दुग्ध - ज्वर एक चयापचय संबधी रोग है, जो गाय या भैंस में ब्यौने से कुछ समय पूर्व अथवा बाद में होता है। इससे पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है। मांसपेशियों कमजोर हो जाती है। शरीर में रक्त का दौरा काफी कम व धीमी गति से होता है। अंत में, पशु सुस्त और बेहोश हो कर निढाल पड़ जाता है। पशु एक तरफ पेट और गर्दन मोड़ कर बैठा रहता है। इमसें पशु के शरीर का तापमान समान्य के कम होता है तथा शरीर ठंडा पड़ जता है, हालाँकि इसे फिर भी दुग्ध ज्वर ही कहा जाता है।
सामान्य रूप से गाय-भैंस में सीरम कैल्शियम स्तर 10 मिलीग्राम प्रति डेसी-लीटर होता है। जब कि कैल्शियम स्तर 7 मिलीग्राम प्रति 100 मिली. से कम हो जाता है दुग्ध ज्वर के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। दुग्ध ज्वर अधिक दूध देने वाली गायों व् भैसों में 6 से 11 वर्ष की उम्र में तीसरे से सातवें व्यांत में अधिक अधिक होता है।
यह रक्त में कैल्शियम की कमी के कारण होता है। ब्यांत के समय मुख्यतः तीन कारणों से रक्त में कैल्शियम की कमी होती है
शरीर में मांसपेशियों में सामान्य तनाव बनाए रखने के लिए रक्त में कैल्शियम-मैग्नेशियम का अनुपात 6:1 होना चाहिए, कैल्शियम तनाव को बढ़ाता है। जबकि मैनिशिय्म तनाव को घटाता है। रक्त में कैल्शियम मैग्नीशियम के सामान्य अनुपात में बदलाव आते ही निम्न स्थितियां हो सकती हैं।
प्रथम अवस्था
यह व्यौने से पहले ही उतेजित अवस्था है, जिसके लक्षण निम्नलिखित है।
द्वितीय अवस्था
इसमें पशु गर्दन मोड़कर बैठ जाता है तथा इसे उरास्थी पर बैठी हुई अवस्था भी कहते हैं। एके लक्षण इस प्रकार है
तृतीय अवस्था
उपचार जितना जल्दी हो सके करना चाहिए। इसके लिए पशुचिकित्सक स सम्पर्क करें। क्योंकि यदि पशु एक बार तृतीय अवस्था में पहुँच जाता है तो मांसपेशियों में लकवा हो जाता है।
लेखन : रचना शर्मा एवं श्रुति
स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस पृष्ठ में कम वर्षा या मानसून में देरी होने पर प...
इस पृष्ठ में कैसीन से व्युत्पन्न जैव सक्रिय पेप्टा...
इस पृष्ठ में 20वीं पशुधन गणना जिसमें देश के सभी रा...
इस पृष्ठ में अजोला –पशुधन चारे के रूप में के बारे ...