यह बीमारी पूरे साल में कभी भी हो सकती है, लेकिन गर्मी और बरसात के मौसम में इसका प्रकोप बढ़ जाता है। उत्पादक (कारक) एजेंट है बॉम्बिक्स मोरी न्यूक्लियर पॉलीहेड्रोसिस वायरस | संक्रमण का स्रोत शहतूत के दूषित पत्तों को खाने की वजह से रेशम का कीट संक्रमित हो जाता है। ग्रासेरी लार्वा द्वारा छोड़ा गया दूधिया सफेद तरल पदार्थ, रेशमकीट के दूषित पालन घर और उपकरण संक्रमण का स्रोत हैं। पहले से ज्ञात कारण है उच्च तापमान, कम नमी और कम गुणवत्ता वाली शहतूत की पत्तियां।
बोरोलिना वायरस
गर्मी और बरसात के मौसम के दौरान बीमारी का होना आम है। संक्रमण के स्रोत हैं रेशम के कीट शहतूत की दूषित पत्ती खाने से संक्रमित हो जाते हैं। मृत रोगग्रस्त रेशमकीट, इसके मल पदार्थ, आंत का रस, शरीर के तरल पदार्थ रोगज़नक़ संदूषण के स्रोत हैं। चोट/कटने/घाव के माध्यम से भी संक्रमण भी हो सकता है।पहले से ज्ञात कारक है तापमान में अस्थिरता, उच्च आर्द्रता और पत्तियों की खराब गुणवत्ता।
उत्पादक (कारक) एजेंट है बॉम्बिक्स मोरी संक्रामक फ्लेचरी वायरस/बॉम्बिक्स मोरी डेन्सोन्यूक्लियोसिस वायरस या विभिन्न रोगजनक बैक्टीरिया अर्थात्, स्ट्रैपटोकोकस एसपी./ स्टाफीलोकोकस एसपी./ बेसिलस थुरिनजिनेसिस/सेराटिया मार्सेनसी अलग-अलग या बैक्टीरिया और वायरसों के संयोजन में।
स्मिथिया एवं अन्य वायरस
डिप्लोकोकस एवं अन्य बैक्टीरिया
स्ट्रेप्टोकाकस बैक्टीरिया एवं अन्य वायरस।
सिर का फूलना एवं द्रव ओमिट करना।
बरसात और सर्दियों के मौसम में इस बीमारी का होना आम है।उत्पादक (कारक) एजेंट है फफूंद की बीमारियों में, व्हाइट मस्करडाइन आम है। यह बीमारी ब्यूवेरिया बासियाना की वजह से होती है। संक्रमण के स्रोत हैं कोनिडिया के रेशमकीट के शरीर के संपर्क में आने पर यह संक्रमण शुरू होता है। परिरक्षित रेशम के कीड़े/वैकल्पिक मेजबान (अधिकतर लेपीडोप्टेरॉन कीट होते हैं), दूषित पालन घर और उपकरण संक्रमण के स्रोत हैं।पहले से ज्ञात कारक है उच्च नमी के साथ कम तापमान।
यह गैर मौसमी है| उत्पादक (कारक) एजेंट है नोसेमा बॉम्बिक्स / माइक्रोस्पोरिडिया के विभिन्न प्रकार। संक्रमण के स्रोत है रेशमकीट अंडे (ट्रांसोवेरियम /ट्रांसोवम ट्रांसमिशन) के माध्यम से या दूषित शहतूत की पत्ती खाने से संक्रमित हो जाता है। रेशम के संक्रमित कीड़े, मल, संदूषित पालन घर और उपकरण एवं वैकल्पिक मेजबान (शहतूत कीट) संक्रमण के स्रोत हैं।
नोसेमा बोम्बाईसिस एक बिजाणु
रेशम कीटाण्डों का सघन माइक्रोस्कोपिक परीक्षण, रेशम कीटपालन गृह एवं उपकरणों का सघन विशुद्धीकरण, बीमार रेशम कीट पाये जाने की दशा में बीमार कीटों को गहरे गड्ढे में दबाना। असामान्य मोल्टिंग अवस्था अथवा असामान्य रेशम कीट विकास की दशा में तुरन्त माइक्रोस्कोपिक परीक्षण कर आवश्यक निदान किया जाना।
ऊपर उल्लिखित अनुमोदित कीटाणुनाशक से पालन घर, उसके आसपास की जगह और उपकरणों को कीटाणुरहित करें।
रोगमुक्त अंडों के उत्पादन और पालन के लिए माँ कीट की सख्ती से जाँच करें और रेशमकीट अंडे की सतह को कीटाणुरहित करें।
पालन के दौरान कठोर स्वच्छता रखरखाव का पालन करें।
शहतूत के बगीचे में और आसपास शहतूत कीटों का नियंत्रण करें।
समय और मात्रा के अनुसार अनुमोदित बिस्तर कीटाणुनाशक, विजेथा/अंकुश का प्रयोग करें।
माइक्रोस्पोडियन संक्रमण को खत्म करने के लिए लगातार बीज फसलों की निगरानी करें।
उजी (यूजेडआई) मक्खी, एक्सोरिस्ता बॉम्बिसिस रेशमकीट, बॉम्बिक्स मोरी की एक गंभीर एंडो लार्वा परजीवी है, जो रेशम उत्पादन में प्रमुख कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों के रेशमकीट कोकून की फसल को 10-15%उजी (यूजेडआई) मक्खी साल भर होती है, लेकिन बरसात के मौसम के दौरान इसकी उग्रता बढ़ जाती है। अंडे या रेशमकीट के शरीर पर काले निशान की मौजूदगी और कोकून की नोक पर भुनगा उद्भव छेद उजी मक्खी के हमले के विशिष्ट लक्षण हैं।
उजी (यूजेडआई) मक्खी जैसे ही पालन घर में प्रवेश करती है, यह प्रत्येक रेशमकीट लार्वा पर एक या दो अंडे देती है। 2-3 दिन में, अंडे से निकले बच्चे लार्वा के अंदर प्रवेश करते हैं और 5-7 दिनों के लिए उसके अंदर की सामग्री को खाते
नियंत्रण के उपाय
बहिष्करण विधि
जैविक
कोकून की फसल समेटने के बाद रेशमकीट के कचरे का उचित निपटान
नेसोलिनक्स थाइमस की उपलब्धता
कीट प्रबंधन प्रयोगशाला, सीएसआरटीआई, मैसूर में उपलब्ध है। आवश्यक पाउच की संख्या और रेशम के कीड़ों की ब्रशिंग की तारीख का संकेत करते हुए ब्रशिंग की तारीख के दिन के लिए मांग रखें। 25 रुपये प्रति थैली (पाउच) के अग्रिम भुगतान की रसीद पर कूरियर द्वारा आपूर्ति की जाती है।
डर्मेस्टिड भृंग, डरमिस्टिस अटर को कोकून भंडारण कमरे में छेद वाले कोकूनों पर हमला करने के लिए जाना जाता है। मादा भृंग कोकूनों के कोये में लगभग 150-250 अंडे देती है। भृंग कोकून भंडारण कमरे से ग्रेनेज की ओर जाते हैं और हरे कोकून के साथ ही रेशम के कीटों पर भी हमला करते हैं। आम तौर पर वे कीट के पेट के क्षेत्र पर हमला करते हैं। कोकूनों को 16.62% और रेशम के कीटों को 3.57% क्षति होने का अनुमान है।
डर्मेस्टिड भृंग का प्रबंधन
रोकथाम के उपाय
यांत्रिक नियंत्रण
झाड़ू लगाने द्वारा या एक वैक्यूम क्लीनर का उपयोग करके घुनों (ग्रब्स) और वयस्कों को इकठ्ठा करें, जला कर या साबुन पानी में डुबाकर नष्ट कर दें।
रासायनिक नियंत्रण
वातावरण 23-30 डिग्री सें. तापक्रम
60-70 प्रतिशत आपेक्षित आर्द्रता।
सम्भावित बीमारी ग्रसरी, मसकार्डिन
रोकथाम का उपाय
1. कीटपालन गृह का तापक्रम एवं अपेक्षित आर्द्रता अवस्थानुसार बनाये रखना चाहिए।
2. बीमारीयुक्त कीट को कीटपालन बेड से निकाल देना चाहिए। मसकार्डिन से ग्रसित कीटों को जला देना चाहिये।
3. विजेता, आर.के.ओ. या लेबेक्स पाउडर का छिड़काव करना चाहिये।
4. कीटपालन समाप्त होने के उपरान्त कीटपालन उपकरणों को 5 प्रतिशत ब्लीचिंग पाउडर घोल में न्यूनतम 5 मिनट डुबोते हुए सफाई करनी चाहिये।
वातावरण 28-35 डिग्री सें. तापक्रम
55-65 प्रतिशत आपेक्षित आर्द्रता।
सम्भावित बीमारी फ्लेचरी, गैटीग
रोकथाम का उपाय
1. कीटपालन कक्ष का तापक्रम कम किया जाए तथा आपेक्षित आर्द्रता में वृद्धि की जाए।
2. रोगग्रस्त कीट को बेड से निकालकर गड्ढे में डाल कर मिट्टी से दबा दिया जाए।
3. रेशम कीटों को दी जानी वाली पत्ती पौष्टिक हो तथा नमीयुक्त हो।
4. पत्ती संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए।
5. रेशम कीट औषधियों, विजेता अथवा आर.के.ओ. का नियमित प्रयोग किया जाए।
6. कीटपालन गृह में हवा के आवगमन की व्यवस्था की जाए।
वातावरण 30-35 डिग्री सं. तापक्रम
90-95 प्रतिशत आपेक्षित आर्द्रता।
सम्भावित बीमारी ग्रेसरी एवं फ्लेचरी
रोकथाम का उपाय
1. कीटपालन कक्ष का तापक्रम एवं आपेक्षित आर्द्रता को नियंत्रित करने हेतु कक्ष की खिड़की एवं रोशनदान को आवश्यकतानुसार खुला रखा जाए।
2. अपेक्षित आर्द्रता को कम करने हेतु कीटपालन कक्ष की फर्श पर बुझे हुये चूने का छिड़काव किया जाए।
3. कीटों को खाने हेतु पत्ती आवश्यकतानुसार ही दी जानी चाहिये तथा प्रयास किया जाना चाहिये कि बेड मोटा न हो।
4. अपेक्षाकृत कम नमी युक्त पत्ती कीटों को खाने हेतु देना चाहिये।
5. रेशम कीट औषधियों, विजेता अथवा आर.के.ओ. का उपयोग मोल्ट के अतिरिक्त सभी अवस्थाओं में नियमित रूप से प्रयोग किया जाना चाहिये।
6. रोग ग्रसित कीटों को तुरन्त कीटपालन बेड से निकालकर गड्ढे में दबा देना चाहिये।
7. कीटपालन कक्ष एवं उसके आस पास के स्थानों में स्वच्छता का वातावरण रखना चाहियें।
वातावरण 25-30 डिग्री सं. तापक्रम
60-80 प्रतिशत आपेक्षित आर्द्रता।
सम्भावित बीमारी मसकार्डिन, ग्रेसरी
रोकथाम का उपाय
1. कीटपालन गृह का तापक्रम एवं अपेक्षित आर्द्रता अवस्थानुसार बनाये रखना चाहिए।
2. बीमारीयुक्त कीट को कीटपालन बेड से निकाल देना चाहिए। मसकार्डिन से ग्रसित कीटों को जला देना चाहिये।
3. विजेता, आर.के.ओ. या लेबेक्स पाउडर का छिड़काव करना चाहिये।
4. कीटपालन समाप्त होने के उपरान्त कीटपालन उपकरणों को 5 प्रतिशत ब्लीचिंग पाउडर घोल में न्यूनतम 5 मिनट डुबोते हुए सफाई करनी चाहिये।
विशेष: यदि कीटपालन गृह का तापमान अपेक्षित तापमान से काफी कम हो जाए तो कीटपालन गृह को तापमान को वैकल्पिक साधनों से अपेक्षित स्तर तक लाने का प्रयास किया जाना चाहिये।
बायोनेमा - रूटनॉट रोग के नियंत्रण हेतु बायोनेमेटिसाइड।
रक्षा - रूटरॉट रोग के नियंत्रण हेतु उपयोग किए जाने वाला जैव फफूंदीनाशक (बयोफगीसाइड)
नर्सरी गार्ड - नर्सरी में होने वाले अन्य रोगों से बचाव हेतु जैव फफूंदीनाशक (बायोफंगीसाइड)
लीफ स्पॉट (सर्कोस्पोरा मोरीकोला) - 0.2 प्रतिशत बैविस्टिन (कार्वेनडैजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी) का फोलियर स्प्रे।
पाउडरी माईल्डयू (फाइलैक्टीनिया कोरिल्या) - 0.2 प्रतिशत बैविस्टिन/कराथेन (डाइनोकैप 30 पतिशत ईसी) का फोलियर स्प्रे।
लीफ रस्ट (सेरोटीलियम फिकी) - पत्तों की लवनी में अधिक अंतर रखना और देर न करना। साथ ही, 0.2 प्रतिशत कवच (क्लोरोथेलेब्लि 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी) का फोलियर स्प्रे।
बैक्टीरियल ब्लाइट (स्यूडोमोनस सिरिन्गे पीवी मोरी/जैन्थोमोनस कम्पेस्ट्रीस पीवी मोरी) - अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा के मौसम के दौरान छटाई (जमीन से 30 सेमी ऊपर) छंटाई को बढाता है। 2-3 दिन की सुरक्षित अवधि के भीतर 0.2 प्रतिशत स्ट्रेप्टोमायसिन अथवा डाइथेन एम-45 (मैंकोजब 75 प्रतिश डब्ल्यूपी) भी स्प्रे करें।
शहतूत में टुकरा के कारक मीली बग के लिए आईपीएम - आईपीएम टुकरा होने को 70 प्रतिशत तक रोकता है।
अमृत - ग्रासरी और फ्लेचरी को दबाने हेतु पर्यावरणानुकूल वनस्पति आधारित संरचना।
अंकुश - यह एक पर्यावरणानुकूल क्यारी कीटाणुनाशक है जो सामान्य रेशमकीट संबंधी रोगों को फैलने से रोकता है।
विजेता-क्यारी कीटाणुनाशक - एक प्रभावी क्यारी कीटाणुनाशक विजेता विभिन्न रेशमकीट रोगों को फैलने से रोकता है।
रेशमकीट औषध - क्यारी कीटाणुनाशक - यह एक अन्य क्यारी कीटाणुनाशक है जो विभिन्न रेशमकीट रोगों को फैलने से रोकता है।
सैनीटेक - यह एक सक्षम और असंक्षरक कीटाणुनाशक है। यह खुले पालन गृहों में अधिक उपयोगी होता है जहां वरत नियंत्रित दशाएं संभव नहीं हैं।
यूजी कीट के प्रबंधन हेतु यूजीट्रैप - यूजी संक्रमण का 84 प्रतिशत तक प्रबंधन किया जा सकता है। इससे उत्पादन/100 डीएफएलएस में 8 कि. ग्रा. की वृद्धि होती है।
रक्षा रेखा - यह एक कीटणुनाशक चॉक है जिससे रेशमकीट पालन के दौरान चीटीयों और काक्रोचों पर नियंत्रण किया जा
सकता है।
स्रोत: उत्तर प्रदेश सरकार का रेशम विकास विभाग व केन्द्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, मैसूर|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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