रजोनिवृत्ति और उम्र बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक परिवर्तन आते हैं| पर इस दौरान आए शारीरिक परिवर्तनों के स्वस्थ रहन-सहन और उद्देश्यपूर्ण जीवनशैली अपना कर दूर किया जा सकता है|
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप “जितना हो सके उतना बेहतर बनने का प्रयास करें|” आपको रजोनिवृत्ति की अच्छी जानकारी मिल चुकी हैं; इसलिए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ उसका सामना करें| इससे आपको ऐसी खुशी और संतोष की भावना का अनुभव होगा जैसा जीवन में पहले कभी नहीं हुआ था|
रजोनिवृत्ति के बारे में भ्रांतियां |
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गलत धारणाएँ |
तथ्य |
1. रजोनिवृत्ति होते ही मैं बूढ़ी लगने लगूंगी| 2. मुझे जरूर हाट फ्लश होंगे, सिरदर्द रहेगा और जल अभिधारण (वाटर रिटेंशन) की समस्या रहेगी| 3. यौन जीवन में रुचि नहीं रहेगी| 4. अपने आप मूत्र निकल जाने जैसे दिक्कतें आएंगी| 5. मैं चिडचिडी और विषादग्रस्त हो जाऊंगी| 6. मेरी हड्डियों की निश्चित रूप से क्षति होगी|
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1. रजोनिवृत्ति के बदलाव क्रमिक रूप से धीरे-धीरे आते हैं| यदि आप अपनी अच्छी तरह से देखभाल करें तो आप यौवनपूर्ण दिखती रह सकती हैं| अच्छा आहार लें; व्यायाम करें; जरूरत पड़े तो डॉक्टर की सलाह लें| 2. हो सकता है आपको इन लक्षणों का अनुभव ही न हो क्योंकी हर व्यक्ति में ये लक्षण अलग-अलग होते हैं| 3. यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है| कुछ महिलाएँ निम्न एस्ट्रोजन या टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी की वजह से यौन जीवन में दिलचस्पी खो देती हैं; पर यदि आप यौन रूप से सक्रिय रहें तो यह मानसिक और शारीरिक रूप से आपके लिए अच्छा रहेगा और यौन जीवन में आपकी दिलचस्पी भी बनी सकती हैं| 4. हमेशा नहीं| केगेल व्यायाम करके और खूब सारे तरल पदार्थ ले कर आप इसे रोक सकती है| 5. यह आप पर निर्भर है कि आप रजोनिवृत्ति का मुकाबला कैसे करती हैं| ऐसा एस्ट्रोजन की निम्न मात्रा के कारण होता है| नियमपूर्ण, तनावमुक्त, शांत जीवन जी कर, व्यायाम करके और ध्यान लगा कर, आपने को व्यस्त रख कर और एचआरटी के बारे में डॉक्टर की सलाह ले कर आप इन समस्याओं पर पार पा सकती हैं| 6. चालीस की आयु के आड़ हड्डियों का क्षरण क्रमिक और धीमा होता है और हर रोगी में अलग-अलग ढंग से होता है| आप डॉक्टर की सलाह ले कर और हड्डियों के क्षरण की जाँच करा कर लाभ प्राप्त कर सकती हैं| |
अधिकतर महिलाओं में रजोनिवृत्ति के लक्षण थोड़े समय के लिए रहते हैं| पर रजोनिवृत्ति के बाद महिला के एस्ट्रोजन का स्तर स्वभाविक रूप से निम्न ही रहता है| जैसा कि हम कह सकते हैं यह शरीर के अनेक अंगों को प्रभावित करता है| इसलिए हम कह सकते हैं कि इस अर्थ में रजोनिवृत्ति से आए बदलाव जीवन भर रहेंगे| पर यदि हम सही आहार लें, व्यायाम करें और जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव लाएं तो कोई भी महिला दीर्घ आयु तक स्वस्थ जीवन जी सकती है|
अधिकतर महिलाओं का कहना है कि रजोनिवृत्ति के समय उनकी यौन इच्छा कम हो जाती है| बहुत से मामलों में इसका कारण शारीरिक होता है| उदहारण के लिए, निम्न एस्ट्रोजन स्तर की वजह से योनि शुष्क और संकुचित हो जाता है जिससे संभोग करते समय दर्द होता है| कुछ महिलाओं की यौन इच्छा दुबारा पैदा हो जाती है| कुछ महिलाओं की यौन इच्छा इस पर निर्भर करती है कि रजोनिवृत्ति के समय उनकी सोच कैसी है| परामर्श और सलाह से महिला रजोनिवृत्ति के समय आने वाले शारीरिक और भावनात्मक बदलावों का मुकबला करने के तरीके सीख सकती है|
शरीर में एस्ट्रोजन की कमी की वजह से रजोनिवृत्ति के दौरान योनि में आए बदलावों के फलस्वरूप संभोग के समय दर्द हो सकता है| संभोग के समय दर्द को कम करने के लिए अनेक पद्धतियां मौजूद हैं| यह सुनने में कुछ आश्चर्यजनक जरूर लगेगा, पर सच यह है कि नियमित रूप से संभोग करना योनि के सूखेपन को दूर करने का सबसे असरकारी उपाय है| अन्य प्रकार के उपचार इस प्रकार हैं: संभोग से पहले गर्म पानी से नहाना और स्नेह्कों यानी ल्यूब्रिकेंट्स का उपयोग करना| योनि पर जाने वाले एस्ट्रोजन - युक्त क्रीम भी योनि के सूखेपण से राहत दिलाते हैं|
कुछ महिलाओं के रजोनिवृत्ति के बाद मूत्राशय पर नियंत्रण नहीं रह जाता| ऐसा इसलिए होता है कि मूत्राशय के चारों तरफ की पेशियाँ, जो मूत्र को भीतर रोके रखती हैं, कमजोर हो जाती हैं| इसका कारण एस्ट्रोजन का निम्न स्तर होता है| पर एक साधारण से व्यायाम से इन पेशियों को मजबूत बनाया जा सकता है| इस व्यायाम को केगेल कहते हैं| केगेल व्यायाम इस तरह किया जाता है: पेल्विक पेशियों को इस तरह से संकुचित करेंकि जैसे आप योनिद्वार को बंद कर रही हैं| तीन तक गिनने तक पेशियों को संकुचित रखें और फिर ढीला छोड़ दें| दो सेकेंड तक इंतजार करें और फिर यही अभ्यास दोहराएँ| तेजी से केगेल्स करने से (यानी पेशियों को तेजी से सिकोड़ने और छोड़ने से) भी सहायता मिलती है| दिन में कई बार केगेल्स करने से (दिन में 50 बार) मूत्राशय नियंत्रण में सुधार आ सकता है और साथ ही यौन क्रिया का आनन्द भी बढ़ सकता है| एस्ट्रोजन लेने से पेल्विक पेशियों की शक्ति भी बढ़ सकती है|
एस्ट्रोजन चिकित्सा से कुछ महिलाओं की योनि से खून निकल सकता है| पर यह इस पर निर्भर करता है कि किस हार्मोन का चयन किया गया है, उसकी कितनी खुराक रोज लेनी है और चिकित्सा को लेकर महिला के शरीर पर क्या प्रतिक्रिया होती है|
कुछ महिलाओं को रजोनिवृत्ति से पहले के लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जैसे कि स्तनों का कोमल होना, चक्कर आना, उलटी आना और कभी-कभी मनोदशा का अचानक बदलना| इन लक्षणों को निम्नलिखित तरीके अपना कर दूर किया जा सकता है:
इसका संबंध रजोनिवृत्ति से हो सकता है| रजोनिवृत्ति के समय और उसके बाद शरीर के चयापचय (मेटाबोलिज्म) में बदलाव आता है| तीस से पैंतीस साल के बीच हर किसी का मेटाबोलिज्म धीमा होने लगता है| यह परिवर्तन धीरे-धीरे आता है; इसलिए खानापाना की आदतों का वजन पर प्रभाव पड़ने में समय लग सकता है| पर अच्छा यह हो कि हम पोषक आहार लें और व्यायाम करें|
कई रजोनिवृत्ति महिलाओं की याददाश्त कम हो जाती है| जैसे कि वे यह भूल जाती हैं कि उन्होंने कर की चाबी या अपना चश्मा कहाँ रखा है| किसे कब मिलना है यह भी वे भूल जाती है; या बोलते- बोलते यह भूल जाती हैं कि वे कहना क्या चाहती थीं| व्यस्त जीवन शैली या घर के काम के तनाव के कारण ऐसा हो सकता है| पर अनके चिकित्सा अद्ययन यह दर्शाते हैं कि जिन महिलाओं की एस्ट्रोजन पैदा करने वाली सक्रीय डिम्ब ग्रंथियां होती हैं या जो एस्ट्रोजन प्रतिस्थापन उपचार कराती हैं उनकी तथा रजोनिवृत्ति की वजह से निम्न एस्ट्रोजन स्तर वाली महिलाओं की स्मृति के बीच अंतर होता है|
यह सब आप पर निर्भर करता है| रजोनिवृत्ति जीवनका एक स्वभाविक अंग हैं, कोई रंग नहीं| पर रजोनिवृत्ति कई बार ऐसे समय में होती है जब आपके जीवन में कई दुसरे परिवर्तन हो रहे हैं| उदाहरण के लिए हो सकता है उस समय आपके बच्चों का विवाह हो रहा हो, या वे घर छोड़ कर जा रहे हों, या आपके पिता बीमार हों, उनकी मृत्यु हो गई हो, फिर आप यह सोच रही हों कि रिटायर्मेंट के बाद क्या करेंगी| इसलिए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ स्वस्थ जीवन शैली अपनाना जरूरी है|
अब है अपने आप और अपने लक्ष्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर| रजोनिवृत्ति जीवन की एक नई शूरूआत बन सकती है; इसे खुशी - खुशी स्वीकार करें|
स्रोत : वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इन्डिया
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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