रागी एक मिलेट अथवा मोटा अनाज है। मोटे अनाजों शरीर में महत्वपूर्ण पोषक तत्व पूर्ण रूप से अवशोषित नहीं में अन्य फसलें जैसे ज्वार, बाजरा, मादिरा, कौणी इत्यादि आते हैं। अन्य अनाजों की तुलना में ये कम उर्वरता वाली मिट्टी, अत्यधिक ऊष्मा एवं कम वर्षा वाले स्थानों में भी उगाए जा सकते हैं। इन्हें उगाने में लगने वाला समय भी अन्य अनाजों की तुलना में कम होता है। इनका उपयोग सामान्यतः पशु आहार के रूप में एवं कुछ देशों में आहार के रूप में होता है। रागी सर्वप्रथम इथोपिया में उगायी गई। एशिया में इसका विस्तार कुछ हजार साल पहले ही हुआ था। इक्रीसेट (आई. सी. आर. आई. एस. ए. टी.) एवं एफ. ए. ओ. (1996) की रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कुल मिलट उत्पादन का 10 वां भाग रागी का है।
खाद्य पदार्थों में रागी में सबसे ज्यादा कैल्शियम पाया जाता है। यह खाद्य रेशे का भी उत्तम स्रोत है। परन्तु बेकरी उत्पादों में अत्यधिक महत्वपूर्ण ग्लूटन नामक प्रोटीन इसमें नहीं पाया जाता है। ग्लूटन दो प्रोटीन-ग्लूटेनिन एवं ग्लाएडिन के संयोजन से बनता है। बेकरी उद्योग में हालांकि ग्लूटन का महत्वपूर्ण उपयोग है परन्तु यह एक जीवनपर्यंत फूड एलर्जी ‘सीलिएक के लिए भी जिम्मेदार होता है। गेहूं, जैों एवं राई में क्रमशः पाए जाने वाले प्रोलामिन-ग्लाएडिन, हॉर्डिन एवं सीकेलिन के प्रति संवेदनशीलता इस स्वप्रतिरक्षात्मक बीमारी को जन्म देती है। विश्व में लगभग 1 प्रतिशत लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। यह किसी भी आयु के व्यक्ति की हो सकती है। इस बीमारी में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली छोटी ऑत के सतह की परिपक्व अवशेषी एपीथीलियल कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं। परिणामस्वरूप हो पाते हैं। डायरिया, वजन कम होना, पेट का बढ़ना इत्यादि इस बीमारी के लक्षण हैं। कुछ लोगों में ऊतकीय बदलाव तो होते हैं, परन्तु लक्षण उपस्थित नहीं होते हैं। इस बीमारी का वर्तमान में एकमात्र इलाज है- आजीवन ग्लूटन-रहित खाद्य पदार्थों एवं उत्पादों का सेवन। ग्लूटन इत्यादि से बने खाद्य पदार्थ इस बीमारी में लाभकारी सिद्ध होते हैं।
इन अनाजों में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। अतः इनका प्रयोग न केवल खाद्य पदार्थों में विविधता प्रदान करता है अपितु पोषण गुणवत्ता को भी बढ़ाता है। ग्लूटन रहित खाद्य उत्पाद सामान्यतः स्टार्च एवं ग्लूटन रहित आटे से बनाए जाते हैं एवं इनका प्रबलीकरण भी नहीं किया जाता है। परिणामस्वरूप इनमें विटामिन-बी, लौह तत्व एवं खाद्य रेशे तुलनात्मक रूप से कम होते हैं साथ ही स्टार्च आधारित ये उत्पाद प्रोटीन, वसा एवं ऊर्जा में प्रचुर परन्तु अन्य पोषक तत्वों में कम होते हैं। इनसे प्राप्त होने वाली ऊर्जा का अधिक भाग वसा एवं कम भाग कार्बोहाइड्रेट्स से प्राप्त होता है। ग्लूटन रहित खाद्य उत्पादों में लौह तत्व, कैल्शियम, खाद्य रेशे एवं विटामिन-बी की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु वैकल्पिक अनाजों के उपयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है। रागी की तीन वैरायटी क्रमशः वी. एल.-328, वी. एल.-330 एवं जी. पी. यू.-63 का रासायनिक विश्लेषण किया गया। इनमें उपस्थित तत्वों की मात्रा को क्रमशः तालिका-1 एवं 2 में दर्शाया गया है। इन वैरायटी में प्रोटीन की मात्रा 5.68 से 6.12 प्रतिशत तक पाई गई। वेरायटी वी.एल.-328 में सबसे अधिक तथा वी.एल.-330 में सबसे कम प्रोटीन पाया गया। खनिज लवण की मात्रा सबसे कम वैरायटी वी.एल-330 में 2.38 प्रतिशत तथा सबसे अधिक वैरायटी जी.पी.यू.-63 में 2.52 प्रतिशत पाई गई। वैरायटी जी. पी. यू.-63 में सबसे अधिक खनिज लवण के साथ-साथ सबसे अधिक खाद्य रेशा (3.70 प्रतिशत) भी पाया गया। वैरायटी वी.एल.-330 में सबसे कम (3.20 प्रतिशत) खाद्य रेशा पाया गया।
तालिका-2 से स्पष्ट होता है कि इन वैरायटी में कैल्शियम सबसे अधिक वी.एल.-330 में 411.7 मि.ग्रा. /100 ग्रा. तथा सबसे कम वी.एल.-328 में 334.1 मि. ग्रा./100 ग्रा. पाया गया। फॉस्फोरस की मात्रा भी सबसे अधिक वैरायटी वी.एल.-330 में 262 मि.ग्रा./100 ग्रा. पाई गई। अतः वैरायटी वी.एल.-330 में कैल्शियम एवं फॉस्फोरस दोनों तुलनात्मक रूप से प्रचुर मात्रा में पाए गए। आयरन की मात्रा सबसे अधिक वैरायटी वी.एल.-328 में 2.61 मि.ग्रा./100 ग्रा. पाई गई।
तालिका-1 रागी में उपस्थित पोषक तत्व(प्रति100ग्राम)
रागीकी वैरायटी |
नमी(%) |
प्रोटीन(%) |
वसा(%) |
खनिज लवण(%) |
खाद्य रेशे(%) |
कार्बाहाईड्रेड(%) |
वी एल-328 |
1018 |
6.12 |
0.96 |
246 |
3.55 |
76.53
|
वीएल-330 |
1426 |
5.68 |
1.17 |
2.38 |
3.20 |
7331
|
जी पीयू-63 |
1153 |
5.72 |
1.25 |
2.52 |
3.70 |
7528 |
तालिका-2 रागी की वैरायटी में उपस्थित खनिज तत्व (प्रति 100 ग्रा.)
रागीकी वैरायटी |
कैल्शियम (मि.ग्रा.) |
फॉस्फोरस (मि.ग्रा.) |
लौह तत्व (मि.ग्रा.) |
वी. एल.-328 |
334.1 |
202 |
2.61 |
वी. एल.-330 |
411.7 |
262 |
2.08 |
जी.पी.यू.–63 |
391.3 |
234 |
1.34 |
तालिका-3 गेहूं का आटा एवं ग्लूटन रहित अनाजों में उपस्थित पोषक तत्व (प्रति 100 ग्रा.)
पोषक तत्व |
गेहूं का आटा |
चावल |
ज्वार |
बाजरा |
मादिरा |
नमी, % |
13.3 |
13.7 |
11.9 |
12.4 |
11.9 |
प्रोटीन, % |
11.0 |
6.8 |
10.4 |
11.6 |
6.2 |
वसा, % |
0.9 |
0.5 |
1.9 |
5.0 |
2.2 |
खनिज लवण, % |
0.6 |
0.6 |
1.6 |
2.3 |
4.4 |
खाद्य रेशे, % |
0.3 |
0.2 |
1.6 |
1.2 |
9.8 |
कार्बोहाइड्रेट्स, % |
73.9 |
78.2 |
72.6 |
72.6 |
67.5 |
कैल्शियम (मि .ग्रा.) |
65.5 |
23 |
10 |
25 |
42 |
फॉस्फोरस (मि.ग्रा.) |
20 |
121 |
190 |
222 |
296 |
लौह तत्व (मि.ग्रा.) |
280 |
3.2 |
4.1 |
8.0 |
5.0
|
गेहूं के आटे एवं ग्लूटन रहित अनाजों में उपस्थित पोषक तत्वों को तालिका-3 में दर्शाया गया है। इस तालिका से स्पष्ट होता है कि ज्चार, बाजरा एवं मक्का में प्रोटीन की मात्रा गेहूं में पाए जाने वाले प्रोटीन के बराबर होती है। गेहूं के आटे में लगभग 10 से 12 प्रतिशत प्रोटीन होता है।
जिसका 80-85 प्रतिशत भाग ग्लूटेन प्रोटीन होती है जो रहित उत्पादों में खाद्य रेशे का सर्वोत्तम स्रोत्र सिद्ध हो सीलिएक बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए पूर्णतया प्रतिबंधित सकती है। रागी में आयरन की मात्रा भी अन्य अनाजों के है। अतः ग्लूटेन रहित आटा व खाद्य पदार्थ बनाने के लिए समान पाई गई। ग्लूटेन रहित अनाज जैसे कि चावल, ज्वार, बाजरा, रागी, वर्तमान में उपलब्ध ग्लूटन रहित उत्पाद स्टार्च पर मादिरा एवं सोयाबीन का उपयोग किया जा सकता है। आधारित, कम खाद्य रेशे, खनिज तत्वों जैसे कैल्शियम, तालिका 1, 2एवं 3 के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चलता फॉस्फोरस, आयरन तथा ऊर्जा के असंतुलित स्रोत्र हैं। है कि लूटन रहित उत्पादों में वसा की मात्रा को संतुलित लूटन रहित अनाजों में रागी को खाद्य रेशे, कैल्शियम एवं करने में चावल, रागी (तीनों वैरायटी) का उपयोग किया जा आयरन के उत्तम स्रोत्र के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता सकता है। मदिरा के बाद रागी की तीनों वैरायटी खनिज है। रागी की इन तीनों वैरायटी में जहाँ एक ओर वैरायटी तत्वों के उत्तम सत्र के रूप में प्रयोग में लाई जा सकती है। वी.एल.330 कैल्शियम एवं फॉस्फोरस का प्रचुर स्रोत है इन तीनों वैरायटी में फॉस्फोरस की मात्रा अन्य उत्तम क्षेत्रों वहीं दूसरी ओर वैरायटी जी.पी.यू.-63 खनिजलवण एवं जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा एवं मदिरा में पाए जाने वाले खाद्य रेशे का उत्तम स्रोत्र है।
स्त्रोत : सीफेट न्यूजलेटर, लुधियाना, दीपिका गोस्वामी, आर.के. गुप्ता, मृदुला डी. एवं इन्दु कार्की
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस पृष्ठ में फसलों के अधिक उत्पादन हेतु उन्नतशील फ...
इस भाग में एकीकृत जलसंभरण प्रबंधन कार्यक्रम के बार...
इस पृष्ठ में किस प्रकार झारखण्ड राज्य में अम्लीय म...
इस भाग में तोरिया सरसों की उपज में वृद्धि के लिए उ...