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पशुपालन से बढ़ी पारिवारिक आय

परिचय

श्रीमती वीना रानी गाँव गढी खजूर जिला करनाल से आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार से है। ममता स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनी। यह एक भूमिहीन ग्रामीण महिला हैं। अपना आर्थिक स्तर ऊँचा उठाने के लिए इन्होंने पशुपालन में प्रशिक्षण लेने की सोची। इस स्वयं सहायता समूह ने वर्ष 1999 में कृषि विज्ञान केंद्र, रा.डे.अनु.सं. करनाल से वैज्ञानिक तरीके से डेरी फार्मिंग में पांच दिवसीय प्रशिक्षण लिया।

एक भूमिहीन ग्रामीण महिला के जीवन को संवारा

इस प्रशिक्षण के दौरान इन्हें गाय भैंस की दुधारू नस्ल, खिलाई-पिलाई, रखरखाव व पशुओं की बीमारियों की देखभाल इत्यादि की व्यावहारिक जानकारी दी गई  जिससे इनमें आत्मविश्वास आया कि दुधारू पशु रखकर अपनी  पारिवारिक आमदनी बढ़ाई जा सकती है। श्रीमती वीना ने वर्ष 2000 में बैंक से 15,000 रु. का ऋण लिया व एक भैंस खरीदी। भैंस की देखभाल सही तरीके से की। समय-समय पर कृषि विज्ञानं केंद्र से भी पशुपालन के बाबत सम्पर्क स्थापित करती रही हैं।

श्रीमती वीना ने दूध बेचकर 500 रु. प्रति माह की दर से ऋण चुकता किया व एक व्याप्त में लगभग 12,000 रु. का शुद्ध लाभ कमाया। तब से ये अच्छी नस्ल की दुधारू भैंस रखती है और अपने पारिवारिक आमदनी में निरंतर बढ़ोतरी कर हरी है। ये बताती है कि इस कार्य से मैंने एक लड़की का विवाह किया है और घर में रहन-सहन का स्तर पर ऊँचा हुआ है।

 

स्त्रोत:  कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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