पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियां- 2015
भूमिका
वर्ष 2015 के दौरान पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:
पेरिस में सीओपी 21: जलवायु न्याय की दिशा में कार्य
- भारत पेरिस समझौते में अपने हितों तथा विकासशील देशों के हितों की रक्षा करने में सक्षम हुआ।
- पेरिस समझौते ने एक स्वर से जलवायु न्याय की अनिवार्यता को स्वीकार किया और खुद को समानता एवं आम लेकिन विभेदकारी जिम्मेदारियों के सिद्धांतों पर आधारित किया।
- यह समझौता भारत एवं अन्य विकासशील देशों की विकास अनिवार्यताओं को स्वीकार करता है।
- सरकार द्वारा स्थापित भारतीय पंडाल ने विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकारों, जलवायु परिवर्तन में राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत मिशनों, उद्योगों, सिविल सोसाइटियों, एनजीओ आदि द्वारा उठाये गये कदमों को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने भारतीय पंडाल का उद्घाटन किया और भारत की संस्कृति एवं जलवायु अनुकूल सतत प्रचलनों पर एक पुस्तक ‘परंपरा’ का अनावरण किया।
- व्यापक एवं संतुलित आईएनडीसी प्रस्तुत की गई जिसमें अनुकूलन, लघुकरण, वित्त की आवश्यकता, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण शामिल हैं।
- परंपराओं एवं संरक्षण तथा मितव्ययिता के मूल्यों पर आधारित एक स्वस्थ एवं जीने के एक निर्वहनीय मार्ग का और अधिक प्रतिपादन करना।
- एक जलवायु अनुकूल एवं स्वच्छ रास्ता अपनाना, बजाये इसके कि आर्थिक विकास के समान स्तर पर अन्य लोगों द्वारा अपनाये जा रहे रास्तों का अनुसरण करना।
- उत्सर्जन सघनता को 2005 के स्तर से कम करके 2030 तक जीडीपी के 33 से 35 प्रतिशत तक घटाना।
- हरित जलवायु कोष (जीसीएफ) समेत निम्न लागत अंतर्राष्ट्रीय वित्त एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की मदद से 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40 प्रतिशत संचयी विद्युत ऊर्जा स्थापित क्षमता को अर्जित करना।
- 2030 तक अतिरिक्त वन एवं वृक्ष आच्छादन के जरिये 2.5 से 3 अरब टन सीओ2 के अनुरूप एक अतिरिक्त कार्बन सिंक का सर्जन करना।
- कृषि, जल संसाधन हिमालयी क्षेत्र, तटीय क्षेत्र, स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में विकास कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाने के जरिये जलवायु परिवर्तन के प्रति बेहतर अनुकूलन।
- घरेलू एवं विकसित देशों से नये एवं अतिरिक्त कोषों को जुटाना जिससे कि आवश्यक संसाधन एवं संसाधन अंतराल को देखते हुए उपरोक्त लघुकरण एवं अनुकूलन योजनाओं को क्रियान्वित किया जा सके।
- भारत में अत्याधुनिक जलवायु पौद्योगिकी के त्वरित विस्तार के लिए क्षमता निर्माण, घरेलू संरचनाओं एवं अंतर्राष्ट्रीय ढांचे का सृजन करना और भविष्य की ऐसी प्रौद्योगिकी के लिए संयुक्त सहयोगपूर्ण अनुसंधान एवं विकास का निर्माण करना।
- साइंस एक्सप्रेस क्लाईमेट एक्शन स्पेशल (एसईसीएएस) रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाई गई; जलवायु परिवर्तन विज्ञान की समझ को बढ़ाने की दशा में यह योगदान देगी; यह रेलगाड़ी देश भर में लगभग 20 राज्यों में 64 स्थानों पर रुकेगी।
प्रदूषण घटाने की पहल
- प्रधानमंत्री ने अप्रैल 2015 में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का शुभारम्भ किया जो प्रारम्भ में 14 राज्यों को वायु गुणवत्ता सूचना प्रसारित करेगी। एक्यूआई के पास वायु गुणवत्ता के छह वर्ग होंगे जैसे अच्छा, संतोषजनक, मामूली प्रदूषित, निम्न, बेहद खराब तथा विशिष्ट रंग योजना के साथ सघन। इनमें से प्रत्येक वर्ग संभावित स्वास्थ्य प्रभावों के साथ जुड़ा है। एक्यूआई आठ प्रदूषकों (पीएम10, पीएम2.5, एनओ2, एसओ2, सीओ, ओ3, एनएच3 एवं पीबी) पर विचार करता है जिसके लिए (24 घंटे की औसत अवधि तक) राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक अनुशंसित हैं।
- राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) 12 प्रदूषकों से निर्मित होता है जिनमें से 3 प्रदूषक-जिनके नाम पीएम10, एसओ2, एनओ2 हैं, की निगरानी केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा विभिन्न राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए प्रदूषण नियंत्रण समितियों (पीसीसी) के सहयोग से 254 नगरों/शहरों में 612 स्थानों पर की जाती है।
- चुने हुए 63 नगरों में भारत स्टेज IV नियमों का क्रियान्वयन एवं 2017 तक बीएस- IV का सार्वभौमीकरण।
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 27 नवम्बर, 2015 को बीएस-V के लिए क्रियान्वयन समय सीमा को 2019 तक बढ़ाने तथा बीएस-VI के लिए हितधारकों की टिप्पणियों के लिये 2021 तक बढ़ाने के लिए दो प्रारूप अधिसूचनाएं जारी की।
- सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं पंजाब के पर्यावरण मंत्रियों के साथ वायु प्रदूषण को कम करने के तरीकों एवं माध्यमों पर चार बैठकें आयोजित की हैं।
- सीपीसीबी ने व्यवसाय करने की सरलता एवं इसकी बैठकों समेत सहमति की मंजूरी के साथ उद्योगों को जोड़ने के लिए ‘लाल’ ‘नारंगी’ ‘हरा’ और ‘सफेद’ वर्ग के रूप में वर्गीकृत करने के लिए एक पारदर्शी मानदण्ड की योजना बनाई है। जो मानदण्ड बनाये गये हैं वे प्रदूषण संभावना एवं संसाधन उपभोग पर आधारित है न कि पूंजी लागत पर।
- व्यापक पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक (सीईपीआई) का सीपीसीबी द्वारा संशोधन किया जा रहा है जो वायु, जल एवं भूमि प्रदूषण के भारांक पर आधारित होंगे।
- सीईटीपी से संबंधित वर्गों समेत 17 उच्च प्रदूषणकारी वर्गों में 2100 से अधिक औद्योगिक इकाइयों की वास्तविक समय ऑन लाइन निगरानी को अधिदेशित किया गया है और उन इकाइयों को छोड़ दिया गया है जिनमें इससे छूट मिली हुई है या जो संचालनगत नहीं है। इन उद्योगों को 24 घंटे दीप्यमान रिसाव गुणवत्ता एवं वायु उत्सर्जन गुणवत्ता की निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। अभी तक लगभग 1800 इकाइयों के पास स्थापित 24x7 उपकरणों के होने की खबर है।
- सीपीसीबी ने सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के लिए मानकों को अंतिम रूप दिया है जिसमें यह नियम बनाया गया कि एसटीपी से उपचारित उत्प्रवाहों का उपयोग गैर-लाभकारी इस्तेमाल के लिए किया जायेगा और अगर ऐसे उत्प्रवाहों को जमीन के सतह जल निकाय में प्रवाहित किया जाता है तो ऐसे मामलों में एसटीपी को सख्त मानकों का पालन करना पड़ेगा।
- गंगा की जल गुणवत्ता की वास्तविक समय निगरानी की शुरुआत मुख्य धारा के आठ स्थानों पर की गई और यमुना जल गुणवत्ता की वास्तविक समय निगरानी की शुरुआत मुख्य धारा के दो स्थानों पर की गई।
- गंगा मुख्य धारा राज्यों के लिए शून्य तरलता प्रवाह (जेडएलडी) अर्जित करने के लिए और चर्मशोधनशालाओं, भठ्ठियों, कपड़ों, चीनी एवं लुगदी के लिए जल संरक्षण तथा लुगदी एवं कागज तथा चीनी औद्योगों के संबंध में सिंचाई के लिए बेहतर निस्सरण अर्जित करने के लिए विकसित कार्य योजना।
- थर्मल बिजली संयंत्रों, सतत निसारित उपचार संयंत्रों (सीईटीपी) एवं चीनी उद्योग के लिए पर्यावरण मानकों को अंतिम रूप दे दिया गया है।
- पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 एवं वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत पर्यावरण एवं वन मंजूरियों के प्रतिवेदन एवं निगरानी के लिए एक ऑन लाइन प्रणाली। यह एक नये प्रस्ताव के ऑन लाइन प्रस्तुतिकरण समेत प्रस्तावों के विवरणों का सम्पादन/अद्यतन प्रस्तावों की समस्त ट्रैकिंग को स्वचालित करता है तथा कार्य प्रवाह के प्रत्येक चरण में प्रस्तावों की यथास्थिति को प्रदर्शित करता है।
- सीवेज उपचार संयंत्रों को संचालित करने के लिए जल संसाधन मंत्रालय के साथ एवं संगठित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए शहरी विकास मंत्रालय के साथ एक संयुक्त कार्य योजना की शुरुआत की गई है। यही फार्मूला अन्य सभी नदियों के साथ विस्तारित किया जायेगा।
- मंत्रालय ने अपशिष्ट प्रबंधन नियमों में सुधार का काम शुरू किया है जिनके नाम हैं (i) जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन एवं निगरानी) नियम (ii) ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम (iii) प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (iv) ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम (v) प्रारूप नुकसानदायक एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं सीमापार आवाजाही) नियम और इसका क्रियान्वयन से अपशिष्ट प्रबंधन में उल्लेखनीय बेहतरी आयेगी। यह अंतिम रूप दिये जाने के अग्रिम चरण में है।
- मंत्रालय ने एक वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन जीईएफ सचिवालय, वॉशिंगटन के सहयोग से 12-13 मई, 2015 को किया।
- संसाधन कुशलता एवं द्वितीयक कच्चे सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक भारत संसाधन पैनल की स्थापना की गई है।
हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए पहल
- नगर वन उद्यान योजना और स्कूल नर्सरी योजना नामक दो योजनाओं की शुरुआत की गई है। नगर वन उद्यान योजना का लक्ष्य न्यूनतम 25 हेक्टेयर क्षेत्र के साथ प्रत्येक नगर में कम से कम एक नगर वन का सृजन करना है। इस योजना का उद्देश्य न्यूनतम 20 हेक्टेयर तथा अधिकतम 100 हेक्टेयर क्षेत्र के उनके अधिकार क्षेत्र के अधीन वन क्षेत्रों में एक नगर वन का सृजन करना है। स्कूल नर्सरी योजना का लक्ष्य छात्रों का प्रकृति के साथ एक स्थायी संबंध का निर्माण करना है।
- हरित क्षेत्र अभियान (जीआईएम) के तहत, मई 2015 में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की पहली बैठक में छह राज्यों की संभावित योजनाओं एवं संचालन की वार्षिक योजनाओं को मंजूरी दी गई। हरित मिशन अभियान का लक्ष्य वन/वृक्ष आच्छादन में पांच मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि करना तथा अन्य पांच मिलियन हेक्टेयर में वर्तमान वन क्षेत्र की गुणवत्ता को बढ़ाना है। 64 करोड़ रुपये के फंड आवंटन में से चार राज्यों को 50.77 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। नवम्बर 2015 में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की दूसरी बैठक में अन्य चार राज्यों की संभावित योजनाओं एवं संचालन की वार्षिक योजनाओं को मंजूरी दी गई।
- प्रतिपूरक वनीकरण फंड प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए): संग्रहित राशियों एवं नये उपार्जनों की सुरक्षा तथा पारदर्शी एवं कारगर तरीके से इसका त्वरित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रतिपूरक वनीकरण फंड विधेयक 2015 को संसद में पेश किया गया है। इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद वन एवं वन्य जीवन के संरक्षण एवं विकास की दिशा में उल्लेखनीय रूप से योगदान देने वाली भारी संग्रहित राशि के उपयोग का रास्ता प्रशस्त हो जायेगा। कथित तदर्थ निकाय के पास उपलब्ध बिना खर्च हुई शेष राशि को बढ़ाकर लगभग 38,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
अन्य पहल
- अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस देश भर में 22 मई, 2015 को मनाया गया। इस वर्ष की विषय वस्तु थी ‘ठोस विकास के लिए जैव विविधता’। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित मुख्य समारोह में जैव विविधता वित्त पहल (बायोफिन) पर एक परियोजना की शुरुआत की गई।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 7, रेस कोर्स मार्ग पर एक ‘कदम्ब‘ पौधे का रोपण किया।
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा नोएडा के बीच 5 जून, 2015 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नोएडा में बोटेनिक गार्डन ऑफ इंडियन रिपब्लिक (बीजीआईआर) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया है। बोटेनिकल गार्डन दुर्लभ प्रजाति के पौधों पर अध्ययन करने के लिए जीव विज्ञानी अनुसंधान विद्वानों के लिए एक केन्द्र के रूप में भी काम करेगा। 249 पारिस्थितिकी-संवेदनशील प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई है जिसमें 28 अंतिम अधिसूचनाएं एवं 92 प्रारूप अधिसूचनाएं शामिल हैं।
- ओखला पक्षी अभ्यारण्य के ईद-र्गिद पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) घोषित करने के लिए अंतिम अधिसूचना भारत सरकार द्वारा 19 अगस्त, 2015 को जारी की जा चुकी है जिससे नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में रहने वाले लाखों मकान मालिकों को राहत मिली है।
- मंत्रालय ने जैवकीय विविधता के नुकसान तथा पारिस्थितिकी प्रणाली सेवाओं में संबंधित गिरावट के आर्थिक दुष्परिणामों को रेखांकित करने के लिए पारिस्थितिकी प्रणाली एवं जैव विविधता टीर्इईबी-इंडिया पहल (टीआईआई) का शुभारम्भ किया है। भारत के प्राणी विज्ञानी सर्वे के शताब्दी वर्ष को चिन्हित करने के लिए एक स्मारक डाक टिकट जारी किया गया है।
- मंत्रालय ने 17 जून, 2015 को बंजरीकरण से निपटने के लिए विश्व दिवस का आयोजन किया।
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने यूनेस्को के साथ मिलकर देहरादून में स्थित भारत वन्य जीवन संस्थान (डब्ल्यूआईआई) में एक यूनेस्को वर्ग 2 केन्द्र के रूप में एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के लिए एक विश्व प्राकृतिक धरोहर प्रबंधन एवं प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की है।
- बेंगलुरु, भोपाल एवं गुवाहाटी में युवा अधिकारियों के लिये ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन किया गया जिससे कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एवं वन, प्रदूषण बोर्डों एवं संबंधित विभागों के वैज्ञानिकों को अंत:निरीक्षण करने एवं मंत्रालय से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने में सक्षम बनाया जा सके।
स्त्रोत: पत्र सूचना कार्यालय
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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