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नस्ल सुधार, प्रजनन और उत्पादकता

अनुत्पादक पशुओं की बड़ी संख्या की समस्या पशुपालन से लाभप्रदता प्रभावित करती है | हमारे देश में, पशुधन की उत्पादकता संभावित की तुलना में बहुत कम है | उत्पादकता में गिरावट की समस्या को उचित देखभाल, पोषण और उचित नस्ल सुधार के उपायों के माध्यम से संबोधित किया जा सकता है | पशुओं में बांझपन, देर से यौवन, अनियमित कामोत्तेजना, मूक गर्मी, भ्रूण की जल्दी मौत, गर्भपात, गर्भाधान को दोहराना, प्रसवोत्तर कामोत्तेजना के कई जैव भौतिक कारक हो सकते है | इसके अलावा, जानवर पोषक तत्वों की कमी की वजह से बाँझ हो सकता है | जानवरों की कम उत्पादकता के, दोषपूर्ण प्रजनन अभ्यास, विभिन्न चरणों (बढ़ने, गर्भवती, दुहने, प्रसवोत्तर, शुष्क अवधि), में लापरवाही, उचित स्वास्थ्य दे खभाल की कमी (टीकाकरण में अपर्याप्त पोषण, स्वच्छ) और अनुचित प्रबंधन जैसे एक या एक से अधिक कारकों के परिणाम स्वरूप हो सकती है |

राष्ट्रीय पशुधन नीति 2013

राष्ट्रीय पशुधन नीति, 2013 मवेशी और भैस की प्रजनन नीति के लिए निम्नलिखित उपायों पर केंद्रित है:

  • उनके प्रसार, संरक्षण और आनुवंशिक उन्नयन के लिए पशुओं का चिन्हित स्वदेशी नस्लों के चयनात्मक प्रजनन | उनके परिभाषित प्रजनन क्षेत्रों में संकर प्रजनन की घुसपैठ से परहेज किया जाएगा |
  • आदि चारा और पशु आहार तथा विपणन सुविधाओं की पर्याप्त सुविधा वाले चयनित क्षेत्रो में अवर्णित और कम उत्पादक मवेशियों का संबंधित कृषि जलवायु स्थितियों के लिए उपयुक्त उच्च उत्पादक विदेशी नस्लों के साथ संकर-प्रजनन प्रोत्साहित किया जाएगा |
  • संसाधन की कमी वाले क्षेत्रों में अवर्णित और कम उत्पादक मवेशियों का परिभाषित स्वदेशी नस्लों के साथ उन्नयन और परिभाषित स्वदेशी नस्लों के प्रजनन को प्रोत्साहित किया जाएगा |
  • भैसों की स्थापित देशी नस्लों का चयनात्मक प्रजनन |
  • परिभाषित उच्च दूध देने वाली नस्लों के साथ प्रजनन के माध्यम से कम उत्पादन करने वाली भैंसों का उन्नयन |
  • जहाँ उचित समझा जाए, गैर वर्णित भैंसों की आबादी का उन्नत स्वदेशी नस्लों के साथ संकरण किया जाएगा |
  • वित्तीय, तकनीकी और संगठनात्मक सहायता उपलब्ध कराने के द्वारा उच्च आनुवंशिक क्षमता वाले प्रजनन नर पशुओं के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा |

राज्य नीति

प्रत्येक राज्य की पशुधन में सुधार के लिए नीति है | ग्राम पंचायत को राज्य की नीति प्राप्त करना चाहिए और इस पर चर्चा करने के लिए पशुपालन विभाग के किसी अधिकारी से मिलना चाहिए | हम पशुओं के विभिन्न प्रकारों के लिए महाराष्ट्र राज्य की नीति पर चर्चा करेंगे |

महाराष्ट्र राज्य की नीति, नस्ल सुधार द्वारा गायों की उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ देशी नस्लों और गुणवत्ता बैलों का संरक्षण सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करती है | दूध उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के इए, आनुवंशिक रूप से उन्नत जानवरों के अनुपात के मामले में गैर वर्णित आबादी के वर्तमान 37 प्रतिशत की (2009) के स्तर को 2017 के अंत तक 60 प्रतिशत पर, आगे 2025 तक 80 प्रतिशत करने का उद्देश्य है |

संकर नस्लों पर नियंत्रण (इष्टतम विदेशी रक्त)

अनुत्पादक और गैर-वर्णित गायों और भैंसों की बड़ी संख्या एक प्रमुख समस्या है जिसका ग्राम पंचायतों को सामना करना पड़ता है | अंधाधुंध प्रजनन मवेशियों और भैंसों में कम उत्पादकता के मुख्य कारणों में से एक है | एक ओर, बहुत ही उत्पादक स्वदेशी नस्लें विलुप्त होने की समस्या का सामना कर रही हैं वही अन्य कई शुद्ध नस्ल के पशुओं को गलत तरीके से संकर किया गया है | इन सबकी वजह से औसत उत्पादकता में गिरावट आई है | इसलिए, हर ग्राम पंचायत निम्नलिखित सामान्य सिद्धांतों पर अपनी ग्राम पंचायत के लिए एक समयबद्ध प्रजनन योजना पर कार्य कर सकती है:

  • वर्णित नस्लों वाली गायों और भैंसों के मामले में शुद्ध प्रजनन आवश्यक है | विदेशी गायों के लिए भी यही नियम लागू है | शुद्ध नस्ल की किसी भी गाय या भैंस का अन्य देशी या विदेशी नस्ल के साथ संकर प्रजनन नहीं कराना चाहिए |
  • जिनका वर्णन प्राप्त न हो ऐसी सभी गायों में संकर प्रजनन का सुझाव दिया गया है | जहाँ सिंचित कृषि और हरी पैदावार की उपलब्धता का आश्वासन दिया जा सकता है, ऐसे क्षेत्रों में सभी अवर्णित गायों के लिए हॉल्स्टीन फ्रिसियाई के साथ संकर प्रजनन अपनाना चाहिए | जबकि, (पहाड़ी मार्ग सहित) हरे चारे की कमी और वर्षा सिंचित क्षेत्रों में सभी वर्णनातीत गायों के लिए जर्सी नस्ल के साथ संकर प्रजनन को अपनाना चाहिए |
  • संकर गायों (विदेशी रक्त स्तर 50-75 फीसदी सीमा के भीतर बनाए रखा जा सकता है) का गर्भाधान संकर सांडों के वीर्य के साथ किया जा रहा है |
  • भैंसों की स्थानीय वर्णित नस्लों का उपयोग कर वर्णनातीत भैंसों का उन्नयन |
  • किसी भी जानवर को बिना जानवर के मालिक और चिकित्सक के उचित विवरण दर्ज करें बगैर प्रजनन नही किया जाना चाहिए |

कृत्रिम गर्भाधान (एआई)

ग्रामीण स्थितियों के अंतर्गत पशुओं की कम उत्पादकता का मुख्य कारण कम आनुवंशिक क्षमता है | प्रजनन के प्रबंधन पर ध्यान देकर इस पर काबू पाना संभव है | यह कृत्रिम गर्भाधान (एआई) के माध्यम से संभव हो सकता है | इस तकनीक को हर किसान के दरवाजे पर उपलब्ध कराया जा सकता है |

कृत्रिम गर्भाधान (एआई) हमारे देश में विशेष रूप से उपयोगी है जहाँ गुणवत्ता युक्त नरों (पशुओं) की कमी नस्ल सुधार में मुख्य बाधा बनी हुई है | यह मादा पशुओं के प्रजनन मार्ग में अभिजात वर्ग के नर (पशुओं) के वीर्य को कृत्रिम रूप से प्रविष्ट कराने की तकनीक है |

डेयरी पशुओं के प्रजनन में कृत्रिम गर्भाधान तकनीक के कई फायदे हैं | ये हैं:

  • एआई के इस्तेमाल से (वीर्य को कई उपयोगों में प्रयोग करने के लिए विभाजित किया जा सकता है) एक ही बैल के बछड़ों की संख्या में वृद्धि करना संभव होता है |
  • एआई संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने में मदद करता है |
  • एआई आनुवंशिक सुधार की दर को बढाता है |
  • एआई से विभिन्न आकार के पशुओं के संभोग की समस्या पर काबू पाया जा सकता है |
  • एआई सेवा से पहले वीर्य के नमूने के चरित्र का निर्धारण करने का एक आसान तरीका प्रदान करता है |
  • एआई से अच्छी गुणवत्ता के बैल की व्यवस्था की कठिनाई पर काबू पाया जा सकता है |
  • बेहतर पशु सेवाओं को बढ़ाया जा सकता है |
  • बैल के रखरखाव पर होने वाले खर्च को नहीं उठाना पड़ता |

राज्य प्रजनन नीति के बारे में जागरूकता और उसका अनुपालन

वांछित परिवर्तन लाने के लिए पशुधन रखवाले की प्रजनन के बारे में जागरूकता महत्वपूर्ण है | इस दिशा में, निम्नलिखित सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायत सदस्यों को सामूहिक रूप से काम करना होगा |

  • मवेशी/भैस/भेड़/बकरी की भारतीय नस्लों को उसी नस्ल के विशिष्ट/बेहतर नर के साथ मादाओं के गर्भाधान से उन्नत किया जाना चाहिए |
  • गैर-वर्णित पशुओं को बेहतर भारतीय नस्लों के नर या विदेशी नस्लों के द्वारा गर्भाधान करा कर नस्ल सुधार कराना चाहिए |
  • प्रयोग की जाने वाली विदेशी नस्ल का जलवायु की परिस्थितियों और मालिक की आर्थिक क्षमता जैसे कारकों के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए | उदाहरण के लिए, होलस्टेइन को उन क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जा सकता है जहाँ सिंचाई की सुविधाएँ मौजूद हैं और मालिकों के पास वित्तीय ताकत है | जबकि जर्सी नस्ल वहाँ प्रोत्साहित किया जा सकता है जहाँ कठोर वातावरण में जहाँ उपलब्धता दुर्लभ है और मालिक की वित्तीय क्षमता सीमित हो |

राज्य प्रजनन नीति के आधार पर ग्राम पंचायत ग्राम की पशु पालन समिति से ग्राम पंचायत के पशुओं की नस्ल सुधार के लिए एक वार्षिक योजना विकसित करने के लिए कहेंगे | पंचायत के अध्यक्ष ने अन्य वार्ड सदस्यों के साथ ग्राम पंचायत अपने कार्यकाल के पूरा होने से पहले 60 प्रतिशत नस्ल सुधार सुनिश्चित करने का संकल्प लिया | पिछली बैठक में की गई चर्चा के अनुसार पोषण में सुधार के माध्यम से, बांझपन की समस्या को भी संबोधित किया जाएगा |

मवेशी/भैस/बकरी और भेड़ का प्रजनन कैलेंडर

प्रजनन पैमाना

गायें

भैंसे

बकरी

भेड़

देशी

विदेशी

संकर

देशी

विदेशी

एक साथ पैदा हुए

01

01

01

01

01

03.04

02

जन्म के समय वजन (किलो)

20

28

24

32

22

1.5

1.5

पहली कामोत्तेजना के

15

09

12

18

24

09

12

पहली कामोत्तेजना के

250

250

250

275

275

20

20

प्रजनन के बीच अंतराल

12

12

12

14

14

08

08

प्रजनन जीवनकाल

16

18

18

15

13

12

12

प्रसवोत्तर कामोत्तेजना (दिन)

60

60

60

90

90

30

30

प्रजनन का मौसम

पूरे कैलेंडर वर्ष

फरवरी-जुलाई

प्रजनन के अवधि

पूरे कैलेंडर वर्ष

अगस्त-सितंबर

जनवरी-जून

गर्भावस्था की अवधि (दिन)

275

275

275

310

310

150

150

सफल प्रजनन में शामिल है

  • स्वस्थ बछड़े का जन्म के समय अधिकतम वजन
  • सामान्य और आसान प्रसव
  • प्रसवोत्तर चक्र की शीघ्र बहाली
  • दूध उत्पादन का जल्दी बढना
  • शून्य प्रसवोत्तर जटिलताएं और उपापचयी समस्याएं
  • सकारात्मक प्रसवोत्तर ऊर्जा संतुलन
  • प्रजनन के बाद शरीर के वजन का शीघ्र लाभ |

एक मिशन के रूप में नस्ल सुधार

नस्ल सुधार के उपायों के महत्व और जरूरत के बारे में सीखने के बाद, दुधिया ग्राम पंचायत ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले सभी पशुओं के 60 प्रतिशत के नस्ल सुधार का कार्य करने का संकल्प लिया | इसके लिए ग्राम पंचायत ने प्रत्येक प्रकार के पशुओं के लिए राज्य की नीति का पालन किया | ग्राम सभा ने मानदंड निर्धारित किए जिनका ग्राम पंचायत द्वारा पशुपालन विभाग के अभिसरण और समर्थन से ग्रामीणों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित किया गया |

 

स्रोत: पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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