती कर किसान अच्छी पैदावार से अधिक मुनाफा कमा कर बेहतर जीवन बना सकता है। ऐसा ही ही एक किसान रोहतास जिला ग्राम बान्दु पोस्ट- दारानगर अंचल-नौहट्टा का रहनेवाले रितेश पाण्डेय है। इसने टपक सिंचाई प्रणाली को अपनाकर अपनी 45 एकड़ बंजर भूमि को खेती में तब्दील कर दिया है।
इस युवा किसान ने ‘जागो किसान जागोl कृषि फार्म का बनाया है। जहां वह करीब 18 एकड़ भूमि पर सब्जी की खेती और 25 एकड़ भूमि पर औषधि खेती कर रहा है। जिस इलाके में वह खेती कर रहा है वह नक्सल प्रभावित एवं सूखाग्रस्त तथा गरीबी और पलायन का दंशा ङोल रहा है। रितेश का कहना कि सन 2000 से kवाटर डेकोर्सl सूक्ष्म सिंचाई पद्धति का कार्य शुरू किया था। नवंबर 2012 में मैंने कृषि फार्म का निर्माण किया। लखनऊ में मैंने स्प्रिंकलर और टपक सिंचाई पद्धति को सीखा और वही पर काम करता रहा। लेकिन आखिर मां के देहांत पर मैं अपने घर लौट आया। तभी से मैंने ‘जागो किसान जागो’ मुहिम शुरू की और किसानों को सूक्ष्म सिंचाई पद्दती से होने वाले लाभ के बारे में बताया और उद्यायान विभाग की योजना के तहत लाभ किसानों को दिलाने लगा। इस कार्य के शुरु वात में लोगों का इस पद्धति पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।
किसानों को पुराने पारंपरिक सिंचाई प्रणाली ही ज्यादा उपयुक्त प्रतीत होती थी। मैं लोगों के खेतों में फव्वारा सिंचाई प्रणाली का प्रयोग करके उन्हें बताया इसके साथ ही धीरे- धीरे लोगों का इसके प्रति विश्वास होने लगा। अपने भी वह इस पद्धति को अपनाया। वही जिला उद्यायान विभाग की मदद से 1000 वर्ग मीटर का पॉली हाउस बनाकर बेमौसमी सब्जी की खेती कर रहा है। 4 एकड़ जमीन में फूलों को भी लगायी है, जिसकी पैदावार अच्छी होती है। वर्षा जल संग्रहण हेतु वॉटर स्टोरेज टैंक व प्याज भंडारण हाउस का निर्माण भी कराया है। औषिधये पौधों एवं सब्जी की खेती के साथ साथ ड्रीप सिंचाई पद्दती देखने के लिए जिले के साथ साथ औरंगाबाद एवं पड़ोसी राज्य झारखंड़ और यूपी से लोग आते है। जागो कृषि फार्म पर करीब 16-17 महिला पुरुष लोग कार्य करते है। टमाटर, भिंडी, खीरा, लौकी, करैला, तरोई, हरी मिर्च एवं धनिया पत्ता आदि सिब्जयों को रोज बेचकर 8 से 10 हजार रु पये आय होती है।
रितेश ने जिला से प्राप्त अनुदान के सन्दर्भ में कहते है कि जिला उद्यायान पदाधिकारी मेरी मेहनत से प्रेरित होकर उन्होंने मुङो टपक सिंचाई प्रणाली एवं पॉली हाउस लगाने के लिए सरकारी अनुदान प्रदान कराया। समय समय पर वह स्वयम आकार किसानों से गोष्टी करते है और सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित भी करते है।
स्त्रोत: संदीप कुमार,स्वतंत्र पत्रकार,पटना बिहार।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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