राष्ट्रीय विद्युत नीति का लक्ष्य निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति है।
सुदूर ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम का उद्देश्य है दूर-दराज के सभी गाँव एवं बस्तियों को सौर ऊर्जा, लघु जल-विद्युत, बायोमास, पवन-ऊर्जा, हाइब्रिड प्रणालियों इत्यादि द्वारा विद्युतीकृत करना।
अविद्युतीकृत दूरस्थ गाँवों एवं विद्युतीकृत गाँवों की दूरस्थ बस्तियों पर ध्यान केंद्रित कर इस कार्यक्रम का लक्ष्य है देश के सर्वाधिक पिछड़े एवं वंचित क्षेत्रों के लोगों तक विद्युत के लाभ पहुँचाना।
योजना का क्षेत्र
योजना क्षेत्र के अंतर्गत निम्नलिखित आते हैं:
दूर-दराज के वैसे सभी अविद्युतीकृत गाँव और बस्तियाँ जिन्हें 11 वीं योजना के अंत तक पारंपरिक प्रणाली द्वारा विद्युतीकृत नहीं किया जा सकेगा और जो संबद्ध ऊर्जा विभाग/राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा प्रमाणित होंगे, इस योजना के तहत लाये जाने योग्य होंगे।
परियोजनाओं हेतु केंद्रीय वित्तीय सहायता
मंत्रालय विभिन्न पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों/प्रणालियों हेतु पूर्व-विनिर्दिष्ट अधिकतम राशि के 90% तक का अनुदान प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त अन्य अनेक प्रोत्साहन सहयोग एवं सेवा शुल्क की एक पर्याप्त राशि राज्य की कार्यान्वयन एजेंसियों को उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसके अंतर्गत वर्ष 2009 तक प्रत्येक घर को विद्युतीकृत करना, बिजली की उचित दर पर गुणवत्तापूर्ण और विश्वसनीय आपूर्ति एवं वर्ष 2012 तक प्रत्येक घर को न्यूनतम 1 यूनिट बिजली प्रतिदिन के उपभोग हेतु उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
गाँवों अथवा बस्तियों के लिए जहाँ ग्रिड संयोजन व्यवहार्य अथवा लागत प्रभावी नहीं है, विद्युत आपूर्ति हेतु छोटे आकार के एकल संयंत्रों पर आधारित ऑफ-ग्रिड प्रणाली उपयुक्त साबित हो सकती है। जहाँ ये भी व्यावहारिक न हों, वहाँ पर सौर-फोटोवोल्टेईक जैसी अत्यंत लघु, पृथक्कृत तकनीक अपनाई जा सकती है। यद्यपि, ऐसे दूरस्थ गाँवों को ‘विद्युतीकृत’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
राज्य सरकारों को छ: माह के अंदर एक ग्रामीण विद्युतीकरण योजना को तैयार कर उसे अधिसूचित करना होगा जिसमें विद्युत वितरण की संपूर्ण रूपरेखा एवं विस्तृत विवरण हों। इस योजना को जिला विकास योजनाओं से जोड़ा जा सकता है। योजना को उपयुक्त आयोग से भी संबद्ध किया जाना चाहिए।
जब गाँव विद्युतीकृत घोषित किये जाने योग्य हो जाए तो ग्राम पंचायत प्रथम प्रमाणपत्र जारी करेगा। इसके बाद, ग्राम पंचायत प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को गाँव के विद्युतीकृत होने को प्रमाणित एवं अनुमोदित करेगा।
राज्य सरकार को 3 महीने के भीतर जिला स्तर पर एक समिति का गठन करना होगा जिसकी अध्यक्षता जिला परिषद् के अध्यक्ष द्वारा की जाएगी और इसमें जिला स्तर के अभिकरणों, उपभोक्ता संगठनों एवं महत्वपूर्ण साझेदारों की सदस्यता सहित पर्याप्त संख्या में महिला प्रतिनिधियों की सदस्यता होगी।
जिला समिति द्वारा जिले में विद्युतीकरण का विस्तार एवं उपभोक्ता-संतुष्टि इत्यादि हेतु समन्वयन एवं समीक्षा की जाएगी।
पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका इसमें पर्यवेक्षक/सलाहकार के रूप में होंगी।
राज्य सरकार द्वारा गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत पर आधारित बैक-अप सेवाओं एवं तकनीकी सहयोग हेतु संस्थागत व्यवस्था की जाएगी।
स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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