इस अधिनियम के तहत निम्नलिखित व्यवहार या कृत्य ‘यौन उत्पीड़न’ की श्रेणी में आता है:
कृत्य | उदाहरण |
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इच्छा के खिलाफ छूना या छूने की कोशिश करना | यदि एक तैराकी कोच छात्रा को तैराकी सिखाने के लिए स्पर्श करता है तो वह यौन उत्पीड़न नहीं कहलाएगा।पर यदि वह पूल के बाहर, क्लास ख़त्म होने के बाद छात्रा को छूता है और वह असहज महसूस करती है, तो यह यौन उत्पीड़न है । |
शारीरिक रिश्ता/यौन सम्बन्ध बनाने की मांग करना या उसकी उम्मीद करना | यदि विभाग का प्रमुख, किसी जूनियर को प्रमोशन का प्रलोभन दे कर शारीरिक रिश्ता बनाने को कहता है,तो यह यौन उत्पीड़न है। |
यौन स्वभाव की (अश्लील) बातें करना | यदि एक वरिष्ठ संपादक एक युवा प्रशिक्षु /जूनियर पत्रकार को यह कहता है कि वह एक सफल पत्रकार बन सकती है क्योंकि वह शारीरिक रूप से आकर्षक है, तो यह यौन उत्पीड़न है। |
अश्लील तसवीरें, फिल्में या अन्य सामग्री दिखाना | यदि आपका सहकर्मी आपकी इच्छा के खिलाफ आपको अश्लील वीडियो भेजता है, तो यह यौन उत्पीड़न है । |
कोई अन्यकर्मजो यौन प्रकृति के हों, जो बातचीत द्वारा , लिख कर या छू कर किये गए हों |
जिस महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ है, वह शिकायत कर सकती है ।
यदि वह महिला चाहती है तो मामले को काउंसलिंग/ समाधान की प्रक्रिया से भी सुलझाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में दोनों पक्ष समझौते पर आने की कोशिश करते हैं, परन्तु ऐसे किसी भी समझौते में पैसे के भुगतान द्वारा समझौता नहीं किया जा सकता है ।
यदि महिला समाधान नहीं चाहती है तो जांच की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसे आंतरिक शिकायत समिति को 90 दिन में पूरा करना होगा । यह जांच संस्था/ कंपनी द्वारा तय की गई प्रकिया पर की जा सकती है, यदि संस्था/कंपनी की कोई तय प्रकिया नहीं है तो सामान्य कानून लागू होगा । समिति पीड़ित, आरोपी और गवाहों से पूछ ताछ कर सकती है और मुद्दे से जुड़े दस्तावेज़ भी माँग सकती है ।समिति के सामने वकीलों को पेश होने की अनुमति नहीं है ।
जाँच के ख़त्म होने पर यदि समिति आरोपी को यौन उत्पीडन का दोषी पाती है तो समिति नियोक्ता (अथवा कम्पनी या संस्था, आरोपी जिसका कर्मचारी है) को आरोपी के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने के लिए सुझाव देगी। नियोक्ता अपने नियमों के अनुसार कार्यवाही कर सकते हैं, नियमों के अभाव में नीचे दिए गए कदम उठाए जा सकते हैं :
यदि आंतरिक समिति को पता चलता है कि किसी महिला ने जान-बूझ कर झूठी शिकायत की है,तो उस पर कार्यवाही की जा सकती है।ऐसी कार्यवाही के तहत महिला को चेतावनी दी जा सकती है, महिला से लिखित माफ़ी माँगी जा सकती है या फिर महिला की पदोन्नति या वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है, या महिला को नौकरी से भी निकाला जा सकता है ।
हालांकि,सिर्फ इसलिए कि पर्याप्त प्रमाण नहीं है,शिकायत को गलत नहीं ठहराया जा सकता , इसके लिए कुछ ठोस सबूत होना चाहिए (जैसे कि महिला ने किसी मित्र को भेजे इ-मेल में यह स्वीकार किया हो कि शिकायत झूठी है)।
स्त्रोत: न्याय
बाहरी स्त्रोत: http://mahilakalyan.up.nic.in/uploads/dahej%20pratished.pdf
अंतिम बार संशोधित : 5/22/2023
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