स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग अभ्यास भारत सरकार की एक गतिविधि है जिसका उद्देश्य राज्यों एवं शहरी स्थानीय निकायों द्वारा स्वच्छता प्रयासों के स्तरों का आकलन समयबद्ध और नवाचार तरीके से करना है तथा पिछले स्वच्छ सर्वेक्षण के बाद अर्जित की गई बेहतरी, जिनके परिणामों की घोषणा इस वर्ष जनवरी में की गई, को दर्ज करना है और इसके अतिरिक्त, यह स्वच्छता स्तरों के संबंध में दूसरों के मुकाबले नगरों को श्रेणीबद्ध करने में भी मदद करना है।
सर्वेक्षण का उद्देश्य कस्बों और शहरों को रहने का बेहतर स्थान बनाने की ओर मिलकर बहुसंख्या में भागीदारी को बढ़ावा देना तथा समाज के सभी वर्गों में जागरूकता पैदा करना है । इसके अतिरिक्त सर्वेक्षण से शहरों को स्वच्छ बनाने में और नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने में सुधार करने एवं शहरों और कस्बों में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जागृत करना है।
शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ सर्वेक्षण की जिम्मेदारी को शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा। मंत्रालय ने इस सर्वेक्षण के लिए क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया(क्यूसीआई) को जिम्मेदारी सौंपी थी। प्रत्येक जिले का मूल्यांकन चार मापदंडों के आधार पर किया गया।मापदंडों में सबसे अधिक अंक स्वच्छ जल और शौचालय की सुलभता को दिए गए।
स्वच्छ सर्वेक्षण जनवरी 2016 में शुरू किया गया था भारत के 73 प्रमुख शहरों में स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन स्थिति (भारत की कुल शहरी आबादी का 40% शामिल) का आकलन करने के लिए-10लाख से ऊपर की आबादी के साथ 53 शहर और प्रत्येक राज्यों की राजधानियाँ।
स्वच्छ सर्वेक्षण को तीन भागों में विभाजित किया गया सेवा स्तर की स्थिति, स्वतंत्र अवलोकन और नागरिक प्रतिक्रिया। रैंकिग में शहरों को व्यक्तिगत रूप से प्रदर्शन के साथ ही उनके समग्र प्रदर्शन के आधार पर स्थान दिया गया है। प्रत्येक शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के प्रदर्शन को भी मूल्यांकन के 6 क्षेत्रों में बेंचमार्क दिया गया है।
स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 500 शहरों और कस्बों के स्वच्छता स्तर का आकलन के आधार पर रैंक बनाने और संबंधित शहरी स्थानीय निकायों द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयासों की प्रगति और अगस्त 2016 के दौरान शुरू की गई-' खुले में शौच मुक्त 'की स्थिति का आंकलन करने करने के लिए आयोजित किया गया। स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 के लिए स्व-मूल्यांकन पोर्टल को देखने के लिए क्लिक करें
शीर्ष 10 साफ शहरों में मैसूर (कर्नाटक), चंडीगढ़, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु) और एनडीएमसी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), सूरत (गुजरात), राजकोट (गुजरात), गंगटोक (सिक्किम), पिंपरी-चिंचवाड़ ( महाराष्ट्र) और ग्रेटर मुंबई (महाराष्ट्र) शामिल हैं।
सबसे कम साफ शहरों में धनबाद (झारखंड), आसनसोल (पश्चिम बंगाल), ईटानगर (अरूणाचल प्रदेश), पटना (बिहार), मेरठ (उत्तर प्रदेश), रायपुर (छत्तीसगढ़), गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश), जमशेदपुर (झारखंड), वाराणसी शामिल (उत्तर प्रदेश) और कल्याण डोम्बिविली (महाराष्ट्र) शामिल हैं।
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स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 500 शहरों और कस्बों स्वच्छता के स्तर का आकलन के स्तर पर रैंक बनाने और संबंधित शहरी स्थानीय निकायों द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयासों की प्रगति और अगस्त 2016 के दौरान शुरू की गई-' खुले में शौच मुक्त 'की स्थिति का आंकलन करने करने के लिए आयोजित किया गया। स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 के लिए स्व-मूल्यांकन पोर्टल को देखने के लिए क्लिक करें
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय मई 2016 में शुरू किए गए ग्रामीण स्वच्छ सर्वेक्षण में 22 पहाड़ी जिलों और 53 मैदानी जिलों को शामिल किया गया था।
प्रत्येक जिले का मूल्यांकन चार मापदंडों के आधार किया गया। मापदंडों में सबसे अधिक अंक स्वच्छ जल और शौचालय की सुलभता को दिए गए। स्वच्छता का दर्जा निर्धारण करने में निम्नलिखित को शामिल किया गया था-
पहाड़ी जिलों में मंडी को सबसे अधिक स्वच्छ और मैदानी जिलों में सिंधुदुर्ग सबसे अधिक स्वच्छ जिले घोषित किए गए। सर्वेक्षण में सिक्किम के जिले, हिमाचल प्रदेश का शिमला, पश्चिम बंगाल का नादिया और महाराष्ट्र का सतारा जिला स्वच्छता सूचकांक में शीर्ष पर पाए गए।
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अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020