हमें सौर जल तापन का चुनाव क्यों करना चाहिए?
सौर जल तापन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-
- सौर जल हीटर बिजली बचाता है। इसलिए पैसों की बचत होती है। बिजली हर दिन महंगी होती जा रही है और इसकी उपलब्धता भी अविश्वसनीय होती जा रही है।
- सौर जल हीटर से कोई प्रदूषण नहीं होता।
- सौर जल हीटर गीजर से अधिक सुरक्षित होता है, क्योंकि यह छत पर लगा होता है।
क्या हमारे देश में इसका उपयोग होता है?
हां, पूरे देश में हर साल 20 हजार से अधिक घरों में घरेलू प्रणालियां लगायी जाती हैं।
सौर जल हीटर कैसे कार्य करता है?
सौर जल हीटर की कार्यप्रणाली को समझना बहुत ही आसान है। सौर जल हीटर काम करने के लिए दो सामान्य सिद्धांत अपनाता है। ये है-
- सूर्य में रखने पर कोई भी काली सतह सौर विकिरण सोखने के कारण गर्म होती है। सौर हीटर में काली सतह के सोखने के अच्छे गुणों का उपयोग सौर ऊर्जा सोखने में किया जाता है।
- यदि कोई कार या बस बहुत अधिक समय तक धूप में खड़ी होती है, तो इसका भीतरी भाग गर्म हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि सौर विकिरण बस या कार की शीशे की खिड़कियों से अंदर तो जाता है, लेकिन बाहर नहीं आ सकता। यह अंदर बंद होता है। इसलिए बस या गाड़ी अंदर से गर्म होती है। इसी तरह धूप में रखी इंश्युलेटेड पाइपों से गुजरते हुए पानी गर्म होती है।
यही दो प्रक्रियाएं चपटे प्लेट संग्राहकों में इस्तेमाल की जाती हैं। सामान्य रूप से उपलब्ध सौर जल हीटरों में इसी तरह के संग्राहकों का इस्तेमाल होता है।
सौर जल हीटर की कार्यप्रणाली
एक सामान्य घरेलू सौर जल हीटर में गर्म पानी जमा करने के लिए टंकी और एक या अधिक चपटा प्लेट संग्राहक होता है।
संग्राहकों को धूप में इस तरह रखा जाता है कि उसकी दीवारों से सूर्य का विकिरण अंदर आ सके।
चपटे प्लेट संग्राहकों के भीतर लगी काली सतह सूर्य का विकिरण सोखने में मदद करती है। यह उस ऊर्जा को अपने से गुजरते हुए पानी तक स्थानांतरित कर देती है।
गर्म पानी टंकियों में जमा होता है। ये टंकियां इंश्युलेटेड होती हैं, ताकि उष्मा का नुकसान न हो सके।
टंकी से संग्राहक तक पानी की धारा का प्रवाह गर्म और ठंडे पानी के घनत्व में अंतर (थर्मोसाइफन प्रभाव) के कारण हमेशा स्वचालित ढंग से बना रहता है।
चपटा प्लेट संग्राहक क्या है?
- यह सौर जल तापन प्रणाली का दिल होता है।
- इसमें एक सोखनेवाला प्लेट होता है। इसका वह भाग, जो सूर्य के सामने होता है, विकिरण सोखनेवाले रंग से पुता होता है। इसे चयनित पुताई भी कहते हैं।
- विकिरण सोखनेवाली सतह पर धातु की बनी नालियां और चादर लगी होती है। पानी नलियों से होकर बहता है। चादर अपने ऊपर पड़नेवाली सूर्य की किरणों से निकली गर्मी सोखती है और उसे पानी तक स्थानांतरित कर देती है।
- सोखनेवाला प्लेट ऊपर से खुले बक्से में रखा होता है, ताकि इसे मौसम से बचाया जा सके। प्लेट और बक्से की दीवारों के बीच की खाली जगह को ऊष्मा रोधी पदार्थों से भरा जाता है, ताकि गर्मी का नुकसान न हो। बक्से का सामने का हिस्सा उच्च संप्रेषण की शक्ति के शीशे के प्लेट से ढंका होता है।
- चपटे प्लेट संग्राहकों को उनके क्षेत्रफल से नापा जाता है और सामान्यतया ये 1 गुणा 2 मीटर आकार के होते हैं।
परंपरागत सामान्य सौर-तापन प्रणाली
संग्राहकों के प्रकार
सौर जल-तापन प्रणाली में इस्तेमाल किये जाने वाले संग्राहकों के कितने प्रकार होते हैं?
- भारत में घरेलू सौर जल-तापन प्रणालियों में सामान्यरूप से चपटे प्लेट संग्राहक का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि ये अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं।
- खाली ट्यूब संग्राहक का भी घरेलू सौर जल-तापन प्रणाली में इस्तेमाल किये जाने का प्रस्ताव है, लेकिन ये आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।
- बिजली के जेनरेटर और औद्योगिक इस्तेमाल जैसे उच्च ताप के संयंत्रों में घनीभूत संग्राहकों का इस्तेमाल अधिक लाभदायक हो सकता है।
खाली ट्यूब संग्राहक से युक्त सौर जल-तापन प्रणाली
प्लेट संग्राहक खरीदने में सावधानियां
चपटा प्लेट संग्राहक खरीदते समय हमें किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?
भारतीय मानक ब्यूरो ने सौर जल-तापन प्रणाली में इस्तेमाल होनेवाले चपटे प्लेट संग्राहकों के लिए विशिष्टता निर्धारित की है। इसलिए आइएसआइ की मुहर ही सही सामग्री के उपयोग का भरोसा है।
जिन विशिष्टताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए, उनमें सोखनेवाला प्लेट बनाने में इस्तेमाल की गयी सामग्री, उस पर लगाये गये सोखनेवाले रंग का प्रकार, उपयोग किये गये शीशे के प्लेट की गुणवत्ता, बक्से की सामग्री और इंसुलेशन की मोटाई आदि है।
गर्म पानी संग्राहक टंकी की क्या वांछित विशेषता होनी चाहिए?
- घरेलू सौर जल-तापन प्रणाली में लगी गर्म पानी के भंडारण की टंकी आमतौर पर दोहरी दीवार की होती है।
- टंकी की भीतरी और बाहरी दीवार के बीच की जगह को इंसुलेटेड पदार्थों से भरा जाता है, ताकि गर्मी का नुकसान नहीं हो।
- अंदर की टंकी तांबे या स्टेनलेस स्टील की बनी होती है, ताकि इसका जीवन लंबा हो।
- बाहरी टंकी स्टेनलेस स्टील की चादर, रंग की गयी इस्पात की चादर या एल्युमिनियम की होती है।
- थर्मोस्टैट द्वारा नियंत्रित विद्युतीय तत्वों को टंकी में ही जोड़ने का विकल्प दिया जा सकता है, ताकि बादलों के दिनों में या मांग बढ़ने के दौरान उसका उपयोग किया जा सके।
- टंकी की क्षमता, प्रणाली में उपयोग किये गये संग्राहक की क्षमता के अनुपात में होनी चाहिए। इस बारे में स्थापित नियम है कि संग्राहक के प्रत्येक वर्ग
- मीटर क्षेत्रफल के लिए 50 लीटर संग्रहण क्षमता होनी चाहिए। बहुत बड़ी या बहुत छोटी टंकियां दक्षता को कम कर देती है।
एक अच्छे सौर जल-हीटर की पहचान क्या है?
- एक अच्छे सौर जल-तापन प्रणाली की पहली और सबसे जरूरी विशेषता दावा की गयी क्षमता के अनुपात में संग्राहक का समुचित क्षेत्रफल है। संग्राहक का क्षेत्रफल पानी गर्म करने की क्षमता नापता है। उदाहरण के लिए उत्तर भारत के सामान्य मौसम में जाड़े के दिनों की खिली धूप में संग्राहक का प्रति वर्ग मीटर क्षेत्रफल 50 लीटर पानी को 30-40 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करता है।
- देश में बननेवाले सामान्य चपटे प्लेट संग्राहक का क्षेत्रफल आमतौर पर दो वर्ग मीटर होता है और इस प्रकार उनकी क्षमता प्रति दिन एक सौ लीटर पानी गर्म होती है। यह अनुपात ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- इसके अलावा संग्राहकों में अच्छे धातुओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और सोखनेवालों में अच्छी गुणवत्ता की कोटिंग होनी चाहिए। (स्थापित निर्माताओं द्वारा बीआइएस स्वीकृत संग्राहक की आपूर्ति की जाती है।)
- पूरी प्रणाली एक ठोस संरचना पर स्थापित की जानी चाहिए, जिसे छत से मजबूती से जोड़ा जाना चाहिए, ताकि तेज हवा चलने पर उसे नुकसान से बचाया जा सके।
किसी को कितनी बड़ी प्रणाली खरीदनी चाहिए?
- आधारभूत नियम यह है कि आपकी जरूरत से छोटी प्रणाली ही खरीदनी चाहिए। जब अधिक पानी की जरूरत हो, तो पानी गर्म करने की दूसरी प्रणाली का उपयोग करना चाहिए। इससे दक्षता अच्छी होती है और संचालन संबंधी समस्याएं कम होती हैं।
- अच्छा होगा कि आप दैनिक जरूरत के लिए पानी की मात्रा का आकलन कर लें। आकलन करते समय यह ध्यान रखें कि सौर जल तापन प्रणाली एक निर्धारित मात्रा में ही पानी गर्म कर सकती है और इसका डिजाइन खिली धूप के दिनों के अनुरूप डिजाइन किया गया है। यह भी याद रखें कि सौर प्रणाली में पानी का तापमान संग्राहक के क्षेत्रफल और टंकी की क्षमता से निर्धारित होता है। आमतौर पर यह 50 से 60 डिग्री सेंटीग्रेड होता है, जो नहाने के पानी के तापमान (40 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास) से कहीं अधिक है।
- आपकी जरूरत का आकलन नीचे दी गयी तालिका की मदद से भी तैयार किया जा सकता है।
- सौर प्रणाली के सामान्य आकार के लिए यह उल्लेखनीय है कि चार वयस्कों के परिवार के लिए एक सौ लीटर की प्रणाली को पर्याप्त माना जाता है।
गर्म पानी की जरूरत का आकलन- कुछ उपयोगी स्थापित नियम
जरूरत
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60 डिग्री सेंटीग्रेड के गर्म पानी की आम जरूरत
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नहाने के लिए बाल्टी का उपयोग करनेवाले घर
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10-20 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति स्नान
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नहाने के लिए मिक्सिंग नल युक्त शॉवर का उपयोग करनेवाला घर
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20-30 लीटर प्रति 10-15 मिनट स्नान
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नल खुला रख कर दाढ़ी बनाने के लिए
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7-10 लीटर
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बाथ टब का इस्तेमाल करनेवाला परिवार
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50-65 लीटर
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मिक्सिंग नल युक्त वाश बेसिन (ब्रश करने, हाथ धोने)
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3-5 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन
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रसोई घर की सफाई
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2-3 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन
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डिशवाशर
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40-50 लीटर प्रति चक्र
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कपड़े धोने की मशीन
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40-50 लीटर प्रति चक्र
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नोट: सभी आकलन 60 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान वाले गर्म पानी के हैं। इस गर्म पानी को ठंडे पानी से मिलाया जाना चाहिए, ताकि तापमान कम हो सके और उसे सहनीय बनाया जा सके। पानी मिलाने से वास्तविक जरूरत तक पानी की मात्रा भी बढ़ जायेगी।
सौर जल-तापन की कीमत क्या है?
सौर जल-तापन प्रणाली की कुल कीमत कई चीजों पर आधारित होती है। इसमें क्षमता, बैक अप का प्रकार, भीतरी और बाहरी टंकियों में इस्तेमाल की गयी चीज की गुणवत्ता, बाथरूम तक गर्म पानी ले जाने के लिए पाइप की लंबाई और ब्रांड शामिल हैं।
आमतौर पर भारत में निर्मित बीआइएस स्वीकृत दो वर्ग मीटर क्षेत्रफल का चपटा प्लेट संग्राहक युक्त सौर जल-तापक की वर्तमान कीमत 15 हजार से 20 हजार रुपये है। इसमें वितरण पाइप की कीमत शामिल नहीं है। हालांकि यह कीमत केवल अनुमानित है और निर्माताओं के बीच इसमें अंतर हो सकता है।
जगह की आवश्यकता
सौर जल-तापन प्रणाली स्थापित करने के लिए कितनी जगह की आवश्यकता होती है?
- एक सौर प्रणाली के काम करने के लिए सबसे पहली जरूरत पूरे दिन सूर्य की अबाधित रोशनी की उपलब्धता है।
- आमतौर पर घरेलू सौर जल-तापन प्रणाली घर की छत पर लगायी जाती है।
- संग्राहक का सामने का हिस्सा सूर्य के सामने होना चाहिए, इसलिए इसे दक्षिण की तरफ लगाना चाहिए। सूर्य की रोशनी दक्षिण, पश्चिम, पूर्व और उत्तर से सीधे संग्राहक पर पड़े, इसके लिए इसे 120 डिग्री, यानी दोनों तरफ 60-60 डिग्री के कोण पर झुका कर लगाना चाहिए।
- स्थापित नियम यह है कि प्रत्येक एक गुणा दो मीटर के संग्राहक के लिए तीन वर्ग मीटर का क्षेत्र छायारहित होना चाहिए।
- यदि क्षेत्र समतल हो, बारिश के पानी की नालियों से दूर हो और जहां तक संभव हो, गर्म पानी जानेवाले बाथरूम के पास हो।
- ठंडा पानी प्रणाली के आधार से ढाई मीटर की ऊंचाई पर उपलब्ध होना चाहिए।
भौगोलिक स्थिति
क्या पूरी प्रणाली को छत के अलावा कहीं और स्थापित किया जा सकता है?
- प्रणाली को दक्षिण की ओर की दीवार पर लगाये गये ब्रैकेट में भी लगाया जा सकता है, जो बाथरूम के पास हो। वैसे इसमें अतिरिक्त खर्च आता है।
- ब्रैकेट में प्रणाली को सही तरीके से लगाया जाना चाहिए।
- प्रणाली की मरम्मत के लिए उस तक पहुंच भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- इस तरीके में गर्म पानी आपूर्ति करने के लिए पाइप का खर्च कम होता है, क्योंकि इसे इस्तेमाल किये जानेवाले स्थान के नजदीक लगाया जाता है।
यदि पानी की आपूर्ति अनियमित है, तो क्या होगा?
- सौर जल-तापन प्रणाली के काम करने के लिए करीब ढाई मीटर की ऊंचाई पर ठंडे पानी की नियमित आपूर्ति आवश्यक है।
- यदि ठंडे पानी की लगातार आपूर्ति उपलब्ध नहीं हो, तो ठंडे पानी की एक अलग टंकी स्थापित की जा सकती है, जिसकी क्षमता न्यूनतम सौर जल- तापन प्रणाली की क्षमता के बराबर हो।
- यदि दिन के दौरान ठंडे पानी की आपूर्ति बाधित हो जाये, तो सौर जल-तापन प्रणाली में पानी गर्म होने पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि ठंडे पानी की आपूर्ति दोबारा शुरू होने तक गर्म पानी नहीं लिया जा सकता।
इससे कितनी बिजली और पैसा बचाया जा सकता है?
नीचे दी गयी तालिका देश के विभिन्न भागों में एक सौ लीटर प्रति दिन की क्षमता वाली सौर जल-तापन प्रणाली द्वारा बचायी जानेवाली बिजली और पैसे का अनुमान पेश करती है।
100 लीटर की घरेलू सौर जल-तापन प्रणाली से बिजली और पैसे की अनुमानित बचत (दो वर्ग मीटर क्षेत्रफल के संग्राहक से युक्त)
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उत्तरी क्षेत्र
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पूर्वी क्षेत्र
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दक्षिणी क्षेत्र *
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पश्चिमी क्षेत्र *
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प्रति वर्ष इस्तेमाल करनेवाले दिन की संख्या
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200 दिन
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200 दिन
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250 दिन
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250 दिन
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पूरी क्षमता का उपयोग कर बिजली की बचत (किलोवाट प्रति घंटा)
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950
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850
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1200
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1300
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बिजली की विभिन्न दरों के अनुरूप पैसे की बचत (रुपये प्रति वर्ष)
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4 रुपये प्रति किलोवाट
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3800
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3400
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4800
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5200
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5 रुपये प्रति किलोवाट
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4750
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4250
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6000
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6500
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6 रुपये प्रति किलोवाट
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5700
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5100
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7200
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7800
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* दक्षिणी क्षेत्र में इस्तेमाल करने का तरीका और बचत का आकलन बंगलुरु के मौसम के अनुरूप है और पश्चिमी क्षेत्र का आकलन पुणे के मौसम के अनुरूप है।
सौर जल-तापन की अनुमानित आयु क्या है ?
बीआइएस के मानकों के अनुरूप सामग्री का इस्तेमाल कर बनाये गये सामान्यसौर जल-तापन की अनुमानित आयु 15-20 साल तक हो सकती है। यह उसके सामान्य रख-रखाव पर भी निर्भर करता है।
सौर जल-तापन के लिए बिजली की जरुरत
क्या सौर जल-तापन के संचालन के लिए किसी बिजली की भी जरूरत होती है?
सौर जल-तापन प्रणाली के किसी भी संचालन के लिए किसी बिजली की जरूरत नहीं होती है। हालांकि बादलों के दिनों में गर्म पानी की लगातार आपूर्ति के लिए यदि बैकअप हीटर लगाया गया हो, तो बिजली की जरूरत होती है।
गर्म पानी की अवधि
सौर ऊर्जा से गर्म किया गया पानी कितनी देर तक गर्म रहेगा? क्या किसी को अहले सुबह, जब सूर्य नहीं उगा हो, गर्म पानी मिल सकता है?
सौर जल-तापन प्रणाली द्वारा दिन के उजाले में गर्म किया गया पानी एक इंस्युलेटेड टंकी में जमा होता है। टंकी का इंस्युलेशन इस प्रकार किया जाता है कि उसमें जमा पानी के तापमान में 24 घंटे के दौरान कोई गिरावट नहीं आये।
इस तरह इस्तेमाल किये जाने के पहले के दिन में गर्म किया गया पानी अगले दिन अहले सुबह इस्तेमाल के लिए उपलब्ध रहता है।
वित्तीय प्रोत्साहन
क्या इन प्रणालियों के लिए सरकार की ओर से कोई वित्तीय प्रोत्साहन भी मिलता है?
केंद्र सरकार अपने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के माध्यम से घरेलू सौर जल-तापन प्रणाली स्थापित करने के लिए आसान कर्ज देती है। ये कर्ज राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा न्यूनतम ब्याज दर पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
घरेलू सौर जल तापन प्रणाली के आपूर्तिकर्ता कौन हैं?
देश में घरेलू सौर जल-तापन प्रणाली के बीआइएस द्वारा स्वीकृत 50 से अधिक आपूर्तिकर्ता हैं।
संचालन संबंधी आवश्यकताएं क्या हैं?
घरेलू सौर प्रणालियों के संचालन के लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत नहीं होती है। हालांकि यदि निम्नलिखित का पालन किया जाये, तो प्रणाली की दक्षता को उच्च स्तर तक बनाये रखा जा सकता है:
- गर्म पानी की अधिकांश मात्रा का उपयोग एक ही बार में- सुबह या शाम करने की कोशिश करें। नल के अधिक बार खोलने और बंद करने से बिजली की बचत कम होगी।
- टंकी में यदि बिजली का बैकअप लगाया गया हो, तो थर्मोस्टेट को न्यूनतम स्वीकार्य तापमान पर सेट करें।
- उत्तर भारत के मौसम में गर्मी के दिनों में नहाने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यदि प्रणाली को पूरी तरह बंद करना हो, तो उसमें पानी को सुखा दिया जाना चाहिए और संग्राहक को ढंक कर रखा जाना चाहिए।
- इसके अलावा यदि गर्मी के दिनों में भी कम मात्रा में गर्म पानी की जरूरत हो, तो संग्राहक के हिस्से को ढंक देना चाहिए।
- संग्राहक पर धूल जमा होने से इसकी दक्षता कम हो जाती है। इसे सप्ताह में कम से कम एक बार साफ करने की कोशिश करनी चाहिए।
रख-रखाव की क्या आवश्यकता है?
- घरेलू सौर जल-तापन प्रणाली को किसी विशिष्ट रख-रखाव की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कभी-कभी लीकेज आदि की मरम्मत तो सामान्य प्लंबर कर सकते हैं।
- यदि पानी कठोर हो, तो कई साल बाद संग्राहक में ठोस अवयव जमा हो जाता है। इसे क्षार (एसिड) द्वारा साफ करने की जरूरत होती है। इसके लिए आपूर्तिकर्ता से संपर्क करना अच्छा होता है।
- टूटे हुए कांच को भी आपूर्तिकर्ता द्वारा ही बदला जाना चाहिए।
- यदि खुले हुए हिस्से पर पेंट लगा हो, तो हरेक दो-तीन वर्ष पर दोबारा पेंट कर देना चाहिए, ताकि सतह पर जंग नहीं लगे।
घरेलू सौर जल-तापकों की आम समस्याओं को दूर करने के उपाय
समस्या
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समस्या का कारण
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गर्म पानी के नल में पानी नहीं
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- ठंडे पानी की आपूर्ति नहीं
- प्रणाली के आउटलेट में वाल्व बंद होना
- पाइपों में हवा बंद होना
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पानी गर्म नहीं हो रहा, हालांकि ठंडे पानी की आपूर्ति जारी है।
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- गर्म पानी का खर्च बहुत अधिक है। इस्तेमाल किये जानेवाले बिंदुओं की और तरीके की जांच करें।
- संग्राहक छांह में है।
- संग्राहक से पानी का बहाव नहीं हो रहा है, क्योंकि इसमें ठोस अवयव के जमा होने के कारण रुकावट है। निर्माता से इसकी जांच करायें।
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पानी अच्छी तरह गर्म नहीं है या समुचित मात्रा में नहीं आ रहा है।
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- आसमान में बादल हैं
- बहुत अधिक खर्च हो रहा है।
- गर्म पानी का नल अधिक बार खोला और बंद किया जा रहा है।
- संग्राहक गंदा है।
- संग्राहक में वाष्प लॉक है, जिसे ठंडा और सुखा कर दूर किया जा सकता है।
- संग्राहक का कुछ हिस्सा जाम हो गया है।
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उबलते हुए पानी की कम मात्रा आती है
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- संग्राहक में वाष्प बंद हो गया है।
- इनलेट या आउटलेट पाइप जाम है।
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स्रोत:
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