यह भाग बटेर पालन पर आधारित है जिसे पहले घरों में मांस के लिए किया जाता था, या जिनका शिकार किया जाता था. परन्तु, इन सालों में इनकी मांग बढ़ी और इसलिए इन्हें एक आचे व्यवसाय में देखा जा रहा है।
जापानी बटेर को आमतौर पर बटेर कहा जाता है। पंख के आधार पर इसे विभिन्न किस्मों में बाँटा जा सकता है, जैसे फराओं, इंगलिश सफेद, टिक्सडो, ब्रिटश रेज और माचुरियन गोल्डन। जापानी बटेर हमारे देश में लाया जाना किसानों के लिए-मुर्गी पालन के क्षेत्र में एक नये विकल्प के साथ-साथ उपभोक्ताओं को स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने में काफी महत्तवपूर्ण सिद्ध हुआ है। यह सर्वप्रथम केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतदार,बरेली में लाया गया था।
यहाँ इस पर काफी शोध कार्य किए जा रहे हैं। आहार के रुप में प्रयोग किए जाने के अतिरिक्त बटेर में अन्य विशेष गुण भी हैं, जो इसे व्यवसायिक तौर पर लाभदायक अण्ड़े तथा मांस के उत्पादन में सहायक बनाते हैं।
स्रोत: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय,काँके, राँची- 834006
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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