गाय/भैंस
गाय एवं भैंस को जनवरी के महीने में तेज ठंड से बचायें एवं पशुओं में नीचे सूखा बिछावन डालें तथा धूप में बॉधें, नियमित रूप से सफाई करें तथा गाय/भैंस को संतुलित आहार खिलायें तथा पशुओं को कृमिनाशक दवाए देकर उन्हें स्वस्थ रखें।
भेड़/बकरी
भेड, बकरियों को तेज सर्दी से बचाकर रखें तथा भेड़ बकरियों को कृमिनाशक दवाऐं दें तथा मादा भेड़ों से अच्छी ऊन प्राप्त करने के लिए अच्छी नस्ल के नर भेड़ों से मिलाएं। तुरन्त ब्याही हुई भैसों को एक सप्ताह तक नहीं नहलाना चाहिये। ब्याने के 1-2 घंटे के अन्तराल पर ही बच्चे को खीस अवश्य पिलाना चाहिये। ब्याही हुई भैस/गाय को हरीरा गुड़ 500 ग्राम, अजवाइन 100 ग्राम, मैंथी 100 ग्राम, जीरा 50 ग्राम, सौठ 50 ग्राम, हल्दी 20 ग्राम इत्यादि को 250 ग्राम सरसों के तेल में पकाकर खिलाना चाहिये यह खुराक ब्याही हुई भैंस को एक दिन में खिलाये इस प्रकार खुराक बनाकर 3-4 दिन तक दें।
मुर्गीयां
मुर्गीयों को सर्दीयों से बचाये, मुर्गी घरों में बिछावन गीला न होने दें, दिन व रात मिलाकर 16 घंटे की रोशनी दें इसके लिए सुविधानुसार बिजली के बल्बों की व्यवस्था रखें।
गाय/भैंस
गाय एवं भैंस को अन्तःकृमिनाशक दवा पिलायें तथा 6 माह से अधिक उम्र के बच्चों एवं बड़े पशुओं में खुरपका, मुहँपका रोग से बचाब हेतु टीके अवश्य लगवायें इन दिनों में भैंसे गर्मी में अधिक आती है इसलिए समय से अच्छी नस्ल के साँड से गाभिन करायें या कृत्रिम गर्भाधान करायें।
भेड़/बकरी
भेड, बकरियों को पशु चिकित्सक की सलाह में कृमिनाशक दवा पिलाये तथा मादा भेड़ों से अधिक ऊन के लिए अच्छी नस्ल के नर भेड़ों से मिलायें। अफारा के बचाव हेतु साबुत बरसीम न खिलायें उसको चैफ कटर से काटकर भूसे में मिलाकर खिलायें। गाय, भैंस के बच्चों को 15 दिन की उम्र में पेट के कीड़े की दवाई अवश्य पिलायं,इसके बाद 20 दिन के अन्तराल पर दूबारा पिलाते रहें जब तक बच्चा चारा खाना शुरु नहीं करता।
मुर्गी
बाहय परजीवियों के लिए चिकित्सक की सलाहनुसार दवा का प्रयोग करें। रोशनी की उत्तम व्यवस्था रखें। रोशनी कम होने पर मुर्गी अंडे कम देती है। अण्डा उत्पादन के लिए चूजे पालने का उपयुक्त समय है अतः चूजे पालने की व्यवस्था करें।
गाय/भैंस
अफारा के बचाव हेतु फूली हुईबांसी बरसीम न खिलायें यदि अफारा हो गया हो तो 400 ग्राम सरसों का तेल, 50 ग्राम तारपीन का तेल, 100 ग्राम काला नामक, 100 ग्राम मीठा सोडा,20 ग्राम अजवाइन व 5 ग्राम हींग को पीसकर मिलाकर पिलायेंअफारा हुए पशु के नथनों पर मिट्टी का तेल टपका दें इससे पशु सॉंस के लिए मुँह खोलेगा। भेड़ बकरियों को कृमिनाशक दवा पिलाय।गाय भैस के बच्चों को भी कृमिनाशक दवा पिलायें। दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दे तथा 50 ग्राम खनिज लवण व 20 ग्राम नमक भी खिलायें। बाहृय परजीवी (किलनी व जूँ) के बचाव के लिए किलनी व जूँ नाशक दवा को पशु के शरीर पर स्प्रे करें।
मुर्गी
शेडमें सीधे प्रकाश न आने दें मुर्गीयों की बढी हुई चोंच कटवा दें जिससे एक-दूसरे को घायल न कर सके। टीकाकरण अवश्य करायें।
बाहृय परजीवी नाशक दवा का पशुओं पर तथा पशुशाला में छिड़काव करें तथा पशुशाला की सफाई के लिए दीवारे चूने से पुतवायें। छः माह से कम उम्र वाले बछड़े/बछिया,पड्डे व पडियाको पेट के कीड़ों के लिए कृमि नाशक दवा पिलाये। संक्रामक गर्भपात से बचने हेतु टीकाकरण गाय भैस भेड़ व बकरियों में करायें। भेड़ बकरियों में पी0पी0आर0 बीमारी का टीकाकरण करायें।
मुर्गी
आहार में मौसम के अनुसार परिवर्तन करें, मुर्गीयों को संतुलित आहार खिलायें।
गर्मी से बचाव हेतु पंखे-कूलर आदि उपलब्ध हो तो लगाये, पशुओं को छायादार वृक्ष के नीचे बॉधे तथा पशुओं को कम से कम तीन बार पानी पिलायें और 2 बार नहलायें। गला घोटू, लगड़िया रोग हेतु टीकाकरण करायें। मुर्गियों में रानीखेत एवं चेचक का टीका लगवाये। गर्मी से बचाव के लिए छत पर घास एवं छप्पर डालें तथा गीला करके रखें। पानी के बर्तन बढ़ाये एवं ठंडा व साफ पानी पिलायें।
मुर्गी
रानीखेत एवं चेचक का टीका लगवायें गर्मी से बचाव के लिए घास या छप्पर डालें तथा इसे गीला करें। पंखे अथवा कूलर का प्रयोग करें पानी के बर्तन बढायें साफ पानी पीने को दें। मुर्गीयों को इलैक्ट्रोलाइट पाउडर ठण्डे पानी में डालकर पिलायें।
पशुओ को गलाघोटू का टीकाकरण व रात से पहले अवश्य करा लें। लू से बचने के लिए पशुओं को छायादार वृक्षों के नीचे बॉधे या घरों में कूलर व पंखे का प्रबन्ध करें। भैसों को हो सके तालाब में भेजें अन्यथा दो-तीन बार स्नान करायें व ठंडापानी पिलायें।वाहृय कृमिनाशक दवा पिलायें। पेट के कीड़ों से बचाव के लिए कृमिनाशक दवा पशु चिकित्सक के परामर्शनुसार पिलायें। संतुलित आहर एवं खनिज लवण दें।
मुर्गी
अधिक गर्मी के समय मुर्गीयों की खुराक कम हो जाती है जिससे उन्हें प्रोटीन की मात्रा पूरी नहीं मिल पाती अतः उनके भोजन में 2-3 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा बढ़ा दें। शेड के बहार की जगह को गीला करें जिससे मुर्गी घर का तापमान कम रहे।
बाहृय परजीवी नाशक का बाड़ों में छिड़काव करें, पशुशाला में चूने से सफेदी करायें तथा पशुशाला को हवादार बनायें। खनिज लवण एवं संतुलित दाना खिलायं पतले गोबर करने की स्थिति सेबचाव हेतु सूखे चारे का प्रयोग 40 प्रतिशत तक करें। पशुओ को पेट के कीड़ों के लिए कृमिनाशक दवा पिलायें। इस माह में भैसो का ब्यात अधिक होता है अतः पशुओ को संतुलित आहार दें तथा पशुओ के नीचे गन्दगी व गीले से बचाव करें।
व्याते समय पशु (मादा) का विशेष ध्यान रखे ज्यादा तर पशु को बैठ कर बच्चे देना चाहिए अतः उसको अकेला एकान्त चाहिए होता है।जेर आमतौर पर 3-4 घंटे में गिर जानी चाहिए यदि देर होती है तो पशु को 500 ग्राम रिप्लेन्टा पिलाना चाहिए।
मुर्गी
बिछावन को सूखा रखने लिए नियमित पलटाई करें इसके लिए बुझा हुआ चूना 1.25 किग्रा प्रति वर्ग मीटर की दर से मिलायें। चूजों में काक्सीडियोसिस रोग की रोकथाम के लिए उचित उपाय करें।
गाय/भैंस
15 दिन से 6 माह से कम उम्र के पशुओं में कृमिनाशक दवा पिलाये, पशुशालाये सूखी एवं कीचड़ से मुक्त रखे पशु शालाओं में सप्ताह में एक बार फिनाइल के घोल से धुलाई करें। ब्याही हुई भैसों को ब्याने के बाद से एक सप्ताह तक हरीरा अवश्य खिलायें। ब्याही हुई भैसों को संतुलित आहार खिलायेजिसमे खनिज लवण एवं नमक का प्रयोग करें 50 ग्राम खनिज लवण व 20 ग्राम नमक रोज खिलाये।भैस ब्याने के तुरन्त बाद 1 से 15 घंटे के अन्तराल में ही बच्चे के वजन का 1/10 भाग खीस 24 घंटे में अवश्य पिलायें।
भेड़/बकरी
भेड़ बकरी में पी.पी.आर. का टीकाकरण न हुआ हो तो टीकाकरण कराये तथा वाहृय परजीवी नाशक दवा का प्रयोग करे यह दवा द्यारीर पर रगडेतथा अंतः कृमिनाशक दवा को पिलाये तथा पेट में कीड़े हो तो 20 दिन बाद दुबारा पिलायें।
मुर्गी
मुर्गीयों को कृमि रहित करने के लिए पशु चिकित्सक की सलाह लें, मुर्गी घरों को साफ एवं हवादार रखे, मुर्गी घरो के चारों ओर जल भराव न होने दें तथा सफाई बनाये रखें।
गाय/भैंस
यदि पशु मिट्टी खा रहा है, पेशाब पी रहा है या कपउे खाता है तो उसे 50 ग्राम खनिज लवण व 20 ग्राम नमक रोज दे तथा पशु चिकित्सक के परामर्श के अनुसार अंतः कृमिनाशक दवा पिलाये पशुओं में खुरपका, मुहँपका बीमारी का टीकाकरण करायें। इस समय भेड़ बकरियॉ का ब्यात होता है उनके रहने के स्थान को सुखा एवं साफ रखना चाहिए तथा खाने में संतुलित आहार एवं साफ पानी पिलायें।
मुर्गी
मुर्गीयों को कृमि रहित करने के लिए पशु चिकित्सक की सलाहनुसार करते रहे पेट के कीड़ों के लिए कृमिनाशक दवा पिलायें।
इस माह में भैस गर्मियों में आती है उन्हें पहचान कर समय से कृत्रिम गर्भाधान करायें अथवा अच्छे गुणवत्ता वाले मुर्रा सांड से गर्भित करायें। संतुलित आहारदेंएवं पशु चिकित्सक की सहाल से अंतः कृमिनाशक दवा दे। इस माह के अन्त में बकरियों को ठंड से बचाने की व्यवस्था करें।
मुर्गी
मुर्गी घरो के बिछावन को दिन में दो-तीन बार पलटते रहें, मुर्गी को कृमिनाशक दवा पिलायें।
इस माह में सर्दी द्याुरू हो जाती है पशुओ कोरात में अन्दर बॉधने की व्यवस्था एवं पर्दो की व्यवस्था कर लेनी चाहिए तथा अन्दर कमरे में सुखारखने की व्यवस्था होनी चाहिए। रात में गन्ने की पत्ती या धान की पुआल चैप कटर से काट कर विछानी चाहिए। ठंड से बचाव हेतु पशुशाला में पर्दे लगाये तथा पशुशाला में पशुओं के नीचे सुखी कटी हुई पुआल या गन्ने की पतई काट कर विछाये। जिससे सर्दी से बचाव किया जा सके।
छोटे बच्चों को ठंड से अवश्य बचाए तथा उनकी पीठ पर कपड़ा बॉधकर रखे दिन में धुप में बाधे इस समय ठंड की वजय से निमोनिया होने की सम्भावना होती है अतः पशु चिकित्सक से परामर्श करके दवा दिलवायं। भेड़ एवं बकरियों को ठंड से बचाने के लिए बकरी शाला को पर्दे लगाये एवं बच्चों को ठंड से बचाये क्योंकि निमोनिया आदि से बचाया जा सकें।
मुर्गी
अंतः कृमिनाशक दवा दें। मुर्गीयों से अधिक अंडे प्राप्त करने के लिए दिन और रात की कुल रोशनी 16 घंटे बनाये रखे जैसे-जैसे दिनछोटा होता जाए रोशनी बढाते रहें।
ठंड से बचाव के लिए पशुशाला में ठीक प्रकार से पर्दो का प्रबंध करें तथा जमीन सूखा व साफ रखना चाहिए। पशु को चर्म रोग से बचाने के लिए सूखे खुरारे का प्रयोग करें। क्यांकि इस माह में ठंड अधिक होने के कारण पशु को स्नान नहीं करायें ।
पशुओ को किलनी नाशक/ बाहृय परजीवी नाशक दवाई का प्रयोग समय-समय पर करते रहना चाहिए।छोटे बच्चों को ठण्ड से बचाने के लिए उसके शरीर पर टाट का बोरा बॉधकर रखना चाहिए। ठण्ड लगने के कारण यदि पशुओं में निमोनियाकी द्यिाकायत हो जाने पर 250 मिली लीटर अलसी के तेल में 10 ग्राम कपूर 100 मिली लीटर तारपीन का तेल मिलाकर पशु की गर्दन, थूथनों एवं सीने पर मालिस करें। जुखाम के लिए यूकेलिपटिस तेल की 10 बूदें और 50 मिली तारपीनतेल पानी में उबालकर गाय/भैंस को दें।
मुर्गी
मुर्गी घरो के बिछावन को दिन में 2-3 बार पलटें। मुर्गी घरो में दिन-रात की कुल 16 घंटे रोशनी बनाये रखे। ठंड से बचाव के लिए आहार मे एण्टीबायोटिक औषधि दें। अधिक ठण्डा होने पर शेड को गर्म करने की व्यवस्था करें।
स्त्रोत: कृषि विज्ञान केंद्र,आईसीएआर,भारतीय पशुचिकित्सा शोध संस्थान,बरेली,उ.प्र.।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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