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विकलाँग व्यक्ति

जनगणना

वर्ष 2001 में हुई जनगणना के मुताबिक भारत में 2.19 करोड़ लोग विकलांगता के शिकार हैं जो कुल आबादी के 2.13% हैं। इसमें दृष्टि, श्रवण, वाणी, गति तथा मानसिक विकलांगता शामिल हैं।  
75% विकलांग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, 49% विकलांग निरक्षर हैं और 34% रोजगार प्राप्त हैं। पूर्व में चिकित्सकीय पुनर्वास पर दिए बल की बजाए अब सामाजिक पुनर्वास पर ध्यान दिया जा रहा है।


विकलांगता के प्रकार

भारत की 2001 की जनगणना के आधार पर विकलांगता प्रतिशत

राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन (एनएसएसओ), के 2002 की रिपोर्ट

गति

28%

51%

दृष्टि

49%

14%

श्रवण

6%

15%

वाणी

7%

10%

मानसिक

10%

10%

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत विकलांगता विभाग, विकलांग व्यक्तियों की मदद करता है, जिनकी संख्या वर्ष 2001 में हुई जनगणना के मुताबिक 2.19 करोड़ थी जो देश की कुल आबादी का 2.13 फीसदी था। इनमें दृष्टि, श्रवण, वाणी, गति तथा मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति शामिल थे।

भारत का संविधान

भारत का संविधान सभी व्यक्तियों की समानता, स्वतंत्रता, न्याय तथा गरिमा सुनिश्चित करता है एवं यह एक ऐसे समाज की स्थापना पर जोर देता है जिसमें विकलांगों सहित सभी लोग रह सकें। संविधान इस विषय से जुड़ी अनुसूची में सीधेतौर से विकलांग व्यक्तियों की सशक्तीकरण की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को देता है। अतः विकलांगों की सशक्तीकरण की पहल मुख्य रूप से राज्य सरकार से होती है।
संविधान की धारा 253 के तहत आने वाली केंद्रीय सूची में इस बात का उल्लेख है कि भारत सरकार ने “विकलांगता अधिनियम 1995 (समान अवसर, अधिकारों की सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी)” बनाया है जो विकलांगों के लिए समान अवसर और राष्ट्र निर्माण में उनकी संपूर्ण भागीदारी को सुनिश्चित करता है। यह अधिनियम जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने “विकलांगता अधिनियम 1998 (समान अधिकार, अधिकारों की सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी” का गठन बनाया है। बहु-क्षेत्रीय समग्र प्रयास के तहत सभी संबंधित सरकारें जैसे केंद्र सरकार के मंत्रालय, राज्य सरकारें/केंद्र शासित प्रदेश, केंद्रीय तथा राज्य निकाय, स्थानीय अधिकारी तथा अन्य समुचित अधिकारी इस अधिनियम के कई प्रावधानों का अनुपालन कर रहे हैं।
भारत ‘फुल पार्टिसिपेशन एंड इक्वलिटी ऑफ पीपल विद डिसैबिलिटी इन द एशिया पैसिफिक रीजन’ घोषणापत्र का हस्ताक्षरकर्ता सदस्य है। यह ‘बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क फॉर प्रोटेक्शन एंड प्रोमोशन ऑफ राइट्स एंड डिग्निटी ऑफ परसंस विद डिसैबिलिटी’ का भी 30 मार्च 2007 में इसकी शुरुआत से ही हस्ताक्षरकर्ता सदस्य है। भारत इस मुद्दे पर 1 अक्टूबर 2008 को हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का भी समर्थन करता है।

सरकारी योजनाएं

विकलांगों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति की इस योजना के तहत प्रत्येक वर्ष 500 नई छात्रवृत्ति ऐसे प्रतिभागियों को दी जाती है जो 10वीं के बाद 1 साल से अधिक अवधि वाले व्यावसायिक या तकनीकी पाठ्यक्रमों में अध्ययन करते हैं।  
हालांकि मानसिक पक्षाघात, मानसिक मंदता, बहु-विकलांगता तथा गंभीर श्रवण हानि से ग्रस्त  छात्रों की स्थिति में छात्रवृत्ति 9वीं कक्षा से छात्र-छात्राओं को अध्ययन पूरा करने के लिए दी जाती है। छात्रवृत्ति के लिए प्रार्थनापत्र आमंत्रित करने की विज्ञप्ति प्रमुख राष्ट्रीय/क्षेत्रीय समाचारपत्रों में जून के महीने में दी जाती है तथा इसे मंत्रालय की वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया जाता है। राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन से इस योजना के व्यापक विज्ञापन के लिए अनुरोध किया जाता है।

ऐसे छात्र जो 40% या ज्यादा विकलांग की श्रेणी में आते हैं और जिनके परिवार की आय 15 हजारे रुपए से ज्यादा न हो, वे भी इस योजना के तहत आते हैं। स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के तकनीकी या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों वाले छात्रों को प्रति माह 700 रुपए की राशि सामान्य स्थिति में तथा 1,000 रुपए की राशि छात्रावास में रहने वाले छात्रों को दी जाती है। डिप्लोमा तथा सर्टिफिकेट स्तर के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों वाले छात्रों को प्रति माह 400 रुपए की राशि सामान्य स्थिति में तथा 700 रुपए की राशि छात्रावास में रहने वाले छात्रों को दी जाती है। छात्रवृत्ति के अलावा छात्रों को पाठ्यक्रम की फीस भी दी जाती है जिसकी राशि वार्षिक 10,000 रुपए तक है। इस योजना के तहत अंधे /बहरे स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को पूरा करने के लिए सॉफ्ट्वेयर के साथ कंप्यूटर के लिए भी आर्थिक सहायता दी जाती है। यह सहायता मानसिक पक्षाघात से ग्रस्त छात्रों को आवश्यक सॉफ्टवेयर की उपलब्धता के लिए भी दी जाती है।

राष्ट्रीय संस्थान/शीर्ष स्तर के संस्थान

विकलागों के सशक्तीकरण नीति के अनुरूप तथा उनकी बहुआयामी समस्याओं से प्रभावी रूप से निपटने के लिए प्रत्येक प्रमुख विकलांगता के क्षेत्र में निम्न राष्ट्रीय संस्थान/शीर्ष स्तरीय संस्थानों की स्थापना की गई है:
(i) नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द विजुअली हैंडिकैप्ड, देहरादून
(ii) नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द ऑर्थोपेडिकली हैंडिकैप्ड, कोलकाता
(iii) अली यावर जंग नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द हियरिंग हैंडिकैप्ड, मुम्बई
(iv) नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मेंटली हैंडीकैप्ड, सिकंदराबाद
(v) नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिहैब्लिटेशन ट्रेनिंग एंड रिसर्च, कटक
(vi) इंस्टीट्यूट फॉर फीजिकली हैंडिकैप्ड, नई दिल्ली
(vii) नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एंपॉवरमेंट ऑफ पर्संस विद डिजैबिलिटी (एनआईईपीएमडी), चेन्नई

स्रोत: http://www.disabilityindia.co.in/ व सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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