राष्ट्रीय वृद्धजन नीति की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
सरकार ने राष्ट्रीय वृद्धजन नीति तैयार की है जो वृद्ध व्यक्तियों से संबंधित सभी पहलुओं को कवर करने के लिए वर्ष 1999 में घोषित की गई थी। राष्ट्रीय नीति की प्रमुख विशेषताएं निम्नानुसार है:-
- वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ और पोषण, आश्रय, सूचना आवश्यकता, उचित रियायत और छूट आदि प्रदान किया जाना।
- उनके जीवन और सम्पति की रक्षा जैसे विधिक अधिकारों की रक्षा करने और सुदृढ़ बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाना।
- 60+ आयु के व्यक्तियों को वरिष्ठ नागरिक के रूप में अभिनिर्धारित करना।
राष्ट्रीय वृद्धजन नीति को कार्यान्वित करने का तंत्र क्या है?
राष्ट्रीय वृद्धजन नीति के पैरा 95 के प्रावधानो के अनुसार, सरकार ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री की अध्यक्षता में 10 मई, 1999 को एनसीओपी का गठन किया था। एनसीओपी वृद्धजनों के लिए कल्याण नीति और कार्यक्रम तैयार करने तथा क्रियान्वित करने में सलाह देने तथा सरकार के साथ समन्वय करने के लिए शीर्षस्थ संस्था है। एनसीओपी को 2005 को में पुनर्गठित किया गया था। एनसीओपी की वर्तमान संख्या 47 है। इसके अलावा, मंत्रालय ने राष्ट्रीय वृद्धजन नीति का कार्यान्वयन करने तथा एनसीओपी की सिफारिशों पर कार्रवाई करने के उद्देश्य से सचिव (एसजेई) की अध्यक्षता में अन्तर मंत्रालयी समिति का गठन किया है। मंत्रालय एनसीओपी तथा आईएमसी के माध्यम से वृद्ध व्यक्तियों संबंधी राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन के संबंध में प्रगति की समीक्षा करता है। ‘वृद्धावस्था’ को परिभाषित करने के लिए 60 + आयु अपनाने के लिए राष्ट्रीय वृद्धजन नीति क्या है?वृद्धावस्था प्रक्रिया एक जैविक सच्चाई है जिसकी अपनी गतिकी है और यह मोटे तौर पर मानव नियंत्रण से परे है। अधिकांश विकसित वैश्विक भागों में 60 वर्ष की आयु को आमतौर पर सेवा निवृत्ति की आयु माना जाता है और इसे वृद्धावस्था की शुरूआत माना जाता है। इस समय, संयुक्त राष्ट्र का अंकीय मानक नहीं है लेकिन संयुक्त राष्ट्र की वृद्धजन संख्या दर्शाने की सहमति प्राप्त कट आफ 60+ आयु परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय वृद्धजन नीति ने वृद्ध व्यक्तियों के लिए 60+आयु अपनाई है।
सहायता अनुदान स्कीमें कौन सी स्कीमों के तहत वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय दो स्कीमों के तहत गैर सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के माध्यम से वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण हेतु कार्यक्रमों को समर्थन देता है। जिनका ब्यौरा निम्ननुसार है:-
- वृद्धाश्रम, दिवा उपचार केन्द्र, मोबाइल मेडिकेयर यूनिट की स्थापना तथा रखरखाव तथा वृद्ध व्यक्तियों को गैर-संस्थागत सेवाएं प्रदान करने के लिए एनजीओ को;
- वृद्ध व्यक्तियों के लिए वृद्धाश्रमों का निर्माण करने के लिए सहायता स्कीम जिसके तहत वृद्धाश्रमों के निर्माण हेतु निधि प्रदान की जाती है। यह स्कीम तैयार की जा रही है।
क्या सरकार वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण हेतु स्कीमों का संशोधन कर रहा है?
मंत्रालय ने एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम की मौजूदा योजनागत स्कीम में गैर-योजनागत स्कीमों के निम्नलिखित घटकों का विलय करके 01.04.2016 से 'एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम (आईपीओपी)' को हाल ही में संशोधित किया है :-
- माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण (एमडब्ल्यूपीएससी) अधिनियम, 2007 के लिए जागरूकता सृजन।
- राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन की स्थापना।
- जिला स्तर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन की स्थापना।
- नई राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक नीति के कार्यान्वयन हेतु योजना।
- ''एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम'' योजना के लागत मानदंडों में 01.04.2015 से पहले ही संशोधन कर दिया गया है।
एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम में विभिन्न परियोजनाओं का कार्यान्वयन करने के लिए सहायता अनुदान प्राप्त करने हेतु कौन सी एजेंसियां पात्र हैं?
इस मंत्रालय द्वारा निर्धारित नियम एवं शर्तों के अधीन योजना के अंतर्गत निम्नलिखित एजेंसियों को सहायता दी जाती है-
- पंचायती राज संस्थाएं/स्थानीय निकाय ।
- गैर-सरकारी स्वैच्छिक संगठन ।
- सरकार द्वारा स्वायत्त/अधीनस्थ निकायों के रूप में स्थापित संस्थाएं अथवा संगठन
- सरकारी मान्यताप्राप्त शैक्षिक संस्थाएं, धर्मार्थ अस्पताल/नर्सिंग होम और नेहरू युवक केद्र संगठन (एन.वाई.के.एस.) जैसे मान्य युवा संगठन।
- आपवादिक मामलों में इस योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को भी प्रदान की जाएगी ।
एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता के लिए स्वीकार्य परियोजनाएं कौन सी हैं?
एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम की संशोधित स्कीम के अंतर्गत सहायता के लिए स्वीकार्य परियोजनाएं/कार्यक्रम निम्नानुसार हैं-
- वृद्धाश्रमों का अनुरक्षण
- राहत (रेसपाइट) देखभाल गृहों और सतत् देखभाल गृहों का अनुरक्षण
- वृद्धजनों के लिए बहु सेवा केंद्रों का संचालन
- सचल चिकित्सा देखभाल यूनिटों का रखरखाव
- अलजाइमर रोग/डिमेंशिया बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए दिवा देखभाल केद्रों को संचालित करना
- वृद्ध व्यक्तियों के लिए फिजियोथेरेपी क्लिनिक
- विकलांगता और वृद्ध व्यक्तियों के लिए श्रवण यंत्र
- वृद्ध व्यक्तियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य केयर तथा विशिष्ट देखभाल
- वृद्ध व्यक्तियों के लिए हेल्पलाइन एवं परामर्श केद्र
- स्कूलों और कॉलेजों में विशेष रूप से बच्चों के लिए कार्यक्रमों को सुग्राही बनाना
- क्षेत्रीय संसाधन और प्रशिक्षण केन्द्र
- वृद्ध व्यक्तियों के सेवाप्रदाताओं का प्रशिक्षण
- वृद्ध व्यक्तियों और सेवा प्रदाताओं के लिए जागरूकता सृजन कार्यक्रम
- निराश्रित वृद्ध महिलाओं के लिए बहु सुविधा देखभाल केन्द्र
- वृद्ध व्यक्तियों के लिए स्वयंसेवक ब्यूरो
- वृद्ध संघों/वरिष्ठ नागरिक एसोसिएशनों/स्व-सहायता समूहों का गठन
- अन्य कोई कार्यकलाप, जिसे योजना के उद्देश्य को पूरा करने में उपयुक्त माना जाए।
एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के लिए गैर सरकारी संगठनों की पात्रता हेतु क्या मानदंड हैं?
- गैर-सरकारी स्वैच्छिक संगठन को, एक उचित अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत निकाय होना चाहिए ताकि इसे कारपोरेट स्तर और कानूनी रूप प्राप्त हो जाए तथा इसके कार्यकलापों के लिए एक समूह दायित्व स्थापित हो सके।
- यह सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 अथवा संगत राज्य सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत होना चाहिए और कम से कम दो वर्ष से कार्यशील हो अथवा उस समय लागू किसी अन्य कानून के अंतर्गत पंजीकृत कोई सार्वजनिक ट्रस्ट अथवा कंपनी अधिनियम, 1958 की धारा 525 के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त धर्मांर्थ कंपनी ।
- यह कम से कम दो वर्ष से पंजीकृत रहा हो, लेकिन पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर, रेगिस्तानी क्षेत्रों एवं कम सेवा किए गए/कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के मामले में, दो वर्ष की यह शर्त लागू नहीं होगी । अन्य सुपात्र मामलों में दो वर्ष की शर्त में सचिव (सामाजिक न्याय और अधिकारिता) द्वारा मामला-दर मामला आधार पर छूट दी जा सकती है ।
- संगठन का सुव्यवस्थित ढंग से गठित प्रबंध निकाय होना चाहिए और लिखित संविधान में इसकी शक्तियों, कर्त्तव्यों और दायित्वों का सुस्पष्ट एवं सुपरिभाषित निर्धारण होना चाहिए । इसकी उपयुक्त प्रशासनिक संरचना और विधिवत गठित प्रबंध/कार्यकारी समिति हो।
- संगठन को इसके सदस्यों द्वारा लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर चलाया एवं नियंत्रित किया जाता हो।
- संगठन के लक्ष्य और उद्देश्य तथा इन लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कार्यक्रम का स्पष्ट निर्धारण होना चाहिए ।
- संगठन किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह के लाभार्थ संचालित नहीं होना चाहिए; संगठन के पास ऐसी परियोजनाओं का संचालन करने के लिए प्रमाणित अर्हता और क्षमताएं होनी चाहिए ।
जनशक्ति को प्रशिक्षण: वरिष्ठ नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए संगठनों के कामगारों तथा स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण तथा ओरिएन्टेशन हेतु मंत्रालय द्वारा क्या सुविधाए प्रदान की जाती हैं?
वरिष्ठ नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए संगठनों के कामगारों तथा स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण तथा ओरिएन्टेशन हेतु मंत्रालय द्वारा प्रदत्त सुविधाएं निम्नानुसार है:-
- मंत्रालय के तहत एक स्वायतशासी निकाय राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान मंत्रालय द्वारा सहायता दिए जाने हेतु स्वैच्छिक संगठनों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
- राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान द्वारा स्थापित वृद्धावस्था देखभाल प्रभाग वृद्धावस्था देखभाल के क्षेत्र में परियोजनाएं और कार्यक्रमों को तैयार करने तथा विकास करने में संलग्न है।
- राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान एनआईसीई परियोजना के तहत वृद्धावस्था देखभाल के संबंध में 3 माह का प्रशिक्षण कार्यक्रम, 6 माह का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम और स्नातक डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी संचालित करता है। छात्रों को जरा चिकित्सा में नीतिपरक मुद्दों को संभालने तथा वृद्ध व्यक्तियों की समस्याओं का समाधान करने के लिए व्यावहारिक यंत्रों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
जीवन और संपति की रक्षा वृद्ध व्यक्तियों के विरूद्ध अपराध में अचानक हुई बढ़ोतरी के आलोक में मंत्रालय द्वारा वृद्ध व्यक्तियों के जीवन और सम्पति की रक्षा करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
यह मामला कानून व्यवस्था के अंतर्गत आता है जो राज्य विषय है। तथापि, मंत्रालय ने सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के पुलिस महानिदेशकों को वृद्ध व्यक्तियों के जीवन और सम्पति की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त उपाय करने के लिए कहा है।
स्त्रोत: सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय