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भरण-पोषण से संबंधित कानूनी प्रावधान

भरण-पोषण से संबंधित कानूनी प्रावधान

भरण-पोषण

पत्नी, नाबालिग बच्चे, अविवाहित पुत्री, वृद्ध माता-पिता और विधवा बहू, जिनका कोई अपना भरण-पोषण का सहारा नहीं है, उनको भरण-पोषण में भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और चिकित्सा उपचार का विभिन्न कानूनों द्वारा हक व संरक्षण का प्रावधान है।

भरण-पोषण निम्नलिखित कानूनों के अन्तर्गत प्राप्त किया जा सकता है –

1.  दण्ड प्रक्रिया संहिता (Cr.PC) (धारा 125)

2.  हिन्दू दत्तक और भरण-पोषण कानून, 1950 (धारा 18-23)

3.  हिन्दू विवाह कानून, 1955 (धारा 24 और 25)

4.  घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण कानून, 2005

5.  माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भरण-पोषण और कल्याण कानून, 2007

दण्ड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C) (धारा 125) के मुख्य प्रावधान

 

इस कानून के तहत भरण-पोषण का दावा करने हेतु अधिकृत व्यक्ति

व्यक्ति, जिनसे भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है

पत्नी

 

पति

नाबालिग बच्चे

 

पिता

अविवाहित पुत्री

 

पिता

मानसिक व शारीरिक अपंगता वाले बच्चे

 

पिता

माता पिता जो आर्थिक तौर पर असमर्थ हैं

पुत्र

 

  • भरण-पोषण देने और मांगने वाले दोनों के कमाई के साधन, जरूरतें, मुख्य कारण तथा हकदारों की संख्या के आधार पर भरण पोषण राशि का निर्धारण किया जाता है।

धारा 125 (Cr.P.c) के अन्तर्गत भरण-पोषण मांगने के लिए शिकायत किससे और कहाँ करें

उस जिला के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी)/पारिवारिक न्यायालय जहाँ वह व्यक्ति रहता है जिस के खिलाफ शिकायत की जानी है

(क) रहते है, या

(ख) जहाँ वह या उसकी पत्नी रहते हैं, या

(ग) जहाँ वह अपनी पत्नी के साथ पहले रहते थे/या नाजायज औलाद की माता के साथ रहते थे।

यदि कोई आदमी भरण-पोषण के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो पीड़ित पक्ष उस न्यायालय के आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में पुर्नरीक्षण याचिका दायर कर सकता है। यह पुर्नरीक्षण याचिका अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के खिलाफ भी दी जा सकती है।

हिन्दू दत्तक और भरण-पोषण कानून, 1950 (धारा 18-23) के मुख्य प्रावधान

इस कानून के तहत भरण-पोषण का

दावा करने हेतु अधिकृत व्यक्ति

 

व्यक्ति, जिनसे भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है

 

पत्नी (धारा 18)

पति से

 

विधवा बहू (धारा 19)

ससुर से

नाबालिग बच्चे (धारा 20)

माता-पिता से

वृद्ध और कमजोर माता-पिता (धारा 20)

पुत्र/पुत्री से

 

मृतकों के आश्रित (धारा 22)

 

मृतकों के उत्तराधिकारियों से

 

 

भरण-पोषण देने और मांगने वाले दोनों के कमाई के साधन, जरूरतें, मुख्य कारण तथा हकदारों की संख्या के आधार पर भरण-पोषण राशि का निर्धारण किया जाता है।

इस कानून के अन्तर्गत भरण-पोषण मांगने के लिए शिकायत किससे और कहाँ करें

  • भरण-पोषण मांगने वाला अपने क्षेत्र के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी)/ पारिवारिक न्यायालय की अदालत में मामला दाखिल कर सकते है;
  • यदि कोई आदमी भरण-पोषण के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो पीड़ित पक्ष न्यायालय के आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में पुर्नरीक्षण याचिका दायर कर सकता है। पुर्नरीक्षण याचिका अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के खिलाफ भी दी जा सकती है।

हिन्दू विवाह कानून, 1955 (धारा 24 और 25) के मुख्य प्रावधान

इस कानून के तहत भरण-पोषण का दावा करने हेतु अधिकृत व्यक्ति

व्यक्ति, जिनसे भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है

पति

पत्नी से

पत्नी

 

पति से

 

 

भरण पोषण देने और मांगने वाले दोनों के कमाई के साधन, जरूरतें मुख्य कारण तथा हकदारों की संख्या के आधार पर भरण पोषण राशि का निर्धारण किया जाता है।

इस कानून के अन्तर्गत भरण-पोषण मांगने के लिए शिकायत किससे और कहाँ करें

उस क्षेत्र के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी)/ पारिवारिक न्यायालय में जिसकी स्थानीय सीमाओं में

(क) विवाह हुआ था; या

(ख) प्रतिवादी रहता हो; या

(ग) जहाँ पत्नी याचिकाकर्ता है- जहाँ वह याचिका की प्रस्तुति के दिन रह रही है।

यदि कोई व्यक्ति भरण-पोषण के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो पीड़ित पक्ष उस न्यायालय के आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में पुर्नरीक्षण याचिका दायर कर सकता है। पुर्नरीक्षण याचिका अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के खिलाफ भी दी जा सकती है।

घरेलु हिंसा से महिला का संरक्षण, 2005 (धारा 20) के मुख्य प्रावधान

इस कानून के तहत भरण-पोषण का दावा करने हेतु अधिकृत व्यक्ति

व्यक्ति, जिनसे भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है

घरेलु हिंसा से पीड़ित महिला और उसके बच्चे

प्रतिवादी वयस्क पुरुष जिसके साथ पीड़ित महिला सहभागी घर में रह रही है या रहती थी।

 

  • भरण-पोषण देने और मांगने वाले दोनों के कमाई के साधन, जरूरतें, मुख्य कारन तथा हकदारों की संख्या के आधार पर भरण-पोषण राशि का निर्धारण किया जाता है।

इस कानून के अंतर्गत भरण-पोषण मांगने के लिए शिकायत किस्से और कहाँ करें

न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी)/पारिवारिक न्यायलय के पास जिसकी अधिकारिता क्षेत्र में पीड़ित रहती हो या प्रतिवादी रहता हो या जिस क्षेत्र में घरेलु हिंसा के आरोप दर्ज किये गए हो।

यदि कोई आदमी भरण-पोषण के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो पीड़ित पक्ष उस न्यायलय के आदेश के खिलाफ सत्र न्यायलय में पुनरीक्षण याचिका दायर कर सकता है। पुनरीक्षण अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के खिलाफ भी दी जा सकती है।

माता – पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के मुख्य प्रावधान

इस कानून के तहत भरण-पोषण का दावा करने हेतु अधिकृत व्यक्ति

व्यक्ति, जिनसे भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है

वरिष्ठ नागरिक,जैसे

(क) माता-पिता या दादा-दादी

(ख) निसंतान वरिष्ठ नागरिक

वादी के एक या एक से अधिक बच्चा जो नाबालिग नहीं है।

उस रिश्तेदार से जो नाबालिग नहीं है और जिसके कब्ज़े में वादी की सम्पति है या जो वादी की मृत्यु के बाद उसकी सम्पति का उत्तराधिकारी होगा।

 

  • भरण-पोषण देने और मांगने वाले दोनों के कमाई के साधन, जरूरतें, मुख्य कारण तथा हकदारों की संख्या के आधार पर भरण-पोषण राशि का निर्धारण किया जाता है।

इस अधिनियम के तहत भरण-पोषण हेतु दी जा सकने वाली धनराशि

इस कानून के तहत राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम भरण-पोषण राशि रु. 10000/- प्रति माह से अधिक नहीं होगी।

इस कानून के अन्तर्गत भरण-पोषण मांगने के लिए शिकायत किससे और कहाँ करें

  • भरण-पोषण अधिकरण (धारा 7 के अन्तर्गत गठित) के पास जिसका अध्यक्ष परगना मैजिस्ट्रेट होता है।
  • जिला समाज कल्याण अधिकारी से।

यदि कोई आदमी भरण-पोषण के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो पीड़ित पक्ष न्यायालय के आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में पुर्नरीक्षण याचिका दायर कर सकता है। पुर्नरीक्षण याचिका अंतरिम भरण-पोषण के आदेश के खिलाफ भी दी जा सकती है।

तहसील, जिला, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से निःशुल्क परामर्श/विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

उपरोक्त में किसी से भी, स्वयं, माता-पिता या अन्य रिश्तेदार या सरकार द्वारा मान्य कोई समाज सेवी संस्था के माध्यम से शिकायत दर्ज करायी जा सकती है या फिर टोल फ्री नं. पर कॉल कर सकते हैं।

टोल फ्री/हेल्पलाइन

नम्बर

 

समाधान शिकायत निवारण प्रकोष्ठ

18001805220

 

वूमेन्स पावर लाइन

1090

 

पुलिस

100

 

निःशुल्क विधिक सहायता

18004190234, 15100

 

स्त्रोत: दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान, उत्तर प्रदेश

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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