बिहार के समस्तीपुर जिले के पतैली गाँव के 75 वर्षीय अनुभवी किसान रघुनाथ चौधरी ने खेती में नया मुकाम हासिल किया है। साइंस से ग्रेजुएट होने के बावजूद उन्होंने नौकरी न करके खेती को ही अपने जीवन जीने का आधार बनाया। इसी के बदौलत उन्होंने अपने दोनों बेटों को शिक्षित किया। उनका एक बेटा एमबीए कर मुंबई में अपनी कंपनी खोल रखा रहा है। जिसमें कई लोगों को रोजगार दे रखा है। वहीं दूसरा बेटा बड़ी कंपनी का एजेंसी लेकर बिजनेस कर रहा है। उनकी पत्नी एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद प्रिंसिपल पद से सेवानिवृत हो चुकी हैं। रघुनाथ चौधरी कहते हैं कि पिता जी पहले खेती किया करते थे। मेरे परिवार में सभी लोग उच्च शिक्षा हासिल कर नौकरी कर रहे हैं। पिताजी का कहना था कि परिवार की किसी एक सदस्य को खेती में भी ध्यान लगाना चाहिए। तभी से मैंने खेती करना आरंभ किया।
वह कहते हैं कि इन दिनों मैं चौदह से पन्द्रह एकड़ में खेती कर रहा हूं। धान, गेहूं, मक्का, आम, केला, सागवान, मौसमी हल्दी के साथ साथ बागवानी व मछली पालन भी बडे पैमाने पर कर रहा हूँ।
कहा कि खेती घाटे का सौदा नहीं है। सरकार की कार्यप्रणाली ने बना दिया है। किसी भी फसल की कोई उचित कीमत नहीं मिल पाती है। किसान खर्च करके कोल्ड स्टोरेज में अपनी उपज को रखता है बावजूद उसे उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।
यदि मिट्टी प्रशिक्षण की बात करें तो अभी तक नहीं हुई है। केन्द्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से मुझे ट्रेक्टर, जीरोटिलेज, थ्रेसर, आम व पपीता का पौधा अनुदान के रूप में मिला है। वे कहते हैं कि यदि किसान वैज्ञानिक तरीके व उपकरण के साथ खेती करें तो उन्हें अच्छा मुनाफा मिलेगा।
लेखन : संदीप कुमार, स्वतंत्र पत्रकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
इस भाग में अंतर्वर्ती फसलोत्पादन से दोगुना फायदा क...
इस पृष्ठ में केंद्रीय सरकार की उस योजना का उल्लेख ...
इस भाग में जनवरी-फरवरी के बागों के कार्य की जानकार...
इस पृष्ठ में 20वीं पशुधन गणना जिसमें देश के सभी रा...