अर्थव्यवस्था के समग्र विकास के लिए ऊर्जा एक महत्वपूर्ण संसाधन है, भारत, असीमित नवीकरणीय सौर ऊर्जा संसाधनों से संपन्न देश है. इस विशाल देश में जिस तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हुई है उसी तेजी के साथ विद्युतीकरण नहीं हुआ है| शहरीकरण और अद्यौगिकीकरण के कारण बिजली की मांग और आपूर्ति में बहुत बड़ा अन्तराल हो गया है| जिन लोगों के विद्युत ग्रिड की सेवाएँ प्राप्त नहीं होती उन्हें अपनी ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए मिट्टी का तेल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर रहना पड़ता हैं| इससे देहाती इलाकों में निर्धनों को बार – बार खर्च करना पड़ता है| जिन देहाती इलाकों में निर्धनों को बार – बार खर्च करना पड़ता है. जिन देहाती इलाकों को विद्युत ग्रिड के अंतर्गत लाया गया है उनमें बिजली की आपूर्ति अनियमित होगी विशेषकर खेती के महत्वपूर्ण दिनों में| भारत को प्रति दिन 4-7 केडब्ल्यूएच/एम2 के औसत से सौर ऊर्जा प्राप्त खपत से अधिक है| जो 5000 ट्रिलियन के एब्ल्यूएच/वर्ष के समकक्ष होती है| यह देश की कूल ऊर्जा खपत से अधिक है| आगे, देश के बहुत से भागों में वर्ष में 250-300 दिन सूर्य किरणें होती हैं जो इन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को व्यवहार्य विकल्प बनाती हैं| जहाँ विद्युत ग्रिड उपलब्ध नहीं है वहां सौर ऊर्जा उपयुक्त हैं| यह दीर्घ काल तक उच्च कार्यनिष्पादन को सुनिश्चत करती है| विकेंद्रीकरण नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियाँ जो स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करती हैं| वे ग्रामणी क्षेत्रों में ऊर्जा की समस्या का समाधान हो सकती है| विशेष कर से ऐसे दूरवर्ती क्षेत्रों में जहाँ विद्युत ग्रिड एक व्यवहार्य प्रस्ताव नहीं है|
सौर ऊर्जा की वास्तव में असीमित संभाव्यता और उपलब्धता है| यह प्रदूषण पैदा न करने वाली और समाप्त न होने वाली ऊर्जा का स्रोत है, जिसके कारण इस संसाधन का मुख्य रूप से उपयोग मानव जाती की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा सकता है| बिजली की अत्यधिक लागत, बहुत तेजी से समाप्त होते जा रहे जीवाश्म ईंधन और पर्यावरण के अनुकूल बिजली के निर्माण के संबंध से जनता की जागरूकता ने सौर ऊर्जा के उपयोग की लहर पैदा की है|
किसी स्थान विशेष पर ऊर्जा की संभाव्यता का मूल्यांकन करने के लिए उसकी उपलब्धता से संबंधित विस्तृत जानकारी की आवश्यकता होती है| इनमें सौर ऊर्जा की सघनता, स्पेक्ट्रम, इंसिडेंट एंगल और कार्य के समय बादलों की स्थिति से संबंधित जानकारी शामिल है|
सौर ऊर्जा का उपयोग दो तरह से किया जा सकता है:
सौर थर्मल (एसटी) तकनीक निर्माण की जाने वाली ऊर्जा का उपयोग गर्म करने, ठंडा करने, सुखाने, पानी को शुद्ध करने और बिजली निर्माण के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरणों के परिचालन में किया जाता है| गाँव वासियों के उपयोग हेतु उचित उपकरणों में सौर ऊर्जा पर चलने वाले गर्म पानी के हीटर, सोलर कूकर और सौर ऊर्जा पर चलने वाले सुखाने वाले यंत्र शामिल हैं|
सौर फोटोवोल्टिक प्रणलियाँ
जो सूर्य के प्रकाश को लाइटिंग, पम्पिंग, संचार और प्रशीतन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले उपकरणों के लिए बिजली का निर्माण करती हैं| गैर- परंपरागत ऊर्जा स्रोत मंत्रालय (एमएनईएस) के प्रौद्योगिकी आधारित नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रमों में प्रमुख सौर ऊर्जा कार्यक्रम है| इस कार्यक्रम के तहत समाविष्ट किए गए क्षेत्रों में सौर थर्मल प्रौद्योगिकी (गर्म पानी की प्रणालियाँ, कुकर, ड्रायर, सौर, पासिव आर्किटेक्चर आदि), सौर फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी (लालटेन, फिक्स्ड सीस्टम, पंपसेट आदि) के साथ - साथ जानकारी के प्रचार-प्रसार, विपणन, उत्पदों का मानकीकरण और शोध एवं विकास शामिल हैं| इस कार्यक्रम को मुख्यता: सब्सिडी और तकनीकी सहयोग के रूप में सहायता प्रदान की जाती है|
वर्तमान में एमएनईएस द्वारा सौर फोटोवोल्टिक (और अन्य) उपकरणों का प्रचार निम्नलिखित एजेंसियों के माद्यम से किया जा रहा है (क) एमएनईएस की राज्य नोडल एजेंसियां (ख) गैर सरकारी संगठन/ सीबीओ (ग) एमएनईएस के प्राधिकृत आउटलेट (घ) स्थानीय उद्यमी
आज, विशेषकर कृषि क्षेत्र में, बिजली के मांग उसके उत्पादन से कहीं अधिक है| साथ ही अत्यंत तीव्र गति से बढ़ रहे कृषि उत्पादकता की मांग को पूरा करना बहुत ही कठिन हो रहा है| इस मांग का ऊर्जा के प्रत्यक्ष व परोक्ष इनपुटों के साथ अत्यंत गहन संबंध है| किसानों को लाभान्वित करने के लिए संबंध को मजबूत बनाने हेतु नीतियों का निर्धारण किया जाना आवश्यक है| यदि हम ग्रामीणों क्षेत्रों में विकास चाहते हैं तो इसके लिए समुचित ऊर्जा के इनपुटों का उपलब्ध कराया जाना नितांत आवश्यक है| इसके लिए यह आवश्यक है कि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों, विशेष रूप से सौर ऊर्जा, के विकास और उनके उपयोग के लिए समूचे देश में अतिरिक्त प्रयास किए जाएँ|
देश के दूर-सुदूर क्षेत्रों में अभी तक ग्रामणी इलेक्ट्रीफिकेशन का कार्य का पूरा नहीं हो पाया है| इन सुदूर क्षेत्रों में विशेष रूप से कृषि संबंधी आवश्कताओं को पूरा करने के लिए पावरग्रिड का विस्तार किया जाना सरकार के लिए बहुत अधिक मंहगा पड़ता है| छोटे और सीमांत किसानों को लाभान्वित करने के लिए, भु-जल संसाधनों के इष्टतम उपयोग किए जाने हेतु वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों के साथ सिंचाई और जल संरक्षण के लिए समन्वित दृष्टिकोण और सौर ऊर्जा पर चलने वाले पानी के पंपों की पद्धति महत्वपूर्ण होगी| विभिन्न घटकों में परस्पर सहयोग की आवश्यकता है और उसमें सरकार, वित्तीय संस्थाएँ, बैंक, गैर सरकारी संगठन तथा निजी क्षेत्रों का सहभाग हो| कृषि और ऊर्जा क्षेत्रों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत प्रक्रिया की रूपरेखा का महत्वपूर्ण मामला है|
ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत के अंतर्गत जैव- ईंधन, पवन चक्की, छोटे जल विद्युत, सौर फोटोवोल्टिक और सौर थर्मल प्रणालियों के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जा सकता है| सिंचाई क्षेत्र में पंपिंग और जल उद्वाहन के लिए सौर प्रौद्योगिकी उपयोगी है| सत्तर के दशक में सौर ऊर्जा के आधार पर पानी की पंपिंग की पद्धति ने काफी लोकप्रियता हासिल की थी| सौर ऊर्जा का उपयोग पंपों के परिचालान या तो थर्मल या सौर विकिरणों के हल्के हिस्से के उपयोग किया जा सकता है| सौर पंपों में मांग किए जाने पर ऊर्जा उपलब्ध नहीं होती| सौर ऊर्जा के निर्माण में प्रतिदिन होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण यह आवश्यक हो जाता है कि उस दिन बादल छाए हुए हों उस दिन पानी की कमी हो सकती है| किसी भी सिंचाई योजना की पानी की मांग में होने वाले उतार चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए, सौर ऊर्जा को बैटरियों के रूप में या पानी की टंकियों में पानी का संग्रहण किया जाए| सौर किरणों की तेजस्विता और फसलों के लिए पानी की आवश्यकता के एक दुसरे पर निर्भर होने के कारण पौधों की सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता के एक दुसरे पर निर्भर होने के कारण पौधों की सिंचाई के लिए जल उदवाहन हेतु सौर ऊर्जा की उपयुक्तता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता| जितनी धुप तेज होगी उतनी ही सिंचाई के लिए बिजली की आपूर्ति अधिक होगी जबकि बारिश के दिनों में सिंचाई संभव नहीं है, न ही आवश्यक है|
छोटे पैमाने पर की जाने वाली सिंचाई में सौर ऊर्जा के उपयोग की काफी संभाव्यता है| इसमें सबसे बड़ी सुविधा इस बात की है जब सूर्य की किरणें तीव्र होती हैं तब सिंचाई की आवश्यकता भी अधिक होती है| जहाँ उपयोग किया जाना है वहाँ सौर ऊर्जा उपलब्ध होती है| सौर ऊर्जा के कारण किसान ईंधन की आपूर्ति या विद्युत प्रसारण लाइनों के मामले से मुक्त हो जाते हैं| आने वाले दिनों में सौर ऊर्जा पर आधारित पंप, विकासशील देशों में छोटे पैमाने पर की जाने वाली सिंचाई के क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं| सौर ऊर्जा पर आधारित पंपों (फोटा वोल्टिक) की तकनीकी व्यवहार्यता स्थापित हो चुकी है| इन पंपों की अधिक लागत और इनकी तकनीक से परिचय न होना इनके प्रचार-प्रसार को सीमित कर देते हैं| इसके लिए तकनीशियनों का प्रशिक्षण और पर्याप्त तकनीकी सहायता के साथ बड़े पैमाने पर इन पंपों को स्थापित किए जाने के लिए सुगठित प्रयास किए जाने की आवश्यकता हैं|
तथापि, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रोत्साहन और प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों के दूर दराज के इलाकों में जहाँ बिजली मंहगी होती है वहाँ इस योजना का प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए|
इस मॉडल योजना का उदेश्य, सौर ऊर्जा पर आधारित पानी की पंपिंग को आरंभ करने और ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ बिजली उपलब्ध नहीं है या पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं है ऐसे क्षेत्रों में किसानों को धारणीय आर्थिक कार्यकलाप प्रदान करने के लिए सिंचाई योजनाओं की सहायता करना है| विशेष कर जहाँ बिजली नहीं है ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न एजेंसियां और वित्तीय संस्थाएँ कार्य कर रही है|
फोटोवोल्टिक सेल्स जिन्हें अक्सर सौर सेल्स कहा जाता है, वे सौर स्पेक्ट्रम (सूर्य का प्रकाश) रोशनी के हिस्से को बिजली में परिवर्तित कर देते हैं| वे विश्व में बहुत तेज गति से फैलने वाले ऊर्जा के स्रोत हैं| विकासशील देशों में बड़े पैमाने पर फोटोवोल्टिक सेल्स के निर्माण और निरंतर अनुसंधान और विकास के साथ फोटोवोल्टिक सेल्स का निर्माण को विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक संरचना में लाना अपेक्षित है|
सौर सेल्स, फोटोवोल्टिक प्रभाव के सिद्धांत के आधार पर कार्य करते हैं – वे प्रत्येक्ष सौर विकिरणों से ऊर्जा के अवशोषण के द्वारा सामग्री में ही चार्ज वाहक का निर्माण करते हैं| प्रत्येक्ष सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने में सौर की कार्यक्षमता, स्पेक्ट्रम की तीव्रता का प्रकाशन, निर्माण की सामग्री और सेल का ढाँचा, वायुमंडलीय तापमान तथा स्वच्छ आकाश पर निर्भर करती है| डीसी विद्युत मोटरों को चलाने में उपयोग में लाए जाने वाले सौर सेल्स की कार्यक्षमता 10 से 12 प्रतिशत होती है|
सौर सेल्स के निर्माण ने सामान्य रूप से सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है| अन्य सामग्री में कॉडमियम सल्फाइड और गैल्मियम आर्सनेट शामिल हैं| सौर सेल की संरचना में बहुत बड़ी प्रक्रिया शामिल है| वेफर फॉर्म के बाद संयोजन निर्माण, संपर्क निर्माण और सेल की सक्रिय परत पर परावर्तन रोधी लेप देना है| पैनल की बाहरी परत पर जो सूर्य के प्रकाश का अधिक प्रसारण प्रदान करता है ऐसे विशेष सन्तुलित कांच का संरक्षण होता है|
सौर सेल, कम वोल्टेज वाली बैटरी की तरह कार्य करता है जिसका चार्ज प्रत्येक्ष सौर विकिरण के अनुपात में निरंतर रूप से पुन: पूरा किया जाता हैं| इन सेल्स को समांतर आकृति विन्यास के क्रम में जोड़ने के परिणाम स्वरूप फोटोवोल्टिक मॉडयूल्स या अधिक विद्युत प्रवाह और वोल्टेज के साथ सौर सारणी तैयार होती है| सौर सारणी द्वारा विकसित बिजली पैनल के प्रति वर्ग मीटर से 120 वैट की श्रेणी में होती है| फोटोवोल्टिक बिजली का उपयोग डीसी बिजली मोटर तथा परंपरागत बिजली के उपकरणों में किया जा सकता है| सौर सारणी को साधारण फ्रेम में लगाया जाता है जिसमें सूर्य की स्थिति के अनुसार सारणी के हाथ से व्यवस्थित किया जा सकता है|
एसपीवी आधारित पंपसेट कम गहराई से अधिक जल प्रवाहित करते हैं और समान्यता: उनका उपयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहाँ पानी अपेक्षाकृत रूप से सामान्य स्तर पर उपलब्ध होता है| एसपीवी प्रणालियों के लिए संभाव्य जल जल संसाधन हैं, गढ़ा, पेन डग वेल्स, माध्यम ट्यूबवेल, डॉगिज, तालाब, खेतों में बनाए गए कुंड और नहरों नदियों का सतही जल|
सौर पंप इकाई में तत्वत: सौर सारणी, सीधे प्रवाह की इलेक्ट्रिक मोटर और पंपिंग इकाई है| अन्य घटकों में विद्युतीय नियंत्रण और सूर्य के समक्ष सारणी को व्यवस्थित करने की प्रणाली शामिल है| फोटोवोल्टिक प्रणाली के साथ कई प्रकार के पंपिंग सेटों का उपयोग किया जाता है जैसे निमज्जक डीसी विद्युत मोटर के साथ लंबरूप अपकेंद्री पंप या आड़े डीसी विद्युत मोटर के साथ मरगोल अपकेंद्री पंप|
तथापि, निमज्जक पंप इकाई फोटोवोल्टिक प्रणाली के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है| इस व्यवस्था से सेक्शन पाईप और फूट वाल्व को निकाल दिया जाता है, इसके परिणामस्वरूप पंपिंग इकाई की कार्यक्षमता बढ़ जाती है| सिलिकॉन कार्बाइड मेकनिकल सील द्वारा निमज्जक पंप को लीक –प्रूफ बनाया गया| वलयाकार पंप के के मामले में पंप के कार्यक्षमता के स्तर को ऊँचा रखने के लिए पंप के सेक्शन को 5 मी. तक सीमित रखने हेतु सावधानी बरती गई|
आने वाले विकिरणों और अन्य घटकों को तीव्रता के कारण सौर सारणी के आउटपुट में परिवर्तन होता है| इस कारण से परिवर्तनशील गति के डीसी मोटर के साथ पैनल के आउटपुट का मिलान/बराबर करना आवश्यक है| कम से कम फोटोवोल्टिक बिजली वाली पंपिंग सेटों में से एक की बनावट ऐसी होती है जो प्रणाली के एकात्मिक हिस्से के रूप में अधिकतम बिजली नियंत्रण का उपयोग करती है ताकि पैनल के बिजली के विविध आउटपुट के कारण पंप पर आने वाले भार के साथ मैच किया जा सके| फोटोवोल्टिक बिजली वाली पंपिंग सेटों के विनिर्माण में काफी वाणिज्यिक लाभ होता है| इस व्यवस्था का बिजली का आउटपुट, सौर सेल्स की संख्या और सूर्य के सीधे संपर्क में आने वाले पैनल के सतह क्षेत्र के अनुकूल सीधे अनुपात में होता है|
2-4 मी. के के सारणी क्षेत्र वाले सौर पंप से 15 से 50 मी.की गहराई से प्रति सेकेंड 6-8 लीटर पानी निकाला जाता है| इससे 1.5- 4 हेक्टेयर. भूमि की सिंचाई की जा सकती है जिस पर सामान्य सिंचाई आवश्यकता वाली फसलें ली जाती हैं या इससे भी बड़े क्षेत्र में रक्षात्मक सिंचाई की जा सकती है|
1800, 2200, 3000 और 5000 वैट पीक की डीसी सतह व्यवस्था के लिए सौर फोटोवोल्टिक प्रणाली
क्रम सं. विवरण
प्राधिकृत डीलर प्रणाली के साथ उपयोग संबंधी मैन्यूअल भी प्रदान करे| नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय/राज्य नवीकरणीय एजेंसियां सौर फोटोवोल्टिक पंपिंग परनाली के प्राधिकृत डीलरों को प्राधिकृत करती हैं|
क) घटक और तदनुरुपी लागत संबंधी विविरण अनुबंध- 1 में दिए गए हैं|
संयंत्र की स्थापना के बाद उसकी संतोषजनक शूरूआत के पश्चात् आरआरईसी के अधिकारी द्वारा उसका निरीक्षण किया गया| यह सुनिश्चित किया जाए की नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय/आईआरईडीए द्वारा दिए गए तकनीकी विनिर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए एसपीवी पंप की आपूर्ति की जाए|
ख) मार्जिन
बैंक लाभार्थी द्वारा लागत पर 10% मार्जिन लेकर वित्त प्रदान कर सकता है|
ग) नाबार्ड से पुनर्वित की मात्रा
नाबार्ड बैंक ऋण पर 100% तक पुनर्वित्त उपलब्ध करेगा|
जेएनएनएसएम कार्यक्रम के अंर्तगत नये नवीकरण योग्य ऊर्जा मंत्रालय ऑफ ग्रिड एप्लीकेशंस (सोलर वाटर पंपिंग) के लिए पूँजी लागत के 30% सब्सिडी उपलब्ध करता है| अतिरिक्त प्रोत्साहन भी राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध किया जा सकता है|
आपूर्तिकर्ता, 5 वर्षों की प्रारंभिक गारंटी के बाद लाभार्थी को वार्षिक रख रखाव कांट्राक्त उपलब्ध करेगा| सामान्य स्थिति के अंतर्गत सौर पैनल 20 वर्षों की संतोषजनक सेवा प्रदान करेगी, भले ही सेल उपरोक्त अवधि से भी ज्यादा चलेगा| कांच के द्वारा अधिकतम प्रकाश संचार को रखने के लिए समय-समय पर सिर्फ सफाई की आवश्यकता होगी| बाहरी माध्यमों से पैनल की टूट-फूट से बचाव प्रदान करना होगा| कुछ निर्माताओं ने अटूट कांच से सेल/अर्रे को सुरक्षा दे रहे है| मोटर और पंप को सफाई, तेल डालना और टूटे फूटे पूर्जों को बदलने जैसे साधारण आवधिक रखरखाव की आवश्यकता होगी|
जीवन चक्र और अंतिम लाभार्थी के लिए लागत की दृष्टि से, परंपरागत प्रणालियों किन तुलना में एसपीवी प्रणाली लागत प्रभावी है| इसके लिए अतिरिक्त, ग्रिड से अपने खेती तक विद्युत तार खींचने की पूँजी निवेश से किसान बचता है| राज्य विद्युत ग्रिड के अंतर्गत कृषि क्षेत्र के सभी को नेटवर्क करना अलाभकर होगा| इस तरह सरकार भी अधिक संसाधनों की बचत कर सकता है|
ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत विद्युत प्रणाली की तुलना में एसपीवी अधिक विश्वसनीय, लगातार और पूर्वानुमान विद्युत विकल्प है|
धुप जो एसपीवी प्रणाली का ईंधन स्रोत है, वह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, जो अनंत, विश्वसनीय और मुफ्त ऊर्जा स्रोत है| अत: एसपीवी प्रणाली के कोई मासिक ईंधन बिल नहीं है|
यह प्रणाली कम सर्विसिंग में और ईंधन के बिना परिचालित होगी, जिससे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोकप्रियता रही| इसलिए इसके परिचालन और रख रखाव की लागत बहुत कम है| आपूर्तिकर्त्ता कम वार्षिक संविदा ड्रोन पर रख रखाव उपलब्ध करते हैं|
एसपीवी प्रणाली स्थानीय संसाधन-धुप का उपयोग करता है| यह अधिक ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा तक पहुँच का नियंत्रण उपलब्ध करता है|
जैसा कि एसपीवी प्रणाली, मॉडयूलर प्रकृति की है वे आसानी से टुकड़ों/घटकों में परिवहन से भेजा जा सकता है और क्षमता की वृद्धि के लिए आसानी से विस्तार किया जा सकता है|
सौर ऊर्जा निस्संदेह ही एक प्रभावी ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रम है और ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रीकरण पीवी-सृजन शक्ति प्रदान के साधन उपलब्ध करता है| सौर पंप ऊर्जा की दृष्टि से कार्यक्षम हैं और विकेंद्रीकृत प्रणाली होने के कारण अनावश्यक व्यय से बचा जा सकता है|
एसपीवी सेट्स अत्यधिक अल्पव्यय होगा जब पानी संरक्षण तकनीक के साथ जोड़ा जाए, जैसे बिन्दु सिंचाई और रात के समय पानी वितरण (दिन के समय पंपों और भंडारण) आदि| दुर्लभ भूमिगत जल का सर्वोत्कृष्ट उपयोग एसपीवी प्रणाली से संभव होगा|
ईंधन के रूप में धुप के उपयोग से स्वच्छ, पर्यावरण स्नेही और ऊर्जा का विकेंद्रीकरण सृजन होगा जिससे जीवाश्म ईंधन की बचत होगी, नवीनीकरण का नियंत्रण और पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम होगी|
एसपीवी पंपिंग प्रणाली की आर्थिक व्यवहार्यता जानने के लिए, निवल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) और आन्तरिक प्रतिफल दर (आईआरआर) की गणना की गई है|
लागत और आर्थिक विविरण निम्नानुसार है:
क्रमांक |
मॉडल्स |
प्रणाली की कूल लागत |
लागत (सब्सिडी की निवल रू.) |
लाभ (वृद्धिशील आय रू.) |
बीसीआर |
आईआरआर (%) |
1. |
मॉडल (1800 डब्ल्यूपी) डब्ल्यूपी – 1.5 हापा/एचपी |
308320 |
184992
|
39587 |
1.00 |
15.04 |
2. |
मॉडल II – (2200डब्ल्यूपी /2 हापा) |
347200 |
208320 |
44833 |
1.00 |
15.20 |
|
मॉडल III – (3000डब्ल्यूपी /3 हापा) |
558400 |
335040 |
72019 |
1.00 |
15.14 |
|
मॉडल IV – (5000डब्ल्यूपी /4 हापा) |
767200 |
460320 |
98729 |
1.00 |
15.06 |
अनुमान
10. वर्तमान ब्याज दर के अनुसार, आर्थिक व्यवहार्यता निर्धारित करने के लिए ब्याज दर को 12% माना गया है|
अनुबंध I से V में मॉडल वार आर्थिक गणना का विविरण दिया गया है|
योजना क्षेत्र में एजेंसियों/आपूर्तिकर्त्ताओं द्वारा पर्याप्त विस्तार सेवाएँ उपलब्ध कराएँ| लाभार्थियों आधुनिक खेती प्रथाओं को अपनाएं और नकदी फसलों और अधिक लाभप्रद फसलों पर बल देने वाले फसल विविधिकरण को अपनाएं| राज्य सरकार के स्थानीय कृषि विस्तार सेवा प्रदान करने वाले विभागों की मार्गदर्शन लें|
प्रायोजक बैंक/ आपूर्तिकर्त्ता की तकनीकी अधिकारी पर्यवेक्षण और कार्यान्वयन की देख रेख करें और जहाँ भी आवश्यकता पड़ने पर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करें| उक्त के अतिरिक्त संबंधित अधिकारीयों द्वारा एसपीवी पंपसेट स्थापना और पर्यवेक्षण भी करें|
ऋण चुकौती अवधि एक वर्ष छूट के साथ 20 वर्षों की होगी| लाभार्थी यदि चाहे तो, अवधि से पूर्व ब्याज के साथ ऋण किस्त चुका सकता है|
विशेष नियम और शर्तें – लघु सिंचाई योजनाएँ
क. एसपीवी पंपसेट
1.) भूमिगत जल विकास : बैंक यह सुनिश्चित करें कि भूमिगत हाल विकास कार्यक्रमों को सुनिश्चित और सेमी-क्रिटिकल ब्लोक्स में कार्यान्वित किया जाए, और ऋण सुविधा देने से पूर्व राज्य सरकार विभाग से तकनीकी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा|
अन्तराल
दो कूओं के बीच राज्य सरकार की संबंधित विभाग द्वारा निर्धारित न्यूनतम अन्तराल मानदंड को पालन किया जाए|
2.) न्यूनतम प्रति एकड़ और पानी की विक्रय
यह आवश्यक है कि निर्धारित अवधि में ऋण चुकौती और निवेशों की व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थी निम्न लिखित न्यूनतम भूमि की क्षेत्र को सिंचाई के अंर्तगत लाना सुनिश्चित करना होगा|
ढाँचा की प्रकार लाभान्वित क्षेत्र (हे.)
एसपीवी के साथ डगवेल 1.0
(क) एसपीवी के साथ बोरवेल 1.6
(ख) एसपीवी के शेलो ट्यूब वेल 2.0
यदि लाभार्थी की स्वत: सिंचित कुँआ/बोरवेल द्वारा सिंचित क्षेत्र से कम होने पर लाभार्थी अतिरिक्त पानी को निकटवर्ती खेतों को बेच सकती है| पानी को बेचने की आय, यदि गारंटीड होने पर ऋण चुकौती किस्त की 50% की अधिकतम सीमा तक निवेशों की व्यवहार्यता की उद्देश्य के लिए गणना की जाएगी|
3.) पंपसेटों का चयन और स्थापना
(क) बैंक योजना के अंतर्गत वित्तपोषित एसपीवी नामी डीलर्स द्वारा आपूर्ति सुनिश्चित
(ख) योजना के अंतर्गत वित्तपोषित सेकेंड हैण्ड पंपसेटों के मामले में, यदि हो, बैंक अपने तकनीकी अधिकारी से प्रमाण पत्र प्राप्त करें कि सेकेंड हैण्ड पंपसेट की उपयोगी शेष सेवा योग्य काल पंप सेट के लिए ली गई ऋण चुकौती अवधि के लिए पर्याप्त रहें|
(ग) जहाँ भी प्रचलित पंपसेट के स्थान पर नये पंपसेट के इए ऋण दी जा रही है, वहाँ बैंक यह सुनिश्चित करें कि पंपसेट की हार्स पावर में कोई परिवर्तन न रहें|
(घ) पंप सेटों के लिए वित्त पोषण देने के समय ऊपर 2 में उल्लेखित अंतर रखने संबंधी मानदंडों को बैंक सुनिश्चित करें|
4.) विक्रय के बाद सेवा
लाभार्थियों को कुओं में एसपीवी पंपसेट लगाने वाले उत्पादक कर्त्ताओं/डीलर्स द्वारा पर्याप्त विक्रय के बाद सेवाओं और मरम्मत सुविधाओं उपलब्ध करना के बारे में बैंक सुनिश्चित करें और उक्त सेवा बिना प्रभार का स्थापना के प्रथम पांच वर्षों के दौरान उपलब्ध रहें|
(क) जहाँ भी राज्य/केंद्र सरकार या किसी अन्य सब्सिडी योजना किसी कार्यक्रम के अंतर्गत सब्सिडी उपलब्ध होने पर बैंक पुनर्वित की निवल सब्सिडी लें|
नाबार्ड से पुनर्वित दावा मांगते समय बैंक वित्त पोषित की गई विभिन्न इकाईयों के ब्लॉक –वार विविरण दें|
अनुबंध – I
सोलर फोटोवोल्टिक पंपसेट पर मॉडल योजना – घटक
क्र. सं |
विविरण |
मॉडल – 1 – 1800 डब्ल्यूपी |
मॉडल – 2 – 2200 डब्ल्यूपी |
मॉडल – 3 – 3000 डब्ल्यूपी |
मॉडल – 4 – 5000 डब्ल्यूपी |
||||
संख्या |
लागत |
संख्या |
लागत |
संख्या |
लागत |
संख्या |
लागत |
||
क |
घटक |
|
|
|
|
|
|
|
|
1 |
एसपीवी मॉडयूल |
8 |
107600 |
10 |
13200 |
14 |
180000 |
24 |
300000 |
2 |
पंपसेट |
1.5 एचपी |
65000 |
2.0 एचपी |
6500 |
3.0 एचपी |
146000 |
4.0 एचपी |
180000 |
3 |
माउन्टटिंग संरचना |
|
35000 |
|
40000 |
|
65000 |
|
85000 |
4 |
केबल व तार |
|
9000 |
|
12000 |
|
18000 |
|
18000 |
5 |
कंट्रोलर |
|
20000 |
|
20000 |
|
36000 |
|
36000 |
6 |
सेक्शन व डिलीवरी पाइपें |
|
12000 |
|
12000 |
|
12000 |
|
12000 |
7 |
स्थापना व सिविल कार्य @ 7.5% |
|
18645 |
|
21075 |
|
34275 |
|
47325 |
8 |
रख रखाव – 5 वर्ष @ 2.5% प्रतिवर्ष |
|
31075 |
|
35125 |
|
57125 |
|
78875 |
9 |
विविध (एकमुश्त) |
|
10000 |
|
10000 |
|
10000 |
|
10000 |
|
कुल (रू.) |
|
308320 |
|
347200 |
|
558400 |
|
767200 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
ख |
5वें वर्ष के बाद से वार्षिक रख-रखाव @ 2.5% प्रति वर्ष |
|
6215 |
|
7025 |
|
11425 |
|
15775 |
ग |
फसल पद्धति में परिवर्तन और फसल सघनता को बढ़ाने से वृद्धिशील लाभ |
|
39587 |
|
44833 |
|
72019 |
|
98729 |
|
कृषि के लिए आवश्यक भूमि (न्यूनतम) |
|
0.83 |
|
0.94 |
|
1.51 |
|
2.07 |
मॉडल 1 (1.5 एचपी एसपीवी पंपसेट के साथ 1800 डब्ल्यूपी)
अनुबंध – II
विविरण |
वर्ष 0 |
वर्ष 1 |
वर्ष 2 |
वर्ष 3 |
वर्ष 4 |
वर्ष 5 |
वर्ष 6 |
वर्ष 7 |
वर्ष 8 |
वर्ष 9 |
वर्ष 10 |
बहिर्गमन (आउटफ्लो) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
(क) पूंजीगत लागत |
184992 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
(ख) आवर्ती लागत |
|
0 |
0 |
0 |
0 |
6215 |
6215 |
6215 |
6215 |
6215 |
6215 |
कुल नकद बहिर्गमन |
184992 |
0 |
0 |
0 |
0 |
6215 |
6215 |
6215 |
6215 |
6215 |
6215 |
अंतर्प्रवाह (आगमन) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
वृद्धिशील लाभ |
0 |
39587 |
39587 |
39587 |
39587 |
39587 |
39587 |
39587 |
39587 |
39587 |
39587 |
निवल लाभ |
-84992 |
39587 |
39587 |
39587 |
39587 |
33372 |
33372 |
33372 |
33372 |
33372 |
33372 |
एनपीडब्ल्यूबी |
172763 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीएब्ल्यूसी |
172556 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीवी @15% डीएफ |
207 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
बीसीआर @ 15% डीएफ |
1.00 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
आईआरआर @ 15% डीएफ |
15.04 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
चुकौती अनुसूची और ब्याज के भुगतान की गणना 12%
ब्याज दर चुकौती अवधि – 10 वर्ष जिसमें 01 वर्ष की उत्पादन पूर्व
अवधि शामिल है
(राशि रूपये में)
वर्ष |
संवितरण |
सब्सिडी |
बकाया |
चुकौती |
||||
|
|
|
मूलधन |
ब्याज |
कुल |
मूलधन |
ब्याज |
कुल |
|
|
|
|
|
||||
0 |
166439 |
0 |
166493 |
0 |
166493 |
0 |
0 |
0 |
1 |
|
|
166493 |
19979 |
186472 |
18499 |
19979 |
38478 |
2 |
|
|
147994 |
17759 |
165753 |
18499 |
17759 |
36258 |
3 |
|
|
129495 |
15539 |
145034 |
18499 |
15539 |
34038 |
4 |
|
|
110996 |
13320 |
124316 |
18499 |
13320 |
31819 |
5 |
|
|
92497 |
11100 |
103597 |
18499 |
11100 |
29599 |
6 |
|
|
73998 |
8880 |
82878 |
18499 |
8880 |
27379 |
7 |
|
|
55499 |
6660 |
62159 |
18499 |
6660 |
25159 |
8 |
|
|
37000 |
4440 |
41440 |
18499 |
4440 |
22939 |
9 |
|
|
18501 |
2220 |
20721 |
18501 |
2220 |
20721 |
डीएससीआर 1.39
मॉडल – II (2200 2 एचपी एसपीवी पंपसेट के साथ डब्ल्यूपी)
आर्थिक अनुबंध अनुबंध – III
विविरण |
वर्ष 0 |
वर्ष 1 |
वर्ष 2 |
वर्ष 3 |
वर्ष 4 |
वर्ष 5 |
वर्ष 6 |
वर्ष 7 |
वर्ष 8 |
वर्ष 9 |
वर्ष 10 |
बहिर्गमन (आउट फ्लो) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
(क) पूंजीगत लागत |
208320 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
(ख) आवर्ती लागत |
|
0 |
0 |
0 |
0 |
7025 |
7025 |
7025 |
7025 |
7025 |
7025 |
कूल नगद बहिर्गमन |
208320 |
0 |
0 |
0 |
0 |
7025 |
7025 |
7025 |
7025 |
7025 |
7025 |
अंतर्प्रवाह (आगमन) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
वृद्धिशील लाभ |
0 |
44833 |
44833 |
44833 |
44833 |
44833 |
44833 |
44833 |
44833 |
44833 |
44833 |
निवल लाभ |
208320 |
44833 |
44833 |
44833 |
44833 |
37808 |
37808 |
37808 |
37808 |
37808 |
37808 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीडब्ल्यूबी |
195658 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीडब्ल्यूसी |
194366 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीवी @15% डीएफ |
1292 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
बीसीआर @ 15% डीएफ |
1.01 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
आईआरआर @ 15% डीएफ |
15.20% ड्यूल & |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
चुकौती अनुसूची और ब्याज के भुगतान की गणना
(राशि रूपए में)
वर्ष |
संवितरण |
सब्सिडी |
बकाया |
चुकौती |
||||
|
|
|
मूलधन |
ब्याज |
कुल |
मूलधन |
ब्याज |
कुल |
|
|
|
|
|
||||
0 |
187488 |
0 |
187488 |
0 |
187488 |
0 |
0 |
0 |
1 |
|
|
187488 |
22499 |
200087 |
20832 |
22499 |
43331 |
2 |
|
|
166656 |
19999 |
186655 |
20832 |
19999 |
40831 |
3 |
|
|
145824 |
17499 |
163323 |
20832 |
17499 |
38331 |
4 |
|
|
124992 |
14999 |
139991 |
20832 |
14999 |
35831 |
5 |
|
|
104160 |
12499 |
116559 |
20832 |
12499 |
33331 |
6 |
|
|
83328 |
9999 |
93327 |
20832 |
9999 |
30831 |
7 |
|
|
62696 |
7500 |
69996 |
20832 |
7500 |
28332 |
8 |
|
|
41664 |
5000 |
46664 |
20832 |
5000 |
25832 |
9 |
|
|
20832 |
2500 |
23332 |
20832 |
2500 |
23332 |
डीएससीआर 1.24
मॉडल – III ( 3 एचपी एसपीवी पंप के साथ 3000 डब्ल्यूपी)
आर्थिकी
अनुबंध- IV
विविरण |
वर्ष 0 |
वर्ष 1 |
वर्ष 2 |
वर्ष 3 |
वर्ष 4 |
वर्ष 5 |
वर्ष 6 |
वर्ष 7 |
वर्ष 8 |
वर्ष 9 |
वर्ष 10 |
बहिर्गमन (आउट फ्लो) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
(क) पूंजीगत लागत |
335040 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
(ख) आवर्ती लागत |
|
0 |
0 |
0 |
0 |
|
|
|
|
|
|
कूल नगद बहिर्गमन |
335040 |
0 |
0 |
0 |
0 |
|
|
|
|
|
|
अंतर्प्रवाह (आगमन) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
वृद्धिशील लाभ |
0 |
72019 |
72019 |
72019 |
72019 |
72019 |
72019 |
72019 |
72019 |
72019 |
72019 |
निवल लाभ |
-335040 |
72019 |
72019 |
72019 |
72019 |
60594 |
60594 |
60594 |
60594 |
60594 |
60594 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीडब्ल्यूबी |
314301.5 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीडब्ल्यूसी |
312835.9 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीवी @15% डीएफ |
1465.56 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
बीसीआर @ 15% डीएफ |
1,004685 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
आईआरआर @ 15% डीएफ |
0.151381 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
चुकौती अनुसूची और ब्याज के भुगतान की गणना
वर्ष |
संवितरण |
सब्सिडी |
बकाया |
चुकौती |
||||
|
|
|
मूलधन |
ब्याज |
कुल |
मूलधन |
ब्याज |
कुल |
|
|
|
|
|
||||
0 |
301536 |
0 |
301536 |
0 |
301536 |
0 |
0 |
0 |
1 |
|
|
301536 |
36184 |
337720 |
33504 |
36184 |
69688 |
2 |
|
|
268032 |
32164 |
300196 |
33504 |
32164 |
65688 |
3 |
|
|
234528 |
28143 |
262671 |
33504 |
28164 |
61647 |
4 |
|
|
201024 |
24123 |
225147 |
33504 |
24123 |
57627 |
5 |
|
|
167520 |
20102 |
187622 |
33504 |
20102 |
53606 |
6 |
|
|
134016 |
16082 |
150098 |
33504 |
16082 |
49586 |
7 |
|
|
100512 |
12061 |
112573 |
33504 |
12061 |
45565 |
8 |
|
|
67008 |
8041 |
75049 |
33504 |
8041 |
41545 |
9 |
|
|
33504 |
4020 |
37524 |
33504 |
4020 |
37524 |
मॉडल – IV ( 4 एचपी एसपीवी पंप के साथ 5000 डब्ल्यूपी)
आर्थिकी
अनुबंध - V
विविरण |
वर्ष 0 |
वर्ष 1 |
वर्ष 2 |
वर्ष 3 |
वर्ष 4 |
वर्ष 5 |
वर्ष 6 |
वर्ष 7 |
वर्ष 8 |
वर्ष 9 |
वर्ष 10 |
बहिर्गमन (आउट फ्लो) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
(क) पूंजीगत लागत |
460320 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
(ख) आवर्ती लागत |
|
0 |
0 |
0 |
0 |
15775 |
15775 |
15775 |
15775 |
15775 |
15775 |
कूल नगद बहिर्गमन |
460320 |
0 |
0 |
0 |
0 |
15775 |
15775 |
15775 |
15775 |
15775 |
15775 |
अंतर्प्रवाह (आगमन) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
वृद्धिशील लाभ |
0 |
98729 |
98729 |
98729 |
98729 |
98729 |
98729 |
98729 |
98729 |
98729 |
98729 |
निवल लाभ |
460320 |
98729 |
98729 |
98729 |
98729 |
82954 |
82954 |
82954 |
82954 |
82954 |
82954 |
एनपीडब्ल्यूबी |
430867.8 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीडब्ल्यूसी |
429959.8 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
एनपीवी @15% डीएफ |
908.0141 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
बीसीआर @ 15% डीएफ |
1.002112 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
आईआरआर @ 15% डीएफ |
0.150623 |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
चुकौती अनुसूची और ब्याज के भुगतान की गणना
(राशि रूपयों में)
वर्ष |
संवितरण |
सब्सिडी |
बकाया |
चुकौती |
||||
|
|
|
मूलधन |
ब्याज |
कुल |
मूलधन |
ब्याज |
कुल |
|
|
|
|
|
||||
0 |
414288 |
0 |
414288 |
0 |
414288 |
0 |
0 |
0 |
1 |
|
|
414288 |
49715 |
464003 |
46032 |
49715 |
95747 |
2 |
|
|
368256 |
44191 |
412447 |
46032 |
44191 |
90223 |
3 |
|
|
322224 |
38667 |
360891 |
46032 |
38667 |
84699 |
4 |
|
|
276192 |
33143 |
309335 |
46032 |
33143 |
79175 |
5 |
|
|
230160 |
27619 |
257779 |
46032 |
27619 |
73651 |
6 |
|
|
184128 |
22095 |
206223 |
46032 |
22095 |
68127 |
7 |
|
|
138096 |
16572 |
154668 |
46032 |
16572 |
62604 |
8 |
|
|
92064 |
11048 |
103112 |
46032 |
11048 |
57080 |
9 |
|
|
46032 |
5524 |
51556 |
46032 |
5524 |
51556 |
फार्म मॉडल (1 हेक्टे)
अनुबंध – VI
ए. कृषि आय में वृद्धि
फसलें (प्रति 1 हेक्टे.) |
पैदावार (क्यू/हेक्टे) |
दर (रू./क्यू) |
उप उत्पादन की पैदावार (क्यू/हेक्टे) |
उप उत्पादन की पैदावार (रू./क्यू) |
कूल आय (रू) |
फसल की लागत (रू./क्यू) |
अधिशेष (रू.) |
फसल के अंतर्गत (हेक्टे) |
कूल अधिशेष (रू.) |
खरीफ (विकास के पूर्व) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
मक्का |
16.00 |
980.00 |
50.00 |
60.00 |
18680 |
7500 |
11180 |
0.02 |
224 |
उड़द |
5.00 |
3400.00 |
5.00 |
20.00 |
17100 |
9402 |
7698 |
0.07 |
539 |
सोयाबीन |
14.00 |
2100.00 |
15.00 |
25.00 |
29775 |
11000 |
18775 |
0.32 |
6008 |
ज्वार |
12.00 |
980.00 |
50.00 |
60.00 |
14760 |
7500 |
7260 |
0.24 |
1742 |
मूंगफली |
18.00 |
2500.00 |
5.00 |
20.00 |
45100 |
10000 |
35100 |
0.05 |
1755 |
रब्बी (विकास के पूर्व) |
|
|
|
|
|
|
|
0.70 |
10268 |
राई |
8.50 |
2500.00 |
22.00 |
50.00 |
22350 |
8500 |
13850 |
0.20 |
2770 |
चना |
8.00 |
2700.00 |
5.00 |
20.00 |
21700 |
6700 |
15000 |
0.04 |
600 |
धनिया |
5.50 |
4200.00 |
4.00 |
25.00 |
23200 |
3500 |
19700 |
0.05 |
985 |
गेहूं |
28.00 |
1120.00 |
30.00 |
100.00 |
34360 |
9850 |
24510 |
0.01 |
245 |
|
|
|
|
|
|
|
|
0.30 |
4600 |
खरीफ (विकास पूर्व) |
|
|
|
|
विकास पूर्व कुल अधिशेष |
1.00 |
14868 |
||
मक्का |
24.00 |
980.00 |
55.00 |
60.00 |
26820 |
9000 |
17820 |
0.05 |
891 |
उड़द |
8.50 |
3400.00 |
5.00 |
20.00 |
29000 |
10000 |
19000 |
0.14 |
2660 |
मूंगफली |
20.00. |
2400.00 |
8.00 |
20.00 |
48160 |
11000 |
37160 |
0.04 |
1486 |
सोयाबीन |
22.00 |
2100.00 |
20.00 |
25.00 |
46700 |
11800 |
34900 |
0.65 |
22685 |
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रब्बी (विकास पूर्व) |
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गेहूं |
40.00 |
1120.00 |
70.00 |
100.00 |
51800 |
12000 |
39800 |
0.16 |
6368 |
राई |
15.00 |
2500.00 |
25.00 |
50.00 |
38750 |
9500 |
29250 |
0.45 |
13163 |
चना |
18.00 |
2700.00 |
5.00 |
20.00 |
48700 |
8000 |
40700 |
0.10 |
4070 |
धनिया |
10.00 |
4200.00 |
4.00 |
25.00 |
42100 |
4500 |
37600 |
0.15 |
5640 |
संतरा |
60.00 |
1000.00 |
0.00 |
0.00 |
60000 |
20000 |
40000 |
0.14 |
5600 |
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1.00 |
34841 |
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विकास के पश्चात कुल अधिशेष |
1.88 |
62563 |
विकास के पश्चात कुल अधिशेष 62563
विकास पूर्व कुल अधिशेष 14868
निवल अधिशेष 47695
निवल अधिशेष रू. लाख में 0.477
अधिक जानकारी के लिए नाबार्ड के नजदीकी शाखा से संपर्क करें|
स्रोत : नाबार्ड बैंक
अंतिम बार संशोधित : 3/4/2020
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