पर्यावरणप्रिय भवन क्या होता है?
एक पर्यावरणप्रिय भवन अपने निर्माण और उपयोग के दौरान प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम क्षरण करती है। ग्रीन इमारत की डिजाइन के उद्देश्य इस प्रकार हैं -
- गैर नवीकरणीय संसाधनों की मांग कम से कम करना और उपयोग के दौरान इन संसाधनों के उपयोग की क्षमता को अधिकतम करना, और
- उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम पुनर्प्रयोग एवं पुनर्चक्रण
- अक्षय संसाधनों का उपयोग
यह कुशल निर्माण सामग्री और निर्माण प्रथाओं का अधिकतम उपयोग करती है; जैव जलवायु वास्तुकला प्रथाओं से ऑन साइट स्रोतों और सिंक के उपयोग का अनुकूलन करती है, खुद को शक्ति प्रदान करने के लिए कम से कम ऊर्जा का उपयोग करती है, प्रकाश, एयर कंडीशनिंग, और अन्य ज़रूरतों के लिए कुशल उपकरणों का उपयोग करती है; ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का अधिकतम उपयोग करती है, कुशल अपशिष्ट व जल प्रबंधन प्रथाओं का उपयोग करती है; और आरामदायक तथा स्वच्छ आंतरिक कार्य स्थिति प्रदान करती है।
पर्यावरणप्रिय भवन में निर्माण डिजाइन के निम्नलिखित पहलुओं को एकीकृत रूप में देखा जाता है:
- साइट नियोजन
- बिल्डिंग एन्वलप डिजाइन
- बिल्डिंग की एचवीएसी (हीटिंग वेंटीलेशन और एयर कंडीशनिंग), प्रकाश व्यवस्था, बिजली, और पानी गर्म करने की प्रणालियों का डिजाइन
- नसाइट ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों को एकीकृत करना
- जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन
- रिस्थितिकी टिकाऊ सामग्री का चयन (उच्च पुनर्नवीनीकरण सामग्री के साथ, कम उत्सर्जन क्षमता के साथ तेजी से नवीकरणीय संसाधन आदि)
आंतरिक पर्यावरण गुणवत्ता (आंतरिक तापीय और दृश्य आराम तथा वायु की गुणवत्ता बनाए रखता है)
पर्यावरणप्रिय भवनों का दर्ज़ा देने की प्रक्रिया
जीआरआइएचए, ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटैट असेसमेंट का संक्षिप्त रूप, भारत की राष्ट्रीय रेटिंग प्रणाली है। टीईआरआई ने इसकी कल्पना की है और भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के साथ संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह एक ग्रीन इमारत के ‘डिज़ान आकलन की प्रणाली’ है, और देश के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में सभी प्रकार की इमारतों के लिए उपयुक्त है।
पर्यावरणप्रिय भवनों के उदाहरण
ग्रीन इमारतों के कुछ उदाहरण हैं
- गुड़गांव में टेरी रिट्रीट इमारत
- सीईएसई (पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग केंद्र) बिल्डिंग, आईआईटी कानपुर, उत्तर प्रदेश
- सुजलॉन वन अर्थ, सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड, वन अर्थ, हडपसर, पुणे 411 028
स्रोत: http://www.grihaindia.org/index.php