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गर्भपात: क़ानूनी जानकारियां

गर्भपात: क़ानूनी जानकारियां

सफाई की जानकारी

पेट (गर्भ) में ठहरे अनचाहे बच्चे को गिराने की क्रिया को सफाई कहते है. लोग सफाई को अलग-अलग नाम से जानते है जैसे, ‘अबोरशं’, ‘डी. एन. सी.’, ‘ऍम. टी. पी.’, ‘कैंसल करना’, ‘बच्चा गिरना’, आदि।

जड़ी बूटियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. गलत तरीके से सफाई करवाना, जान के लिए खतरनाक हो सकता है. इसीलिए, पेट (गर्भ) में तहरे अनचाहे बच्चे को गिराने की क्रिया को सफाई कहते है।

अगर कोई किशोरी या नव- विवाहित महिला असुरक्षित यौन करते है और उन्हें गर्भ ठाहरता है तो वो महिला या किशोरी सफाई करवा सकती है। इसमें शर्म की कोई बात नही है।

कोई भी महिला, अगर सफाई करवाना चाहे, तो 5 महीने या 20 हफ्ते तक के गर्भ की सफाई करवा सकती है।

भारत सरकार ने 1971 से महिलायों को गर्भपात (यानी सफाई) करने की अनुमति दी है। कानून “M.T.P. एक्ट 1971” के अनुसार कोई भी महिला 20 हफ्ते (5 महीने) तक के गर्भ की सफाई करवा सकती है। महिलाएं इन कारणों के लिए सफाई करवा सकती है।

कुछ मुख्य बिंदु

१. अगर होनेवाले बच्चे को मानसिक या शाररिक रूप से खतरा हो।

२. अगर होनेवाली माँ को मानसिक या शाररिक रूप से खतरा हो।

३. अगर किसी महिला को बलात्कार के कारन गर्भ ठहरा हो।

४. अगर गर्भ निरोधक तरीके के उपाय के बावज़ूद, शादी शुदा महिला के गर्भ ठहर गया हो।

नोट: लिंग जांच करवाना गलत काम है। सरकार इसे सहमति नहीं देती है।

सही जगह से सफाई करवाना चाहिए। सही जगह वह सरकारी या प्राइवेट अस्पताल है, जिसे सरकार से सहमति मिली है, जन्हा ठीक से सफाई की जाती है।

अंतिम बार संशोधित : 2/28/2020



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