स़्मॉग टॉवर की आवश्यकता
देश-विदेश के महानगरों में प्रदूषण होना एक आम बात थी पर यह समस्या अब काफी बड़ी हो गई है। जीवन को गंभीर स्तर तक नुकसान पहुंचाने की स्थिति में पहुंच गई है। देश की राजधानी और कुछ महानगरों में प्रदूषित हवा के आंकड़ों के बीच इसके प्रभावों को कम करने के लिए जारी प्रयासों के बीच स्मॉग टॉवर के उपायों पर भी मंथन जारी है। चीन सहित विश्व के कुछ बड़े महानगरों में इसके सफलतम प्रयोग किये गये हैं।
इस प्रदूषित हवा से लोगों को सांस संबंधी विभिन्न प्रकार की बीमारियों के साथ ही गले और आंखों में एलर्जी होने जैसी समस्याएं अब नई नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए स्मॉग टॉवर लगाने का सुझाव दिया। तो आइए जानते हैं, कि क्या है स्मॉग टॉवर।
क्या है स्मॉग टॉवर ?
स्मॉग टॉवर एल्युमिनियम से बना करीब 7 मीटर ऊंचा टॉवर होता है, जो वातावरण में मौजूद पीएम 10 और पीएम 2.5 जैसे हानिकारक कणों को सोख लेता है। ये टॉवर एक घंटे में लगभग 30 हजार क्यूबिक मीटर हवा को शुद्ध करता है। टॉवर द्वारा अवशोषित कार्बन का उपयोग हीरे के क्रिस्टल बनाने में किया जा सकता है और काफी कम ऊर्जा की खपत करते हैं। हालाकि टॉवर सौर ऊर्जा पर भी कार्य करते
हैं।
स्टार्ट अप इंडिया के अंतर्गत तैयार होगा स्मॉग टॉवर
चीन का उदाहरण- एक केस अध्ययन
एक समय था जब चीन वायु प्रदूषण के भयावह दौर से गुजर रहा था। चीन का बीजिंग दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार था, लेकिन चीन के शासन और प्रशासन के साथ जनता ने भी वायु प्रदूषण को कम करने के गंभीर प्रयास प्रारंभ किये और उसकी सफलता के लिए नई नीतियां और कानून बनाए गए। अनिवार्यता के साथ इनका पालन किया गया और बीजिंग की वायु गुणवत्ता में काफी सुधार आया और अब विश्व के टॉप 10 प्रदूषित शहरों में भी बीजिंग का नाम शामिल नहीं है। वायु प्रदूषण के जंग के लिए चीन में ही सबसे पहले स्मॉग टॉवर भी लगाया गया था, जिसका काफी सकारात्मक परिणाम रहा था।
भारत के लिए गंभीर चुनौती क्यों?
भारत के लिए वायु प्रदूषण गंभीर चुनौती है। विकासशील अर्थव्यवस्था, शहरी बसावट अनियंत्रित विस्तार, परिवहन की सस्ती प्रणाली का अभाव, जन जागरुकता के बीच पर्यावरण शुद्धता के विषय पर गंभीरता न होना जैसे कई अन्य कारणों ने इस समस्या के समाधान को थोड़ा मुश्किल कर दिया है।
इसलिए समस्या की गंभीरता को देखते हुए भारत की राजधानी दिल्ली में भी स्मॉग टॉवर लगाए जाने हैं, जो स्टार्ट अप इंडिया के तहत तैयार किये जाएंगे। हालाकि अभी दिल्ली की कुरीन सिस्टम्स नामक एक कंपनी ने करीब 40 फुट लंबा एयर प्यूरीफायर बनाया है, जो तीन किलोमीटर के दायरे में प्रतिदिन 3.2 करोड घन मीटर हवा को स्वच्छ करने करीब 75000 लोगों को साफ हवा दे सकता है। कंपनी के सह संस्थापक संस्थापक पवनीत सिंह पुरी को दुनिया के सबसे लंबे और साथ ही सबसे मजबूत प्यूरीफायर के लिए पेटेंट मिला है।
एयर प्यूरीफायर की शुरुआत
स्मॉग टॉवर का पहला प्रोटोटाइम नीदरलैंड्स के डैन रूजगार्डे ने बनाया था जिसे सबसे पहले वर्ष २०१६ में चीन के बीजिंग के लगाया गया था। अब विश्व के कई अन्य देशों में भी विशालकाय वैक्यूम क्लीनर यानी टॉवर प्यूरीफायर लगाए जा चुके हैं लेकिन बीते वर्ष ही चीन ने विश्व का सबसे ऊंचे स्मॉग टॉवर लगाकर उसका परीक्षण भी किया था। विदित हो कि डैन रूजगार्डे ने हवा को साफ करने वाली साइकिल भी बनाई है।
स्त्रोत: हिमांशु भट्ट, इंडिया वाटर पोर्टल